हरियाणा में कांग्रेस की हार का जिम्मेदार कौन? कुमारी सैलजा ने दिया बड़ा बयान

Congress
haryana congress
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:06 AM
bookmark
Haryana News : हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद सियासी गरमाई हुई है। लगातार तीसरी बार हार से प्रदेश कांग्रेस स्तब्ध है। कांग्रेस पार्टी में हार के बाद घमासान मच गया है। कांग्रेस नेताओं में तो खलबली मची हुई है। पार्टी में बिखराव और गुटबाजी बढ़ सकती है। तो वहीं पार्टी में कार्यकर्ताओं को रोकना कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती होगी। माना जा रहा है कि पिछले 10 वर्षों से विधायकों के संख्या बल के आधार पर कांग्रेस हाईकमान के सामने दबाव बनाने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ भी अब हाईकमान में कमजोर होगी। साथ ही प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं।

सांसद कुमारी सैलजा ने प्रदेश नेतृत्व पर कसा तंज

सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने प्रदेश नेतृत्व पर निशाना साधा है। सैलजा ने कहा है कि प्रदेश नेतृत्व की जिम्मेदारी पर चर्चा करनी होगी। कहां पर किसकी कमी रही, यह हाईकमान देखेगा। अपनी कमियों के बारे में सोचना होगा। कुमारी सैलजा ने कहा कि हमें 60 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद थी, लेकिन परिणाम इसके विपरित आया है। हम सभी को मंथन की जरूरत है। आपको बता दें कि इस समय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस हाईकमान ने फ्री हैंड दे रखा है और उनके ही समर्थक चौधरी उदयभान कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। कुमारी सैलजा शुरू से ही संगठन नहीं बनाने को लेकर भी सवाल उठाती रही हैं। इसके अलावा, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर सैलजा हाईकमान के सामने नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं।

हुड्डा पर भरोसा करना पड़ा महंगा

लोकसभा चुनाव में नौ से आठ टिकट भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सिफारिश पर दिए गए। जबकि विधानसभा चुनाव में 89 में से 73 टिकट हुड्डा की सिफारिश पर दिए गए। चुनाव प्रचार के दौरान भी हुड्डा ने ज्यादातर इलकों में खुद ही बागडोर संभाली। लेकिन चुनाव परिणाम से साफ हो गया है कि हाईकमान के हुड्डा पर जरूरत से ज्यादा भरोसे का नकारात्मक असर पड़ा।

हुड्डा के चेहरे पर पहले ही लड़ चुकी है 3 चुनाव

हरियाणा कांग्रेस में अब कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला गुट पूरी तरह से हावी होगा। हुड्डा के चेहरे पर कांग्रेस तीन चुनाव लड़ चुकी है। इस चुनाव में हाईकमान के सामने महिला और दलित चेहरे के रूप में कुमारी सैलजा को उभारने का अवसर था, जिसे हाईकमान ने तवज्जो नहीं दी। इस बड़ी हार के बाद अब कुमारी सैलजा हाईकमान के दरबार में सक्रिय होकर हरियाणा में आगे आएंगी।

2019 में पार्टी समर्थकों ने किया था ये दावा

2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बहुमत से सिर्फ 15 सीटें दूर रह गई थी। तब हुड्डा के समर्थकों ने दावा किया था कि अगर टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी हुड्डा को दी जाती तो कांग्रेस सत्ता में वापस आ जाती। हालांकि, विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया है। किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई जैसे वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा पर पार्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी। अब हुड्डा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।

चेतना मंच Exclusive : हिसाब ज्यों का त्यों फिर भी कुनबा डूबा क्यों?

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। 
देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

चेतना मंच Exclusive : हिसाब ज्यों का त्यों फिर भी कुनबा डूबा क्यों?

HARYANA
Haryana Assembly Result 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Oct 2024 09:59 PM
bookmark
Haryana Assembly Election Result 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव रिजल्ट (Haryana Assembly Election Result 2024) को लेकर खूब चर्चा हो रही है। हर कोई हरियाणा विधान सभा चुनाव रिजल्ट की समीक्षा करने में जुटा हुआ है। चेतना मंच की टीम ने भी हरियाणा विधानसभा चुनाव रिजल्ट की गहन समीक्षा की है। चेतना मंच की समीक्षा में हरियाणा के चुनावी रिजल्ट पर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। दरअसल हरियाणा विधानसभा के चुनाव पर यह पुरानी कहावत कि- "हिसाब ज्यों का त्यों फिर भी कुनबा डूबा क्यों"? पूरी तरह से सटीक साबित हो रही है।

भाजपा ने चली थी गुप्त चाल

हरियाणा विधानसभा चुनाव रिजल्ट का पूरा विश्लेषण करने पर हमें पता चला है कि हरियाणा में हैट्रिक बनाने के लिए भाजपा ने एक बहुत बड़ी योजना बनाई थी। भाजपा ने अपनी इस बड़ी योजना को गुप्त रखा था। केवल भाजपा के आधा दर्जन बड़े नेताओं को ही हरियाणा विधानसभा के चुनाव में अपनाई जाने वाली गुप्त योजना का पता था। इस गुप्त योजना की जानकारी हरियाणा में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों तक को भी नहीं थी। इस गुप्त चाल (योजना) के बलबूते पर भाजपा ने हरियाणा में कांग्रेस को कम से कम 19 सीटों पर चुनाव हराया है। भाजपा की यह गुप्त चाल हरियाणा में नया इतिहास रचते हुए लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में भाजपा का मास्टर स्ट्रोक साबित हुई है।

क्या थी हरियाणा में भाजपा की गुप्त योजना ?

आपको हरियाणा विधानसभा के चुनाव में अपनाई गई भाजपा की गुप्त योजना बता रहे हैं। दरअसल भाजपा को हरियाणा में चुनाव की घोषणा से पहले ही आभास हो गया था कि हरियाणा में हवा का रूख कांग्रेस की तरफ है। इसी कारण यह योजना बनाई गई कि हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर जीतने के तमाम प्रयासों के साथ ही साथ एक गुप्त चाल भी चली जाए। इस गुप्त चाल में हरियाणा की विधानसभा सीटों पर "वोट कटवा" प्रत्याशियों की मदद करनी थी। दरअसल भाजपा ने हरियाणा की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर एक-एक ऐसा प्रत्याशी चिहिन्त किया जो जीत नहीं सकता था। किन्तु अच्छी-खासी वोट काटने की स्थिति में था। हरियाणा की प्रत्येक सीट पर मौजूद "वोट कटवा" प्रत्याशी को भाजपा ने मोटी आर्थिक मदद की। यानि "वोट कटवा" अधिक से अधिक वोट काट सकें। इसके लिए प्रत्येक सीट पर मजबूत "वोट कटवा" को खूब पैसे दिए गए तथा मजबूती से चुनाव लड़ाया गया। भाजपा की इस गुप्त योजना ने बड़ा चमत्कार किया। पूरे हरियाणा में 19 सीट ऐसी रहीं जिन पर "वोट कटवा" के कारण कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव हार गए। इस गुप्त योजना के द्वारा भाजपा हरियाणा में हैट्रिक बनाने में सफल हो गई। कांग्रेस के नेता अभी भी यही सोच रहे हैं कि उनका आंकलन तो कम से कम 60 सीट तक जीतने का था फिर भला कांग्रेस 37 सीटों पर ही कैसे सिमट गई। भाजपा की "वोट कटवा" वाली गुप्त चाल नहीं चली होती तो कांग्रेस निश्चित रूप से 37+19= 56 सीट जीत कर बम्पर जीत दर्ज करने वाली थी।

हरियाणा में इन 19 सीटों का गणित समझ लेना जरूरी है

हरियाणा विधानसभा चुनाव रिजल्ट का विश्लेषण करने पर पता चला है कि हरियाणा की 19 सीट ऐसी हैं जहां निर्दलीय प्रत्याशी अथवा आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ने कांग्रेस के प्रत्याशियों की जीत का गणित बिगाड़ा है। इन वोट कटवा प्रत्याशियों को उससे अधिक वोट मिले हैं जितने वोटों से कांग्रेस प्रत्याशियों की हार हुई है। हरियाणा में 19 विधानसभा सीट ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस की हार का अंतर सेकंड रनर-अप को मिले वोटों से काफी कम है। हरियाणा में 5 सीटें तो ऐसी हैं, जहां आम आदमी पार्टी की वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। यहां आप के प्रत्याशी को कांग्रेस की हार से ज्यादा वोट मिले। इस तरह कुल 19 सीटों पर कांग्रेस जीती हुई बाजी हार गई।

पांच सीटों पर आप बनी वोट कटवा

5 सीटों पर जहां आप ने समीकरण बदले, उनमें सबसे पहली सीट है, उचाना कलां विधानसभा सीट की। इस सीट पर आप पार्टी के उम्मीदवार पवन फौजी को कुल 46473 वोट मिले, उचाना कलां सीट से देवेंदर चटर भुज (बीजेपी) केवल 32 वोटों के मार्जिन से जीते. दूसरी सीट है डबवाली विधानसभा। यहां से INLD के आदित्य देवीलाल ने को कुल 56074 वोट मिले और उन्होंने कांग्रेस के अमित को 610 वोटों से हराया, जबकि इस सीट पर आप उम्मीदवार कुलदीप सिंह को 6606 वोट मिले। दादरी विधानसभा सीट की बात करें इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार सुनील सतपाल सांगवान ने कुल 1957 वोटों के मार्जिन से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया। इस सीट पर आप के उम्मीदवार धनराज सिंह को कुल 64229 वोट मिले। इसी प्रकार महेंद्रगढ़ सीट पर बीजेपी प्रत्याशी कंवर सिंह को कुल 63036 वोट मिले और उन्होंने कांग्रेस उम्मदीवार को 2648 वोटों के मार्जिन से हराया। इस सीट पर आप प्रत्याशी डॉ. मनीष यादव को 61296 वोट मिले. असंध विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार योगेंद्र सिंह राणा को 54761 वोट मिले। उन्होंने अपने विपक्षी कांग्रेस उम्मीदवार शमशेर सिंह गोगी को 2306 वोटों के मार्जिन से हराया। असंध सीट से आप को कुल 4290 वोट मिले।

चौदह सीटों पर निर्दलीय ने बिगाड़ा खेल

हरियाणा में 14 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस जितने वोटों से हारी उससे ज्यादा वोट तीसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी को मिले. ऐसी ही एक सीट महेंद्रगढ़ हैं जहां बीजेपी प्रत्याशी कंवर सिंह को कुल 63036 वोट मिले। यहां कांग्रेस उम्मीदवार कुल 2648 वोट से हारे, जबकि निर्दलीय पार्टी से संदीप सिंह को अकेले 20834 मिले। समालखा सीट से भी बीजेपी प्रत्याशी मनमोहन भड़ाना को कुल 81293 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी धर्म सिंह छौक्कर 61978 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। इस सीट पर निर्दलीय रविंदर मछरौली को 21132 वोट मिले। कालका सीट से बीजेपी प्रत्याशी शक्ति रानी शर्मा ने जीत दर्ज की। उन्हें कुल 60612 वोट मिले। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप चौधरी को 49729 वोट मिले। इस सीट पर निर्दलीय गोपाल सुखोमाजरी को कुल 31688 वोट मिले। बधरा सीट से बीजेपी प्रत्याशी उमेद सिंह की झोली में कुल 59315 वोट आए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सोमवीर सिंह को 7585 के मार्जिन से मात दी। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार सोमवीर घासोला को कुल 26730 वोट मिले। यमुनानगर सीट से बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम दास को कुल 73185 मिले और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रमन त्यागी को 22437 के मार्जिन से हराया। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार कपिल को कुल 278 वोट मिले। असंध सीट से बीजेपी प्रत्याशी योगेंद्र सिंह राणा को कुल 54761 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस के शमशेर सिंह गोगी को 2306 वोटों से हराया। यहां निर्दलीय उम्मीदवार जीले राम शर्मा को कुल 16302 वोट मिले।  सफीदों सीट से बीजेपी प्रत्याशी राम कुमार गौतम को 58983 वोट मिले। राम कुमार ने कांग्रेस के सुभाष गंगोली को 4037 वोटों से हराया। यहां निर्दलीय उम्मीदवार जसबीर देसवाल को 20114 वोट मिले। नरवाना सीट से बीजेपी प्रत्याशी कृष्ण कुमार को 59474 वोट मिले। कृष्ण कुमार ने कांग्रेस प्रत्याशी सतबीर दबलैन को 47975 वोटों से हराया. इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार गुरमैल को 466 वोट मिले। दादरी सीट से बीजेपी प्रत्याशी सुनील सतपाल सांगवान को कुल 65568 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस की मनीषा सांगवान को 1957 वोटों से हराया। इस सीट पर निर्दलीय अजीत सिंह को 3369 वोट मिले। राई सीट से बीजेपी प्रत्याशी कृष्णा गहलावत को कुल 64614 वोट मिले। कृष्णा गहलावत ने अपने विपक्षी जय भगवान अंतिल को 4673 वोटों के मार्जिन से हराया। इस सीट पर निर्दलीय प्रतीक राजकुमार शर्मा को 12262 वोट मिले। तोशाम विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी श्रुति चौधरी को कुल 76414 वोट मिले। उन्होंने अपने विपक्षी अनिरूद्ध चौधरी को 14257 वोटों के मार्जिन से हराया। इस सीट पर निर्दलीय शशि रंजन परमार को कुल 15859 वोट मिले। सोहना सीट से बीजेपी के तेजपाल तंवर को 61243 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस के रोहतास सिंह को 11877 वोटों से हराया। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जावेद अहमद को कुल 49210 प्राप्त हुए। Haryana Assembly Election Result 2024

जुलाना में विनेश फोगाट ने मारी बाजी, बीजेपी प्रत्याशी योगेश बैरागी को दी पटखनी

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। 
देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

धंधा है किन्तु गंदा है शुगर डैडी का प्रचलन

Shugar Daddy 1
Sugar Daddy
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Oct 2024 07:48 PM
bookmark
Sugar Daddy : धंधे वाली, धंधे वाला बाजार अथवा धंधा करने वाली जैसे शब्द आपने जरूर सुने होंगे। यह धंधा शब्द वेश्यावृत्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। वेश्यावृत्ति एक बहुत ही गंदा धंधा है। इस धंधे में स्त्री पैसों के लिए अपना शरीर बेचती है। इसी प्रकार का धंधा है शुगर डैडी (Sugar Daddy) वाला धंधा। शुगर डैडी तथा वैश्य में बस इतना ही फर्क है की वेश्या पैसों के लिए अपना शरीर बेचती है जबकि शुगर डैडी पैसों के बलबूते पर शरीर खरीदते हैं। इसी कारण हम बता रहे हैं कि शुगर डैडी वाला धंधा बहुत गंदा है। शुगर डैडी तथा शुगर बेबी शब्द यूरोप से लेकर भारत तक फैल गया हैं। शुगर डैडी (Sugar Daddy) बनकर मौज-मस्ती करने का एक नया तरीका इजाद किया गया है। पूरी दुनिया के साथ ही साथ भारत में तेजी से बढ़ रहे शुगर डैडी (Sugar Daddy) के चलन को लेकर समाज में चिंता भी बढ़ रही है।

क्या होता है शुगर डैडी? What is Sugar Daddy?

शुगर डैडी वाले गंदे धंधे को समझने के लिए आपको यह समझना पड़ेगा कि शुगर डैडी क्या होता है? आपको बता दें कि शुगर डैडी डेटिंग का एक नया नाम है। भारत में तो डेटिंग शब्द भी नया ही है। इसलिए बताते चलें कि अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए स्त्री तथा पुरूष कुछ समय के लिए आपस में मिलते हैं। इस मिलने-जुलने को डेटिंग कहा जाता है। डेटिंग के अनेक तरीके इजाद हुए है। इन्हीं तरीकों में से डेटिंग के एक तरीके का नाम है शुगर डैडी। “शुगर डैडी” एक ऐसा बुजुर्ग होता है जिसके पास खूब धन होता है। इसी धन के बलबूते पर बुजुर्ग अपने से बहुत कम उम्र की लड़की के साथ घूमता, फिरता तथा डेटिंग करता है। ऐसे बुजुर्ग को लड़कियां शुगर डैडी (Sugar Daddy) नाम से बुलाती हैं। जो लड़कियां इस प्रकार की डेटिंग करती हैं उन लड़कियों को शुगर बेबी कहा जाता है। डेटिंग का यह नया रूप Sugar Daddy खूब फैल रहा है। जहां एक अमीर, लेकिन उम्रदराज शख़्स रिलेशन रखता है अपने से छोटी लडक़ी से। शुगर डैडी दिल खोल कर पैसे खर्च कर सकता है और शुगर बेबी को ज़रूरत है पैसों की। यूरोप, यूएस और अफ्रीका में ऐसी लड़कियों की तादाद बढ़ती जा रही है, जो डेटिंग के लिए लडकों के साथ नहीं, बल्कि बूढ़ों के साथ जाना पसंद करती हैं। अब यह प्रचलन भारत में भी तेजी से बढ़ रहा है। रिलेशनशिप एक्सपर्ट तनवी तनेजा बताती हैं कि शुगर डैडी एक नई तरह की डेटिंग है। इसमें बुजुर्ग व्यक्ति तथा जवान लडक़ी दोनों एक दूसरे की ज़रूरत को पूरा करने के लिए साथ जुड़ते हैं। शुगर डेटिंग में एक-दूसरे को समझने में भी समय खऱाब नहीं होता, क्योंकि इसमें एक व्यक्ति दूसरे से जदा मेच्योर होता है। इसलिए यह रिश्ता खूब अच्छा चलता है। साइकोलॉजिकल डॉ. अरूण तनेजा बताते हैं कि पश्चिम ही नहीं, अपने देश भारत में भी इस तरह के रिलेशनशिप काफी बनते हैं। अंतर बस इतना है कि यहां पर इस रिलेशनशिप को लोग किसी नाम से नहीं पुकारते थे। अब धीरे-धीरे यहां भी इसे शुगर डैडी बोला जाने लगा है।

बहुत गंदा है शुगर डैडी वाला धंधा

इस रिश्ते की ख़ासियत है कि यह शॉर्ट टर्म होता है। इसे दोनों तरफ से लिया जाता है एक बिजनेस अथवा धंधे की तरह। अगर शुगर बेबी को कोई दूसरा अमीर आदमी मिलता है और पहले वाले शुगर डैडी के पास समय नहीं है, तो वह शिफ्ट हो जाती है। यह रिश्ता चलता है घंटों के हिसाब से। इसमें तय कर लिया जाता है कि शुगर डैडी को कितने घंटे का साथ चाहिए और किस समय। इससे शुगर बेबी एक ही दिन में कई-कई लोगों के साथ रिलेशनशिप मेंटेन कर पाती है। इस रिलेशनशिप की अवधि इस बात पर भी निर्भर करती है कि शुगर डैडी कितनी जिम्मेदारी संभाल कर चल रहा है शुगर बेबी की। युवा लड़कियां मानती हैं कि उनके साथियों में करीब 24 फ़ीसदी साथियों के शुगर डैडी हैं। एशियन ट्रेंड को देखें, तो शुगर डैडी और शुगर बेबी आपस में सोशल नेटवर्किंग साइट्स और सोशल मीडिया के ज़रिए कनेक्ट होते हैं। दुनियाभर में पॉपुलर ‘शुगर डैडी फॉर मी’ डेटिंग वेबसाइट पर इस समय करीब 5 करोड़ यूजर हैं। रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. पल्लवी गर्ग बताती हैं कि इस तरह के रिलेशनशिप में शुगर डैडी इसलिए आपसे जुड़ता है, क्योंकि वह अपनी पर्सनल लाइफ से खुश नहीं होता। ऐसे में वह अधिकतर समय अपनी दिक्कतें शेयर करता रहता है। वहीं, शुगर बेबी का काम है उन समस्याओं को सुनना और शुगर डैडी को रिलैक्स करना। इससे फर्क नहीं पड़ता कि लडक़ी ख़ुद किस तरह की मानसिक परेशानी से गुजर रही है। ऐसे रिश्ते में भावनात्मक सहारा नहीं मिल पाता। एकतरफा होता है यह रिश्ता। पैसों से जुड़ा होने की वजह से ज्यादातर केस में शुगर डैडी मल्टीपल रिलेशनशिप में होते हैं। ऐसे में मल्टीपल पार्टनर के साथ सेक्स करने से कई तरह की सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज होने की आशंका बढ़ जाती है।

समाज में बढ़ी चिंता

भारत में शुगर डैडी तथ शुगर बेबी (Sugar Daddy and Sugar Baby) का चलन नया नया है। समाजशास्त्री बताते हैं कि यह चलन भारत में तेजी से बढ़ रहा है। शुगर डैडी व शुगर बेबी के बढ़ते हुए चलन से भारत में समाज के सभी तबके चिंतित हैं। लोगों का कहना है कि शुगर डैडी तथा शुगर बेबी वाला चलन भारतीय सभ्यता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। भारत में रिश्ते-नातों की पवित्रता का विशेष महत्व रहा है। ऐसे में शुगर डैडी (Sugar Daddy) जैसा प्रचलन भारतीय समाज की चिंता का बड़ा कारण बन गया है। कुछ समाजसेवी संगठनों ने शुगर डैडी  तथा शुगर बेबी वाले प्रचलन को तुरंत बंद करने की मांग की है।

मौज-मस्ती का नया तरीका है शुगर डैडी वाला चलन, समाज में बढ़ी चिंता

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। 
देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।