Astrology 2022 : वृषभ राशि वालों के लिए कैसा रहेगा वर्ष 2022

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calendar01 Dec 2025 03:09 PM
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वर्ष 2021 अब समाप्ति की ओर है। डेढ़ माह बाद हम सभी नए साल में प्रवेश कर जाएंगे। 2020 की भांति 2021 में भी कोरोना का प्रकोप रहा। बहुत से लोग वर्ष 2021 को भी अपने लिए अनलकी मानते हैं। अब 2022 को लेकर ही आशाएं व्यक्त की जा रही हैं। आइए जानते हैं कि वर्ष 2022 में आपके लिए क्या खास रहने वाला है।

वृषभ साल 2022 आपको सामान्य फल देने वाला है। 16 जनवरी को मंगल का धनु राशि में होने वाला गोचर अष्टम भाव को प्रभावित करेगा। इस भाव को आयु भाव भी कहते हैं। मंगल का यह गोचर भाग्य का साथ देने वाला है। साल 2022 में आप जीवन में अपार सफलता हासिल कर सकेंगे। जनवरी से जून के दौरान छात्र अपनी शिक्षा में शुभ फल प्राप्त करेंगे। मंगल उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर बनाएगी। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अनुकूल परिणाम मिलने की संभावना है। सेहत में भी सही सुधार आएगा और आप बेहतर स्वास्थ्य का आनंद लेते दिखाई देंगे। साल 2022 में करियर के क्षेत्र में अनुकूल परिणाम मिलेंगे, आप तरक्की कर सकेंगे। शनि आपकी राशि से नवम भाव यानी भाग्य भाव में उपस्थित रहेंगे, यह स्थिति आपकी आय में वृद्धि करेगी। अप्रैल में कई ग्रहों का राशि परिवर्तन भी होगा। धन और संपत्ति को जुटाने में बाधा दूर होगी। अगस्त में सूर्य और बुध ग्रह का सिंह राशि में एक साथ संयोग बन रहा है यह आपकी राशि के चतुर्थ भाव में बुधादित्य योग का निर्माण करेगा, जिससे आर्थिक तंगी दूर हो सकेगी। इस दौरान मंगल ग्रह वृषभ में अपना गोचर करते हुए कार्यस्थल पर वेतन वृद्धि होने के योग बनाएंगे। साल 2022 के नवंबर माह में बृहस्पति राशि से एकादश भाव में विराजमान होंगे, यह स्थिति इच्छाओं की पूर्ति के लिए ख़र्च की ओर प्रेरित करेगी। वर्ष 2022 में मई के मध्य तीन ग्रहों (मंगल, शुक्र और गुरु बृहस्पति) का एक साथ युति करना भी जीवन में अच्छी संभावना दर्शा रहा है। विशेष रूप से अगस्त से लेकर अक्टूबर तक की अवधि में, आपके आंगन में खुशियों का आगमन होगा। इस वर्ष के अंतिम तीन महीनों में यानी अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में संतान सुख मिल सकता है। बुध का नवम भाव यानी भाग्य भाव में गोचर आपके संबंधों में प्रेम और रोमांस की वृद्धि करने वाला है।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी
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Love Rashifal 2022 : इन राशि वालों की लव लाइफ हो सकती है शानदार

Love rashifal
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 09:40 PM
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 वर्ष 2021 ​अब समाप्ति की ओर है और धीरे धीरे इस साल के दिन कम होते जा रहे हैं, वहीं नया साल यानि 2022 भी दस्तक देने को तैयार है। ऐसे में हम वर्ष 2022 को लेकर सभी राशि (Rashi) वालों का हाल बता रहे हैं। आज इस लेख में हम बात करेंगे लव राशिफल (Love Rashifal) की यानि कि 2022 में किन राशि वालों की लव लाइफ (Love Life) में कुछ खास होने वाला है। आइए जानते हैं...

मेष राशि आपकी लव लाइफ के लिए नया साल शानदार साबित हो सकता है। पार्टनर के साथ संबंध मजबूत होंगे। अगर आप सिंगल है तो आपको अपना संगी मिल सकता है। प्रोफेशन लाइफ को बेहतर बनाने में आपको अपने लवमेट का पूरा साथ मिलेगा। शादीशुदा जातकों के बीच का रिश्ता भी और मजबूत होगा। किसी तरह का कोई तनाव नहीं रहेगा। जो जातक शादी करनी की सोच रहे हैं नये साल में उनकी शादी हो सकती है।

धनु राशि प्रेम जीवन के लिए ये साल अच्छा दिखाई दे रहा है। लड़ाई झगड़े होंगे तो जरूर लेकिन आप जल्दी उनका निपटारा भी कर लेंगे। जो जातक लव रिलेशन में हैं वो अपने पार्टनर से शादी की बात कर सकते हैं। आप अपने प्रेमी को खुश रखनी की हर संभव कोशिश करेंगे। विवाहित जातकों के लिए भी समय अच्छा है। जिन जातकों की शादी की बात चल रही है उन्हें अच्छा पार्टनर मिल सकता है।

मकर राशि मकर राशि वालों की लव लाइफ के लिए भी ये साल शानदार है। जो जातक अभी लव रिलेशन में नहीं हैं उनके जीवन में कोई खास आ सकता है। इस साल इस राशि के विवाह योग्य कई जातक शादी के बंधन में बंध सकते हैं। प्रेम में पड़े जातकों के लिए 2022 में मई से जुलाई तक का समय अति शुभ फलदायक है। प्रेमी से शादी करने सोच सकते हैं। प्रेमी जातकों के बीच प्रेम और समर्पण बना रहेगा। लंबे समय से यदि आप किसी रिश्ते में हैं तो इस साल आप अपने परिवार वालों से अपने संगी को मिला सकते हैं।

कुंभ राशि इस साल आप अपनी लव लाइफ को बेहतर बनाने के लिए अधिक प्रयास करेंगे। धीरे-धीरे आपके प्रेम रिश्ते में और भी अधिक मजबूती आने लगेगी। प्रेमी के साथ विवाह के बंधन में बंध सकते हैं। शादीशुदा जातकों के लिए भी ये साल अच्छा रहेगा। रिश्ते में मजबूती आएगी। इस राशि के लोगों को जरूरी कार्यों में लवमेट का पूरा साथ मिलेगा।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

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क्या इंदिरा गांधी से प्रेरित हैं मोदी के ये फैसले!

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PM Modi
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userचेतना मंच
calendar19 Nov 2021 07:42 PM
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शुक्रवार को देश में ज्यादातर लोगों के दिन की शुरुआत एक चौंका देने वाली खबर से हुई। प्रधानमंत्री ने गुरुपर्व और कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर देश को संबोधित करते हुए सितंबर 2020 में संसद से पास तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। मोदी ने कहा, 'शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी कि हम दिए के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए।'

सार्वजनिक तौर पर शायद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह माना है कि वह अपना संदेश किसानों के एक खास वर्ग तक नहीं पहुंचा पाए। मोदी को वर्तमान भारत का सबसे प्रभावशाली वक्ता माना जाता है। तो क्या मोदी, जनता तक अपनी बात पहुंचाने की क्षमता खो रहे हैं? क्या मोदी का जादू घट रहा है? या यह सब केवल चुनाव जीतने के लिए किया जा रहा है?

पीएम की घोषणा से इन्हें लगा सबसे बड़ा झटका उत्तर भारत खासकर पंजाब, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान पिछले लगभग एक साल से धरने पर बैठे हैं और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे। अचानक, गुरू पर्व के दिन मोदी टीवी स्क्रीन पर आते हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर देते हैं। इस घोषणा की मिली-जुली प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है लेकिन, इसने उन लोगों को सबसे ज्यादा झटका लगा है जो मोदी के कट्टर समर्थक हैं। जो यह मानते हैं कि मोदी कभी गलती नहीं कर सकते और उन्हें अपने किसी फैसले को बदलना नहीं चाहिए।

साफ है कि इस फैसले के बाद विरोधी नहीं, मोदी के समर्थकों के मन में बनी उनकी छवि को जोर का झटका लगा है।

मोदी की यूएसपी यूएसपी यानी, यूनिक सेलिंग प्वॉइंट। यानी, ऐसी खासियत जो आपको बाकी सबसे अलग बनाती है। मोदी की यूएसपी यही है कि वह क्या फैसला लेंगे इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता। उनके सबसे करीबी और कट्टर समर्थक भी नहीं।

अपने इस फैसले से मोदी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह कभी भी, किसी को भी चौंका सकते हैं। चौंकाने के मामले में वह किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। चाहे उनके समर्थक हों या विरोधी।

क्यों छोटे से वर्ग के सामने टेक दिए घुटने मोदी ने अपने भाषण में कहा कि तीनों कानून, किसानों और देश के हित में थे लेकिन, इस बात को किसानों के एक छोटे से वर्ग को समझा नहीं पाए। सीएए, तीन तलाक और धारा 370 को हटाने वाले कानूनों के खिलाफ तो एक पूरा संप्रदाय था, फिर भी सरकार टस से मस नहीं हुई। आखिर क्यों?

मोदी या बीजेपी यह कभी नहीं चाहेंगे कि देश की राजनीति को ध्रुवीकरण, राष्ट्रवाद या मोदीवाद से अलग किसी अन्य मुद्दे की ओर मोड़ दिया जाए। सीएए, तीन तलाक या धारा 370 के विरोध से बीजेपी को फायदा था। लेकिन, किसान आंदोलन के चलते देश की राजनीति बीजेपी के एजेंडे से बाहर जा रही थी।

'मोदीवाद' बना सबसे बड़ा मुद्दा ध्रुवीकरण और राष्ट्रवाद की कमजोर हो रही राजनीति को एक झटके में ही मोदी ने अपने नाम और इमेज की राजनीति की तरफ मोड़ दिया है। जाहिर है कि आने वाले कई महीनों तक लोग यही चर्चा करेंगे कि क्या मोदी कमजोर हो रहे हैं?

यानी, चित हो या पट, चर्चा के केंद्र में मोदी होने चाहिए। महंगाई, लखीमपुर, प्रदूषण को भूल कर एक बार फिर, मीडिया से लेकर चाय-पान की दुकान तक चर्चा के केंद्र में 'मोदी' होंगे।

इंदिरा गांधी और मोदी में कॉमन है ये बात इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाते हुए क्या ये नहीं सोचा होगा कि इतिहास उन्हें किस रूप में याद करेगा? ऐसा न सोचने की वजह से ही इंदिरा गांधी ने अपनी छवि एक ऐसे नेता के तौर पर स्थापित की जो इस बात की परवाह नहीं करता कि लोग क्या सोचेंगे। यही वजह थी कि इमरजेंसी खत्म होने के दो साल के भीतर जनता ने उन्हें फिर से देश का प्रधानमंत्री बना दिया।

यह बात मोदी में भी देखी जा सकती है। नोटबंदी या लॉकडाउन जैसे कठोर फैसले लेते समय मोदी यह नहीं सोचते कि इतिहास उन्हें किस तरह याद करेगा। वह फैसला ले लेते हैं और अगले चुनाव में तमाम आलोचनाओं के बावजूद जनता उन्हें पहले से भी ज्यादा वोट देकर जिता देती है। शायद, इंदिरा गांधी की ही तरह मोदी को भी पता है कि जनता कैसे सोचती है।

अब होगा जनता के मूड का विश्लेषण कृषि कानूनों को वापस क्यों लिया गया? इससे पंजाब या यूपी के चुनाव में बीजेपी को फायदा होगा या नहीं? क्या इससे मोदी ब्रांड का नुकसान होगा? विशेषज्ञ इन सवालों का विश्लेषण करते रहेंगे लेकिन, आम जनता के विश्लेषण का तरीका अलग ही होता है। इसका अंदाजा लगाना किसी भी विशेषज्ञ के लिए आसान नहीं है। नेता की नज़र विश्लेषकों पर नहीं, जनता के मूड पर होती है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या मोदी ने यह फैसला लेने से पहले जनता के मूड का जो विश्लेषण किया है वह सही साबित होता है या नहीं।

-संजीव श्रीवास्तव