Margashirsha Purnima : मार्गशीर्ष पूर्णिमा किए गए कार्यों का मिलता है 32 गुणा फल

शास्त्रों में हर माह की पूर्णिमा (Purnima) और अमावस्या (Amavsya) का अपना महत्व है, लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) को और भी विशेष माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) व्यक्ति को मुक्ति दिला सकती है। कहा जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किए गए पूजा, जप तप और अन्य शुभ कार्यों का 32 गुणा फल प्राप्त होता है, इसलिए इस पूर्णिमा को मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहा गया है।
शुभ मुहूर्त भारतीय हिंदी पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर 2021, दिन शनिवार को सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 19 दिसंबर 2021 को सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। 18 दिसंबर को साध्य योग सुबह 9 बजकर 13 मिनट तक है, उसके बाद शुभ योग प्रारंभ हो जाएगा। शुभ योग पूर्णिमा के अंत तक रहेगा।
पूजा विधि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर भगवान श्री हरि विष्णु का मन ही मन में ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। स्नान के समय जल में थोड़ा गंगाजल और तुलसी के पत्ते डालें। इसके बाद जल को मस्तक पर लगाकर श्री हरि को याद कर प्रणाम करें। इसके बाद स्नान करें। पूजा स्थान पर चौक वगैरह बनाकर श्रीहरि की माता लक्ष्मी के साथ वाली तस्वीर स्थापित करें। उन्हें याद करें फिर रोली, चंदन, फूल, फल, प्रसाद, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें। इसके बाद पूजा स्थान पर वेदी बनाएं और हवन के लिए अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद ‘ॐ नमो भगवते वासु देवाय नम: स्वाहा इदं वासु देवाय इदं नमम’ बोलकर हवन सामग्री से 11, 21, 51, या 108 आहुति दें। हवन खत्म होने के बाद भगवान का ध्यान करें. उनसे अपनी गलती की क्षमा याचना करें।
करें दान पूजन के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान करें। यदि कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है तो इस दिन सफेद चीजों जैसे दूध, खीर, चावल आदि का दान करें। अगर व्रत रखा है तो पूर्णिमा की रात को नारायण भगवान के मूर्ति के पास ही सोएं। दूसरे दिन स्नान करें और पूजा कर जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मण को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व पौराणिक कथाओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किए गए शुभ कार्यों का 32 गुना फल मिलता है, इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ये तिथि माता लक्ष्मी को भी अत्यंत प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए। घर में सत्यनारायण की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। माना जाता है कि इससे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है, परिवार के संकट दूर होते हैं और परिवार में सुख समृद्धि आती है।
यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी
शास्त्रों में हर माह की पूर्णिमा (Purnima) और अमावस्या (Amavsya) का अपना महत्व है, लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) को और भी विशेष माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) व्यक्ति को मुक्ति दिला सकती है। कहा जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किए गए पूजा, जप तप और अन्य शुभ कार्यों का 32 गुणा फल प्राप्त होता है, इसलिए इस पूर्णिमा को मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहा गया है।
शुभ मुहूर्त भारतीय हिंदी पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर 2021, दिन शनिवार को सुबह 7 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 19 दिसंबर 2021 को सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। 18 दिसंबर को साध्य योग सुबह 9 बजकर 13 मिनट तक है, उसके बाद शुभ योग प्रारंभ हो जाएगा। शुभ योग पूर्णिमा के अंत तक रहेगा।
पूजा विधि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर भगवान श्री हरि विष्णु का मन ही मन में ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। स्नान के समय जल में थोड़ा गंगाजल और तुलसी के पत्ते डालें। इसके बाद जल को मस्तक पर लगाकर श्री हरि को याद कर प्रणाम करें। इसके बाद स्नान करें। पूजा स्थान पर चौक वगैरह बनाकर श्रीहरि की माता लक्ष्मी के साथ वाली तस्वीर स्थापित करें। उन्हें याद करें फिर रोली, चंदन, फूल, फल, प्रसाद, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें। इसके बाद पूजा स्थान पर वेदी बनाएं और हवन के लिए अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद ‘ॐ नमो भगवते वासु देवाय नम: स्वाहा इदं वासु देवाय इदं नमम’ बोलकर हवन सामग्री से 11, 21, 51, या 108 आहुति दें। हवन खत्म होने के बाद भगवान का ध्यान करें. उनसे अपनी गलती की क्षमा याचना करें।
करें दान पूजन के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान करें। यदि कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है तो इस दिन सफेद चीजों जैसे दूध, खीर, चावल आदि का दान करें। अगर व्रत रखा है तो पूर्णिमा की रात को नारायण भगवान के मूर्ति के पास ही सोएं। दूसरे दिन स्नान करें और पूजा कर जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मण को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व पौराणिक कथाओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किए गए शुभ कार्यों का 32 गुना फल मिलता है, इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ये तिथि माता लक्ष्मी को भी अत्यंत प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए। घर में सत्यनारायण की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। माना जाता है कि इससे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है, परिवार के संकट दूर होते हैं और परिवार में सुख समृद्धि आती है।
यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी







