Birthday Special: बॉलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना के जन्मदिन पर कुछ खास

WhatsApp Image 2021 09 14 at 11.39.39 AM
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:31 AM
bookmark

बॉलीवुड के अभिनेता आयुष्मान खुराना बहुत ही जानी मानी हस्ती मानी जाती है। आयुष्मान खुराना अपनी एक्टिंग के अलग-अलग रंग दिखाने के लिए मशहूर हैं। वह एक मशहूर कलाकार तो है ही लेकिन साथ ही वह एक पत्रकार भी रह चुके हैं।

आयुष्मान खुराना उन अभिनेताओं में से एक हैं जो कम बजट में अपनी फिल्म को हिट करवा सकते हैं। आयुष्मान खुराना की कई ऐसी फिल्म है जो कि काफी कम बजट में बनी है लेकिन बॉक्स ऑफिस पर उन फिल्मों ने काफी धूम मचाई है और काफी अच्छा बजट बनाया है।

बता दें कि आयुष्मान खुराना का जन्म 14 सितंबर 1984 में चंडीगढ़ में हुआ था। जिसके बाद उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई चंडीगढ़ से ही पूरी की थी। उन्होंने अंग्रेजी विषय में ग्रेजुएशन करने के बाद मास कम्युनिकेशन मे मास्टर्स डिग्री हासिल की है। आयुष्मान खुराना के पिता चंडीगढ़ के मशहूर एस्ट्रोलॉजर पी. खुराना के बेटे हैं।आयुष्मान खुराना ने मास कम्युनिकेशन करने के बाद खुद को थिएटर से जोड़ लिया था। साथ ही साथ वह एक पत्रकार के तौर पर भी काम कर रहे थे। आयुष्मान खुराना की हमेशा से ही रचनात्मक चीजों में रुचि ज़्यादा रही है।

आयुष्मान खुराना ने अपने करियर की शुरुआत छोटे पर दोस्ती की थी लेकिन वह धीरे-धीरे अपने करियर को लेकर इतने आगे बढ़ गए कि उन्होंने अब तक काफी ऊंचा मुकाम हासिल कर लिया है। पहली बार वह टीवी पर स्टंट के रियलिटी शो " एमटीवी रोडीज " में दिखे थे। जिसके बाद " एमटीवी रोडीज " का सीजन 2 जीतने के बाद आयुष्मान खुराना आगे बढ़ते चले गए।

बता दे कि आयुष्मान खुराना एक RJ के तौर पर भी काम कर चुके हैं। जिसके बाद वह एमटीवी के साथ-साथ और भी कई चैनलों में शो होस्टिंग भी कर चुके हैं। आयुष्मान खुराना के असल करियर की शुरुआत साल 2012 से हुई थी। इस साल में उनकी डेब्यू फिल्म " विकी डोनर " आई थी जिसके बाद उनकी एक्टिंग को खूब सराहना भी मिली। इस फिल्म में आयुष्मान खुराना ने "पानी दा रंग " गाना गाया था। जिसके बाद वह एक गायक के तौर पर भी उन्हें माना जाता है।

आयुष्मान खुराना को इस फिल्म के बाद बेस्ट डेब्यू एक्टर का फिल्म फेयर अवार्ड मिला लेकिन साथ ही साथ उन्हें बेस्ट सिंगर का अवार्ड भी मिला। उनकी पहली फिल्म " विकी डोनर " के बाद आयुष्मान खुराना ने और भी कई हिट फिल्म सिनेमा को दी जैसे दम लगा के हईशा, बरेली की बर्फी, शुभ मंगल सावधान, बधाई हो, ड्रीम गर्ल और भी कई हिट फिल्म्स में आयुष्मान खुराना नजर आए थे। बता दें कि आयुष्मान अब तक लगातार सात फिल्म्स हिट दे चुके हैं।

आयुष्मान खुराना की निजी जीवन की जानकारी किसी से छिपी नहीं है। अपने निजी जीवन को लेकर आयुष्मान खुराना काफी चर्चा में बने रहते हैं। बता दें कि एक्टिंग में करियर शुरू करने से पहले 2011 में ही आयुष्मान खुराना ने ताहिरा कश्यप से शादी कर ली थी। हालांकि वह काफी लंबे समय से एक-दूसरे को डेट कर रहे थे। आज के समय पर आयुष्मान खुराना और ताहिरा कश्यप दो बच्चों के माता-पिता है।

अगली खबर पढ़ें

Travel Update: भोपाल का ताजमहल है काफी सुंदर

WhatsApp Image 2021 09 14 at 11.03.41 AM
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 06:17 PM
bookmark

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अपने आप में ही एक प्रसिद्ध शहर माना जाता है। बहुत लोग इसे झीलों का शहर भी कहते हैं। लेकिन आज हम यहां के ताजमहल की बात करेंगे और आपको बताएंगे कि यह क्यों प्रसिद्ध है।

आगरा का ताजमहल तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। आगरा के ताजमहल को काफी नामों से भी जाना जाता है जैसे लवर्स प्वाइंट, प्रेम की मूरत इत्यादि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोपाल में भी ऐसा ही दिखने वाला एक ताजमहल है जो कि काफी सुंदर है।

बता दें कि यह ताजमहल भोपाल के नवाब शाहजहां ने अपनी बेगम के लिए बनवाया था। यह ताजमहल देखने में हूबहू आगरा के ताजमहल जैसा है। यह काफी आश्चर्यजनक है। जानकारी के अनुसार नवाब शाह जहां काफी कला प्रेमी थे। उन्होंने यह ताजमहल अपनी बेगम के लिए बनवाया था। जिसके बाद उनकी बेगम ने उस ताजमहल के सामने बड़ा सा शीशा लगा दिया था। शीशे की चमक के कारण इस ताजमहल को ठीक से कोई देख नहीं पाता था। इस ताजमहल को बनवाने में करीब 13 वर्ष लग गए थे।

बता दें कि यह ताजमहल तकरीबन 17 एकड़ जमीन में बना हुआ है। इसका निर्माण वर्ष 1871 में शुरू होकर 1884 में खत्म हुआ था। सरकार में लिखे रिकॉर्ड की माने तो इसमें मुख्य दरवाजे का वजन तकरीबन 1 टन है।

अगर आप कभी भी भोपाल जाए तो वहां के ताजमहल घूमने जरूर जाएं और ज्यादा जानकारी के लिए वहां के बिरला म्यूजियम में जरूर जाएं। बता दें कि वास्तुकला से लेकर दूसरी सदी की हस्तलिपि, शिलालेख व पेंटिंग भी म्यूजियम में मौजूद है.

किसी भी सभ्यता और संस्कृति और इतिहास को जानने के लिए म्यूजियम बेहतर विकल्प होता है। आप भोपाल की संस्कृति और सभ्यता से रूबरू होने के लिए बिरला म्यूजियम जरूर जाएं। वास्तुकला से लेकर दूसरी सदी की हस्तलिपि, पेंटिंग और शिलालेख भी म्यूजियम में हैं।

अगली खबर पढ़ें

हिंदी दिवस 14 सितम्बर- कैसे हुई इस दिन को मनानें की शुरुआत, क्या थी इसके पीछे की वजह

Janchetna12
locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar14 Sep 2021 11:00 AM
bookmark

14 सितम्बर 2021 आज पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। हमारे देश में प्रतिवर्ष 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य अपनी राष्ट्रभाषा की महत्वता को समझना है। 14 सितंबर के दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने के पीछे की एक खास वजह यह भी है कि 14 सितंबर के दिन ही हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया था।

15 अगस्त 1947 में जब हमारा देश अंग्रेजों के शासन से आजाद हुआ, तो देश के सामने राष्ट्रभाषा के चुनाव को लेकर एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई। जैसा कि हम सभी जानते हैं हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है। हर जाति एवं धर्म के लोग यहां रहते हैं। अलग-अलग प्रांतों की अलग-अलग भाषाएं हैं। ऐसे में सैकड़ों भाषाओं में से किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में चुनना कठिन हो रहा था। काफी सोच विचार करने के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा के तौर पर स्वीकार करने का फैसला किया गया।

14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया। इसके बाद उस समय प्रधानमंत्री पद पर आसीन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह फैसला लिया कि प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। हालांकि हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत साल 1953 में हुई। 14 सितंबर 1953 को भारत ने अपना पहला हिंदी दिवस मनाया।

कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। हिंदी को राजभाषा चुनने पर देश के कुछ हिस्सों में विद्रोह की भावना उत्पन्न हो गई। हालांकि इन दंगों का कोई फायदा नहीं हुआ। और हिंदी ही राजभाषा के रूप में जानी जाती है।

हिंदी हमारी राजभाषा है और हमें अपनी राजभाषा का सम्मान करना चाहिए। आज के दौर में लोग अंग्रेजी भाषा के पीछे भागते नजर आ रहे हैं। समय के साथ कदम मिलाना गलत नहीं है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूलते जाए। हिंदी दिवस का यह दिन हमें याद दिलाता है कि, हमें अपनी राजभाषा का सम्मान करना चाहिए और इसे आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए।