चंद सेकेंड में गायब हुई बड़ी-बड़ी इमारतें, म्यामांर और थाइलैंड में भूकंप से तबाही

Earthquake
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:59 AM
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Earthquake : यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, म्यांमार में शुक्रवार को 7.7 तीव्रता का एक विनाशकारी भूकंप आया, जिसका केंद्र म्यांमार के सागाइंग शहर से 16 किमी उत्तर-पश्चिम में, मांडले पास स्थित था। यह जगह म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ से लगभग 100 किमी उत्तर में स्थित है। भूकंप के कारण म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ में सड़कों में मोटी-मोटी दरारें पड़ गईं और कई इमारतें धराशायी हो गईं।

 चीन और थाइलैंड में भी महसूस किए गए भूकंप के झटके

म्यांमार के अलावा, भूकंप के झटके थाईलैंड और चीन में भी महसूस किए गए। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो फुटेज में बैंकॉक की सड़कों पर लोग इमारतों से बाहर भागते हुए और इकट्ठा होते हुए नजर आ रहे हैं। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) के अनुसार, म्यांमार में भूकंप की तीव्रता 6.9 मापी गई। बैंकॉक में एक हाईराइज बिल्डिंग के रूफटॉप पर बने स्विमिंग पूल से पानी उछलता हुआ और दर्जनों मंजिलों से टकराता हुआ नीचे गिरता हुआ देखा जा सकता है।

भूकंप से भारी नुकसान

म्यांमार में भूकंप आना अपेक्षाकृत आम है जबकि थाईलैंड में भूकंप बहुत कम आते हैं। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, 1930 से 1956 के बीच, सागाइंग फॉल्ट के पास 7.0 तीव्रता के छह शक्तिशाली भूकंप आए थे। यह फॉल्ट देश के मध्य से होकर गुजरता है। हालांकि, थाईलैंड भूकंपीय क्षेत्र में नहीं आता है और यहां महसूस किए जाने वाले अधिकांश भूकंप जो बेहद दुर्लभ होते हैं, पड़ोसी म्यांमार से आते हैं। थाईलैंड में इमारतें भूकंप के झटकों के लिए डिजाइन नहीं की जातीं, और इस कारण बैंकॉक जैसी जगहों पर भूकंप के प्रभाव से महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है। Earthquake

अडानी पावर ने बांग्लादेश बिजली की पूरी सप्लाई की बहाल, गर्मी से पहले छूटे पसीने

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डोनाल्ड ट्रंप का 25% टैरिफ: ऑटो कंपनियों के लिए नई चुनौती और समाधान

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Tariff :
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:28 PM
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Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी बाजार में आयातित ऑटो पार्ट्स और पूरी तरह से असेंबल किए गए वाहनों पर 25 फीसदी का टैरिफ (Tariff) लागू करने का निर्णय लिया है। इस फैसले से भारतीय और अन्य अंतरराष्ट्रीय ऑटो कंपनियां प्रभावित होंगी, और अब उन्हें इस अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ेगा। यह टैरिफ (Tariff) 3 अप्रैल से लागू होगा, और एक महीने बाद, यानी 3 मई से ऑटो पार्ट्स पर भी यह शुल्क लागू किया जाएगा। इसका असर भारत की प्रमुख कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स, जगुआर लैंड रोवर, Bharat Forge, Samvardhana Motherson, और Sona BLW पर पड़ेगा।

टैरिफ (Tariff) का असर और समाधान के तरीके

डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम अमेरिकी बाजार में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए है, ताकि अमेरिकी कंपनियां अपनी फैक्ट्रियां अमेरिका में स्थापित करें और इससे रोजगार के अवसर उत्पन्न हों। हालांकि, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला आर्थिक रूप से समझदारी भरा नहीं है। भारतीय ऑटो कंपनियों को अब यह टैरिफ (Tariff) अपने ग्राहकों पर थोपने की संभावना है, जिससे अमेरिकी बाजार में वाहनों की कीमतें बढ़ सकती हैं। चूंकि अमेरिका में उत्पादन और श्रम लागत बहुत अधिक है, इसलिए कंपनियां आयात शुल्क को ग्राहकों पर डालने का फैसला कर सकती हैं।

अमेरिका में उत्पादन महंगा पड़ेगा

अमेरिका में प्रोडक्शन करना महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि वहां श्रमिकों की लागत और निर्माण प्रक्रिया काफी महंगी होती है। व्हाइट हाउस के फैक्टशीट के अनुसार, अमेरिका में बिकने वाले आधे से अधिक वाहन इम्पोर्ट होते हैं, और इन वाहनों में लगभग 60% पार्ट्स विदेशों से आते हैं। यही कारण है कि अमेरिकी कंपनियों को अपनी फैक्ट्रियां अमेरिका में स्थापित करने के बजाय आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगा कर स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं, लेकिन इससे कंपनियों को अपने उत्पादों की कीमत बढ़ानी पड़ सकती है।

भारत का ऑटो पार्ट्स निर्यात

भारत के लिए अमेरिका, यूरोप के बाद सबसे बड़ा ऑटो पार्ट्स निर्यात बाजार है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 6.79 बिलियन डॉलर के ऑटो कंपोनेंट्स निर्यात किए थे, जो पिछले साल से 4.5 फीसदी अधिक थे। इनमें से लगभग 80% इंजन और ट्रांसमिशन से संबंधित पुर्जे थे। भारत का ऑटो कंपोनेंट सेक्टर निर्यात से अपने राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कमाता है, और अब इस पर टैरिफ (Tariff) का प्रभाव भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।Tariff :

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अडानी पावर ने बांग्लादेश बिजली की पूरी सप्लाई की बहाल, गर्मी से पहले छूटे पसीने

Adani Power
Adani Group
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:39 AM
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Adani Group : अडानी ग्रुप की बिजली कंपनी ने बांग्लादेश को फिर से पूरी बिजली सप्लाई शुरू कर दी है, जो कुछ महीनों पहले बकाए के भुगतान न होने के कारण आधी कर दी गई थी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के चेयरमैन रेजाउल करीम ने गुरुवार को बताया कि, बांग्लादेश अब अडानी को नियमित रूप से भुगतान कर रहा है और अपनी आवश्यकता के अनुसार बिजली ले रहा है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि कितना पैसा अडानी को दिया गया है और क्या पहले का बकाया चुका दिया गया है।

समय पर भुगतान नहीं कर पा रहा था बांग्लादेश

अडानी ने पिछले साल नवंबर में अपनी 1,600 मेगावाट क्षमता वाले कोयला आधारित बिजली प्लांट से बांग्लादेश को बिजली की सप्लाई आधी कर दी थी, क्योंकि बांग्लादेश समय पर भुगतान नहीं कर पा रहा था। उस समय बांग्लादेश विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहा था। अब बिजली की सप्लाई फिर से शुरू होने से बांग्लादेश को गर्मी के महीनों में संभावित ब्लैकआउट से बचने में मदद मिलेगी, खासकर जब इस साल गर्मी में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस या उससे भी ज्यादा हो सकता है।

छह महीनों में चुकता कर दिया जाएगा बकाया

सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश पर अडानी का बकाया एक समय 850 मिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया था, जो अब घटकर 800 मिलियन डॉलर हो गया है और अगले छह महीनों में इसे चुकता कर दिया जाएगा। इसके अलावा, BPDB ने अडानी के कर्जदाताओं को गारंटी भी दी है ताकि कंपनी को काम करने के लिए पैसे की कमी न हो। यह घटना दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा और व्यापार में आसानी होगी।

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