करवा चौथ 2025: ये हैं तीन चीजें जो बनाती हैं व्रत को और भी खास

करवा चौथ 2025: ये हैं तीन चीजें जो बनाती हैं व्रत को और भी खास
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calendar08 Oct 2025 10:36 AM
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करवा चौथ हिंदू धर्म का एक अत्यंत शुभ और भावपूर्ण पर्व, उत्तर भारत में विशेष रूप से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ व्रत का नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम, समर्पण और विश्वास की प्रतीक माना जाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करते हुए कठोर व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत से न केवल पति-पत्नी के रिश्ते में गहराई आती है, बल्कि जीवन में सौभाग्य और समृद्धि भी बनी रहती है। इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रहा है। करवा चौथ की पूजा में उपयोग होने वाली चीज़ों में दीया, करवा और छन्नी सबसे अहम हैं। ये साधारण वस्तुएं नहीं, बल्कि हर एक का अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक कहानी है, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाती है।  Karwa Chauth 2025

1. दीपक (दीया) का महत्व

करवा चौथ पर दीपक जलाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक विश्वास है। इस दिन जलाया गया दीपक घर में सिर्फ रोशनी ही नहीं फैलाता, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा और तनाव को भी दूर करता है। माना जाता है कि दीपक की लौ से घर का वातावरण पवित्र, शांत और सकारात्मक बनता है। यही कारण है कि करवा चौथ की पूजा में दीपक को शुभता, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जो पूरे घर में प्रेम और खुशहाली की ऊर्जा भर देता है।

2. करवा का महत्व

करवा, यानी मिट्टी का कलश, करवा चौथ की पूजा का दिल है। इस कलश में जल भरकर देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है, और इसे पति-पत्नी के बीच प्रेम, समर्पण और वैवाहिक सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा केवल एक साधन नहीं, बल्कि विवाहिक जीवन में स्थायित्व और खुशहाली लाने वाला शुभ चिन्ह है। यही कारण है कि हर महिला इस कलश को पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा में शामिल करती है।

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3. छन्नी का महत्व

करवा चौथ की पूजा में छन्नी सबसे अनोखी और प्रतीकात्मक वस्तु मानी जाती है। व्रत के दौरान महिलाएं चांद की पहली झलक इसी छन्नी越 झांककर देखती हैं और उसके बाद अपने पति की ओर दृष्टि डालती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विधि से पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का अटूट बंधन बनता है। यही कारण है कि छन्नी न केवल एक साधन, बल्कि करवा चौथ के व्रत का सबसे दिलचस्प और भावनात्मक प्रतीक है।

करवा चौथ की पूजा विधि

इस दिन व्रती महिलाओं का दिन सुबह से ही शुभ क्रियाओं से भर जाता है। सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व सरगी ग्रहण करना अनिवार्य माना जाता है। इसके बाद स्नानादि कर, सास द्वारा दिए गए नए वस्त्र पहनकर दिन की तैयारियाँ पूरी की जाती हैं। दिन में उचित मुहूर्त देखकर माता चौथ और माता गौरी की पूजा और सूर्यदेव को अर्घ्य देना अनिवार्य होता है। रात का सबसे रोमांचक क्षण तब आता है जब महिलाएं चांद की पहली झलक देखती हैं और उसके बाद अपने पति को नम आंखों से देखती हैं। यही वह समय है जब व्रत का पारण किया जाता है। करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम, समर्पण और आशीर्वाद का प्रतीक है। इस दिन की परंपराओं और पूजा का पालन जीवन में खुशहाली, सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को बढ़ाता है।    Karwa Chauth 2025

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करवा चौथ हिंदू धर्म का एक अत्यंत शुभ और भावपूर्ण पर्व, उत्तर भारत में विशेष रूप से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ व्रत का नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम, समर्पण और विश्वास की प्रतीक माना जाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करते हुए कठोर व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत से न केवल पति-पत्नी के रिश्ते में गहराई आती है, बल्कि जीवन में सौभाग्य और समृद्धि भी बनी रहती है। इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रहा है। करवा चौथ की पूजा में उपयोग होने वाली चीज़ों में दीया, करवा और छन्नी सबसे अहम हैं। ये साधारण वस्तुएं नहीं, बल्कि हर एक का अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक कहानी है, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाती है।  Karwa Chauth 2025

1. दीपक (दीया) का महत्व

करवा चौथ पर दीपक जलाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक विश्वास है। इस दिन जलाया गया दीपक घर में सिर्फ रोशनी ही नहीं फैलाता, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा और तनाव को भी दूर करता है। माना जाता है कि दीपक की लौ से घर का वातावरण पवित्र, शांत और सकारात्मक बनता है। यही कारण है कि करवा चौथ की पूजा में दीपक को शुभता, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जो पूरे घर में प्रेम और खुशहाली की ऊर्जा भर देता है।

2. करवा का महत्व

करवा, यानी मिट्टी का कलश, करवा चौथ की पूजा का दिल है। इस कलश में जल भरकर देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है, और इसे पति-पत्नी के बीच प्रेम, समर्पण और वैवाहिक सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा केवल एक साधन नहीं, बल्कि विवाहिक जीवन में स्थायित्व और खुशहाली लाने वाला शुभ चिन्ह है। यही कारण है कि हर महिला इस कलश को पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा में शामिल करती है।

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3. छन्नी का महत्व

करवा चौथ की पूजा में छन्नी सबसे अनोखी और प्रतीकात्मक वस्तु मानी जाती है। व्रत के दौरान महिलाएं चांद की पहली झलक इसी छन्नी越 झांककर देखती हैं और उसके बाद अपने पति की ओर दृष्टि डालती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विधि से पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का अटूट बंधन बनता है। यही कारण है कि छन्नी न केवल एक साधन, बल्कि करवा चौथ के व्रत का सबसे दिलचस्प और भावनात्मक प्रतीक है।

करवा चौथ की पूजा विधि

इस दिन व्रती महिलाओं का दिन सुबह से ही शुभ क्रियाओं से भर जाता है। सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व सरगी ग्रहण करना अनिवार्य माना जाता है। इसके बाद स्नानादि कर, सास द्वारा दिए गए नए वस्त्र पहनकर दिन की तैयारियाँ पूरी की जाती हैं। दिन में उचित मुहूर्त देखकर माता चौथ और माता गौरी की पूजा और सूर्यदेव को अर्घ्य देना अनिवार्य होता है। रात का सबसे रोमांचक क्षण तब आता है जब महिलाएं चांद की पहली झलक देखती हैं और उसके बाद अपने पति को नम आंखों से देखती हैं। यही वह समय है जब व्रत का पारण किया जाता है। करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम, समर्पण और आशीर्वाद का प्रतीक है। इस दिन की परंपराओं और पूजा का पालन जीवन में खुशहाली, सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को बढ़ाता है।    Karwa Chauth 2025

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इस साल कब है करवा चौथ? 9 या 10 अक्टूबर? पूरी जानकारी यहां

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calendar02 Dec 2025 12:56 AM
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करवा चौथ जो सुहागिन महिलाओं के लिए खासतौर पर पति की लंबी उम्र और वैवाहिक खुशहाली का प्रतीक है, हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस वर्ष कुछ लोग इसे 9 अक्टूबर और कुछ 10 अक्टूबर को मनाने को लेकर उलझन में हैं। ऐसे में सभी महिलाओं और परिवारों के लिए जानना जरूरी है कि इस बार करवा चौथ की सही तिथि क्या है, शुभ मुहूर्त कब रहेगा और चंद्रमा का दीदार किस समय होगा। आइए, विस्तार से जानते हैं करवा चौथ 2025 की सभी अहम जानकारी।    Karwa Chauth 2025

करवा चौथ 2025: व्रत की तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 को रहेगा। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से हो रही है और यह अगले दिन 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक चलेगी। इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 5:16 बजे से शाम 6:29 बजे तक निर्धारित है। वहीं, करवा चौथ का सबसे रोमांचक पल—चंद्रमा का दीदार—शाम 7:42 बजे होगा, जब सुहागिन महिलाएं अपने व्रत का समापन करेंगी और पति की लंबी उम्र की कामना के साथ जल अर्पित करेंगी।

करवा चौथ पूजा विधि

करवा चौथ का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए एक अद्वितीय उत्सव होता है, जब वे पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं। जैसे ही शाम का शुभ मुहूर्त आता है, महिलाएं चौथ माता की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। चंद्रमा का दीदार होते ही वे छन्नी में दीपक रखकर उसकी झलक देखती हैं और इसी छन्नी越 अपने पति का चेहरा भी निहारती हैं। इसके बाद करवे से जल अर्पित कर पूजा संपन्न होती है और अंत में पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का समापन होता है। यह पूरी प्रक्रिया न केवल धार्मिक आस्था बल्कि दंपत्ति के बीच प्रेम और विश्वास को भी मजबूत करती है।

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करवा चौथ पूजा सामग्री

करवा चौथ की पूजा में निम्नलिखित सामग्री आवश्यक है:

  • फूल और चुनरी

  • कच्चा दूध, दही, घी, शक्कर और मिठाई

  • अगरबत्ती और दीपक

  • अक्षत और पीली मिट्टी

  • सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ियां, बिछुए, महावर, कंघी

  • पूजन थाली

इन सामग्रियों के बिना करवा चौथ का त्योहार अधूरा माना जाता है। बता दें कि करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पूजा मन को शांति देती है और पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाती है। इस वर्ष द्रिक पंचांग के अनुसार, चंद्र उदय का समय 8:12 बजे है।    Karwa Chauth 2025