डिजिटल पेमेंट का नया युग शुरू, बच्चे भी बनेंगे डिजिटल यूजर

डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भारत एक और बड़ा कदम बढ़ाने जा रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बदलते तकनीकी दौर को देखते हुए जूनियो पेमेंट्स (Junio Payments Private Limited) को डिजिटल वॉलेट सेवाएं शुरू करने की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद अब बिना बैंक अकाउंट वाले यूजर्स, खासतौर पर बच्चे और युवा भी UPI के ज़रिए ऑनलाइन पेमेंट कर सकेंगे।

Junio Payments Private Limited
डिजिटल पेमेंट में जूनियो यूपीआई वॉलेट (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar08 Nov 2025 06:15 PM
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जूनियो (Junio) एक डिजिटल वॉलेट ऐप है जिसकी स्थापना अंकित गेरा और शंकर नाथ ने की है। इस ऐप का उद्देश्य है — बच्चों को पैसे की जिम्मेदारी से खर्च करने और बचत की आदत सिखाना। माता-पिता अपने बच्चों के लिए जूनियो वॉलेट में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं और उनकी खर्च की सीमा तय कर सकते हैं। साथ ही हर ट्रांजेक्शन पर निगरानी रखने की सुविधा भी इसमें उपलब्ध है।

बच्चों के लिए खास फीचर

  • टास्क रिवॉर्ड्स: बच्चे अगर कोई तय टास्क पूरी करते हैं, तो उन्हें रिवॉर्ड के रूप में पैसे मिल सकते हैं।
  • सेविंग गोल्स: बच्चे अपने छोटे-छोटे बचत लक्ष्यों को सेट कर सकते हैं, जिससे उन्हें बचत की आदत विकसित होती है।
  • पैरेंटल कंट्रोल: माता-पिता खर्च की सीमा तय कर सकते हैं और हर लेन-देन पर नजर रख सकते हैं।

2 मिलियन से ज्यादा यूजर्स जूनियो ऐप का इस्तेमाल कर चुके हैं।

कैसे करेगा काम जूनियो यूपीआई वॉलेट?

इस नई सुविधा के तहत बच्चे बिना बैंक अकाउंट के भी जूनियो क्यूआर कोड स्कैन करके पेमेंट कर पाएंगे। यह सिस्टम एनपीसीआई के “UPI Circle Initiative” से जुड़ा हुआ है। इसके तहत बच्चों के जूनियो वॉलेट को उनके माता-पिता के यूपीआई अकाउंट से लिंक किया जाएगा। इससे बच्चों को न केवल डिजिटल पेमेंट का अनुभव मिलेगा, बल्कि वे वित्तीय समझ और जिम्मेदारी भी सीख पाएंगे।

जाने आरबीआई का उद्देश्य

आरबीआई का लक्ष्य है कि भारत में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को और आगे बढ़ाया जाए, ताकि हर व्यक्ति — चाहे उसके पास बैंक अकाउंट हो या न हो — डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा बन सके। इस कदम से डिजिटल पेमेंट का दायरा बढ़ेगा और बच्चों को भी डिजिटल फाइनेंस की समझ बचपन से ही विकसित करने का मौका मिलेगा।

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जयपुर स्कूल सुसाइड मामले में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, स्कूल प्रशासन...

जयपुर सुसाइड मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिसने पूरे इलाके में खलबली मचा दिया है। बता दें, जयपुर के एक मशहूर प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 4 की छात्रा ने स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगी दी थी जिससे उसकी दर्दनाक मौत हो गई।

जयपुर समाचार
जयपुर स्कूल सुसाइड मामले में बड़ा खुलासा
locationभारत
userअसमीना
calendar01 Dec 2025 05:30 AM
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राजस्थान के जयपुर स्थित एक नामी स्कूल में महज 9 साल की बच्ची के सुसाइड ने पूरे देश को हिला रखा है। बीते एक नवंबर को चौथी कक्षा में पढ़ने वाली अमायरा ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया। बच्ची की मौत से परिवार पूरी तरह से टूट चुका है जो बच्ची एक दिन पहले हंस खेल रही थी उसकी मौत ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ये मामला शनिवार का बताया जा रहा है जहां जयपुर के मशहूर स्कूल में कक्षा 4 में पढ़ने वाली 9 साल की बच्ची अमायरा मीणा ने स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी थी। अमायरा के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, स्कूल में लगातार बच्ची को परेशान किया जा रहा था जिससे परेशान होकर उसने ये कदम उठाया। 

लगातार बात को किया जा रहा था अनसुना

अमायरा की मां शिवानी मीणा का कहना है कि, उन्होंने स्कूल की क्लास टीचर और मैनेजर से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उनकी बात को हर बार अनसुना किया गया। उनका कहना है कि, मैंने अपनी बेटी की परेशानी समझने के लिए एक ऑडियो रिकॉर्ड किया और उसे उसकी क्लास टीचर को भेजा। मुझे उम्मीद थी कि स्कूल मेरी बेटी की बात समझेगा लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अगर उन्होंने मेरी बात पर गौर किया होता को आज मेरी बेटी जिंदा होती और मेरे पास होती।

पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में भी उठाया गया था मामला

अमायरा के पिता विजय का कहना है, एक बार पैरेंट्स-टीचर मीटिंग के दौरान भी उन्होंने कहा था कि उनकी बच्ची बुलिंग का शिकार है कुछ बच्चे अमायरा और एक लड़के की ओर इशारा करके माजक बना रहे थे। जिसके बाद अमायरा अपने पिता के पीछे छिप गई। जब पिता ने आपत्ति जताई तो शिक्षक ने कहा कि यह एक को-एजुकेशन स्कूल है और उनकी बेटी को लड़कों से भी बात करना सीखना चाहिए।

छलांग लगाने से पहले शिक्षिका के पास गई थी अमायरा

जानकारी के मुताबिक, पुलिस जांच में सामने आया कि कक्षा के सीसीटीवी फुटेज में अमायरा को छलांग लगाने से कुछ समय पहले दो बार अपनी शिक्षिका के पास जाते हुए देखा गया। हालांकि बच्ची ने टीचर से क्या कहा इसका पता नहीं चल सका। अमायरा के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। 

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मिट्टी में बोरॉन की कमी बनी किसानों की नई चुनौती

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जिंक के बाद बोरॉन की कमी विश्वभर में दूसरी सबसे आम सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी है। यह पौधों की कोशिका भित्ति निर्माण, परागण, बीज निर्माण, और जड़ों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Azotobacter Boron farmers
प्रजनन संरचनाओं में विकसित (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar30 Nov 2025 04:21 PM
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पौधों की स्वस्थ वृद्धि और उच्च उत्पादकता सुनिश्चित करने में सूक्ष्म पोषक तत्व “बोरॉन” की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी में बोरॉन की कमी से फसलों की वृद्धि रुक सकती है, उपज में भारी गिरावट आ सकती है और बीज तथा फलों की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

पौधों में बोरॉन का कार्य

बता दे कि बोरॉन पौधों के अंदर शर्करा और ऊर्जा के संचलन, जैविक झिल्लियों की स्थिरता बनाए रखने और फूलों से बीज बनने की प्रक्रिया में मदद करता है। विशेष रूप से दलहनी फसलों में यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण और गांठ निर्माण के लिए आवश्यक है।

कमी के लक्षण

विशेषज्ञों का कहना है कि बोरॉन की कमी सबसे पहले पौधों के नई पत्तियों और बढ़ते हिस्सों में दिखाई देती है। इसकी कमी से पौधों के शीर्ष वृद्धि बिंदु मर सकते हैं, जड़ों की लंबाई घट जाती है, फूलों में बीज नहीं बनते और फल गिरने लगते हैं।

मिट्टी और जलवायु के प्रभाव

रेतीली, अम्लीय और कम कार्बनिक पदार्थ वाली मिट्टी में बोरॉन की कमी आम होती है। वहीं, उच्च pH या अधिक चिकनी मिट्टी में बोरॉन पौधों तक पहुँचने में कठिनाई होती है। पर्यावरणीय कारणों में — लंबे समय तक सूखा, कम वाष्पोत्सर्जन, उच्च नमी और ठंडे तापमान — बोरॉन के अवशोषण को प्रभावित करते हैं।

अन्य पोषक तत्वों के साथ संबंध

अध्ययनों में पाया गया है कि पर्याप्त बोरॉन पौधों की जड़ों द्वारा फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) के अवशोषण में मदद करता है। यह जड़ कोशिका झिल्लियों के कार्य को स्थिर रखता है और एल्युमिनियम विषाक्तता को भी कम कर सकता है।

किसानों के लिए सुझाव

कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि किसान हर दो साल में अपनी मिट्टी की जाँच करवाएँ और बोरॉन की मात्रा पर नज़र रखें। कमी और विषाक्तता के बीच बहुत छोटा अंतर होता है, इसलिए उचित मात्रा में ही उर्वरक का प्रयोग किया जाना चाहिए। एस्पायर विद बोरॉन जैसे संतुलित उर्वरक उत्पाद पौधों को समान रूप से पोषण प्रदान करने में सहायक साबित हो रहे हैं।