जीवन में सादगी की अद्भुत मिसाल हैं लालकृष्ण आडवाणी

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Advani Interesting Life Story
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calendar03 Feb 2024 07:02 PM
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Advani Interesting Life Story : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक रहे लालकृष्ण आडवाणी की चर्चा आज चारों तरफ हो रही है। आज आडवाणी जी की चर्चा होना इसलिए लाजमी है क्योंकि उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की गयी है। ऐसे में लालकृष्ण आडवाणी के जीवन से जुड़े हुए अनेक पुराने किस्से सामने आ रहे हैं। लालकृष्ण आडवाणी के जीवन की यात्रा का सबसे मूल तत्व यह है कि 96 वर्ष की आयु पूरी कर चुके इस नेता का पूरा जीवन सादगी की अदभुत मिसाल रहा है।

अपना निजी काम खुद करना

आपको लालकृष्ण आडवाणी के विषय में यह बात नहीं पता होगी कि वें पूर्णत: सक्रिय रहने तक अपना सारा निजी काम खुद करते थे। यहां तक कि अपने कपड़ों पर इस्त्री (प्रैस) करने का काम भी लालकृष्ण आडवाणी खुद किया करते थे। वरिष्ठ पत्रकार तथा चेतना मंच के संपादक आर.पी. रघुवंशी ने लालकृष्ण आडवाणी के जीवन से जुड़ा हुआ एक किस्सा सुनाया है। श्री रघुवंशी ने बताया कि यह बात वर्ष-1998 की है। जब लालकृष्ण आडवाणी भारत के गृहमंत्री थे। मै उनसे मिलने के लिए सुबह-सुबह उनके सरकारी आवास पर गया था। लालकृष्ण आडवाणी जी के पुत्र जयंत आडवाणी ने मुझे ड्राईंगरूम में बैठाया और चाय आदि ऑफर की। इसी बीच मैंने देखा कि आडवाणी जी घर के बरामदे में अपने कोट पर अपने हाथों से इस्त्री (प्रैस) कर रहे थे। जब मैंने उनसे पूछा कि आप खुद इस्त्री क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि मैं अपना हर काम खुद करता हूं। एक वीडियो में आर.पी. रघुवंशी ने इस घटना का जिक्र किया है। आप भी सुन लीजिए लालकृष्ण आडवाणी जी के जीवन से जुड़ी हुई इस घटना का जिक्र https://twitter.com/ManchChetna/status/1753688374823866547  

राम मंदिर आंदोलन के हनुमान Advani Interesting Life Story

लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन का हनुमान भी कहा जाता है। सभी विश्लेषकों का मत है कि लालकृष्ण आडवाणी द्वारा देश भर में निकाली गई राम कथा यात्रा के कारण ही राम मंदिर आंदोलन में नई धार आई थी। लालकृष्ण आडवाणी जी की रथ यात्रा के कारण ही राम मंदिर का आंदोलन सफल हुआ था।

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Bharat Ratna Lal Krishna Advani
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calendar02 Dec 2025 02:03 AM
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Bharat Ratna Lal Krishna Advani : जाने माने राजनेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है। लालकृष्ण आडवाणी भारत की राजनीति के महत्वपूर्ण पुरोधा हैं। सब जानते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापकों में से एक हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर लालकृष्ण आडवाणी ने BJP का गठन करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

Bharat Ratna Lal Krishna Advani

गडकरी ने कहा मोदी को थैंक्यू

भाजपा के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया केन्द्रीय मंत्री तथा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की आई है। नितिन गडकरी ने अपनी प्रतिक्रया में कहा है कि भारत के वरिष्ठतम नेता हमारे मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न देने की घोषणा अत्यंत सुखद तथा आनंददाई घोषणा है। उन्होंने कहा कि इस घोषणा के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा के लिए थैंक्यू मोदी जी।

तीन बार बने BJP के अध्यक्ष

आपको बता दें कि वर्ष-1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था। भारतीय जनता पार्टी का गठन करने में सबसे अहम जिम्मेदारी निभाने का काम लालकृष्ण आडवाणी ने ही किया था। BJP के गठन के बाद से लालकृष्ण आडवाणी सबसे ज्यादा समय तक BJP के अध्यक्ष पद आसीन रहने वाले नेता भी हैं। पहली बार लालकृष्ण आडवाणी वर्ष-1986 में BJP के अध्यक्ष बने थे। वर्ष-1986 से 1990 तक वे अपनी पार्टी के अध्यक्ष रहे। उसके तीन साल बाद वर्ष-1993 में फिर से भाजपा के अध्यक्ष बने और वर्ष-1998 तक इस पद पर रहे।  लालकृष्ण आडवाणी वर्ष-2004 में तीसरी बार भाजपा के अध्यक्ष बनकर 2005 तक अध्यक्ष पद पर तैनात रहे। लालकृष्ण आडवाणी लगातार 30 सालों तक यानि कि 3 दशक तक सांसद रहने के साथ ही साथ भारत के गृहमंत्री और भारत के उप प्रधानमंत्री भी रहे।

पाकिस्तान में पैदा हुए थे लालकृष्ण आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को उस समय के संयुक्त भारत के सिंध प्रांत में हुआ था। सिंध अब पाकिस्तान का हिस्सा है। लालकृष्ण आडवाणी करांची के सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़े थे। स्कूल में पढ़ते-पढ़ते ही बाल अवस्था में लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्रीय स्वयं संघ (RSS) के साथ जुड़ गए थे। वर्ष-1947 में जब वे मातृ 20 वर्ष के थे तब दुर्भाग्यवश पूर्ण भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया। इस बंटवारे के कारण लालकृष्ण आडवाणी के पूरे परिवार को पाकिस्तान छोडक़र भारत आना पड़ा।  भारत आकर सबसे पहले वे राजस्थान में RSS के प्रचारक बने। वर्ष-1957 में आडवाणी जी को राजस्थान से दिल्ली बुला लिया गया। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर में एक सेवक के रूप में लालकृष्ण आडवाणी ने तीन साल तक काम किया। इसी दौरान लालकृष्ण आडवाणी पत्रकार बन गए। वर्ष-1960 तक लालकृष्ण आडवाणी ने प्रसिद्ध समाचार पत्र आर्गेनाइजर में सहायक संपादक के तौर पर काम किया और बाद में भारत के सबसे प्रभावशाली नेता बनते चले गए।  कहा जाता है कि लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई राम रथ यात्रा से ही अयोध्या में राम मंदिर के आंदोलन की सफलता की कहानी पूरी होती है। Bharat Ratna Lal Krishna Advani

Lal Krishna Advani : 44 साल तक पार्टी की सेवा के बाद, 95 की उम्र में मिला भारत रत्न

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Lal Krishna Advani
Lal Krishna Advani
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:27 AM
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Lal Krishna Advani : लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को वर्तमान में पाकिस्तान देश के कराची शहर में हुआ था। उनकी अपनी शुरुआती शिक्षा लाहौर से पूरी की। देश के विभाजन के बाद लाल कृष्ण आडवाणी का परिवार भारत में आकर रहने लग गया। उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से पूरी की जहां पर लाल कृष्ण आडवाणी ने लॉ से स्नातक की डिग्री हासिल की। लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) जन नायक के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने हिंदू आंदोलन का नेतृत्व किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार पहली बार बनाई। भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह से अस्तित्व में लाने और राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का श्रेय जिन लोगों को जाता है, उसमें लालकृष्ण आडवाणी का नाम सबसे आगे रखा जाता है। लाल कृष्ण आडवाणी को भारतीय जनता पार्टी के कर्णधार और लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। या यूं कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के इतिहास का एक अहम अध्याय ‘लालकृष्ण आडवाणी’ ही है।

कैसे शुरू हुआ लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर ?

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सन् 1951 में जनसंघ की स्थापना की, जिसके पार्टी सचिव का कार्यभार संभाला लालकृष्ण आडवाणी ने। साल 1954 से लेकर 1957 तक उन्होंने जनसंघ पार्टी के सचिव का कार्य संभालने के बाद, साल 1973 से 1977 तक उन्होंने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। इसके बाद साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के स्थापना की गई, और इसके महासचिव के तौर पर लालकृष्ण आडवाणी को चुना गया। साल 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के महासचिव का कार्यभार संभालने के बाद साल 1986 से लेकर 1991 तक वह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। इसके बाद साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक निकाली गई राम रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्हें जेल तक जाना पड़ा था, लेकिन इस यात्रा का उनके राजनीतिक जीवन पर गहरा असर पड़ा। रथ यात्रा के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने जनता के दिलों में अपनी जगह बना ली।

प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रह गई अधूरी

तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके लालकृष्ण आडवाणी, 4 बार राज्यसभा के और 5 बार लोकसभा के सदस्य बने। साल 1977 से लेकर 1979 तक उन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला। इसके बाद साल 1998 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी बाजपेई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान लाल कृष्ण आडवाणी ने भारत के गृह मंत्री का पदभार संभाला, और साल 2002 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के उप प्रधानमंत्री का पदभार भी संभाला। लेकिन उनका भारत के प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। साल 2008 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोकसभा चुनाव को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने और जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी। लेकिन पार्टी यह चुनाव जीत न सकी और उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया। साल 2013 में लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए अपने राजनीतिक सफर को विराम दे दिया।

कई पुरस्कार जीते

लालकृष्ण आडवाणी भारत के एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। इनका राजनीतिक कद बहुत ही ऊंचा है। भारतीय संसद में एक अच्छे संसद के रूप में आडवाणी अपनी भूमिका के लिए काफी सराहे गए और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। लालकृष्ण आडवाणी को भारतीय संसदीय समूह द्वारा वर्ष 1999 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2015 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

लालकृष्ण आडवाणी की लिखी गई पुस्तकें

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को लेखन में भी रूचि है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। 19 मार्च 2008 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक 'माई कंट्री माई लाइफ' रिलीज की थी। इसके अलावा इन्होंने 'सुरक्षा और विकास के नए दृष्टिकोण', 'एक कैदी का कबाड़' नामक पुस्तकें भी लिखी। देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।