Corona Vaccine for Children: देश में 15 से 18 साल के बच्‍चों का टीकाकरण शुरू, यहां जानें प्रक्रिया

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calendar29 Nov 2025 10:10 AM
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Corona Vaccine for Children- एक बार फिर से लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए, आज से 15-18 साल के बच्चों की Covid वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है। बच्चों को वैक्सीन लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन मोड पर की जा रही है जिसके लिए CoWin नाम का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया गया है। इस ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है इसके साथ ही मोबाइल फोन से भी आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

रविवार शाम तक हो चुका है 8 लाख से भी ज्यादा रजिस्ट्रेशन -

बढ़ रहे कोरोना केसेस तथा इसके नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के केसेज को देखते हुए लोग, टीकाकरण को लेकर काफी जागरूक है। 18 वर्ष से अधिक लोगों की वैक्सीनेशन प्रक्रिया तेजी से पूरी हो रही है, इसके साथ ही अब बच्चों (Corona Vaccine for Children) की वैक्सीनेशन प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है। वैक्सीनेशन के पहले स्लॉट के लिए ही रविवार शाम तक 8 लाख से भी अधिक रजिस्ट्रेशन किए जा चुके हैं। इस आंकड़े को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि लोग वैक्सीनेशन को लेकर काफी जागरूक हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया वैक्सीनेशन को लेकर जारी किया दिशा निर्देश-

देश भर में आज से शुरू हो रही बच्चों की वैक्सीनेशन प्रक्रिया के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया (Mansukh Mandaviya) ने, राज्य स्वास्थ्य मंत्रियों एवं प्रमुख सचिवों के साथ खास बातचीत की। टीकाकरण की प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके इसके लिए उन्होंने दिशा निर्देश दिए और जारी किए गए दिशानिर्देशों को पूरी तरह से पालन करने का आदेश दिया। देश के विभिन्न हिस्सों में वैक्सीनेशन के लिए अलग-अलग सेंटर बनाए गए हैं। बच्चों को ध्यान में रखते हुए सेंटर को कलरफुल बनाया गया। बात करें देश की राजधानी दिल्ली की तो यहां पर कुल 159 कोविड वैक्सीन सेंटर बनाए गए हैं। दिल्ली के हर जिले में एक ऐसे वैक्सीनेशन सेंटर बनाए गए हैं जिसमें सरकारी अस्पतालों, पॉलिक्लिनिक, डिस्पेंसरी और दिल्ली सरकार और नगर निगम के स्कूलों में वैक्सीन लगाई जाएगी।

बच्चों को लगाई जानी वाली वैक्सीन-

देश में बढ़ रहे कोरोना संकट को देखते हुए, बच्चों की वैक्सीनेशन को मंजूरी दी गई है। बच्चों के लिए जो वैक्सीन निर्धारित की गई है वह कुछ इस प्रकार है - 1. 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए - बायोटेक की कोवैक्सिन (Covaxin)(कुछ शर्तो के साथ) 2. 15-18 साल के बच्चों के लिए- कोवैक्सिन (Covaxin)

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Narendra Modi New Car: गोलियां, बम धमाके को झेल सकती है PM मोदी की ये नई कार

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calendar29 Nov 2025 03:54 PM
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नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की नई कार (Narendra Modi New Car) Mercedes-Maybach S-650 Guard हाल फिलहाल में काफी चर्चा का विषय बनी हुई है. Google Trend के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में PM Modi's new car" यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कार के बारे में लोग खूब सर्च कर रहे हैं। तो आज हम PM नरेंद्र मोदी की नई कार के बारे में जानेंगे. PM मोदी की गाड़ियां (Narendra Modi New Car) PM मोदी जैसे उनके विशिष्ट कपड़ों की शैली से पहचाने जाते आ रहे हैं, वैसे ही वर्तमान में उन्हें अपने अपनी गाडिओं की चॉइस से पहचाने जा रहे हैं। PM Modi's new car: Mercedes-Maybach S 650 Guard से पहले PM मोदी को लक्ज़री कार की श्रेणी में आने वाली कारों जैसे की, Range Rover Vogue, Toyota Land Cruiser और BMW car, आदि. का इस्तेमाल करते देखा गया है। इन सभी गाडियों की कीमत करोड़ों में है और ये सभी गाड़ियां अपने पैसेंजर की सुरक्षा का ख़ास ख़याल रखती हैं। लेकिन अब PM मोदी की लक्ज़री कार के काफिले में Mercedes-Maybach S 650 Guard भी शामिल हो गई है। PM मोदी की नई कार (PM Modi's new car) सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक PM मोदी की नई कार (PM Modi's new car) Mercedes-Maybach S 650 Guard की गिनती super luxury cars में होती है। PM नरेंद्र मोदी के लिए ख़रीदी इस नई कार की कीमत के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि वो 12 करोड़ रुपये है। PM मोदी की ये कार एक अत्यधिक सुरक्षात्मक मर्सिडीज मेबैक एस 650 गार्ड (PM Modi's new car: Mercedes Maybach S 650 Guard) है - जो उनके सुरक्षा विवरण में शामिल है, एक चर्चा पैदा कर रही है। मेबैक की कीमत और अन्य अटकलों के बीच, बुधवार को सरकारी सूत्रों ने कहा कि, 'PM मोदी की नई कारें अपग्रेड नहीं हैं, बल्कि नियमित प्रतिस्थापन हैं। क्योंकि, BMW ने पहले उनके लिए इस्तेमाल किए गए मॉडल को बनाना बंद कर दिया था।' आपको बता दूं कि मर्सिडीज-मेबैक एस 650 गार्ड के साथ 'रिप्लेसमेंट' से पहले, PM मोदी एक Range Rover Vogue, Toyota Land Cruiser और BMW का इस्तेमाल कर चुके हैं। PM मोदी की नई कार के बारे में 5 तथ्य 1. मर्सिडीस मेबैक एस 650 गार्ड को दुनिया भर में M.VIP लोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कारों के टॉप कारो में से एक कहा जाता है। यह बुलेट प्रूफ और ब्लास्ट प्रूफ दोनों है। आखिरी बार PM मोदी को नई कार (PM Modi's New Car) में यात्रा करते हुए तब देखा गया जब, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा को आए थे। 2. ये कार अपने पैसेंजर्स को 360-डिग्री सुरक्षा प्रदान करने सक्षम है। कार में VR10 का बैलिस्टिक लेवल का सुरक्षा लगी है। और इस कार को मजबूत बॉडी शेल और ग्लास हाउसिंग के साथ बनाया गया है। कार हाय विस्फोटक और सैन्य राइफलों से दागी गई गोलियों का सामना बड़े ही आसानी से कर सकती है। 3. PM मोदी की नई कार (PM Modi's New Car) 5.45 मीटर लंबी है और इसका व्हीलबेस 3.36 मीटर है। इस कार में में 6-लीटर V 12 इंजन है जो 650 हॉर्स पावर (Horse Power) का उत्पादन कर सकता है। कार के दरवाजे एक इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा मॉनिटर होते हैं। कार में 360 डिग्री कैमरा भी लगा है। 4. PM मोदी की कार ऐसी खास सुविधाओं से लैस है जो, गैस हमले जैसे खतरों का सामना कर सकती हैं। ऐसी आपात स्थितियों के दौरान, ऑटोमेटिक पैसेंजर्स की सुरक्षा के लिए ताजी हवा प्रणाली (Fresh Air System) सक्रिय हो जाती है। कार में विशेष रन-फ्लैट टायर (Run-Flat Tyre) भी हैं जो, क्षतिग्रस्त होने या पंक्चर होने की स्थिति में भी काम करना जारी रखेंगे, ताकि जल्दी से अपने पैसेंजर्स को सुरक्षित स्थान पंहुचा सकें। 5. सेल्फ-सीलिंग फ्यूल टैंक (Self-Sealing Fuel Tank) से लैस कार में इनबिल्ट फायर एक्सटिंगुइशर (Inbuilt Fire Extinguisher) भी लगा है। और कार की टॉप स्पीड 160 किमी/ घंटा है।
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Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस, जानें अहम बातें

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calendar30 Nov 2025 01:57 PM
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नई दिल्‍ली। स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) को 'नरेंद्र' के नाम से भी जाना जाता है। वह एक महान विचारक, एक विनम्र वक्ता और एक महान देशभक्त थे। स्वामी विवेकानंद के जन्म दिन के पावन अवसर पर भारत देश में 12 जनवरी को 'राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद की जीवनी (Swami Vivekananda Bio) स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) एक ऐसा नाम है, जिन्हें किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह एक प्रभावशाली व्यक्ति थे, जिन्हें पश्चिमी दुनिया को सनातनी हिंदू धर्म (Sanatan Hindu Dharma) से परिचित कराने का श्रेय दिया जाता है। 1893 में, उन्होंने शिकागो में हुए 'धर्म संसद (Dharma Sansad)' में स्वामी विवेकानंद जी ने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया, जिसके कारण एक अज्ञात भारतीय भिक्षु की प्रमुखता अचानक बढ़ गई। स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) ने हमेशा व्यक्तित्व के बजाय सार्वभौमिक सिद्धांतों को पढ़ाने पर जोर दिया। स्वामी विवेकानंद अपार और असाधारण बुद्धि के व्यक्ति थे। उनका अद्वितीय योगदान हमें हमेशा प्रबुद्ध, शिक्षित और जागृत करता है। यदि आप अमेरिका में वेदांत आंदोलन (Vedanta Moment) की उत्पत्ति का अध्ययन करना चाहते हैं, तो आपको स्वामी विवेकानंद की पूरे अमेरिका यात्रा का अध्ययन करना चाहिए। वे एक महान विचारक, महान वक्ता और महान देशभक्त थे। स्वामी विवेकानंद के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य (facts about Swami Vivekananda) जन्म : 12 जनवरी 1863 जन्म स्थान: कोलकाता, भारत जन्म नाम: नरेंद्रनाथ दत्ता पिता : विश्वनाथ दत्त माता : भुवनेश्वरी देवी शिक्षा: कलकत्ता मेट्रोपॉलिटन स्कूल; प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता धर्म: हिंदू धर्म आध्यात्मिक गुरु: श्री रामकृष्ण परमहंस संस्थापक: रामकृष्ण मिशन (1897), रामकृष्ण मठ, वेदांत सोसायटी ऑफ न्यूयॉर्क. (अमेरिका) दर्शन: अद्वैत वेदांत साहित्यिक कार्य- राज योग (1896), कर्मयोग (1896), भक्ति योग (1896), ज्ञान योग, माई मास्टर (1901), कोलंबो से अल्मोड़ा व्याख्यान (1897) मृत्यु: 4 जुलाई, 1902 मृत्यु स्थान: बेलूर मठ, बेलूर, बंगाल स्मारक: बेलूर मठ, बेलूर, पश्चिम बंगाल स्वामी विवेकानंद जीवन इतिहास और शिक्षा विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था, वे कलकत्ता (पश्चिम बंगाल) के एक संपन्न बंगाली परिवार से थे। वह विश्वनाथ दत्ता और भुवनेश्वरी देवी की आठ संतानों में से एक थे। स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त पेशे से वकील थे और समाज में एक प्रभावशाली व्यक्ति थे। स्वामी विवेकानंद की, मां भुवनेश्वरी देवी एक ऐसी महिला थीं, जिन्हें भगवान में बहुत विश्वास था और उनका अपने बच्चे पर बहुत प्रभाव था। 1871 में, 8 साल की उम्र में, स्वामी विवेकानंद ने ईश्वरचंद्र विद्यासागर (Ishwarachandra Vidyasagar) के संस्थान और बाद में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में प्रवेश किया। तब स्वामी विवेकानंद का पश्चिमी दर्शन, ईसाई धर्म और विज्ञान से परिचय हुआ था। स्वामी विवेकानंद को संगीत से काफी प्यार था और वे संगीत का गायन करते थे। स्वामी विवेकानंद खेल, फुटबॉल, जिम्नास्टिक, कुश्ती और शरीर सौष्ठव में भी सक्रिय थे। उनकी पढ़ने में गहरी रुचि थी और जब तक उन्होंने कॉलेज से स्नातक किया, तब तक उन्होंने विभिन्न विषयों में ज्ञान का खजाना हासिल कर लिया था। एक ओर स्वामी विवेकानंद भगवद गीता और उपनिषद जैसे हिंदू शास्त्र पढ़ रहे थे और वही दूसरी ओर वे डेविड ह्यूम, हर्बर्ट स्पेंसर आदि के पश्चिमी दर्शन और आध्यात्मिकता को पढ़ दुनिया का ज्ञान संगृहीत कर रहे थे। आध्यात्मिक संकट और रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात स्वामी विवेकानंद का पालन-पोषण एक हिंदू धार्मिक परिवार में हुआ था लेकिन उन्होंने हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक पुस्तकों के साथ साथ अन्य धर्मो के धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया और इस ज्ञान ने स्वामी विवेकानंद को भगवान के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया। और कभी-कभी स्वामी विवेकानंद अज्ञेयवाद में विश्वास करने लग लए थे। लेकिन स्वामी विवेकानंद ने, ईश्वर की सर्वोच्चता के तथ्य को पूरी तरह से नकार नहीं सके। 1880 में, वह केशवचंद्र सेन (Keshavchandra Sen) के साथ में शामिल हुए। स्वामी विवेकानंद केशव चंद्र सेन और देवेंद्रनाथ टैगोर के नेतृत्व में ब्रह्म समाज (Brahma Samaj) के सदस्य बने। ब्रह्म समाज या ब्रह्मो समुदाय (Brahmo Samaj) ने मूर्ति पूजा को त्याग दिया और एकेश्वरवाद को अपनाया और प्रचारित किया। विवेकानंद ने कई विद्वानों से श्री रामकृष्ण परमहंस के बारे में सुना था। और अंत में वह दक्षिणेश्वर काली मंदिर में श्री रामकृष्ण परमहंस से मिले। तब स्वामी विवेकानंद ने श्री रामकृष्ण परमहंस से पूछा, "क्या आपने भगवान को देखा है ?" लेकिन जब उन्होंने श्री रामकृष्ण परमहंस से पूछा, तो उन्होंने इतना आसान जवाब दिया कि "हां, मैं आपको जितना स्पष्ट रूप से देखता हूं, उतना ही स्पष्ट रूप से मैं भगवान को देखता हूं "। इस यात्रा के बाद स्वामी विवेकानंद दक्षिणेश्वर जाने लगे और उनके मन में कई सवालों के जवाब मिले। जब स्वामी विवेकानंद के पिता का निधन हुआ, तो पूरा परिवार आर्थिक संकट से झुज रहा था। तब स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के पास गए और उनसे अपने परिवार के लिए प्रार्थना करने को कहा। लेकिन रामकृष्ण परमहंस ने विनम्रता पूर्वक ऐसा करने से इनकार कर दिया और विवेकानंद को देवी काली के सामने प्रार्थना करने के लिए कहा। तब स्वामी विवेकानंद देवी काली के सामने धन,संपत्ती , विलासिता मांग सकते थे, लेकिन इसके बजाय स्वामी विवेकानंद ने "विवेक और एकांत मांगा। उस दिन स्वामी विवेकानंद को आध्यात्मिक जागृति हुई और उनका तपस्वी जीवन का मार्ग शुरू हुआ। यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था और बाद में स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु स्वीकार किया। 1885 में, रामकृष्ण परमहंस को गले के कैंसर का पता चला था तब उन्हें कलकत्ता और बाद में कोसीपुर स्थानांतरित कर दिया गया था। रामकृष्ण परमहंस ने 16 अगस्त 1886 को अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। रामकृष्ण परमहंस ने नरेंद्र (विवेकानंद) को सिखाया कि मानव सेवा ईश्वर की सबसे प्रभावी पूजा है । रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद, नरेंद्र नाथ और उनके पंद्रह शिष्य उत्तरी कलकत्ता के बारानगर में एक साथ रहने लगे, जिसे रामकृष्ण मठ कहा जाने लगा। 1887 में, सभी शिष्यों ने मठवाद की शपथ ली और इसके बाद नरेंद्र नाथ "विवेकानंद" के रूप में उभरे। विवेकानंद का मतलब है अंतरात्मा का आनंद । उन सभी ने योग और ध्यान का अभ्यास किया। बाद में, स्वामी विवेकानंद ने पूरे भारत का दौरा करने का फैसला किया, जिसे 'परिव्राजक' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने लोगों के कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को देखा और आम लोगों को अपने दैनिक जीवन में क्या सामना करना पड़ता है?, उनके दु:ख, आदि को देखा। विश्व धर्म संसद में भारत के प्रतिनिधि बने स्वामी विवेकानंद उन्हें अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद की जानकारी दी गई। स्वामी विवेकानंद भारत के दर्शन और अपने गुरुओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए विश्व धर्म संसद की बैठक में भाग लेने के लिए वे उत्सुक थे। अनेक कष्टों के बाद वे एक विश्व धर्म संसद सभा में गए। वह 11 सितंबर, 1893 को मंच पर आए और उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत "अमेरिका में मेरे भाइयों और बहनों ..." कहकर की। इसके लिए स्वामी विवेकानंद को दर्शकों से काफी सराहना मिली। करीब ढाई साल तक अमेरिका में रहने के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क की वेदांत सोसाइटी (Vedanta Society) की स्थापना की। उन्होंने दर्शन, अध्यात्मवाद और वेदांत के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) की भी यात्रा की। रामकृष्ण मिशन (Ramakrishna Mission) 1897 के आसपास, वे भारत लौट आए और कलकत्ता पहुँचे जहाँ उन्होंने 1 मई 1897 को बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। मिशन के उद्देश्य, कर्म योग पर आधारित थे जैसे, देश के गरीबों और पीड़ित या संकट ग्रस्त लोगों की सेवा करना था। रामकृष्ण मिशन के तहत कई सामाजिक सेवाएं जैसे स्कूल, कॉलेज और अस्पताल की स्थापना भी प्रदान की जाती है। वेदांत को पूरे देश में सम्मेलनों, सेमिनारों और कार्यशालाओं, पुनर्वास कार्यों के माध्यम से पढ़ाया जाता था। स्वामी विवेकानंद की मृत्यु उन्होंने भविष्यवाणी की कि वह 40 साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगे। और 4 जुलाई, 1902 को ध्यान करते समय उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने 'महासमाधि (Mahasamadhi)' ली और गंगा नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।