2008 की बोली से 10 टीमों तक: IPL कैसे बना क्रिकेट का सबसे बड़ा ब्रांड?

नतीजा यह रहा कि नीलामी से कुल 723.59 मिलियन डॉलर जुटे, जो आठ फ्रेंचाइज़ियों के लिए तय किए गए 400 मिलियन डॉलर के सामूहिक बेस प्राइस से करीब दोगुना था। इस शुरुआती दौड़ में भी सबसे बड़ा दांव मुंबई फ्रेंचाइज़ी पर लगा जिसकी बोली 111.9 मिलियन डॉलर तक पहुंची।

2008 की बोली से शुरू हुआ IPL का ब्रांड-युग
2008 की बोली से शुरू हुआ IPL का ब्रांड-युग
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 02:27 PM
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History of IPL : आईपीएल (IPL) भारत की प्रोफेशनल टी20 लीग है, लेकिन 2008 में शुरू होते ही इसने क्रिकेट को सिर्फ “खेल” नहीं रहने दिया इसे एक हाई-वोल्टेज शो में बदल दिया। यहां हर गेंद के साथ कहानी बनती है, हर ओवर में दबाव का नया ट्विस्ट आता है और हर मैच स्टारडम, रणनीति और रिकॉर्ड्स की नई पटकथा लिखता है। बीसीसीआई के मंच से निकला यह टूर्नामेंट कुछ ही वर्षों में भारत का सबसे बड़ा “लाइव एंटरटेनमेंट फेस्टिवल” बन गया जहां स्टेडियम की चीखें, टीवी-स्क्रीन की धड़कनें और डिजिटल दुनिया की ट्रेंडिंग लहरें एक साथ दौड़ती हैं। IPL ने क्रिकेट को तेज, रोमांचक और दर्शक-केंद्रित बनाया; और उसी के साथ ब्रांड वैल्यू, ग्लोबल स्पॉन्सरशिप और खिलाड़ियों की मार्केट पावर को भी नई ऊंचाई दी। आज नई पीढ़ी के लिए आईपीएल सिर्फ चौके-छक्कों का खेल नहीं, एक पूरा अनुभव है जहां बल्ला-गेंद के साथ पैसा, पॉप कल्चर और परफॉर्मेंस भी बराबरी से मैदान में उतरते हैं।

2008: शुरुआत और उसी दिन से ‘बड़ी बोली’ का दौर

जनवरी 2008 में मुंबई में हुई पहली फ्रेंचाइज़ी नीलामी ने उसी दिन साफ कर दिया था कि आईपीएल सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, एक नया “बिज़नेस-तमाशा” बनने जा रहा है। मैदान के बाहर की इस बोली में कॉरपोरेट दिग्गज, बॉलीवुड के चमकते चेहरे और मीडिया समूह सब टीमों के मालिकाना हक के लिए आमने-सामने थे। नतीजा यह रहा कि नीलामी से कुल 723.59 मिलियन डॉलर जुटे, जो आठ फ्रेंचाइज़ियों के लिए तय किए गए 400 मिलियन डॉलर के सामूहिक बेस प्राइस से करीब दोगुना था। इस शुरुआती दौड़ में भी सबसे बड़ा दांव मुंबई फ्रेंचाइज़ी पर लगा जिसकी बोली 111.9 मिलियन डॉलर तक पहुंची। यही वो पल था, जब आईपीएल ने बता दिया कि यहां रन सिर्फ पिच पर नहीं, बोर्डरूम में भी बनेंगे।

शुरुआती 8 टीमें और नाम बदलने की कहानी

आईपीएल ने आठ संस्थापक फ्रेंचाइज़ियों के साथ उड़ान भरी मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (बाद में 2024 में “रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु”), डेक्कन चार्जर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स (2019 से “दिल्ली कैपिटल्स”), किंग्स XI पंजाब (2021 से “पंजाब किंग्स”), कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स। लीग की पहचान समय के साथ बदलती रही कहीं ब्रांडिंग बदली, कहीं टीम संरचना; और कहीं विवादों ने पूरी कहानी को मोड़ दिया।

विस्तार और उतार-चढ़ाव: कौन आया, कौन गया

आईपीएल की कहानी सिर्फ नई टीमों के जुड़ने तक सीमित नहीं रही—यह लीग कई बार विवादों, कॉन्ट्रैक्ट टूटने और वित्तीय खींचतान के बीच अपनी शक्ल बदलती रही। 2011 में पुणे वॉरियर्स इंडिया और कोच्चि टस्कर्स केरल की एंट्री ने विस्तार का संकेत दिया, लेकिन कोच्चि की टीम एक ही सीजन में “आकर-गायब” हो गई और अनुबंध खत्म होते ही बाहर हो गई। इसके बाद डेक्कन चार्जर्स का अध्याय 2012 में बंद हुआ और 2013 से सनराइजर्स हैदराबाद ने उसकी जगह लेकर नई पहचान बनाई, जबकि पुणे टीम भी आर्थिक विवादों के चलते 2013 में लीग से हट गई। 2015 में स्पॉट-फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण ने आईपीएल को सबसे बड़ा झटका दिया चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स दो सीजन के लिए निलंबित हुए और 2016-17 में उनकी जगह राइजिंग पुणे सुपरजायंट व गुजरात लायंस को मैदान में उतारा गया। 2018 में जब सीएसके और राजस्थान की वापसी हुई तो ये दोनों अस्थायी फ्रेंचाइज़ियां इतिहास बन गईं। फिर 2022 में गुजरात टाइटन्स और लखनऊ सुपर जायंट्स की एंट्री के साथ आईपीएल दोबारा 10 टीमों की लीग बन गया और एक बार फिर साबित हुआ कि आईपीएल में बदलाव सिर्फ क्रिकेटिंग नहीं, कॉर्पोरेट और प्रशासनिक फैसलों से भी तय होते हैं।

अंक तालिका और प्लेऑफ की जंग

आईपीएल का लीग स्टेज असल में एक लंबी “पॉइंट्स की रेस” है, जहां हर टीम को 14 मुकाबलों में खुद को बार-बार साबित करना होता है। जीत पर 2 अंक मिलते हैं, टाई या नो-रिजल्ट की स्थिति में 1 अंक, जबकि हार सीधे शून्य पर ले जाती है। जब अंक बराबर हो जाएं तो असली जंग नेट रन रेट (NRR) पर आ टिकती है यही वह पैमाना है जो मामूली अंतर में भी प्लेऑफ की तस्वीर पलट देता है। ग्रुप चरण के बाद टॉप-4 टीमें प्लेऑफ में पहुंचती हैं, जहां फॉर्मेट टीमों को “दूसरा मौका” भी देता है और दबाव की परीक्षा भी लेता है। टॉप-2 टीमें क्वालिफायर-1 खेलती हैं जीतने वाली सीधे फाइनल में, और हारने वाली के पास एक और रास्ता बचा रहता है। वहीं तीसरी-चौथी टीम एलिमिनेटर में भिड़ती हैं, जहां हार का मतलब टूर्नामेंट से सीधा बाहर। एलिमिनेटर की विजेता क्वालिफायर-2 में क्वालिफायर-1 की हारी टीम से टकराती है और यहां से जो जीतता है, वही फाइनल का दूसरा दावेदार बनता है। कुल मिलाकर, आईपीएल का प्लेऑफ सिस्टम ऐसा है कि “टॉप पर रहने का फायदा” भी मिलता है और “एक गलती की कीमत” भी तुरंत चुकानी पड़ती है। पहला आईपीएल 44 दिनों तक चला और खिताब राजस्थान रॉयल्स ने जीता एक ऐसी फ्रेंचाइज़ी जिसे उस समय “छोटा बाजार” माना जाता था। कप्तानी शेन वॉर्न के हाथ में थी और वहीं से आईपीएल ने बता दिया कि यहां सिर्फ नाम नहीं, रणनीति और मंच का दबाव जीत तय करता है।

फ्रेंचाइज़ी की कीमत कैसे उछली

आईपीएल का सबसे बड़ा ‘गेम-चेंजर’ यही रहा कि उसने क्रिकेट को मैदान से निकालकर निवेश, ब्रांड और मीडिया इकोनॉमी के केंद्र में ला खड़ा किया। जहां 2009 के आसपास 8 टीमों के दौर में एक फ्रेंचाइज़ी की औसत कीमत करीब 67 मिलियन डॉलर बताई जाती थी, वहीं 2022 तक 10 टीमों के साथ यही औसत मूल्यांकन 1.04 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की चर्चा हुई यानी कुछ ही वर्षों में लीग ने वैल्यूएशन की परिभाषा ही बदल दी। इस उछाल के पीछे सबसे बड़ा इंजन रहा ‘मीडिया राइट्स’ का बूम। 2023 से शुरू होने वाले पांच वर्षीय चक्र (2023–27) के लिए स्ट्रीमिंग और टीवी अधिकार लगभग 6 अरब डॉलर में बिकने का उल्लेख है जिसने यह साफ कर दिया कि आईपीएल अब सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, भारत का सबसे बड़ा लाइव कंटेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है, जहां हर ओवर के साथ ब्रांड वैल्यू भी रन बनाती है।

आईपीएल का असर

आईपीएल की कामयाबी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही इसने क्रिकेट की पूरी “लीग-इकोनॉमी” का नक्शा बदल दिया। इसी असर का नतीजा था कि बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को भी उसी बड़े मंच पर लाने का फैसला किया और महिला प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत की, जिसका पहला सीजन मार्च 2023 में खेला गया। आईपीएल मॉडल ने बाकी क्रिकेट देशों को भी संदेश दे दिया कि टी20 अब सिर्फ फॉर्मेट नहीं, एक इंडस्ट्री है यही वजह है कि दुनिया भर में घरेलू टी20 लीगों की प्रतिस्पर्धा तेज होती चली गई। अमेरिका की मेजर लीग क्रिकेट (MLC) भी इसी वैश्विक लहर का हिस्सा है, जहां कुछ टीमों में आईपीएल फ्रेंचाइज़ियों के मालिकों के निवेश की बात सामने आती है और कई जाने-पहचाने आईपीएल खिलाड़ी वहां मैदान में उतरते दिखते हैं। कुल मिलाकर, आईपीएल ने क्रिकेट को ‘लोकल टूर्नामेंट’ से उठाकर ‘ग्लोबल लीग कल्चर’ में बदल दिया जहां खेल, पैसा और ब्रांडिंग एक ही पिच पर साथ खेलते हैं।

 विवादों से भी रहा है गहरा नाता

आईपीएल की कहानी जितनी रोशनी और रिकॉर्ड्स से भरी है, उतनी ही विवादों की परतें भी इसके साथ चलती रही हैं। लीग के शुरुआती वर्षों में ही 2010 के दौरान राजस्थान रॉयल्स और किंग्स XI पंजाब पर स्वामित्व/शेयरहोल्डिंग नियम तोड़ने के आरोप लगे, जिन्हें बाद में कानूनी लड़ाई के बाद 2011 से बहाल किया गया। उसी दौर में कोच्चि फ्रेंचाइज़ी को लेकर हितों के टकराव, कथित अनुचित लाभ और राजनीतिक खींचतान ने आईपीएल को सुर्खियों में ला दिया। फिर ललित मोदी पर वित्तीय अनियमितताओं और कदाचार के आरोपों की जांच हुई और उनके खिलाफ आजीवन प्रतिबंध तक की चर्चा सामने आई। 2013 में मैच से जुड़ी अनियमितताओं और सट्टेबाजी के आरोपों ने लीग की साख को बड़ा झटका दिया, जिसके बाद खिलाड़ियों और फ्रेंचाइज़ी अधिकारियों पर कड़े प्रतिबंध/निलंबन की कार्रवाइयां हुईं। 2015 में लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स का दो साल का निलंबन आईपीएल के इतिहास का सबसे कठोर कदम माना गया। आगे चलकर 2021 में कोविड मामलों के चलते टूर्नामेंट बीच में रोकना पड़ा और शेष मुकाबले यूएई में कराने पड़े। वहीं 2025 में भारत–पाक सीमा पर तनाव के बाद लीग का अस्थायी स्थगन और फिर दोबारा शुरू होकर सीजन पूरा होना बताता है कि आईपीएल सिर्फ खेल नहीं यह देश की परिस्थितियों, सुरक्षा और प्रशासनिक फैसलों से भी सीधे प्रभावित रहने वाली एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुका है।

चैंपियंस की सूची

  1. 2008: राजस्थान रॉयल्स
  2. 2009: डेक्कन चार्जर्स
  3. 2010: चेन्नई सुपर किंग्स
  4. 2011: चेन्नई सुपर किंग्स
  5. 2012: कोलकाता नाइट राइडर्स
  6. 2013: मुंबई इंडियंस
  7. 2014: कोलकाता नाइट राइडर्स
  8. 2015: मुंबई इंडियंस
  9. 2016: सनराइजर्स हैदराबाद
  10. 2017: मुंबई इंडियंस
  11. 2018: चेन्नई सुपर किंग्स
  12. 2019: मुंबई इंडियंस
  13. 2020: मुंबई इंडियंस
  14. 2021: चेन्नई सुपर किंग्स
  15. 2022: गुजरात टाइटन्स
  16. 2023: चेन्नई सुपर किंग्स
  17. 2024: कोलकाता नाइट राइडर्स
  18. 2025: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु History of IPL

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क्रिकेट का मेकओवर: IPL ने कैसे बदला लीग का पूरा खेल?

IPL ने भारतीय दर्शक की असली आदत समझी, यहां मुकाबला सिर्फ मैदान पर नहीं, स्क्रीन पर भी होता है। क्रिकेट को हर रोज टीवी शोज, फिल्मों, म्यूज़िक और वीकेंड आउटिंग जैसी चीज़ों से “प्राइम टाइम” की जगह के लिए लड़ना पड़ता है।

क्रिकेट का मेकओवर IPL ने बदल दी देखने की आदत
क्रिकेट का मेकओवर: IPL ने बदल दी देखने की आदत
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userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 01:40 PM
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How IPL changed cricket : आईपीएल (IPL) ने क्रिकेट को “लंबा चलने वाला खेल” की पहचान से निकालकर तीन घंटे के सुपर-एंटरटेनमेंट पैकेज में बदल दिया। जहां पहले मैच देखना धैर्य, तकनीक और परंपरा का अनुभव माना जाता था, वहीं IPL ने उसे स्पीड, सस्पेंस और स्टेडियम जैसी ऊर्जा के साथ नए दौर में उतार दिया। चौकों-छक्कों की बारिश, आखिरी ओवर तक खिंचता रोमांच, ग्लैमर की चमक और ब्रांड्स का बड़ा खेल इन सबने मिलकर क्रिकेट को एक ऐसा फॉर्मेट दिया, जिसे कट्टर फैंस ही नहीं, पहली बार देखने वाले दर्शक भी तुरंत “कनेक्ट” कर लेते हैं। यही वजह है कि IPL सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि क्रिकेट के बिजनेस, ब्रॉडकास्टिंग और मैनेजमेंट मॉडल की सबसे बड़ी ‘री-डिज़ाइन’ बनकर सामने आया है।

‘क्रिकेट + एंटरटेनमेंट’ का नया बाजार कैसे बना

IPL ने भारतीय दर्शक की असली आदत समझी, यहां मुकाबला सिर्फ मैदान पर नहीं, स्क्रीन पर भी होता है। क्रिकेट को हर रोज टीवी शोज, फिल्मों, म्यूज़िक और वीकेंड आउटिंग जैसी चीज़ों से “प्राइम टाइम” की जगह के लिए लड़ना पड़ता है। IPL ने इसी चुनौती को अवसर बना दिया और खेल को ऐसे पैक किया कि वह तीन घंटे का फुल-ऑन एंटरटेनमेंट बन जाए कम समय में ज्यादा रोमांच, हर ओवर में नया मोड़, स्टारडम की चमक और मैदान के भीतर-बाहर चलती कहानी। करीब तीन घंटे में सिमटा मैच, हर गेंद पर बदलता गेम, टीमों का ब्रांड-कल्चर और मालिकाना मॉडल, साथ ही स्टेडियम का कंसर्ट-जैसा माहौल इन सबने मिलकर क्रिकेट को “मैच” से उठाकर मस्ट-वॉच इवेंट बना दिया। यही कारण है कि IPL अब सिर्फ क्रिकेट फैंस का नहीं रहा; परिवार, युवा और पहली बार देखने वाले दर्शक भी उसी जोश के साथ इसे अपनी शाम का हिस्सा बना चुके हैं।

T20 फॉर्मेट: IPL की असली रीढ़

टेस्ट और वनडे क्रिकेट का अपना क्लास है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी कीमत समय है टेस्ट कई दिन बांध लेता है और वनडे भी पूरा दिन ‘आरक्षित’ कर देता है। IPL ने इसी चुनौती को T20 के जरिए सीधा जवाब दिया और क्रिकेट को तेज, आक्रामक और टीवी-फ्रेंडली बना दिया। यहां हर टीम के पास सिर्फ 20 ओवर होते हैं, इसलिए ‘सेफ खेलने’ की गुंजाइश कम और जोखिम लेने की मजबूरी ज्यादा होती है। छक्के-चौके, विकेट, रन-आउट, कैच सब कुछ इतनी तेजी से घटता है कि दर्शक की नजर एक पल भी स्क्रीन से हटे तो कहानी बदल सकती है। स्कोर, रणनीति और दबाव हर ओवर के साथ नया मोड़ लेते हैं मानो हर ओवर एक अलग एपिसोड हो। यही वो बिंदु था जहां क्रिकेट का कंज्यूमर बिहेवियर बदला: अब लोगों को लंबी प्रतीक्षा नहीं, तुरंत रोमांच और फास्ट रिजल्ट चाहिए और T20 ने वही डिलीवर किया।

BCCI के लिए ‘जड़ता’ तोड़ने वाला मोड़

IPL से पहले भारतीय क्रिकेट का बड़ा ढांचा अपनी ही लीक पर चलता था घरेलू क्रिकेट का सिस्टम मौजूद था, मैच भी होते थे, लेकिन वह जनता की सामूहिक धड़कन नहीं बन पा रहा था। प्राथमिकता अक्सर कैलेंडर में और मैच जोड़ देने तक सिमटी दिखती थी, जबकि दर्शक कुछ और मांग रहे थे अनुभव, रोमांच और उस खेल से भावनात्मक कनेक्शन, जो उन्हें स्क्रीन और स्टेडियम दोनों में बांधकर रख सके। IPL ने इसी जड़ता को चुनौती दी और साफ कर दिया कि क्रिकेट अब सिर्फ 22 गज की लड़ाई नहीं रहा। यह ब्रांडिंग की भाषा, प्रेजेंटेशन की चमक, स्टार्स की कहानी, और दर्शक तक पहुंचने की स्मार्ट स्ट्रैटेजी का भी खेल है। मतलब, मैच केवल खेला नहीं जाता उसे बेचा, दिखाया और महसूस कराया भी जाता है। यही बदलाव IPL की सबसे बड़ी ‘क्रांति’ बना।

IPL की रणनीति: ग्राहकों से पहले ‘गैर-ग्राहकों’ पर नजर

IPL की सबसे बड़ी रणनीतिक चाल यही थी कि उसने क्रिकेट को सिर्फ “पक्के फैन” के भरोसे नहीं छोड़ा, बल्कि उन लोगों तक भी पहुंचने की ठानी जो सालों से क्रिकेट से दूरी बनाए बैठे थे जिनके लिए यह खेल या तो बहुत लंबा, बहुत जटिल, या फिर सीधा-सा बोरिंग था। IPL ने इसी ‘नो-थैंक्स’ वाली भीड़ को अपना असली बाजार माना और क्रिकेट का पैकेज ही बदल दिया। उसने खेल को छोटा किया, तेज़ किया, मनोरंजन का तड़का लगाया और खिलाड़ियों को आंकड़ों से निकालकर चेहरों, कहानियों और पहचान से जोड़ दिया। टीवी और डिजिटल के दौर में उसने क्रिकेट को ऐसा बनाया कि हर ओवर एक क्लिप, हर छक्का एक रील, और हर मुकाबला एक शेयरएबल मोमेंट बन जाए। यहीं से असली बदलाव शुरू हुआ—IPL ने सिर्फ दर्शक संख्या नहीं बढ़ाई, बल्कि क्रिकेट के लिए नई मांग और नए दर्शक पैदा कर दिए।

EPL और बॉलीवुड दोनों से सीख लेकर बनाया ‘भारतीय मॉडल’

IPL की पैकेजिंग में दो अलग-अलग दुनियाओं का असर साफ नजर आता है एक तरफ ग्लोबल स्पोर्ट्स लीग्स वाली प्रोफेशनल चमक, जहां खेल को सटीक मैनेजमेंट, ब्रांड वैल्यू और प्रेजेंटेशन के साथ परोसा जाता है; दूसरी तरफ भारतीय मनोरंजन की वही भावनात्मक और ड्रामा-भरी भाषा, जो कहानी, स्टारडम और ‘फील-गुड’ अनुभव से दर्शक को बांध लेती है। इसी मिश्रण ने IPL को सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं रहने दिया, बल्कि उसे स्टार सिस्टम में बदल दिया जहां खिलाड़ी मैदान पर जितने बड़े हैं, उतने ही बड़े वे मार्केट और पॉपुलर कल्चर में भी हो गए। टीमों को शहरों की पहचान मिली, रंग-रूप और संस्कृत‍ि बनी, समर्थकों का अपना ‘कबीला’ तैयार हुआ और हर सीजन एक नई पटकथा लेकर लौटने लगा, जिसमें खेल के साथ भावना, पहचान और चर्चा भी उतनी ही ताकत से चलती है।

IPL की सफलता का असर

IPL ने क्रिकेट को एक ऐसे नए ढांचे में ढाल दिया, जहां खेल सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं रहा वह ब्रांड, बिज़नेस और दर्शक अनुभव की पूरी इंडस्ट्री बन गया। लीग अब ब्रांड-ड्रिवन है, मैच एंटरटेनमेंट-ड्रिवन, और दर्शक इंगेजमेंट-ड्रिवन यानी हर गेंद के साथ सिर्फ स्कोर नहीं, दर्शकों का जुड़ाव भी मापा जाता है। स्पॉन्सरशिप एक-दो लोगो तक सीमित नहीं रही; यह मल्टी-लेयर पार्टनरशिप में बदल गई, जहां टीम, खिलाड़ी, डिजिटल कंटेंट और स्टेडियम एक्सपीरियंस हर स्तर पर कमाई और कनेक्शन का मॉडल तैयार हुआ। खिलाड़ियों को भी अब केवल प्रदर्शन से नहीं, स्किल और मार्केट वैल्यू के संयुक्त पैमाने पर आंका जाने लगा। सबसे बड़ा बदलाव यही है कि क्रिकेट “सीजनल इवेंट” की तरह देखने वाली चीज नहीं रहा IPL ने इसे सालाना आदत बना दिया। How IPL changed cricket

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विजय हजारे में वैभव सूर्यवंशी ने रचा इतिहास, डीविलियर्स को पीछे छोड़ा

यह पारी वैभव सूर्यवंशी के लिस्ट-ए करियर की पहली सेंचुरी भी बनी और साथ ही उनका अब तक का सबसे बड़ा स्कोर भी है। इससे पहले लिस्ट-ए क्रिकेट में उनका सर्वाधिक स्कोर 71 रन था,लेकिन इस बार उन्होंने अपनी सीमा भी तोड़ दी और रिकॉर्ड की दहलीज पर दस्तक दे दी।

वैभव सूर्यवंशी
वैभव सूर्यवंशी
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 02:37 PM
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Vaibhav Suryavanshi : विजय हजारे ट्रॉफी 2025-26 में बिहार की शुरुआत सिर्फ अच्छी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक बन गई और इस यादगार आगाज का चेहरा बने टीम के उप-कप्तान वैभव सूर्यवंशी। अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ मुकाबले में महज़ 14 साल के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने जिस बेखौफ अंदाज़ में रन बरसाए, उसने मैदान पर मौजूद हर शख्स को चौंका दिया। वैभव सूर्यवंशी की यह विस्फोटक पारी सिर्फ मैच जिताने वाली नहीं रही, बल्कि लिस्ट-ए क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक में एक नया और चमकदार अध्याय जोड़ गई।

करियर का सबसे बड़ा लिस्ट-ए स्कोर

मैच में वैभव सूर्यवंशी ने बल्लेबाजी को मानो “पावर-प्ले” बना दिया सिर्फ 84 गेंदों पर 190 रनों की तूफानी पारी खेलकर उन्होंने अरुणाचल के गेंदबाजों पर दबाव नहीं, सीधा हमला बोल दिया। 226 से ऊपर के स्ट्राइक रेट के साथ चौकों-छक्कों की ऐसी बारिश हुई कि मैदान के हर हिस्से में गेंद पहुंचती दिखी। यह पारी वैभव सूर्यवंशी के लिस्ट-ए करियर की पहली सेंचुरी भी बनी और साथ ही उनका अब तक का सबसे बड़ा स्कोर भी है। इससे पहले लिस्ट-ए क्रिकेट में उनका सर्वाधिक स्कोर 71 रन था,लेकिन इस बार उन्होंने अपनी सीमा भी तोड़ दी और रिकॉर्ड की दहलीज पर दस्तक दे दी।

10 गेंदें कम खेलकर बना दिया “सबसे तेज 150” का रिकॉर्ड

इस पारी का सबसे चमकदार मोड़ वही था, जब वैभव सूर्यवंशी ने रिकॉर्ड बुक में सीधा “नया पन्ना” जोड़ दिया। अब लिस्ट-ए क्रिकेट में सबसे तेज 150 रन बनाने का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हो चुका है। इससे पहले यह कारनामा एबी डीविलियर्स के नाम था, जिन्होंने 2015 के वनडे वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ 64 गेंदों में 150 रन पूरे किए थे। मगर 2025 में वैभव सूर्यवंशी ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ सिर्फ 54 गेंदों में 150 का आंकड़ा छूकर डीविलियर्स का 10 साल पुराना रिकॉर्ड 10 गेंद पहले ही तोड़ दिया और बता दिया कि यह सिर्फ एक पारी नहीं, एक ऐलान है।

संजू सैमसन का रिकॉर्ड बाल-बाल बचा

वैभव का डबल सेंचुरी का सपना बस 10 रन से अधूरा रह गया। अगर वह नाबाद रहते, तो विजय हजारे ट्रॉफी में सबसे तेज दोहरा शतक लगाने के रिकॉर्ड पर भी बड़ा खतरा पैदा हो सकता था। फिलहाल यह रिकॉर्ड संजू सैमसन के नाम है, जिन्होंने 2019 में गोवा के खिलाफ 125 गेंदों में दोहरा शतक जड़ा था। Vaibhav Suryavanshi

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