सपना IAS का है? सुनिए रुक्मिणी रियार की जुबानी सफलता की कहानी!" –Civil Services Day पर खास

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calendar21 Apr 2025 04:50 PM
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नई दिल्ली, 21 अप्रैल 2025: हर साल 21 अप्रैल को मनाया जाने वाला सिविल सेवा दिवस (Civil Services Day) न सिर्फ देश के प्रशासनिक अधिकारियों को सम्मानित करने का दिन होता है, बल्कि यह युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनता है। इस खास मौके पर प्रतिष्ठित IAS अधिकारी रुक्मिणी रियार ने सिविल सेवा में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं को मार्गदर्शन देते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए। रुक्मिणी रियार, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के UPSC परीक्षा पास कर IAS बनने का सपना साकार किया, आज लाखों छात्रों की रोल मॉडल हैं। उन्होंने बताया कि सफलता पाने के लिए सिर्फ कठिन परिश्रम ही नहीं, बल्कि सही दिशा में स्मार्ट वर्क और धैर्य भी जरूरी है।

जानिए रुक्मिणी रियार के बताए UPSC सफलता के 6 मंत्र:

1. लक्ष्य को बनाएं स्पष्ट और स्थिर:

IAS बनने की चाह रखने वाले उम्मीदवारों को सबसे पहले अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्टता होनी चाहिए। अगर मन में संकल्प मजबूत हो तो राह में आने वाली हर चुनौती का समाधान निकलता है।

2. करेंट अफेयर्स के लिए रोज़ाना पढ़ें अखबार:

रुक्मिणी मानती हैं कि समाचार पत्र पढ़ने की आदत UPSC तैयारी में गेमचेंजर हो सकती है। इससे न केवल करंट अफेयर्स की जानकारी मिलती है, बल्कि एनालिटिकल सोच और उत्तर लेखन में भी सुधार आता है।

3. सिलेबस को करें डीकोड:

UPSC का सिलेबस बहुत बड़ा और जटिल हो सकता है। इसलिए हर उम्मीदवार को इसे अच्छी तरह समझकर, पूर्व वर्षों के प्रश्नपत्रों की मदद से एक ठोस रणनीति बनानी चाहिए।

4. उत्तर लेखन में लाएं दक्षता:

मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन अभ्यास अत्यंत जरूरी है। इससे न केवल विचारों को अभिव्यक्त करने की क्षमता बेहतर होती है, बल्कि टाइम मैनेजमेंट भी आता है।

5. समय का प्रबंधन है सफलता की कुंजी:

रुक्मिणी कहती हैं कि एक टॉपिक को कितने समय में खत्म करना है, इसकी योजना पहले से होनी चाहिए। इस तरह आप संतुलित तरीके से हर विषय को कवर कर सकते हैं।

6. आत्मविश्वास रखें और निराश न हों:

परीक्षा की तैयारी के दौरान कई बार हताशा आ सकती है, लेकिन आत्मविश्वास बनाए रखें। हर असफलता से कुछ सीखने को मिलता है और वही आपको सफलता के करीब ले जाती है। सिविल सेवा दिवस (Civil Services Day) के इस मौके पर रुक्मिणी रियार के अनुभव और मार्गदर्शन युवाओं को न सिर्फ मोटिवेट करते हैं, बल्कि उन्हें यह विश्वास भी देते हैं कि यदि सही दिशा में मेहनत की जाए, तो UPSC जैसी कठिन परीक्षा भी पार की जा सकती है। PM Modi : भारत पहुंचे जेडी वेंस, पीएम मोदी संग डिनर और व्यापार वार्ता
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मौत और पुनर्जन्म के बीच की रहस्यमयी रात–आखिर क्यों खास है साइलेंट सैटरडे?

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“साइलेंट सैटरडे की शांत रात, जब विश्वास मौन में सांस लेता है और उम्मीद खुद को फिर से खोजती है।”
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calendar02 Dec 2025 03:04 AM
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नई दिल्ली: गुड फ्राइडे के बाद और ईस्टर संडे से ठीक पहले आने वाला साइलेंट सैटरडे (Silent Saturday) ईसाई धर्म का एक ऐसा दिन है, जो शब्दों से नहीं बल्कि मौन से संवाद करता है। यह वो समय है जब पूरी दुनिया एक रहस्यमयी शांति में डूब जाती है — एक ऐसी रात जो मृत्यु के सन्नाटे और पुनर्जन्म की आशा के बीच संतुलन बनाए रखती है। जब गुड फ्राइडे पर यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया, तो उनके अनुयायियों की दुनिया जैसे थम गई। उनकी आंखों में आंसू थे, दिलों में खालीपन। लेकिन अगले दिन, यानी शनिवार को, कोई उत्सव नहीं था, न कोई आंदोलन... सिर्फ मौन। इस मौन में छिपा है विश्वास — कि वह जो गया है, वह लौटेगा। यही मौन, यही प्रतीक्षा, यही आशा बन जाती है साइलेंट सैटरडे की आत्मा।

साइलेंट सैटरडे की परंपराएं

इस दिन चर्चों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन नहीं होता। घंटियाँ नहीं बजतीं, दीपक मंद जलते हैं और वातावरण में गहरी गंभीरता होती है। कुछ समुदायों में ईस्टर विजिल यानी रात की जागरण प्रार्थना की परंपरा होती है, जो ईस्टर संडे के स्वागत का प्रतीक है। यह प्रार्थना अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने की आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाती है।

मानव मन पर इसका प्रभाव

साइलेंट सैटरडे केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमें अपने जीवन के उन क्षणों की याद दिलाता है जब हम असमंजस, दुख और आशा के बीच झूलते हैं। यह दिन हमें सिखाता है कि सबसे गहरे अंधेरे के बाद ही सबसे उजला प्रकाश आता है।

आधुनिक दौर में इसकी प्रासंगिकता

आज के तेज़ भागते समय में, जब हर कोई किसी न किसी दौड़ में है, साइलेंट सैटरडे हमें रुकने, सोचने और भीतर झांकने का अवसर देता है। यह दिन याद दिलाता है कि मौन भी संवाद करता है — और कभी-कभी सबसे गहरे अर्थ उसी में छिपे होते हैं। UNESCO की सूची में शामिल हुई भारतीय संस्कृति की अमर धरोहर
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World Water Day 2025: खास थीम के साथ मनाया जा रहा 'विश्व जल दिवस', जानें इस दिन का इतिहास

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विश्व जल दिवस
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calendar22 Mar 2025 01:00 PM
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World Water Day 2025- 22 मार्च को प्रति वर्ष पूरे विश्व में विश्व जल दिवस (World Water Day) के रुप में मनाया जाता है। जल यानी पानी पृथ्वी पर विराजमान सभी तत्वों में से सबसे आवश्यक तत्व है। जल के बिना जीवन असंभव है। सभी जीवित प्राणी, पेड़-पौधों को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती है। परंतु लगातार बढ़ते औद्योगिकीकरण और अत्यधिक दुर्पयोग तथा प्राकृतिक संपदाओं के दोहन के कारण आने वाले समय में मानव जीवन को पानी की कमी से जुड़ी विकराल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में मनुष्य को पानी के महत्व को समझाने के लिए प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

क्या है विश्व जल दिवस का इतिहास- (History of World Water Day)

पूरे विश्व को पानी के महत्व को समझाने के लिए साल 1999 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत हुई। सबसे पहले ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन एनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट (UNCED) में विश्व जल दिवस को मनाया गया। बाद में जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए साल 1993 में पूरे विश्व में जल संरक्षण की जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व जल दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाया जाने लगा। सर्वप्रथम साल 1993 में 22 मार्च को विश्व जल दिवस का आयोजन हुआ। इसके बाद से लगातार प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्व जल दिवस मनाने का उद्देश्य -(Objective of celebrating world water day)-

दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां पर लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल भी मुश्किल से मिल पाता है। ऐसे में विश्व जल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है लोगों को पानी बचाने के जागरूक करना है। लोगों को यह बताना है कि पानी हमारा मूलभूत संसाधन है, और इसे बचाना बेहद आवश्यक है। पानी की कमी से जनजीवन अस्त व्यस्त हो सकता है और ज्यादातर क्रियाकलाप रुक सकते हैं। पानी के बिना जन जीवन के अस्तित्व पर गहरा संकट आ सकता है। इसके साथ ही लोगो को जागरूक करके साल 2030 तक सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धि का समर्थन करना है।

विश्व जल दिवस 2025 की थीम (World Water Day 2025 Theme)-

प्रतिवर्ष विश्व जल दिवस मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। इस वर्ष जल दिवस की थीम है- "ग्लेशियर संरक्षण (Glacier Preservation)"। पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए ग्लेशियर बहुत ही जरूरी है। ग्रहों को ठंडा रखने के साथ-साथ ये मीठे पानी के महत्वपूर्ण हिस्सों को संग्रहित करने का काम करता है। यह झीलों और नदियों को पानी देता है और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करता है। पृथ्वी पर अगर जीवन को संरक्षित रखना है, तो ग्लेशियर को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष जल दिवस के लिए 'ग्लेशियर संरक्षण' थीम निर्धारित की गई है। ‘शांति और एकता के लिए कविता’ इस खास थीम के साथ मनाया जा रहा ‘World Poetry Day’, जाने इस दिन का इतिहास