Greater Noida:टैंक की सफाई करने उतरे दो श्रमिकों की मौत

Parijan
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:36 AM
bookmark

 ठेकेदार व कंपनी मालिक के खिलाफ मामला दर्ज

टैंक की सफाई करने उतरे थे 4 श्रमिक

ग्रेटर नोएडा (चेतना मंच)। थाना कासना क्षेत्र के साइड-5 औद्योगिक क्षेत्र की एक कैमिकल फैक्ट्री में डीजल टैंक की सफाई करने उतरे दो श्रमिकों की दम घुटने से मौत हो गयी। टैंक की सफाई करने के लिए चार श्रमिक उतरे थे। दो श्रमिकों को सकुशल निकाल लिया गया। पुलिस ने लापरवाही बरतने पर ठेकेदार और कंपनी मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा में इससे पहले भी टैंक की सफाई के दौरान श्रमिकों की मौत हो चुकी है। लेकिन इसके बावजूद आज तक लापरवाही बरती जा रही है।

थाना कासना के प्रभारी सुधीर कुमार ने बताया कि साईट-5 औद्योगिक क्षेत्र के बी-6 में स्थित जगदंबा पेट्रोकैमिकल फैक्ट्री के डीजल टैंक में ठेकेदार ने सफाई के लिए 4 श्रमिकों को उतारा। सफाई के दौरान टैंक में गैस बनने के कारण दो लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई और वह बेहोश हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों को बाहर निकाला और कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डाक्टरों ने उपचार के दौरान पंकज (22 वर्ष) पुत्र नंदू निवासी ग्राम अरवई थाना जमालपुर जनपद बांदा,  रामदेश (26 वर्ष) पुत्र बधुआ निवासी चिल्ली थाना जमालपुर जिला बांदा को मृत घोषित कर दिया। इस संबंध में रविन्द्र पुत्र महेश निवासी मोहल्ला मसीहागंज बौध्यनगर थाना सीपरी बाजार जिला झांसी हाल पता झुग्गी साईट-5 कासना की तहरीर पर ठेकेदार व कंपनी मालिक के विरूद्घ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

अगली खबर पढ़ें

विराट कोहली के बाद इस खिलाड़ी को बनाया जा रहा है टीम इंडिया का कप्तान

WhatsApp Image 2021 10 13 at 12.03.23 PM
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:55 AM
bookmark

दुनिया की नंबर एक टीम भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली की कप्तानी जा सकती है । जानकारी के मुताबिक बीसीसीआई ने यह सोचना भी शुरू कर दिया कि है, की आखिर टीम का अगला कप्तान किसे बनाया जाए । वही बताया जा रहा है कि ऋषभ पंत टीम इंडिया के अगले कप्तान बन सकते हैं पिछले कुछ महीनों में पंत ने टीम इंडिया के लिए शानदार प्रदर्शन किया है, और यही कारण है उनका कप्तानी के लिए नाम सामने आने का, ऋषभ पंत की तीनों फॉर्मेट में जगह पक्की हो चुकी है, वही ऋषभ पंत के पास एक स्मार्ट दिमाग है और ऋषभ पंत में कप्तान बनने के सारे गुण मौजूद है ।

बात की जाए अगर आईपीएल की तो आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी करते हुए पंत ने शानदार काम किया है। खास बात यह है कि विराट कोहली के पास बतौर कप्तान खुद को साबित करने के लिए अब बहुत कम समय बचा है, विराट कोहली भारत को 2021 T20 वर्ल्ड कप, 2022 T20 वर्ल्ड कप, और 2023 वनडे वर्ल्ड कप में किसी एक टूर्नामेंट की ट्रॉफी भी नहीं दिला पाए तो उनकी कप्तानी जा सकती है। 2023 वनडे वर्ल्ड कप के बाद विराट कोहली की उम्र 34 से 35 साल की हो जाएगी ऐसे में भारतीय टीम के लिए नए कप्तान के रूप में ऋषभ पंत को सबसे ऊपर रखा जा रहा है । दक्षिण अफ्रीका के एक पूर्व ऑलराउंडर खिलाड़ी के मुताबिक ऋषभ पंत भविष्य में भारतीय टीम के कप्तान बनेंगे। वही टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि कुछ समय तक रोहित शर्मा को भारतीय T20 टीम की कमान संभालने चाहिए लेकिन इस दौरान ऋषभ पंत को यह मौका मिल सकता है । वहीं विराट के चाहने वाले विराट कोहली को ही टीम के कप्तान के रूप में देखना चाहते हैं

अगली खबर पढ़ें

धर्म-अध्यात्म : स्वयं धर्म-रूप हैं भगवान!

WhatsApp Image 2021 09 25 at 10.11.00 AM
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:30 PM
bookmark

विनय संकोची

वेद का निर्देश है....'धर्मेचर' - धर्म करो। धर्म से सुख होता है। धर्म में प्रमाद या असावधानी नहीं करनी चाहिए। स्वाभाविक रूप से जिज्ञासा होती है कि धर्म क्या है और इसे किसने बनाया है।

'धर्म' शब्द का धातुगत अर्थ तो 'धारण करना' ही है। निरुक्त ने 'धर्म' शब्द का अर्थ नियम बताया है। इस प्रकार 'धर्म' शब्द का वास्तविक अर्थ होता है कि जिस नियम ने इस संसार को धारण कर रखा है, वही 'धर्म' है। वेद कहता है 'धर्म' से सुख होता है। यह सुख दो प्रकार का है। एक इस लोक का सुख, दूसरा परलोक का सुख। अतः जिससे इन दोनों प्रकार के सुखों की प्राप्ति हो वही 'धर्म' है। महर्षि कणाद ने भी कुछ ऐसा ही कहा है - 'जिससे इस लोक में उन्नति और परलोक में मोक्ष की प्राप्ति हो वह धर्म है।'

मनुस्मृति के अनुसार - 'वेद, स्मृति अथवा धर्मशास्त्र, सदाचार व सत्पुरुषों का आचरण और अपनी आत्मा की प्रसन्नता, धर्म के लक्षण हैं।' वैसे मनु तो कहते हैं - 'वेद ही धर्म का मूल है।' श्रीमद्भागवत भी मनु की उक्ति को ही दोहराता है - 'वेद में कहा हुआ धर्म है और इसके विपरीत अधर्म है।'

इस सृष्टि में तीन गुण हैं, जिन्हें सत्व, रज और तम के नाम से जाना पहचाना जाता है। इन तीनों गुणों का प्रभाव सृष्टि की समस्त वस्तुओं में देखा जा सकता है। रजोगुण से सृष्टि की उत्पत्ति होती है, सत्वगुण से स्थिति और तमोगुण से संहार होता है, जिसे प्रलय भी कह सकते हैं। इस सृष्टि में कोई जड़-चेतन पदार्थ अथवा जीव ऐसा नहीं है, जो उत्पत्ति, स्थिति और लय अवस्थाओं से बचा हुआ है, वह अधर्म है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि जिस कर्म से तमोगुण और रजोगुण की निवृत्ति हो और सत्वगुण की वृद्धि हो, वही धर्म है और जिस कर्म के सत्वगुण की हानि और तमोगुण व रजोगुण की वृद्धि हो, वही अधर्म कहलाता है।

सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण के लक्षण श्रीमद्भगवद्गीता के 14 में अध्याय के नौवें श्लोक में इस प्रकार बताए गए हैं- सत्व सुखे संजयति रज: कर्मणी भारत। ज्ञानमावृत्य तु प्रमादे संजयच्युत।। अर्थात् - हे भरतवंशन! सत्वगुण सुख में आसक्त करता है, रजोगुण कर्म में प्रवृत्त करता है और तमोगुण ज्ञान को ढककर प्रमाद आलस्य और निद्रा में लगाता है।

शास्त्रों का निर्देश है कि स्थूल और सूक्ष्म भेद से धर्म और अधर्म का विवेक द्वारा निश्चय कर मनुष्य को प्रत्येक कर्म में प्रवृत्त होना चाहिए। क्योंकि यही धर्म का रहस्य है और इसी धार्मिक नियम के आधार पर सृष्टि का प्रवाह चलता है।

इस निर्देश से यह बात तो स्पष्ट होती है कि यदि व्यक्ति विवेक का दामन थामे रहेगा तो वह धर्म पथ पर अग्रसर रहेगा और यदि विवेक का दामन छोड़ दिया तो धर्म का दामन भी छूट जाएगा, व्यक्ति पथभ्रष्ट हो जाएगा, अधर्म पथ पर चल पड़ेगा।

धर्म की श्रेष्ठता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि भगवान स्वयं धर्म रूप हैं। विष्णु सहस्त्रनाम में लिखा है - 'धर्म की रक्षा करने वाले धर्म को बनाने वाले और समस्त धर्मों के आधार स्वयं भगवान हैं।' फिर भगवान ने तो स्वयं ही कहा है - 'तप, शौच, दया और सत्य नाम के चार पैरों वाले वृष का रूप धारण करने वाला धर्म मैं स्वयं हूं।'

धर्म को साक्षात परमात्मा स्वरूप मानकर उसकी भक्ति करना तथा उसे और उसके नियमों को मानना मानव मात्र का प्रथम कर्तव्य है। ऐसा करना ही उसके कल्याण का सशक्त माध्यम है।

एक बात और समझ लेनी चाहिए कि धर्म आचार, सदाचार से उत्पन्न होता है। उस धर्म के अच्युत भगवान रक्षक हैं, इसलिए धर्म सदा पालन करने योग्य है और जो इसका उपहास करते हैं, हंसी में उड़ाते हैं उन्हें प्रभु सबक सिखाते हैं तभी तो भगवान धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि भगवान ने ही धर्म बनाया है। आप ही धर्म रूप हैं, आप ही धर्म का पालन करते हैं। भगवान कभी नियम का उल्लंघन नहीं करते, सदैव धर्म पर अडिग रहते हैं, कड़ाई से धर्म नियम का पालन करते हैं। वह भी संसार के लिए तुच्छ जीवों के लिए।

ईश्वर द्वारा बनाए गए नियमों में सृष्टि के प्रारंभ से आज तक न कोई अंतर पड़ा है, न पड़ेगा। इसका अर्थ यह भी है कि धर्म था, है और रहेगा वैसे एक धर्म ही ऐसा मित्र है जो मरने पर भी जीव के साथ जाता है। अपने ऐसे परम मित्र का, ऐसे जीवन मित्र का हर कदम पर साथ निभाना हमारा कर्तव्य बनता है। ध्यान रहे जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है और धर्म का परित्याग करने वाले को वह नष्ट कर देता है।