Up Assembly : उत्तर प्रदेश विधानसभा में खूब चले शब्दों के बाण

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Keshav prasad Maurya and Akhilesh Yadav
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 May 2022 11:34 PM
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा मेंआज शब्दों के तीर खूब चले जिसके चलते सदन मेंविपक्ष व सत्ता पक्ष के विधायकों ने खूब शोर-शराबा किया। उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज अलग ही नजारा देखने को मिला। हंगामा तब शुरू हुआ जब उप्र के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बोल रहे थे। मौर्य ने कहा कि समाजवादी पार्टी अगले 5 साल के लिए विदा हो चुकी है और मुझे उम्मीद है कि 2027 में भी कमल खिलेगा सपा का कोई भविष्य नहीं है। अब इसका मतलब नहीं कि सड़क मेट्रो या फिर एक्सप्रेस-वे किसने बनाया। ऐसा लगता है कि वे (अखिलेश) सैफई की जमीन बेचकर पूर्व की सरकार ने यह सब बनाया है। मौर्य के यह बोलते ही विपक्ष के नेता व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खड़े हो गए और जवाब देते हुए बोले कि क्या तुम जो बनवा रहे हो वह क्या आपने अपने पिताजी से पैसा लाकर बनाया है। अखिलेश के तेवर सदन में देखने लायक थे। अखिलेश के बोलते ही उनके समर्थन में सपा विधायक व विरोध में सत्ता पक्ष के विधायक खड़े हो गए और हंगामा करने लगे। सदन में अजब-गजब नजारा देखने को मिला।
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Parachute: उड़ें हैं आप क्या  पैराशूट पहनकर 

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 May 2022 10:54 PM
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पैराशूट बनाने की दास्तान 
अब हमारे पास अलादीन की तरह जादुई कालीन तो है नहीं जिससे हम हवा में सैर कर सकें, पंछियों की तरह हवा में कही भी उड़ान भर सके परे इसमें उदास होने वाली कौन सी बात है! अरे आपने नाना पाटेकर का वो डायलाग नहीं सुना क्या भगवान् का दिया सब कुछ है दौलत है शौहरत है इज़्ज़त है और भी कई चीजे हैं जैसे की दिमाग और क्रिएटिविटी और इन्ही दोनों की मदद से हवा में उड़ने का सपना सिर्फ ख़याली पुलाव बनके नहीं रहा। सोची हुई कोई इच्छा अगर पूरी हो जाये तो कितनी ख़ुशी मिलती हैं ना अब जैसे की पैराशूट को ही देख लीजिए कहाँ लोगो ने इमेजिन किया था की काश! वो भी पंछियों की तरह हवा में मज़े से सैर करने का लुफ्त उठा पाते पर उन्हें कहां पता था उनका यह सपना हकीकत में बदल सकता है। आप सभी ने पैराशूट के बारे सुना ही होगा कई लोगो ने पैराशूट को देखा भी होगा और कइयों ने तो पैराशूट की सवारी भी की होगी लेकिन क्या आपने कभी पैराशूट के खोज से जुड़ी किस्से कहानियो को जानने में दिलचपी जताई है अगर नहीं तो देर किस बात की आइये शुरू करते हैं इस वीडियो को जहाँ आपको पैराशूट के खोज से जुड़ी रोचक किस्सों के बारे में बताया जायेगा। वैसे तो दुनिया में व्यवहारिक रूप से सफल पैराशूट बनाने का श्रेय एक फ्रांसीसी व्यक्ति लुइस सेबेस्टिन लेनोरमैंड को दिया जाता है। 1783 में पहली बार सेबेस्टिन द्वारा पैराशूट शब्द दुनिया लाया गया था साथ ही पहली बार पैराशूट का सार्वजनिक प्रदर्शन भी उन्होंने ही किया था।आपको जानकर हैरत होगी की पैराशूट के अविष्कार से सालों पहले ही लिओनार्दो दा विंची नामक एक व्यक्ति ने पैराशूट का स्केच बना दिया था। इन्होने पैराशूट का पूरा काया कल्प ही अपने स्केच में बना दिया था। हालाकि लियोनार्डो के कल्पना के बाद ही पैराशूट के खोज के पीछे लोग लगे। 16वी सदी में ‘फॉस्ट ब्रांसिस’ ने लिओनार्दो दा विंची के पैराशूट की डिजाइन को ध्यान में रखकर एक सख्त फ्रेम वाला होमो वोलंस नाम का पैराशूट बनाया। 1617 में पहली बार वेनिस टॉवर से पैराशूट की मदद लेकर छलांग लगाई गई थी। ये छलांग खुद ‘फॉस्ट ब्रांसिस' ने अपनी बनाई हुई पैराशूट होमो वोलंस से लगाई थी। जबकि उस समय आकाश से इस तरह छलांग लगाना कोई आसान काम नहीं था। पैराशूट का इतिहास आपको बता दें सन 1785 में पहली बार किसी नागरिक द्वारा पैराशूट का आपातकाल में प्रयोग किया गया था । नागरिक नाम ज्यां पियरे था और वह फ्रांस के रहने वाले थे। ज्यां पियरे ने ऊंचाई पर उड़ रहे एक हॉट एयर बैलून से एक कुत्ते को पैराशूट बंधी टोकरी की मदद से नीचे उतारा था। इन्होंने पहली बार सिल्क के कपड़े से पैराशूट बनाया क्योंकि वो उपयोग करने में बहुत आसान साबित हुए। 1797 में सिल्क से बने हुए पैराशूट का प्रयोग करते हुए फ्रांस के आंद्रे गार्नेरिन ने 3000 फूट की ऊंचाई से एक सफल छलांग लगाई। बाद में गार्नेरिन ने पैराशूट के कंपन को कम करने के लिए कुछ सुधार किए जिसके बाद पहला छिद्रित पैराशूट अस्तित्व में आया। वर्ष 1797 में ही एंड्रयू नामक व्यक्ति ने एक हॉट एयर बलून में पेरिस के ऊपर 3200 फिट की ऊंचाई पर उड़कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। 24 जुलाई 1837 पैराशूट के इतिहास में एक दर्दनाक दिन है जिसमे एक व्यक्ति की 5000 फूट की ऊंचाई से गिरने की वजह से मौत हो गई थी। दरअसल लंदन के बॉक्स हॉल गार्डन में रॉबर्ट कोकिंग पैराशूट से उड़ान भरने का प्रदर्शन कर रहे थे पर नीचे आते समय पैराशूट का लकड़ी का ढांचा हवा के दबाव से टूट गया और उनकी मौत हो गई। फान टासल ने सूती कपड़े का एक छतरी के आकार का पैराशूट बनाया जिसे बहुत पसंद किया गया जबकि इससे पहले पैराशूट के लकड़ी के ढांचे पर सिर्फ कपड़ा डालकर ही बनाया जात था। बदलते समय के साथ सूती कपड़े की जगह रेशमी कपड़े का इस्तेमाल किया जाने लगा क्योंकि रेशमी कपड़े के उपयोग से पैराशूट पहले से ज्यादा हल्के और मजबूत हो गए। खैर अब पैराशूट बनाने के लिए नायलॉन को उपयोग में लिया जाता है। और आजकल तो वैसे भी इतने बड़े-बड़े पैराशूट बन चुके हैं, जो आपातकाल में उड़ते हुए हवाई जहाज या विमान को हवा में लटका कर सुरक्षित नीचे उतार सकते हैं। रामचंद्र चटर्जी सबसे पहले लाये भारत में पैराशूट 22 मार्च 1890 भारत के इतिहास में बड़ा दिन है क्यूंकि इस दिन पहली बार भारत में स्वयं भारतीय द्वारा ही पैराशूट की लैंडिंग हुई थी। भारत में पहली बार पैराशूट से उतरने वाले व्यक्ति रामचंद्र चटर्जी थे। चटर्जी भारतीय कलाबाज जिमनास्ट, बैलूनिस्ट और पैराशूटिस्ट होने के साथ ही एक देशभक्त के तौर पर भी पहचाने जाते थे. आपकी जानकारी के लिए बतादे चटर्जी ने ‘द एम्प्रैस ऑफ इंडिया’ नाम के गुब्बारे में अपना पैराशूट फिट किया और कलकत्ता के मिंटो पार्क के पास तिवोली गार्डन से उड़ान भरी. इसके बाद 3500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद वे पैराशूट से नीचे उतरे और इस तरह से पैराशूट को भारत में पहली बार इंट्रोड्यूस करने का गौरव हासिल किया। पैराशूट का उपयोग पैराशूट का उपयोग वर्ष 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के समय विमानों से बमवर्षा के लिए किया गया था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी विमान चालकों द्वारा पैराशूट का उपयोग किया गया था ताकि हजारों लोगों की जान बचाई जा सके । दूसरे विश्व युद्ध के समय अमेरीकी सैनिकों को कहीं आने जाने के लिए भी पैराशूट का इस्तेमाल किया गया था। पैराशूट के द्वारा युद्ध के समय में शत्रु के क्षेत्र में सैनिक, गोला बारूद और खाने पीने की सामग्री सेना के लिए गिराए जाते हैं। बता दे लड़ाकू जहाज काफी तेज गति से उड़ते व रनवे पर उतरते हैं ऐसे में पैराशूट की मदद से आपातकाल के समय में गति को नियंत्रण में करके विमान को सुरक्षित उतार सकते हैं। अन्तरिक्ष यात्री जिस केप्सूल में बैठकर धरती पर उतरते हैं, उसमें पैराशूट लगे होने की वजह से यात्री सुरक्षा के साथ उतर पाते हैं। पैराशूट का उपयोग समुद्र के किनारे सैलानियों को हवा में उड़ने के लिए किया जाता है इसके साथ ही जैव वैज्ञानिक और डिस्कवरी चैनल वाले भी जंगलों के ऊपर घूमने के लिए पैराशूट इस्तेमाल करते हैं।
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Amarnath Yatra 2022 अमरनाथ यात्रियों को मिलेगी त्रिस्तरीय सुरक्षा, किए गए पुख्ता इंतजाम

Amarnath yatra
Amarnath Yatra 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 May 2022 10:03 PM
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Amarnath Yatra 2022 : केंद्र सरकार द्वारा अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2022) को लेकर तारीख घोषित कर दी गई है। आगामी 30 जून से यह पवित्र यात्रा शुरु होगी। इस यात्रा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उच्च स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं और अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर दिशा निर्देश दे चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले दिशा निर्देशों के बाद यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

Amarnath Yatra 2022

आपको बता दें कि अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा ऐसी होगी कि आतंकी तो क्या परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। त्रिस्तरीय सुरक्षा के बीच से यात्रियों का जत्था गुजरेगा और भोलेनाथ के दर्शन करेगा। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों के जरिए प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। इसके अलावा सुरक्षित यात्रा के लिए अन्य उपाय भी किए जा रहे हैं।

कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने न्यूज एजेंसी को बताया कि खतरे के हर पहलू को भांपकर यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। ड्रोन हमले, स्टिक बम और आतंकियों के घात लगाकर हमले जैसी किसी भी आशंका को समाप्त करने के लिए कई स्तर की सुरक्षा का खाका तैयार किया गया है।

उन्होंने बताया कि अमरनाथ यात्रियों को तीन स्तरीय सुरक्षा मुहैया करायी जाएगी। इसमें ड्रोन निगरानी, ​​सीसीटीवी कैमरा और आरएफआईडी रखा जाएगा और घटना मुक्त यात्रा सुनिश्चित की जाएगी।

आपको बता दें कि हाल ही में सुरक्षाबलों ने अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले की बड़ी साजिश को नाकाम किया था। सुरक्षा बलों ने पहलगाम में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया था। इसके बाद से ही 30 जून से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की व्यापक तैनाती के साथ ही कश्मीर में पहले से मौजूद सुरक्षाबल द्वारा आतंक विरोधी अभियान चलाया जा रहा है।

इसके साथ ही आतंकी किसी भी तरह से यात्रा मार्गों के आसपास भी नहीं पहुंच पाएं, इसका फुल प्रूफ प्लान बनाया गया है। वाहन के साथ यात्रियों पर भी आरएफआइडी (रेडियो फ्रैंक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन डिवाइस) माइक्रो-चिप के जरिए नजर रखी जाएगी। विभिन्न स्थानों पर स्थापित उपग्रह टावर से निगरानी की जाएगी। कोई भी यात्री सुरक्षा एजेंसियों की निगाह से ओझल नहीं हो, इसकी माकूल व्यवस्था की जा रही है।

अमरनाथ यात्रा 30 जून को शुरू हो रही है जो 11 अगस्त को समाप्त होगी। 43 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या पहले से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है। इस बार रामबन और चंदनवाड़ी में कैंप बड़े होंगे। इसे देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।