गुप्त नवरात्रि की उस रात्रि का रहस्य, साधना पूर्ण होने पर मिलती है तंत्र की दीक्षा

गुप्त नवरात्रि में अष्टमी नवमी और दशमी पूजन
इस गुप्त नवरात्रि के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है की इस समय पर तंत्र की देवियों जो दश महाविद्या के रुप में पूजी जाती हैं. उनका पूजन ही विशेष रुप से किया जाता है. यह नवरात्रि उन चैत्र और शारदीय नवरात्रि से बहुत अधिक भिन्न होते हैं. यहां साधक की साधना देवी की गुप्त साधना से संबंधित होती है. गुप्त नवरात्रि की अंतिम तीन रात्रियों का महत्व त्रिकोण शक्ति को दर्शाने वाला होता है. यह सिद्दि साधना के उस स्वरुप का बोध प्रदान करता है जब तीन शक्ति बिंदुओं का मिलान साधक की साधना को पूर्ण करने हेतु विशेष समय होता है. इन गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त अष्टमी, गुप्त नवमी और गुप्त दशमी पूजन द्वारा पूजा संपूर्ण होती है. Gupt Navratri Significanceतंत्र साधना को मिलता है विशेष बल
इस समय को तंत्र एवं मंत्र साधक दोनों ही बड़े धार्मिक उत्साह और उत्साह के साथ करते हैं. यह दस रातें माघ माह में आने वाली अत्यंत विशेष होती है. इन दस महा विद्याओं की नवरात्रि के लिए घर पर पूजा करने की प्रक्रिया जटिल होने के साथ साथ अत्यंत शुद्धि के साथ संपूर्ण करनी होती है जहां छोटी सी भूल को भी स्थान प्राप्त नहीं होता है.इसी कारण से यह गुप्त नवरात्रि हैं क्योंकि इनमें नियमों का पालन अत्यंत कठोर एवं संयंमित रुप से होता है. गुप्त नवरात्रि में अष्टमी तिथि, नवमी तिथि और दशमी तिथि के दौरान की जाने वाली पूजा एवं रात्रि साधना से मिल पाती है तंत्र की सिद्धि एवं साधना का नवरंग. अचार्या राजरानीगुप्त नवरात्रि : माता छिन्नमस्ता का अत्यंत भयंकर रूप,सार्वजनिक रूप से वर्जित है पूजा
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गुप्त नवरात्रि में अष्टमी नवमी और दशमी पूजन
इस गुप्त नवरात्रि के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है की इस समय पर तंत्र की देवियों जो दश महाविद्या के रुप में पूजी जाती हैं. उनका पूजन ही विशेष रुप से किया जाता है. यह नवरात्रि उन चैत्र और शारदीय नवरात्रि से बहुत अधिक भिन्न होते हैं. यहां साधक की साधना देवी की गुप्त साधना से संबंधित होती है. गुप्त नवरात्रि की अंतिम तीन रात्रियों का महत्व त्रिकोण शक्ति को दर्शाने वाला होता है. यह सिद्दि साधना के उस स्वरुप का बोध प्रदान करता है जब तीन शक्ति बिंदुओं का मिलान साधक की साधना को पूर्ण करने हेतु विशेष समय होता है. इन गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त अष्टमी, गुप्त नवमी और गुप्त दशमी पूजन द्वारा पूजा संपूर्ण होती है. Gupt Navratri Significanceतंत्र साधना को मिलता है विशेष बल
इस समय को तंत्र एवं मंत्र साधक दोनों ही बड़े धार्मिक उत्साह और उत्साह के साथ करते हैं. यह दस रातें माघ माह में आने वाली अत्यंत विशेष होती है. इन दस महा विद्याओं की नवरात्रि के लिए घर पर पूजा करने की प्रक्रिया जटिल होने के साथ साथ अत्यंत शुद्धि के साथ संपूर्ण करनी होती है जहां छोटी सी भूल को भी स्थान प्राप्त नहीं होता है.इसी कारण से यह गुप्त नवरात्रि हैं क्योंकि इनमें नियमों का पालन अत्यंत कठोर एवं संयंमित रुप से होता है. गुप्त नवरात्रि में अष्टमी तिथि, नवमी तिथि और दशमी तिथि के दौरान की जाने वाली पूजा एवं रात्रि साधना से मिल पाती है तंत्र की सिद्धि एवं साधना का नवरंग. अचार्या राजरानीगुप्त नवरात्रि : माता छिन्नमस्ता का अत्यंत भयंकर रूप,सार्वजनिक रूप से वर्जित है पूजा
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