गुप्त नवरात्रि की उस रात्रि का रहस्य, साधना पूर्ण होने पर मिलती है तंत्र की दीक्षा 

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Gupt Navratri 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 11:33 AM
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Gupt Navratri Significance : गुप्त नवरात्रि साधना का अत्यंत ही गुप्त रुप जो आज भी उन कुछ भक्तों को ही प्राप्त हो पाता है जो इस नवरात्रि की महत्ता को जानते हुए इसे पूर्ण करते हैं. किसी भी पूजन में जब गुप्त शब्द की उत्पत्ति होती है तो वह साधना का अत्यंत ही विशेष पड़ाव माना गया है जो हर किसी की पहुंच में नहीं होता है. यह उसी गुप्त मंत्र की भांति हैं जो एक गुरु द्वारा उसके शिष्य को गुप्त रुप में दिया जाता है. इसी प्रकार देवी महाविद्याओं की यह गुप्त पूजा में गोपनीयता का पालन सबसे पहली शर्त भी है. गुप्त नवरात्रि के दस रातों का महत्व है क्योंकि एक रात्रि इनमें छुपी होती है जिसे दशमी की रात्रि के रुप में पूजा जाता है. जिस कारण यह नवरात्रि गुप्त रुप में पूर्ण होते हैं. सामान्य रुप में नाम के अनुरुप जो इसके अर्थ को समझ नहीं पाते हैं वह दशमी की साधना को यदि जान पाते हैं तभी गुप्त नवरात्रि की पूर्णता सिद्धि हो पाती है. यह नवरात्रि का गुप्त रहस्य न होकर दस रात्रियों की गुप्त साधना है. इस कारण गुप्त नवरात्रि की दशमी रात्रि गुप्त पूजा एवं साधना को सिद्ध कर लेने वाला समय होता है. गुप्त नवरात्रि की दस महा विद्याएं देवी काली, देवी तारा, देवी छिन्नमस्ता, देवी षोडशी, देवी भुवनेश्वरी, देवी त्रिपुर भैरवी, देवी धूमावती, देवी बगलामुखी, देवी मातंगी तथा देवी कमला

गुप्त नवरात्रि में अष्टमी नवमी और दशमी पूजन 

इस गुप्त नवरात्रि के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है की इस समय पर तंत्र की देवियों जो दश महाविद्या के रुप में पूजी जाती हैं. उनका पूजन ही विशेष रुप से किया जाता है. यह नवरात्रि उन चैत्र और शारदीय नवरात्रि से बहुत अधिक भिन्न होते हैं. यहां साधक की साधना देवी की गुप्त साधना से संबंधित होती है. गुप्त नवरात्रि की अंतिम तीन रात्रियों का महत्व त्रिकोण शक्ति को दर्शाने वाला होता है. यह सिद्दि साधना के उस स्वरुप का बोध प्रदान करता है जब तीन शक्ति बिंदुओं का मिलान साधक की साधना को पूर्ण करने हेतु विशेष समय होता है. इन गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त अष्टमी, गुप्त नवमी और गुप्त दशमी पूजन द्वारा पूजा संपूर्ण होती है. Gupt Navratri Significance

तंत्र साधना को मिलता है विशेष बल

इस समय को तंत्र एवं मंत्र साधक दोनों ही बड़े धार्मिक उत्साह और उत्साह के साथ करते हैं. यह दस रातें माघ माह में आने वाली अत्यंत विशेष होती है. इन दस महा विद्याओं की नवरात्रि के लिए घर पर पूजा करने की प्रक्रिया जटिल होने के साथ साथ अत्यंत शुद्धि के साथ संपूर्ण करनी होती है जहां छोटी सी भूल को भी स्थान प्राप्त नहीं होता है.इसी कारण से यह गुप्त नवरात्रि हैं क्योंकि इनमें नियमों का पालन अत्यंत कठोर एवं संयंमित रुप से होता है. गुप्त नवरात्रि में अष्टमी तिथि, नवमी तिथि और दशमी तिथि के दौरान की जाने वाली पूजा एवं रात्रि साधना से मिल पाती है तंत्र की सिद्धि एवं साधना का नवरंग. अचार्या राजरानी

गुप्त नवरात्रि : माता छिन्नमस्ता का अत्यंत भयंकर रूप,सार्वजनिक रूप से वर्जित है पूजा

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Gupt Navratri Significance : गुप्त नवरात्रि साधना का अत्यंत ही गुप्त रुप जो आज भी उन कुछ भक्तों को ही प्राप्त हो पाता है जो इस नवरात्रि की महत्ता को जानते हुए इसे पूर्ण करते हैं. किसी भी पूजन में जब गुप्त शब्द की उत्पत्ति होती है तो वह साधना का अत्यंत ही विशेष पड़ाव माना गया है जो हर किसी की पहुंच में नहीं होता है. यह उसी गुप्त मंत्र की भांति हैं जो एक गुरु द्वारा उसके शिष्य को गुप्त रुप में दिया जाता है. इसी प्रकार देवी महाविद्याओं की यह गुप्त पूजा में गोपनीयता का पालन सबसे पहली शर्त भी है. गुप्त नवरात्रि के दस रातों का महत्व है क्योंकि एक रात्रि इनमें छुपी होती है जिसे दशमी की रात्रि के रुप में पूजा जाता है. जिस कारण यह नवरात्रि गुप्त रुप में पूर्ण होते हैं. सामान्य रुप में नाम के अनुरुप जो इसके अर्थ को समझ नहीं पाते हैं वह दशमी की साधना को यदि जान पाते हैं तभी गुप्त नवरात्रि की पूर्णता सिद्धि हो पाती है. यह नवरात्रि का गुप्त रहस्य न होकर दस रात्रियों की गुप्त साधना है. इस कारण गुप्त नवरात्रि की दशमी रात्रि गुप्त पूजा एवं साधना को सिद्ध कर लेने वाला समय होता है. गुप्त नवरात्रि की दस महा विद्याएं देवी काली, देवी तारा, देवी छिन्नमस्ता, देवी षोडशी, देवी भुवनेश्वरी, देवी त्रिपुर भैरवी, देवी धूमावती, देवी बगलामुखी, देवी मातंगी तथा देवी कमला

गुप्त नवरात्रि में अष्टमी नवमी और दशमी पूजन 

इस गुप्त नवरात्रि के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है की इस समय पर तंत्र की देवियों जो दश महाविद्या के रुप में पूजी जाती हैं. उनका पूजन ही विशेष रुप से किया जाता है. यह नवरात्रि उन चैत्र और शारदीय नवरात्रि से बहुत अधिक भिन्न होते हैं. यहां साधक की साधना देवी की गुप्त साधना से संबंधित होती है. गुप्त नवरात्रि की अंतिम तीन रात्रियों का महत्व त्रिकोण शक्ति को दर्शाने वाला होता है. यह सिद्दि साधना के उस स्वरुप का बोध प्रदान करता है जब तीन शक्ति बिंदुओं का मिलान साधक की साधना को पूर्ण करने हेतु विशेष समय होता है. इन गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त अष्टमी, गुप्त नवमी और गुप्त दशमी पूजन द्वारा पूजा संपूर्ण होती है. Gupt Navratri Significance

तंत्र साधना को मिलता है विशेष बल

इस समय को तंत्र एवं मंत्र साधक दोनों ही बड़े धार्मिक उत्साह और उत्साह के साथ करते हैं. यह दस रातें माघ माह में आने वाली अत्यंत विशेष होती है. इन दस महा विद्याओं की नवरात्रि के लिए घर पर पूजा करने की प्रक्रिया जटिल होने के साथ साथ अत्यंत शुद्धि के साथ संपूर्ण करनी होती है जहां छोटी सी भूल को भी स्थान प्राप्त नहीं होता है.इसी कारण से यह गुप्त नवरात्रि हैं क्योंकि इनमें नियमों का पालन अत्यंत कठोर एवं संयंमित रुप से होता है. गुप्त नवरात्रि में अष्टमी तिथि, नवमी तिथि और दशमी तिथि के दौरान की जाने वाली पूजा एवं रात्रि साधना से मिल पाती है तंत्र की सिद्धि एवं साधना का नवरंग. अचार्या राजरानी

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गुप्त नवरात्रि : माता छिन्नमस्ता का अत्यंत भयंकर रूप,सार्वजनिक रूप से वर्जित है पूजा

Chinnmasta
Gupt Navratri 2024
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calendar15 Feb 2024 06:48 PM
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Gupt Navratri 2024 : गुप्त नवरात्रि का छठवां दिन दस महाविद्याओं में छठवीं महाविद्या *माता छिन्नमस्ता*को समर्पित है । गुप्त नवरात्रि की साधना में दस महाविद्याओं में छठवीं विद्या देवी छिन्नमस्ता है ।

यह तंत्र शास्त्र की तांत्रिक विद्या है

इनका भयंकर रूप उग्र काली चंडिका का है । चार भुजाओं वाली शरीर पर केवल स्वर्ण के आभूषण धारण किये दाहिने हाथ में खड्ग लिये बायें हाथ में अपने ही सिर को काटकर केशराशि से लहू टपकता है । बिना सिर के धड़ से तीन रक्त की धारायें फूटकर प्रवाहित हो अपने दोनों ओर खड़ी दोनों योगिनियों की क्षुधा शांत करती । तीसरी धारा स्वयं अपनी ही ओर अपने आपको तृप्त कर मिथुन युगल के ऊपर नृत्य मुद्रा में उनका दलन करती । एक हाथ वरद और दूसरा अभय मुद्रा ।

रजप्पा में भैरवी भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर 6000 वर्ष पुराना शक्ति पीठ

कामाख्या देवी के बाद दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ झारखंड की राजधानी रांची से 80किलोमीटर दूर रजप्पा में भैरवी भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर 6000 वर्ष पुराना यह शक्ति पीठ स्थित है । Gupt Navratri 2024 पौराणिक कथा :- एक बार जब माता पार्वती राक्षसों का संहार करने के पश्चात अपनी सखी जया और विजया के साथ मंदाकिनी में स्नान कर रहीं थी। तभी स्नान से निवृत्त होकर तट पर बैठीं जया -विजया ने पार्वती से कहा- माँ हमें भूख लगी है! माँ हमें भोजन दो । पार्वती ने उन्हें सांत्वना देते हुये कहा रुको अभी भोजन में देर है । मैं तुम्हारे लिये भोजन का प्रबंध करती हूं । जब काफी देर तक तलाशने के बाद भी उन्हें कहीं भोजन नहीं मिला तो वह दोनों फिर बोली माँ हमें बहुत जोर से भूख लगी है। अब भूख सहन नहीं होती ! तू कैसी मां है ?जो अपनी संतान की भूख भी नही मिटा सकती । लोग तो अपनी संतान की रक्षा के लिये प्राण तक दे देते हैं । माता पार्वती को उनके यह तीखे शब्द सहन नहीं हुये । उन्होंने उसी समय काली के उग्र रूप प्रचंड चंडिका को धारण कर अपने एक हाथ से केशराशि को पकड़ कर दूसरे हाथ से अपने ही खड्ग से स्वयं अपनी गर्दन पर वार कर उसे धड़ से अलग करते हुये कहा- "लो अब मेरे रक्त से अपनी क्षुधा शांत करो । इस समय उनके धड़ से रक्त की तीन धारायें प्रवाहित हुईं जो अपने दोनों ओर खड़ी जया विजया रूपी योगिनियों के मुख में गिरकर उनकी क्षूधा शांत कर रहीं थी । तीसरी धारा स्वयं उनके ही धड़ में गिर कर स्वयं उनकी क्षुधा शांत कर रही थी ।

माता का यह रूप अत्यंत भयंकर है

Gupt Navratri 2024

माता का यह रूप अत्यंत भयंकर है। इसीलिये इनकी जनसाधारण के लिये भी सार्वजनिक रूप से पूजा वर्जित है । केवल तंत्र शास्त्र के अनुसार ही इनकी तांत्रिक पूजा की जाती है । अपना आत्म बलिदान दूसरों के जीवन की रक्षा के लिये जो हमारे अगल बगल सदा सहयोगी के रूप में उपस्थित रहते हैं पहले उनकी क्षुधा शांत करो तब अपनी इसी में लोक कल्याण के हित की उदात्त भावना निहित है । जो केवल अपने ही निहित स्वार्थ में लिप्त रह कर अपना ही पेट भरते हैं उनका कल्याण कैसे होगा ? जै माता छिन्नमस्तिका सभी का कल्याण करें । अंत में इन पौराणिक कथाओं के पीछे क्या वैज्ञानिक रहस्य है इसे खोजने और उसके तथ्यात्मक विश्लेषण की आवश्यकता है । सनातन काल से हमारे ऋषि मुनियों ने जो अपने समय के बहुत बड़े वैज्ञानिक थे कोई भी बात सीधे से न कह कर सत्य को आवृत करते हुये कथाओं के माध्यम से ही कही थी जिससे कोई भी इसका दुरुपयोग न कर सके । हिरण्येन पात्रेण सत्यं मुख आवृता।। लोकमंगल की भावना रखने वाला ही सोच समझ कर इसका प्रयोग करे । उषा सक्सेना

गुप्त नवरात्रि पर इस एक स्त्रोत से पूर्ण होगा सभी महाविद्याओं का पूजन 

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