Kalpvas in Magh- वैचारिक चिंतन:-माघ मास में प्रयाग वास ?

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Jan 2023 07:30 PM
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उषा सक्सेना  Kalpvas in Magh - हिन्दू धर्म के अनुसार माघ माह में प्रयाग (Prayagraj) में कल्प वास का विशेष महत्व है । बचपन से ही सुनते आ रहे इस बात के पीछे क्या रहस्य है, जानने की उत्सुकता निरंतर बनी रही। ऐसी क्या विशेषता है जो अन्य और कहीं नही । प्रश्नों का हल ढूंढ़ने बैठी तो जवाब मिला जहां सृष्टि के सृजन का पहला यज्ञ हुआ हो, सितासित गंगा, यमुना जैसी देव पूजित नदियों का संगम हो और उन दोनों के प्रचंड प्रवाह और मंथन के पश्चात ज्ञान की देवी सरस्वती का स्वत;प्रकट होना अपने आप में सबसे महत्त्वपूर्ण। उस सरस्वती को केवल अपने तक सीमित रखने की लालसा के कारण जिसे प्राण त्यागने पड़े और इसी स्थान पर उन्हें अपने पाप से मुक्ति मिली उस स्थान का महत्व मुक्ति दाता स्थान के रूप में और अधिक बढ़ गया।

Kalpvas in Magh-

माघ मास में गंगा स्नान का अपना महत्व इसलिये भी है की इस समय शीत ऋतु में अपने शरीर को तप से तप्त करने के लिये साधु सन्यासी,ऋषि मुनि ही नही वरन् देवलोक से देवता और पितर भी स्नान कर माघ मेले का आनंद लेने आते हैं । इसी माह में शिवजी ने ब्रह्मा जी का त्रिशूल से वध किया था, इसी कारण शिव जी का एक नाम शूल टंक पड़ा। विष्णुपदी गंगा से मिलने स्वयं विष्णु जी श्री माधव स्वरूप से निवास करते हैं और सूर्य देव अपनी पुत्री यमुना के पास आकर उस समय निवास करते हैं। इसी माह उनका मकर राशि में प्रवेश के कारण दक्षिणायन से उत्तरायण होने से उनकी किरणें मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती हैं, जिससे शीत का प्रकोप कम होने लगता है।

Kalpvas in Magh-

बसंत के आगमन की पूर्व सूचना। प्रकृति और पुरुष के परिणय का संकेत । संत समागम ,सभी दूर से आये बैबिध्य पूर्ण संस्कृतियों का सम्मेलन। इस मेले को श्रेष्ठता प्रदान करने के लिये अनेक रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन ।नदी के तटों पर दूर दूर तक निवास के लिये तने तंबू संत समागम । क्या नही है इन मेलों में? सज्जन हैं तो दुर्जन भी । {इन पंक्तियों की लेखिका जानी -मानी साहित्यकार हैं} [caption id="attachment_57217" align="alignnone" width="293"] (उषा सक्सेना)[/caption]
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Kalpvas in Magh- वैचारिक चिंतन:-माघ मास में प्रयाग वास ?

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उषा सक्सेना  Kalpvas in Magh - हिन्दू धर्म के अनुसार माघ माह में प्रयाग (Prayagraj) में कल्प वास का विशेष महत्व है । बचपन से ही सुनते आ रहे इस बात के पीछे क्या रहस्य है, जानने की उत्सुकता निरंतर बनी रही। ऐसी क्या विशेषता है जो अन्य और कहीं नही । प्रश्नों का हल ढूंढ़ने बैठी तो जवाब मिला जहां सृष्टि के सृजन का पहला यज्ञ हुआ हो, सितासित गंगा, यमुना जैसी देव पूजित नदियों का संगम हो और उन दोनों के प्रचंड प्रवाह और मंथन के पश्चात ज्ञान की देवी सरस्वती का स्वत;प्रकट होना अपने आप में सबसे महत्त्वपूर्ण। उस सरस्वती को केवल अपने तक सीमित रखने की लालसा के कारण जिसे प्राण त्यागने पड़े और इसी स्थान पर उन्हें अपने पाप से मुक्ति मिली उस स्थान का महत्व मुक्ति दाता स्थान के रूप में और अधिक बढ़ गया।

Kalpvas in Magh-

माघ मास में गंगा स्नान का अपना महत्व इसलिये भी है की इस समय शीत ऋतु में अपने शरीर को तप से तप्त करने के लिये साधु सन्यासी,ऋषि मुनि ही नही वरन् देवलोक से देवता और पितर भी स्नान कर माघ मेले का आनंद लेने आते हैं । इसी माह में शिवजी ने ब्रह्मा जी का त्रिशूल से वध किया था, इसी कारण शिव जी का एक नाम शूल टंक पड़ा। विष्णुपदी गंगा से मिलने स्वयं विष्णु जी श्री माधव स्वरूप से निवास करते हैं और सूर्य देव अपनी पुत्री यमुना के पास आकर उस समय निवास करते हैं। इसी माह उनका मकर राशि में प्रवेश के कारण दक्षिणायन से उत्तरायण होने से उनकी किरणें मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती हैं, जिससे शीत का प्रकोप कम होने लगता है।

Kalpvas in Magh-

बसंत के आगमन की पूर्व सूचना। प्रकृति और पुरुष के परिणय का संकेत । संत समागम ,सभी दूर से आये बैबिध्य पूर्ण संस्कृतियों का सम्मेलन। इस मेले को श्रेष्ठता प्रदान करने के लिये अनेक रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन ।नदी के तटों पर दूर दूर तक निवास के लिये तने तंबू संत समागम । क्या नही है इन मेलों में? सज्जन हैं तो दुर्जन भी । {इन पंक्तियों की लेखिका जानी -मानी साहित्यकार हैं} [caption id="attachment_57217" align="alignnone" width="293"] (उषा सक्सेना)[/caption]
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Religious News : श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से होती है दिव्य ज्ञान की प्राप्ति : पाराशर महराज

Katha
Divine knowledge is attained by listening to Shrimad Bhagwat Katha : Parashar Maharaj
locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 Jan 2023 03:16 PM
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भदोही। कलियुग में श्रीमद् भागवत महापुराण का श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। कल्पवृक्ष मात्र अर्थ,धर्म और काम ही दे सकता है, मुक्ति और भक्ति नही दे सकता है, लेकिन श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है। यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। कथा श्रवण से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। गोपीगंज क्षेत्र के अमवा में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा व लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का शुभारंभ करते हुए कथा व्यास भागवत मर्मज्ञ डाक्टर श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज ने उक्त बातें कही।

Religious News

भीष्म और कुंती का स्तुति गान करते हुये कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये हैं।उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पूण्यादि कर्मो से बढ़कर है। धुन्धकारी जैसे शराबी, कवाबी, महापापी, प्रेतआत्मा का उद्धार हो जाता है। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग, जो हमारे जीवन में प्रदान करे, उसे हम भागवत कहते है।

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इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्योंकि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ ही परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।

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कथा के पूर्व सपत्नी मुख्य यजमान कलक्टर सुरेद्र नाथ मिश्र ने आरती पूजन कर कथा का शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व सांसद गोरखनाथ पाण्डेय, जिला पंचायत अध्यक्ष भदोही अनिरुद्ध त्रिपाठी, मिर्जापुर नगर विधायक रत्नाकर मिश्र, ब्रह्मदेव मिश्र, सुरेन्द्र नाथ मिश्र, पूर्व प्रमुख दिनेश सिंह, अंजनी शुक्ला, राम मोहन मिश्र जिला पंचायत सदस्य, भोले सिंह, लोहा सिंह बालदत्त पाण्डेय, कृष्ण कुमार खटाई, विरेद्र पांडेय आदि ने माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया।