Kalpvas in Magh- वैचारिक चिंतन:-माघ मास में प्रयाग वास ?

Kalpvas in Magh-
माघ मास में गंगा स्नान का अपना महत्व इसलिये भी है की इस समय शीत ऋतु में अपने शरीर को तप से तप्त करने के लिये साधु सन्यासी,ऋषि मुनि ही नही वरन् देवलोक से देवता और पितर भी स्नान कर माघ मेले का आनंद लेने आते हैं । इसी माह में शिवजी ने ब्रह्मा जी का त्रिशूल से वध किया था, इसी कारण शिव जी का एक नाम शूल टंक पड़ा। विष्णुपदी गंगा से मिलने स्वयं विष्णु जी श्री माधव स्वरूप से निवास करते हैं और सूर्य देव अपनी पुत्री यमुना के पास आकर उस समय निवास करते हैं। इसी माह उनका मकर राशि में प्रवेश के कारण दक्षिणायन से उत्तरायण होने से उनकी किरणें मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती हैं, जिससे शीत का प्रकोप कम होने लगता है।Kalpvas in Magh-
बसंत के आगमन की पूर्व सूचना। प्रकृति और पुरुष के परिणय का संकेत । संत समागम ,सभी दूर से आये बैबिध्य पूर्ण संस्कृतियों का सम्मेलन। इस मेले को श्रेष्ठता प्रदान करने के लिये अनेक रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन ।नदी के तटों पर दूर दूर तक निवास के लिये तने तंबू संत समागम । क्या नही है इन मेलों में? सज्जन हैं तो दुर्जन भी । {इन पंक्तियों की लेखिका जानी -मानी साहित्यकार हैं} [caption id="attachment_57217" align="alignnone" width="293"]
(उषा सक्सेना)[/caption]अगली खबर पढ़ें
Kalpvas in Magh-
माघ मास में गंगा स्नान का अपना महत्व इसलिये भी है की इस समय शीत ऋतु में अपने शरीर को तप से तप्त करने के लिये साधु सन्यासी,ऋषि मुनि ही नही वरन् देवलोक से देवता और पितर भी स्नान कर माघ मेले का आनंद लेने आते हैं । इसी माह में शिवजी ने ब्रह्मा जी का त्रिशूल से वध किया था, इसी कारण शिव जी का एक नाम शूल टंक पड़ा। विष्णुपदी गंगा से मिलने स्वयं विष्णु जी श्री माधव स्वरूप से निवास करते हैं और सूर्य देव अपनी पुत्री यमुना के पास आकर उस समय निवास करते हैं। इसी माह उनका मकर राशि में प्रवेश के कारण दक्षिणायन से उत्तरायण होने से उनकी किरणें मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती हैं, जिससे शीत का प्रकोप कम होने लगता है।Kalpvas in Magh-
बसंत के आगमन की पूर्व सूचना। प्रकृति और पुरुष के परिणय का संकेत । संत समागम ,सभी दूर से आये बैबिध्य पूर्ण संस्कृतियों का सम्मेलन। इस मेले को श्रेष्ठता प्रदान करने के लिये अनेक रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन ।नदी के तटों पर दूर दूर तक निवास के लिये तने तंबू संत समागम । क्या नही है इन मेलों में? सज्जन हैं तो दुर्जन भी । {इन पंक्तियों की लेखिका जानी -मानी साहित्यकार हैं} [caption id="attachment_57217" align="alignnone" width="293"]
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