Narad Jayanti 2023 : नारद जयंती पर जानें आखिर महर्षि नारद को क्यों कहा जाता है सृष्टि का पहला पत्रकार 

Screenshot 2023 05 06 105324
Narad Jayanti 2023: Know on Narad Jayanti why Maharishi Narad is called the first journalist of the universe
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 May 2023 04:24 PM
bookmark
Narad Jayanti 2023 : देवर्षि नारद के जन्मोत्सव को नारद जयंती के रुप में मनाया जाता है. नारद जयंती का संबंध वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा एवं द्वितीया तिथि से माना गया है. देवर्षि नारद जी को ब्रह्मा के मानस पुत्र एवं श्री विष्णु भगवान के परम भक्त के रुप में देखा जाता है. नारद जी को संदेशवाहक, दूत एवं आज के जन संचार से जुड़े प्रथम पत्रकार के रुप में भी देखा जाता है. नारद जी देवताओं और असुरों सभी के मध्य एक सेतु के रुप में सदैव स्थापित रहे हैं.

Narad Jayanti 2023 :

  नारद जयंती हर साल कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाती है जिसे इस वर्ष 6 और 7 मई के दिन पर मनाया जाएगा. धर्म शास्त्रों के अनुसर देवर्षि नारदजी को समस्त लोकों की यात्रा करने का वरदान प्राप्त था. वह समस्त लोकों में बिना किसी भय के भ्रमण करने में सक्षम थे और देवताओं एवं असुरों सभी के समक्ष वंदनीय भी रहे हैं.  नारद जी के कार्यों द्वारा ही सृष्टि के कई महत्वपूर्ण कार्यों का आरंभ होता है. समस्त सृष्टि के पथ प्रदर्शक बनें नारद जी  देवर्षि नारद जी को वाल्मीकि जी शुकदेव जी एवं व्यास जी के गुरु के रुप में भी जाना गया है. नारद मुनि की भूमिका जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रकाशित एवं ज्ञान प्रदान करने वालि मानी गई है. उनकी प्रेरणा द्वारा ही कई अदभुत ग्रंथों का निर्माण संभव हो पाया तथा भगवान की लीलाओं का आरंभ भी नारद जी के प्रयासों से भी होता देखा जाता है. भवत हो या शिव पुराण या अन्य ग्रंथ सभी में नारद जी की भूमिका सदैव अग्रीण रही है. नारद जी के विचारों एवं उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले मार्गदर्शन ने देव एवं दानवों सभी को प्रेरित किया. चाहे अमृत मंथन की कथा हो या भगवान राम का जन्म या फिर भगवान शिव का पार्वती से विवाह सभी में देवर्षि नारद जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. नारद मुनि जन्म कथा नारद जी से संबंधित पौराणिक कथाओं में कई वर्णन प्राप्त होते हैं. इसमें नारद पुराण एवं विष्णु पुराण इत्यादि में नारद जी के जन्म से संबंधित कथाएं प्राप्त होती हैं. इनमें से एक कथा अनुसार नारद जी अपने पहले जन्म में उपबर्हण नामक गंधर्व थे, किंतु इनके आचरण की एक गलती के कारण भगवान ब्रह्मा जी ने इन्हें निम्न योनि में जन्म का श्राप दिया ऎसे में जब उन्होंने श्रापवश शूद्र दासी पुत्र में जन्म लिया किंतु उन्हें योगी एवं संतों का साथ प्राप्त होता है और इस कारण उनके बालपन में भक्ति का संचार हुआ. उनके मन में भगवान श्री विष्णु के प्रति भक्ति प्रगाढ़ होती जाती है. भगवान उनकी भक्ति देख कर उन्हें संदेश देते हैं कि अपने अगले जन्म में तुम्हें मेरे पार्षद का स्थान प्राप्त होगा. जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि को उत्पन्न किया तो उन्होंने अपने मनो इंद्रियों के द्वारा मानस पुत्रों को उत्पन्न किया जिसमें मरीचि आदि ऋषियों के साथ नारद जी का भी अवतरण होता है. श्री विष्णु की भक्ति द्वारा ही भगवान ने उन्हें समस्त लोकों में बिना किसी व्यवधान के यात्रा करने का वरदान प्रदान किया था. मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि नारद जी समस्त जगत की गतिविधियों को देखते हैं और अपनी वीणा द्वारा जीवन को नवीनता प्रदान करते हैं. नारद जयंती के अनुष्ठान पूजा विधि  नारद जयंती के दिन प्रात:काल समय सूर्योदय से पूर्व उठ कर स्नान करने के पश्चात महर्षि नारद का स्मरण करना चाहिए.  नारद जयंती के अवसर पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन नारद जी को चंदन, तुलसी, कुमकुम अर्पित किया जाता है. भगवान को फल-फूल और मिष्ठान अर्पित किए जाते हैं. नारद जयंती के दिन उपवास एवं व्रत का पालन भी किया जाता है. नारद जयंती के दिन नारद जी की स्तुती एवं भगवान विष्णु के मंत्र जाप को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन पूजा पाठ के साथ दान इत्यादि का भी विशेष महत्व होता है इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने एवं दक्षिणा इत्यादि देकर आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है. दक्षिण भारत में इस अवसर पर विशेष पूजा अनुष्ठा किए जाते हैं.

Rashifal 6 May 2023- मेष से मीन राशि के जातक जानें क्या कहते हैं आज आपके सितारे

अगली खबर पढ़ें

Narad Jayanti 2023 : नारद जयंती पर जानें आखिर महर्षि नारद को क्यों कहा जाता है सृष्टि का पहला पत्रकार 

Screenshot 2023 05 06 105324
Narad Jayanti 2023: Know on Narad Jayanti why Maharishi Narad is called the first journalist of the universe
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 May 2023 04:24 PM
bookmark
Narad Jayanti 2023 : देवर्षि नारद के जन्मोत्सव को नारद जयंती के रुप में मनाया जाता है. नारद जयंती का संबंध वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा एवं द्वितीया तिथि से माना गया है. देवर्षि नारद जी को ब्रह्मा के मानस पुत्र एवं श्री विष्णु भगवान के परम भक्त के रुप में देखा जाता है. नारद जी को संदेशवाहक, दूत एवं आज के जन संचार से जुड़े प्रथम पत्रकार के रुप में भी देखा जाता है. नारद जी देवताओं और असुरों सभी के मध्य एक सेतु के रुप में सदैव स्थापित रहे हैं.

Narad Jayanti 2023 :

  नारद जयंती हर साल कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाती है जिसे इस वर्ष 6 और 7 मई के दिन पर मनाया जाएगा. धर्म शास्त्रों के अनुसर देवर्षि नारदजी को समस्त लोकों की यात्रा करने का वरदान प्राप्त था. वह समस्त लोकों में बिना किसी भय के भ्रमण करने में सक्षम थे और देवताओं एवं असुरों सभी के समक्ष वंदनीय भी रहे हैं.  नारद जी के कार्यों द्वारा ही सृष्टि के कई महत्वपूर्ण कार्यों का आरंभ होता है. समस्त सृष्टि के पथ प्रदर्शक बनें नारद जी  देवर्षि नारद जी को वाल्मीकि जी शुकदेव जी एवं व्यास जी के गुरु के रुप में भी जाना गया है. नारद मुनि की भूमिका जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रकाशित एवं ज्ञान प्रदान करने वालि मानी गई है. उनकी प्रेरणा द्वारा ही कई अदभुत ग्रंथों का निर्माण संभव हो पाया तथा भगवान की लीलाओं का आरंभ भी नारद जी के प्रयासों से भी होता देखा जाता है. भवत हो या शिव पुराण या अन्य ग्रंथ सभी में नारद जी की भूमिका सदैव अग्रीण रही है. नारद जी के विचारों एवं उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले मार्गदर्शन ने देव एवं दानवों सभी को प्रेरित किया. चाहे अमृत मंथन की कथा हो या भगवान राम का जन्म या फिर भगवान शिव का पार्वती से विवाह सभी में देवर्षि नारद जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. नारद मुनि जन्म कथा नारद जी से संबंधित पौराणिक कथाओं में कई वर्णन प्राप्त होते हैं. इसमें नारद पुराण एवं विष्णु पुराण इत्यादि में नारद जी के जन्म से संबंधित कथाएं प्राप्त होती हैं. इनमें से एक कथा अनुसार नारद जी अपने पहले जन्म में उपबर्हण नामक गंधर्व थे, किंतु इनके आचरण की एक गलती के कारण भगवान ब्रह्मा जी ने इन्हें निम्न योनि में जन्म का श्राप दिया ऎसे में जब उन्होंने श्रापवश शूद्र दासी पुत्र में जन्म लिया किंतु उन्हें योगी एवं संतों का साथ प्राप्त होता है और इस कारण उनके बालपन में भक्ति का संचार हुआ. उनके मन में भगवान श्री विष्णु के प्रति भक्ति प्रगाढ़ होती जाती है. भगवान उनकी भक्ति देख कर उन्हें संदेश देते हैं कि अपने अगले जन्म में तुम्हें मेरे पार्षद का स्थान प्राप्त होगा. जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि को उत्पन्न किया तो उन्होंने अपने मनो इंद्रियों के द्वारा मानस पुत्रों को उत्पन्न किया जिसमें मरीचि आदि ऋषियों के साथ नारद जी का भी अवतरण होता है. श्री विष्णु की भक्ति द्वारा ही भगवान ने उन्हें समस्त लोकों में बिना किसी व्यवधान के यात्रा करने का वरदान प्रदान किया था. मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि नारद जी समस्त जगत की गतिविधियों को देखते हैं और अपनी वीणा द्वारा जीवन को नवीनता प्रदान करते हैं. नारद जयंती के अनुष्ठान पूजा विधि  नारद जयंती के दिन प्रात:काल समय सूर्योदय से पूर्व उठ कर स्नान करने के पश्चात महर्षि नारद का स्मरण करना चाहिए.  नारद जयंती के अवसर पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन नारद जी को चंदन, तुलसी, कुमकुम अर्पित किया जाता है. भगवान को फल-फूल और मिष्ठान अर्पित किए जाते हैं. नारद जयंती के दिन उपवास एवं व्रत का पालन भी किया जाता है. नारद जयंती के दिन नारद जी की स्तुती एवं भगवान विष्णु के मंत्र जाप को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन पूजा पाठ के साथ दान इत्यादि का भी विशेष महत्व होता है इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने एवं दक्षिणा इत्यादि देकर आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है. दक्षिण भारत में इस अवसर पर विशेष पूजा अनुष्ठा किए जाते हैं.

Rashifal 6 May 2023- मेष से मीन राशि के जातक जानें क्या कहते हैं आज आपके सितारे

अगली खबर पढ़ें

Buddha Purnima 2023: आज बुद्ध पूर्णिमा पर बन रहा महासंयोग, क्या करें क्या नहीं

02 4
Buddha Purnima 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:23 PM
bookmark

Buddha Purnima 2023 : बुद्ध पूर्णिमा आज मनाई जाएगी। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये त्योहार बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यताओं अनुसार वैशाख पूर्णिमा (Vaisakh Purnima 2023) के दिन ही भगवान नारायण के 23वें अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था जिस कारण वैशाखी पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना गया।

Buddha Purnima 2023

इस साल बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण Chandra Grahan 2023 भी लगेगा। ज्योतिष अनुसार बुद्ध पूर्णिमा (Budh Purnima 2023) और चंद्र ग्रहण का ऐसा संयोग पूरे 130 साल बाद बनने जा रहा है। मान्यता है जो व्यक्ति वैशाख पूर्णिमा पर नदी स्नान करके दान पुण्य के काम करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां आप जानेंगे बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

बुद्ध पूर्णिमा पर बन रहा महासंयोग

5 मई को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। इसी के साथ इस दिन सूर्योदय के बाद सिद्धि योग भी बन रहा है जिसे बेहद शुभ योग माना जाता है। यही नहीं इस दिन स्वाति नक्षत्र भी रहेगा। ये भी शुभ फलदायी माना जाता है। वहीं भद्राकाल सुबह 05 बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष जानकारों अनुसार इस दिन भद्रा का वास पाताल है इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

बुद्ध पूर्णिमा 2023 के दिन क्या करें और क्या नहीं

सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करें। संभव हो तो इस दिन उपवास रखें और रात के समय चंद्र देव की पूजा करें। उन्हें फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ आदि अर्पित करें। इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को दान जरूर करें।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान बुद्ध का ध्यान करें। इस दिन भगवान बुद्ध के मंत्रों का जाप करें। साथ ही भगवान बुद्ध को शहद अर्पित करें। इस पावन दिन पर भगवान बुद्ध की सीख का अनुसरण करें।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व और पौराणिक कथा

बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा, विनायक पूर्णिमा, वैशाखी पूर्णिमा और पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक इसी दिन भगवान नारायण के 23वें अवतार भगवान बुद्ध का धरती पर जन्म हुआ था। इस पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा का भी खास महत्व माना जाता है। मान्यता के अनुसार जो कोई भी बुद्धि पूर्णिमा व्रत विधि विधान करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण से मिलने उनके मित्र सुदामा द्वारिका पहुंचे थे। तब श्री कृष्ण ने सुदामा को सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत यानी वैशाख पूर्णिमा व्रत करने का पूरा विधान बताया था। कहते हैं इसी व्रत को करने से सुदामा के जीवन के सारे दुख दूर हो गए थे।

Noida News : संदिग्ध परिस्थिति में युवक ने फांसी लगाकर दी जान

नोएडा ग्रेटर- नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुकपर लाइक करें या ट्विटरपर फॉलो करें।