Narad Jayanti 2023 : नारद जयंती पर जानें आखिर महर्षि नारद को क्यों कहा जाता है सृष्टि का पहला पत्रकार





Buddha Purnima 2023 : बुद्ध पूर्णिमा आज मनाई जाएगी। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये त्योहार बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यताओं अनुसार वैशाख पूर्णिमा (Vaisakh Purnima 2023) के दिन ही भगवान नारायण के 23वें अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था जिस कारण वैशाखी पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना गया।
इस साल बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण Chandra Grahan 2023 भी लगेगा। ज्योतिष अनुसार बुद्ध पूर्णिमा (Budh Purnima 2023) और चंद्र ग्रहण का ऐसा संयोग पूरे 130 साल बाद बनने जा रहा है। मान्यता है जो व्यक्ति वैशाख पूर्णिमा पर नदी स्नान करके दान पुण्य के काम करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां आप जानेंगे बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
5 मई को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। इसी के साथ इस दिन सूर्योदय के बाद सिद्धि योग भी बन रहा है जिसे बेहद शुभ योग माना जाता है। यही नहीं इस दिन स्वाति नक्षत्र भी रहेगा। ये भी शुभ फलदायी माना जाता है। वहीं भद्राकाल सुबह 05 बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष जानकारों अनुसार इस दिन भद्रा का वास पाताल है इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करें। संभव हो तो इस दिन उपवास रखें और रात के समय चंद्र देव की पूजा करें। उन्हें फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ आदि अर्पित करें। इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को दान जरूर करें।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान बुद्ध का ध्यान करें। इस दिन भगवान बुद्ध के मंत्रों का जाप करें। साथ ही भगवान बुद्ध को शहद अर्पित करें। इस पावन दिन पर भगवान बुद्ध की सीख का अनुसरण करें।
बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा, विनायक पूर्णिमा, वैशाखी पूर्णिमा और पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक इसी दिन भगवान नारायण के 23वें अवतार भगवान बुद्ध का धरती पर जन्म हुआ था। इस पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा का भी खास महत्व माना जाता है। मान्यता के अनुसार जो कोई भी बुद्धि पूर्णिमा व्रत विधि विधान करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण से मिलने उनके मित्र सुदामा द्वारिका पहुंचे थे। तब श्री कृष्ण ने सुदामा को सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत यानी वैशाख पूर्णिमा व्रत करने का पूरा विधान बताया था। कहते हैं इसी व्रत को करने से सुदामा के जीवन के सारे दुख दूर हो गए थे।
Buddha Purnima 2023 : बुद्ध पूर्णिमा आज मनाई जाएगी। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये त्योहार बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यताओं अनुसार वैशाख पूर्णिमा (Vaisakh Purnima 2023) के दिन ही भगवान नारायण के 23वें अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था जिस कारण वैशाखी पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना गया।
इस साल बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण Chandra Grahan 2023 भी लगेगा। ज्योतिष अनुसार बुद्ध पूर्णिमा (Budh Purnima 2023) और चंद्र ग्रहण का ऐसा संयोग पूरे 130 साल बाद बनने जा रहा है। मान्यता है जो व्यक्ति वैशाख पूर्णिमा पर नदी स्नान करके दान पुण्य के काम करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां आप जानेंगे बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
5 मई को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। इसी के साथ इस दिन सूर्योदय के बाद सिद्धि योग भी बन रहा है जिसे बेहद शुभ योग माना जाता है। यही नहीं इस दिन स्वाति नक्षत्र भी रहेगा। ये भी शुभ फलदायी माना जाता है। वहीं भद्राकाल सुबह 05 बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष जानकारों अनुसार इस दिन भद्रा का वास पाताल है इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करें। संभव हो तो इस दिन उपवास रखें और रात के समय चंद्र देव की पूजा करें। उन्हें फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ आदि अर्पित करें। इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को दान जरूर करें।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान बुद्ध का ध्यान करें। इस दिन भगवान बुद्ध के मंत्रों का जाप करें। साथ ही भगवान बुद्ध को शहद अर्पित करें। इस पावन दिन पर भगवान बुद्ध की सीख का अनुसरण करें।
बुद्ध पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा, विनायक पूर्णिमा, वैशाखी पूर्णिमा और पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक इसी दिन भगवान नारायण के 23वें अवतार भगवान बुद्ध का धरती पर जन्म हुआ था। इस पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा का भी खास महत्व माना जाता है। मान्यता के अनुसार जो कोई भी बुद्धि पूर्णिमा व्रत विधि विधान करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण से मिलने उनके मित्र सुदामा द्वारिका पहुंचे थे। तब श्री कृष्ण ने सुदामा को सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत यानी वैशाख पूर्णिमा व्रत करने का पूरा विधान बताया था। कहते हैं इसी व्रत को करने से सुदामा के जीवन के सारे दुख दूर हो गए थे।