इस मंदिर में दूध चढ़ाते ही हो जाता है नीला, जानिए रहस्य...

locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:05 AM
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भारतवर्ष (India) में मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है। कई ऐसे मंदिर (Temple) हैं जहां की कुछ रहस्यमयी घटना लोगों को हैरत में डाल देती है। दक्षिण भारत के एक मंदिर में जब कोई भक्त दूध चढ़ाता है तो दूध चढ़ने के तुरंत बाद नीला पड़ जाता है। यह मंदिर नवग्रह में केतु देव (Ketu Temple) को समर्पित है। जानिए क्या है इसका रहस्य…

यह मंदिर केरल में कावेरी नदी के किनारे है। कीजापेरुमपल्लम गांव में स्थित इस मंदिर को नागनाथस्वामी या केति स्थल के नाम से जानते हैं। इस मंदिर के मुख्य देव भगवान शिव हैं। हालांकि इसके अलावा राहु और केतु की भी प्रतिमा स्थपित है। इस मंदिर में राहु देव को दूध चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि केतु दोष से पीड़ित लोग जब राहु देव को दूध चढ़ाते हैं तो वह नीला हो जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए केतु ने इसी मंदिर में शिव को प्रसन्न करने के लिए आराधना शुरू की। कहते हैं कि शिवरात्रि के दिन केतु को भगवान शिव ने दर्शन दिए। साथ ही केतु को श्राप से मुक्त भी किया। केतु को सांपों का देवता भी कहते हैं क्योंकि उसकी सिर इंसान का और धड़ सांप का होता है। ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह बताया गया है। नौ ग्रहों में राहु और केतु को भी रखा गया है। इसके अलावा नौ ग्रहों में बृहस्पति, शनि, शुक्र, चंद्रमा, बुध, मंगल और सूर्य शामिल हैं। इस ग्रहों का अपना अलग-अलग स्वभाव है। जिसके आधार पर ये जातक पर प्रभाव छोड़ते हैं।

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भारतवर्ष (India) में मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है। कई ऐसे मंदिर (Temple) हैं जहां की कुछ रहस्यमयी घटना लोगों को हैरत में डाल देती है। दक्षिण भारत के एक मंदिर में जब कोई भक्त दूध चढ़ाता है तो दूध चढ़ने के तुरंत बाद नीला पड़ जाता है। यह मंदिर नवग्रह में केतु देव (Ketu Temple) को समर्पित है। जानिए क्या है इसका रहस्य…

यह मंदिर केरल में कावेरी नदी के किनारे है। कीजापेरुमपल्लम गांव में स्थित इस मंदिर को नागनाथस्वामी या केति स्थल के नाम से जानते हैं। इस मंदिर के मुख्य देव भगवान शिव हैं। हालांकि इसके अलावा राहु और केतु की भी प्रतिमा स्थपित है। इस मंदिर में राहु देव को दूध चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि केतु दोष से पीड़ित लोग जब राहु देव को दूध चढ़ाते हैं तो वह नीला हो जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए केतु ने इसी मंदिर में शिव को प्रसन्न करने के लिए आराधना शुरू की। कहते हैं कि शिवरात्रि के दिन केतु को भगवान शिव ने दर्शन दिए। साथ ही केतु को श्राप से मुक्त भी किया। केतु को सांपों का देवता भी कहते हैं क्योंकि उसकी सिर इंसान का और धड़ सांप का होता है। ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह बताया गया है। नौ ग्रहों में राहु और केतु को भी रखा गया है। इसके अलावा नौ ग्रहों में बृहस्पति, शनि, शुक्र, चंद्रमा, बुध, मंगल और सूर्य शामिल हैं। इस ग्रहों का अपना अलग-अलग स्वभाव है। जिसके आधार पर ये जातक पर प्रभाव छोड़ते हैं।

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Dharam Karma : वेद वाणी

Rigveda
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calendar01 Dec 2025 04:10 AM
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Sanskrit : त्वद्विश्वा सुभग सौभगान्यग्ने वि यन्ति वनिनो न वयाः। श्रुष्टी रयिर्वाजो वृत्रतूर्ये दिवो वृष्टिरीड्यो रीतिरपाम्॥ ऋग्वेद ६-१३-१॥

Hindi: हे अग्रणी परमेश्वर! जिस प्रकार वृक्ष से शाखाएं निकलती हैं उसी प्रकार सभी उत्तम ऐश्वर्य आप से ही निकलते हैं। शत्रु से रक्षण करने वाला बल आप से ही प्राप्त होता है। सब धन आप से प्राप्त होते हैं। आनंद की वृष्टि भी आप ही करने वाले हैं। आप सभी धनों और ऐश्वर्यादि के स्रोत हैं। (ऋग्वेद ६-१३-१)

English : First and foremost, God! Just as branches grow from a tree, similarly all great opulences come out of you. The strength to protect from the enemy comes from you. All the wealth comes from you. You are the one who brings rain of joy. You are the source of all the wealth and Aishwarya, etc. (Rig Veda 6-13-1)