आसमान की ऊंचाइयों में पायलट और केबिन क्रू बनाते हैं संबंध, हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Pilot and Air Hostess Romance
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:01 AM
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Pilot and Air Hostess Romance : जब आप लंबी दूरी की फ्लाइट में आंखें बंद कर आराम कर रहे होते हैं, तब कॉकपिट में क्या चल रहा होता है इसकी कल्पना भी शायद हम और आप न कर पाएं। एक फ्लाइट अटेंडेंट के चौंकाने वाले खुलासे ने सोशल मीडिया पर सनसनी फैला दी है। अमेरिका की फ्लाइट अटेंडेंट सिएरा मिस्ट ने एक वीडियो में दावा किया है कि लंबे समय तक चलने वाली उड़ानों के दौरान पायलट और एयर होस्टेस 'माइल हाई क्लब' में शामिल हो जाते हैं यानी उड़ान के दौरान आपसी सहमति से रोमांटिक संबंध बनाते हैं।

ऊंचाई पर शुरू होता है रोमांस मोड

सिएरा का कहना है कि जब फ्लाइट ऑटो-पायलट मोड पर होती है और यात्री गहरी नींद में होते हैं, उस समय कुछ पायलट और क्रू मेंबर्स निजी पलों में बिजी हो जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दो पायलटों में से अगर कोई आराम कर रहा हो और दूसरा नियंत्रण संभाल रहा हो, तो कई बार उसके और किसी एयर होस्टेस के बीच करीबी बढ़ती है। इतना ही नहीं कुछ मामलों में तो केबिन में मौज-मस्ती की प्लानिंग तक होती है।

होने चाहिए सख्त नियम

हालांकि सिएरा मानती हैं कि ड्यूटी के दौरान इस तरह का व्यवहार पूरी तरह से अनुचित है और इस पर सख्त नियम होने चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि अगर विमान का कोई हिस्सा इस तरह के निजी कार्यों का अड्डा बन रहा है, तो यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठता है। इस खुलासे के बाद एक बार फिर से फ्लाइट संचालन की नैतिकता और जिम्मेदारी पर बहस तेज हो गई है। सोशल मीडिया पर लोग इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और कड़े नियंत्रण की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह मामला काफी तूल पकड़ रहा है।  Pilot and Air Hostess Romance

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बिहार में 'किंगमेकर' साबित हो सकते है मुस्लिम वोट, किसे मिलेगा समर्थन?

Bihar Assembly Election 2025 1
Bihar Assembly Election 2025
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 10:32 PM
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Bihar Assembly Election 2025 :  बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहा है। अब जब राज्य में विधानसभा चुनावों की आहट सुनाई देने लगी है, एक बार फिर सियासी दलों की नजरें मुस्लिम मतदाताओं पर टिक गई हैं, जो राज्य की 50 से अधिक सीटों पर परिणामों की दिशा बदलने की ताकत रखते हैं। महागठबंधन के अगुवा तेजस्वी यादव और एनडीए की ओर से नीतीश कुमार दोनों मुस्लिम समाज को अपने पाले में लाने के लिए रणनीतिक दांव-पेच आजमा रहे हैं। इसके इतर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ मज़बूत कर महागठबंधन की गणित को उलझा सकते हैं। सवाल यही है: क्या इस बार मुस्लिम वोट एकजुट रहेगा या विभाजन की राजनीति सत्ता का संतुलन बदल देगी?

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में मुस्लिम वोटरों की ताकत

बिहार की कुल जनसंख्या में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 17.5% है, जो राज्य की तकरीबन 55 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। सीमांचल क्षेत्र के ज़िलों — किशनगंज (68%), कटिहार (43%), अररिया (42%), पूर्णिया (38%) और दरभंगा (25%) — में मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं। पिछले चार चुनावों की बात करें तो मुस्लिम समुदाय का रुझान महागठबंधन की ओर झुका रहा है। 2015 के विधानसभा चुनावों में 84%, 2019 लोकसभा में 89%, और 2024 में लगभग 87% मुस्लिम वोट महागठबंधन को मिले। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM की 5 सीटों पर जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि मुस्लिम वोट अब ‘एकतरफा’ नहीं रहा।

2020 के चुनावों में एनडीए और महागठबंधन दोनों को करीब 37.9% वोट मिले थे, पर सिर्फ 11,000 वोटों के मामूली अंतर ने सरकार की चाबी एनडीए के हाथ में थमा दी। ओवैसी की पार्टी को उसी चुनाव में 5 लाख से अधिक वोट मिले — और यहीं से तेजस्वी यादव को मुस्लिम वोट बैंक की ‘दरार’ का एहसास हुआ। तेजस्वी इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। सुप्रीम कोर्ट में लंबित वक्फ बोर्ड कानून को लेकर उन्होंने खुली चुनौती दे दी — “अगर हमारी सरकार बनी, तो वक्फ कानून को कूड़ेदान में डाल देंगे।” इमारत-ए-शरिया की रैली में उनके इस बयान को मुस्लिम मतदाताओं के प्रति ‘सीधा संवाद’ माना जा रहा है।

नीतीश का कार्ड कितना कारगर?

भाजपा-जदयू गठबंधन मुस्लिम समाज के उस तबके को साधने में जुटा है जो अक्सर मुख्यधारा से कटे रहे — पसमांदा मुस्लिम। आंकड़े बताते हैं कि राज्य के मुस्लिम समुदाय में 10% पसमांदा, 3% पिछड़े और 4% अशराफ शामिल हैं। नीतीश कुमार की पार्टी वक्फ बोर्ड के नए कानून को पसमांदा मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व देने वाला कदम बता रही है। लेकिन इस नीति को लेकर जदयू में ही विरोध के सुर हैं। पार्टी छोड़ने वाले कई मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि यह कानून दिखावटी है और इसका कोई जमीनी असर नहीं होगा। 2020 में जदयू के 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में कोई भी नहीं जीत सका।

महागठबंधन में ओवैसी की एंट्री क्यों रोक रहे तेजस्वी?

असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल में AIMIM के प्रभाव को विस्तार देना चाहते हैं, लेकिन तेजस्वी यादव उन्हें गठबंधन में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि ओवैसी अब सीधे राजद पर हमला कर रहे हैं — राजद में मुस्लिमों की भूमिका सिर्फ चादर बिछाने तक सीमित है। उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी नहीं दी जाती। ओवैसी का यह तेवर अगर सीमांचल के मुस्लिम मतदाताओं को दोबारा अपनी ओर खींच लेता है, तो महागठबंधन को नुकसान और एनडीए को लाभ हो सकता है। दूसरी ओर, भाजपा को उम्मीद है कि अगर महागठबंधन मुस्लिम तुष्टिकरण की राह पर ज्यादा चला, तो हिन्दू मतदाताओं में ‘काउंटर पोलराइजेशन’ बढ़ेगा, जिससे उन्हें स्पष्ट बढ़त मिलेगी।

क्या फिर से चलेगा M+Y फॉर्मूला?

बिहार में यादव और मुस्लिम वोटर्स मिलकर लगभग 32% वोटर बेस बनाते हैं। यही समीकरण 2015 और 2020 में महागठबंधन की ताकत रहा है। तेजस्वी यादव को भरोसा है कि यह सामाजिक समीकरण अब भी उनकी सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन चिंता यह है कि वह गैर-MY मतदाताओं को अभी तक पूरी तरह जोड़ नहीं पाए हैं। उधर, ओवैसी का सीमांचल में प्रभाव और एनडीए की पसमांदा रणनीति इस समीकरण को ‘डाइल्यूट’ कर सकती है। यही कारण है कि 2025 का चुनाव M+Y समीकरण की अंतिम परीक्षा भी साबित हो सकता है।      Bihar Assembly Election 2025

रेहड़ी-पटरी वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, सिर्फ आधार कार्ड से मिलेगा ₹80,000 तक लोन

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रेहड़ी-पटरी वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, सिर्फ आधार कार्ड से मिलेगा ₹80,000 तक लोन

Loan without guarantee
Government New Scheme
locationभारत
userचेतना मंच
calendar03 Jul 2025 07:21 PM
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Government New Scheme : अगर आप सड़क किनारे ठेला लगाते हैं, सब्जी बेचते हैं या छोटा-मोटा कारोबार शुरू करना चाहते हैं लेकिन पैसों की कमी रोड़ा बन रही है तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है। भारत सरकार की प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना (PM SVANidhi Yojana) के तहत अब आप सिर्फ आधार कार्ड के जरिए बिना किसी गारंटी के ₹80,000 तक का लोन पा सकते हैं।

क्या है प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना?

यह योजना 1 जून 2020 को कोरोना महामारी के दौरान शुरू की गई थी। जिसका मकसद था रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे व्यापारियों को आर्थिक सहारा देना। इसका खास फायदा ये है कि इसमें कोई गारंटी नहीं देनी पड़ती और लोन की प्रक्रिया बेहद सरल है।

कैसे मिलता है ₹80,000 तक का लोन?

यह लोन एकसाथ नहीं बल्कि तीन चरणों में दिया जाता है। पहला चरण: ₹10,000 का शुरुआती लोन। दूसरा चरण: पहला लोन समय पर चुकाने पर ₹20,000 का अगला लोन। तीसरा चरण: दूसरा लोन भी चुकाने पर ₹50,000 का बड़ा लोन। इस तरह कुल ₹80,000 तक का कर्ज मिल सकता है वह भी बिना किसी गारंटी के। लोन चुकाने के लिए 12 महीने की किश्त योजना (EMI) मिलती है। इतना ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 35% और शहरी क्षेत्रों में 25% तक की सब्सिडी भी दी जाती है। अगर आप डिजिटल पेमेंट करते हैं, तो सरकार की तरफ से कैशबैक का भी लाभ मिल सकता है।

कौन ले सकता है इस योजना का लाभ?

सब्जी/फल विक्रेता। फास्ट फूड स्टॉल चलाने वाले। चाय-नाश्ता बेचने वाले। छोटे दुकानदार या फुटपाथ व्यापारी। भारत के नागरिक जिनके पास आधार कार्ड है और वह मोबाइल नंबर से लिंक है।

आवेदन कैसे करें?

ऑनलाइन वेबसाइट https://pmsvanidhi.mohua.gov.in/ पर जाएं। आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और व्यवसाय की जानकारी भरें। OTP के जरिए ई-केवाईसी करें।

ऑफलाइन प्रक्रिया

नजदीकी सरकारी बैंक या CSC सेंटर पर जाएं। फॉर्म भरें और आधार कार्ड, बैंक डिटेल और जरूरी दस्तावेज दें। आवेदन की जांच के बाद लोन पास किया जाएगा।

किन दस्तावेजों की जरूरत है?

आधार कार्ड (मोबाइल से लिंक होना जरूरी)। बैंक खाता। व्यवसाय की जानकारी (अगर हो)। कुछ मामलों में पैन कार्ड या अन्य KYC दस्तावेज भी मांगे जा सकते हैं। Government New Scheme

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