बीज बोने से पहले करें ये एक काम, फसल देगी डबल मुनाफा

Seeds
Agriculture Tips
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 02:37 PM
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Agriculture Tips : जैसे ही मानसून की पहली बारिश धरती पर पड़ती है किसान खेतों की तैयारी में जुट जाते हैं, लेकिन क्या केवल खेत जोत देना और बीज बो देना ही पर्याप्त है? बिलकुल नहीं। अगर आप चाहते हैं कि आपके खेत में सोना उगे तो बीज बोने से पहले बीजोपचार जरूर करें।

बीजोपचार क्यों है जरूरी?

कई बार किसान बिना बीज उपचार किए ही बोवाई कर देते हैं, जिससे बीजों में छिपे रोग खेत में फैल जाते हैं और फसल की पैदावार घट जाती है। बीज से फैलने वाले रोग जैसे-जड़ गलन, तना गलन, झुलसा, कंडुआ, अंगमारी, दीमक ये रोग बाद में फसल को तबाह कर देते हैं जिनका इलाज मुश्किल और महंगा होता है। इसलिए बोवाई से पहले ही बीजों को सुरक्षित करना अनिवार्य है।

बीजोपचार कैसे करें?

रासायनिक उपचार-कार्बेन्डाजिम, मेनकोजेब, थायरम या कार्बॉक्सिन जैसी दवाएं 2–3 ग्राम दवा प्रति किलो बीज में मिलाएं। उपचार के बाद बीजों को छांव में सुखाएं ताकि दवा अच्छी तरह चिपक जाए। जैविक उपचार- Trichoderma, Azotobacter, Rhizobium, PSB आदि का इस्तेमाल करें। इन्हें गुड़ और पानी के घोल में मिलाकर बीजों को भिगोया जाए। याद रखें गुड़-पानी का घोल ठंडा होना चाहिए

बीजोपचार की विधियां

घड़ा विधि: बीजों को दवा के साथ घड़े या टब में डालकर अच्छी तरह हिलाएं। ड्रेसर विधि: बीज ड्रेसिंग मशीन से उपचार करें। बाजरे में खास उपाय: अरगट और चेपा रोग से बचाव के लिए 2% नमक घोल में बीज भिगोना बेहद लाभकारी है। बीजोपचार बोआई से 8-10 घंटे पहले करें ताकि बीजों पर दवा अच्छे से असर कर सके।

क्या मिलेगा फायदा?

  • रोगों से सुरक्षा।
  • मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी।
  • बीजों की अंकुरण दर बढ़ेगी।
  • उत्पादन में 15-30% तक वृद्धि हो सकती है।
  • मेहनत का पूरा फल मिलेगा।

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अब दुर्लभ रक्त की तलाश नहीं बनेगी चुनौती, ICMR ने लॉन्च की राष्ट्रीय रजिस्ट्री

अब दुर्लभ रक्त की तलाश नहीं बनेगी चुनौती, ICMR ने लॉन्च की राष्ट्रीय रजिस्ट्री
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 12:57 AM
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Rare Blood Donor Registry :  भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के तहत एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत देश को पहली बार राष्ट्रीय स्तर की "रेयर ब्लड डोनर रजिस्ट्री" प्राप्त हुई है। यह रजिस्ट्री न केवल थैलेसीमिया और सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लाखों मरीजों के लिए राहत की किरण है, बल्कि रक्तदान और ब्लड बैंक प्रबंधन के क्षेत्र में भारत के तकनीकी सशक्तिकरण की नई इबारत भी है।

मुंबई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी (NIIH) द्वारा तैयार की गई यह डिजिटल रजिस्ट्री दुर्लभ रक्त समूहों वाले दाताओं का एक संगठित और वैज्ञानिक डाटाबेस है, जिसे अब भारत सरकार के ई-रक्तकोष प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है। इसका लक्ष्य है—ऐसे रक्तदाताओं की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करना, जो अब तक पारंपरिक ब्लड बैंकिंग प्रणाली में गुमनाम रह जाते थे।

क्यों थी यह रजिस्ट्री समय की मांग?

डॉ. मनीषा मडकेकर, निदेशक—ICMR के नागपुर स्थित सेंटर फॉर रिसर्च मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज़ (CRMH), बताती हैं कि भारत में करीब 1 से 1.5 लाख थैलेसीमिया मरीज नियमित रक्त पर निर्भर हैं। देश में हर दिन 1200 से अधिक सड़क हादसे, छह करोड़ सर्जरी और 33 करोड़ कैंसर संबंधित उपचार ऐसे हैं, जिनमें रक्त की आवश्यकता होती है। ऐसे में दुर्लभ रक्त समूह वाले मरीजों के लिए खून की अनुपलब्धता कभी-कभी मृत्यु तुल्य संकट बन जाती थी।

अब तक क्या थी समस्या?

अधिकांश ब्लड बैंक केवल ABO और RhD ब्लड ग्रुप तक सीमित मिलान करते हैं, जबकि इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT) ने 360 से अधिक रक्त एंटीजन की पहचान की है। इन एंटीजनों के असंगत मिलान के कारण कई बार मरीज के शरीर में एलोइम्युनाइजेशन की प्रतिक्रिया होती है, जिससे इलाज और जटिल हो जाता है।

कैसे बना यह राष्ट्रव्यापी डाटाबेस?

2019 में ICMR-NIIH ने चार प्रमुख चिकित्सा संस्थानों—केईएम (मुंबई), PGIMER (चंडीगढ़), MCH (कोलकाता) और JIPMER (पुडुचेरी)—के सहयोग से 4000 नियमित 'O' समूह रक्तदाताओं का विस्तृत अध्ययन शुरू किया। इस पहल से 600 से अधिक दाताओं में दुर्लभ एंटीजन की पहचान हुई, जिनमें 250 अति दुर्लभ रक्त समूह तथा 170 बॉम्बे ब्लड ग्रुप दाताओं की पुष्टि हुई—जो कि भारत में सर्वाधिक मांग वाला दुर्लभ रक्त समूह है।    Rare Blood Donor Registry

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विशाखापट्टनम बना योग का वैश्विक केंद्र, आंध्र ने तोड़े दो वर्ल्ड रिकॉर्ड

International Yoga Day 3
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:35 AM
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International Yoga Day :  विशाखापट्टनम के आरके बीच पर आयोजित भव्य समारोह में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को ऐलान किया कि राज्य ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दो विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं। मुख्यमंत्री ने इसे “ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण” करार दिया। उन्होंने बताया कि योग अभ्यास में एक साथ शामिल होकर करीब 3.03 लाख लोगों ने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है। हालांकि, प्रतिभागियों की सटीक संख्या की पुष्टि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम द्वारा की जाएगी। दूसरा रिकॉर्ड आदिवासी विद्यार्थियों ने बनाया—जहां 22,122 छात्रों ने 108 बार सूर्य नमस्कार कर 108 मिनट में एक नया मानक स्थापित किया।

2.45 करोड़ से अधिक पंजीकरण

नायडू ने जानकारी दी कि सरकार को योग दिवस के लिए 2 करोड़ पंजीकरण की उम्मीद थी, लेकिन लोगों की सहभागिता इससे कहीं आगे निकली और यह संख्या 2.45 करोड़ के पार पहुंच गई। उन्होंने कहा, “यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन बन चुका है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायडू सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने आरके बीच पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में भाग लिया।

मुख्यमंत्री ने योग को दुनिया भर में पहचान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष रूप से आभार जताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने योग को वैश्विक स्वास्थ्य अभियान में बदल दिया है। आज यह 175 देशों में, 12 लाख से अधिक स्थानों पर और 10 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा मनाया जा रहा है।

‘योग सुपर लीग’ की घोषणा

मुख्यमंत्री नायडू ने सितंबर से 'योग सुपर लीग' शुरू करने की भी घोषणा की। उन्होंने पीएम मोदी से अनुरोध किया कि योग को एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और ओलंपिक में शामिल कराने के लिए प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा, अगर कोई इतिहास बना सकता है, तो वो सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं। और अगर कोई रिकॉर्ड तोड़ सकता है, तो वो भी वही हैं।    International Yoga Day

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