Ind Vs WI: भारत ने वेस्टइंडीज को 2 विकेट से हराया, दूसरा मैच जीतकर सीरीज पर किया कब्ज़ा

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calendar02 Dec 2025 04:57 AM
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टीम ंमडिया ने दूसरे वनडे मैच (Ind Vs WI) में वेस्टइंडीज को 2 विकेट से हरा दिया। इसके साथ ही भारत ने तीन मैचों की सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त हासिल कर ली है। यह वनडे क्रिकेट में भारत की वेस्टइंडीज पर लगातार 12वीं सीरीज जीत है। इसके साथ ही टीम इंडिया ने किसी एक टीम को लगातार सबसे ज्यादा सीरीज में हराने का वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। पिछला रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम था। पाकिस्तानी टीम ने जिम्बाब्वे को लगातार 11 वनडे सीरीज में हराया है। मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए कैरेबियाई टीम ने 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 311 रन बनाए। करियर का 100वां वनडे खेल रहे शाई होप ने 115 रनों की पारी खेली। कप्तान निकोलस (Ind Vs WI) पूरन ने 74 रन बनाए। भारत की ओर से शार्दूल ठाकुर ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लिए, जवाब में टीम इंडिया ने 49.4 ओवर में 8 विकेट खोकर टारगेट हासिल कर लिया। भारत की ओर से अक्षर पटेल ने सबसे ज्यादा 64 रन बनाए। वहीं, श्रेयस अय्यर के बल्ले से 63 रन निकले। संजू सैमसन ने अपने वनडे करियर की पहली फिफ्टी लगाई। उन्होंने 54 रन की पारी खेली। टीम इंडिया का टॉप ऑर्डर रहा फ्लॉप पहले वनडे में अपने बल्ले से शानदार 97 रनों की पारी खेलने वाले शिखर धवन दूसरे वनडे में कुछ खास नहीं कर पाए। उन्होंने 31 गेंद का सामना किया और सिर्फ 13 रन बनाए। उनके बल्ले से एक भी चौका या छक्का नहीं निकला। वहीं, उनके जोड़ीदार शुभमन गिल 43 रन बनाकर पवेलियन लौटे। गिल ने काइल मेयर्स की गेंद पर बहुत ही खराब शॉट खेला और उन्हें ही कैच दे बैठे। नंबर-4 पर बल्लेबाजी करने आए सूर्य कुमार यादव भी कुछ खास नहीं कर पाए और 8 गेंद में 9 रन बनाकर आउट हो गए। उनका भी विकेट मेयर्स ने ही लिया।    
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Neeraj Chopra : यहां जाने नीरज के संघर्ष की पूरी कहानी

Neerag chopra
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calendar29 Nov 2025 07:15 AM
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Neeraj Chopra : ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने एक बार फिर से देश का नाम रौशन कर दिया है। उन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में इतिहास रच दिया है। नीरज ने अमेरिका के यूजीन में हुई चैंपियनशिप के फाइनल में 88.13 मीटर दूर भाला फेंकते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया। यह नीरज चोपड़ा के करियर का तीसरा सर्वश्रेष्ठ थ्रो है।

Neeraj Chopra

पिछले साल खेले गए टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। फाइनल में उन्होंने 87.58 मीटर जेवलिन थ्रो कर गोल्ड जीता था। एथलेटिक्स में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज पहले एथलीट बने थे। इससे पहले पूल ए के क्वालिफिकेशन में 86.65 मीटर थ्रो कर पहले नंबर पर रहे थे।

टोक्यो में मेडल जीतने के बाद एक के बाद चैंपियनशिप में उन्होंने कमाल का खेल दिखाया। हालांकि, नीरज के लिए इस मुकाम तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं था। आइए जानते हैं, उनके संघर्ष की कहानी...

अपने बचपन में नीरज चोपड़ा बहुत मोटे थे। केवल 13 साल की उम्र में ही उनका वजन करीब 80 किलो था। जिसके कारण गांव के दूसरे बच्चे उनका काफी मजाक बनाते थे, उनके मोटापे से परिवार वाले भी बहुत परेशान थे। इसलिए उनके चाचा भीम चोपड़ा ने नीरज को दौड़ने के लिए स्टेडियम लेकर जाना शुरू किया। एक बार स्टेडियम में कुछ बच्चे जेवलिन कर रहे थे। नीरज वहां खड़े होकर देखने लगे, तभी मैदान पर मौजूद कोच ने उनसे कहा कि आओ जेवलिन फेंको.. नीरज ने जेवलिन फेंका, तो वह काफी दूर जाकर गिरा। इसके बाद कोच ने उनसे रेगुलर ट्रेनिंग पर आने को कहा। कुछ दिनों तक नीरज ने पानीपत स्टेडियम में ट्रेनिंग की, फिर पंचकूला चले गए और वहां ट्रेनिंग करने लगे।

नीरज चोपड़ा एक ही छत के नीचे रहने वाले 19 सदस्यीय परिवार में चचेरे भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। ऐसे में वह परिवार के लाडले हैं। नीरज के बचपन में उनके परिवार की हालत ठीक नहीं थी। उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि नीरज को 1.5 लाख रुपये का जेवलिन दिला सकें। पिता सतीश चोपड़ा और चाचा भीम ने दिन रात एक कर 7,000 रुपये जोड़े और उन्हें प्रैक्टिस के लिए जेवलिन लाकर दिया।

एक समय ऐसा भी आया जब नीरज के पास कोई कोच नहीं था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वो यूट्यूब को ही अपना गुरु मानकर भाला फेंकने की बारीकियां सीखते थे। इसके बाद मैदान पर जाकर अभ्यास करते। वीडियो देखकर उन्होंने अपनी कई कमियों को दूर किया। यूट्यूब वीडियोज से टिप्स लेकर नीरज ने अपने खेल को बेहतर बनाया बल्कि आगे चलकर देश का नाम भी रौशन किया।

2016 में पोलैंड में हुए जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के अंडर-20 वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपनी झोली में डाला था। हालांकि, इसके बाद भी वह रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाए थे। वर्ल्ड रिकॉर्ड के बाद सेना ने नीरज को जूनियर कमीशंड ऑफिसर की पोस्ट दोकर उन्हें नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया। उसके बाद मानो उन्होंने रफ्तार पकड़ ली। 2018 एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता।

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Greater Noida की बबीता नागर ने 'वर्ल्ड पुलिस एन्ड फायर गेम्स' में जीता स्वर्ण पदक, नीदरलैंड में हुआ इसका आयोजन

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calendar02 Dec 2025 04:41 AM
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Greater Noida- ग्रेटर नोएडा की बेटी बबिता नागर (Babita Nagar) ने गोल्ड मेडल जीतकर पूरे विश्व में देश का नाम किया रोशन। बबीता एक रेसलर है। नीदरलैंड के रोटरडैम शहर में 22 जुलाई से आयोजित हुए अंतर्राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने गई बबीता ने 'वर्ल्ड पुलिस एन्ड फायर गेम्स' में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है।

दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं बबिता-

ग्रेटर नोएडा के सादुल्लापुर गांव की निवासी बबीता, दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। पुलिस की नौकरी करते हुए ये रेसलिंग भी करती है। इसके साथ ही बबीता नागर ग्रेटर (Babita Nagar) नोएडा में महिला पहलवानों के लिए एक अखाड़ा भी चलाती हैं। लंबे समय से चल रहे इस अखाड़े में बड़ी संख्या में लड़कियां ट्रेनिंग ले रही हैं। सबसे खास बात यह है कि इस अखाड़े से ट्रेनिंग लेकर 100 से भी अधिक लड़कियां दिल्ली व यूपी पुलिस में नौकरी पा चुकी है।

साल 1999 में शुरू की थी कुश्ती -

बबिता नागर ने (Babita Nagar) साल 1999 में कुश्ती लड़ना शुरू किया था। ये कॉमनवेल्थ गेम में सिल्वर मेडल भी जीत चुकी है। साल 1999 से लेकर अब तक ये स्टेट, नेशनल व इंटरनेशनल लेवल पर 30 से भी अधिक कुश्ती मैच में हिस्सा ले चुकी है। दिल्ली पुलिस में नौकरी भी इन्हें स्पोर्ट्स कोटे के तहत ही मिली है। दिल्ली पुलिस में नौकरी मिलने के बाद उन्होंने साल 2001 में अपने अखाड़े की शुरुआत की।

कभी हुआ था इनका विरोध अब महसूस कर रहे सब गौरवान्वित -

साल 2001 में जब बबिता नागर (Babita Nagar) ने ग्रेटर नोएडा में अपने अखाड़े की शुरुआत की तो इनके गांव सादुल्लापुर के निवासियों ने इनका काफी विरोध किया था। हालांकि अपने माता-पिता के सपोर्ट से ये अपना अखाड़ा चलाने में सफल हुई। लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए इन्होंने अपने अखाड़े में फ्री ट्रेनिंग देना शुरू किया। इनके अखाड़े में ट्रेनिंग पाकर आज 100 से भी अधिक लड़कियां दिल्ली व यूपी पुलिस में नौकरी पा चुकी है।
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जिन गांववासियों ने बबीता का विरोध किया था, आज वही लोग इनके स्वर्ण पदक जीतने पर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इनकी स्वर्ण पदक जीतने पर इनके गांव में खुशहाली का माहौल है।