UP NEWS: पुलिस कमिश्नरी लिटमस टेस्ट

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Jan 2023 09:11 PM
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UP NEWS: उत्तर प्रदेश। कहते हैं राजा तो राजा ही होता है लेकिन, जब उसकी मिल्कीयत कम होती है तो उसकी हैसियत भी कम हो जाती है। ताकत भी कम होता है। फौज भी कम हो जाती है। मसलन, अधिकार भी सीमित दायरे में आ जाते हैं। यही हाल हुआ है वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक IG का। पहले और अब भी कई जगहों पर IG कई जिलों के शहशांह होते थे और हैं। लेकिन, अब उनका दायरा एक जनपद तक ही सिकुड़ कर रह गया है। चूंकि, पुलिस कमिश्नरी सरकार व शासन की महत्वाकांक्षी योजना है इसलिए।

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इसलिए सौंपे गए दायित्व का न तो IG मुखर विरोध कर पा रहे हैं और न ही समर्थन। हां, कई जिलों का अधिकार छीन कर मात्र एक ​जनपद का कमिश्नर POLICE COMMISSIONER बना दिये जाने से उनमें घुटन जरूर है। कारण, उनकी हैसियत पुलिस उपमहानिरीक्षक DIG से भी नीचे मसलन, जनपद के पुलिस कप्तान तक ही सिमट कर रह गयी है। न तो इनका अलग से कोई दफ्तर है और न ही कोई आवास। पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER ये सब चीजें पुलिस कप्तान का ही यूज कर रहे हैं। [caption id="attachment_62311" align="alignnone" width="300"]UP NEWS UP NEWS[/caption] चूंकि, सत्ता व सर्विस से ऐसे बंधे हैं कि जुबान खोल नहीं सकते। केवल एक चीज व एक नाम उनको मिला है और वह है पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER। पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER नाम तो सुनने में जरूर भारी भरकम है लेकिन, केवल और केवल एक जिले तक। जैसे दिल्ली और मुंबई में पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER का दायरा काफी बड़ा है। उनकी अहमियत भी है। दिल्ली का पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER पूरे दिल्ली प्रदेश का है। वैसे ही मुंबई एक बहुत बड़ा इकोनॉमी कैपिटल है और उस कैपिटल का पुलिस कमिश्नर होना शॉन की बात है। लेकिन, दिल्ली व मुंबई की नकल करके उसे उत्तर प्रदेश के ​जनपदों में लागू करना सफलता की परवान नहीं चढ़ पा रहा है। हां, यही पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER उत्तर प्रदेश में अकेला होता है बड़ी बात होती। उसका अलग प्रभाव होता। बता दें, पुलिस कमिश्नरी की पहल तो अभी प्रदेश के केवल सात जनपदों गौतमबुद्वनगर, गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी में बतौर लिटमस टेस्ट है। वरिष्ठतम आईपीएस IPS अफसर पुलिस महानिरीक्षकों को पुलिस कमिश्नर POLICE COMMISSIONER बनाकर एक जिले का इंचार्ज बना दिया गया है। पुलिस कमिश्नरी बनने के बाद अपराध पर लगाम लगा हो ऐसा नहीं दिखता। बल्कि, अपराध का ग्राफ बढ़ा ही है। कारण, इन अधिकारियों का मनोबल टूटा है। सर्वविदित है, जिले का पुलिस इंचार्ज पुलिस कप्तान यानि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक SSP होता है अथवा छोटा जिला है तो वहां पर पुलिस अधीक्षक SP को भी बतौर कप्तानी दी जाती है। उसके ऊपर होते हैं पुलिस उप महानिरीक्षक DIG जो कई जिलों मसलन, एक मंडल जिसमें कई जिले होते हैं के अधिकारी इंचार्ज होते हैं। उनके अंदर कई पुलिस कप्तान होेते हैं। इसके बाद नंबर आता है पुलिस महानिरीक्षक IG का। ये कई मंडलों के इंचार्ज होते हैं। यानि कई पुलिस उप महानिक्षक DIG उनके अंदर काम करते हैं। कुल मिलाकर करीब IG कम से कम दस जिलों का इंचार्ज होता है। उसका तब अलग रूतबा होता है। लेकिन, पदनाम कमिश्नर POLICE COMMISSIONER पाकर वह अब एक ही जिले तक सिकुड़ कर रह गया है। अगर सूत्रों पर भरोसा करें तो यूपी में पुलिस कमिश्नरी फेलियर साबित हो रहा है। इसलिए इस लिटमस टेस्ट को सरकार वापस भी ले सकती है। लिटमस टेस्ट इसलिए कि यदि यह फेल साबित हुआ तो निर्णय वापस हो जाता है। सफल रहने पर जारी भी रख सकते हैं।

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MP Jagdambika Pal: और जब भाजपा सांसद जगदंबिका पाल के सामने आ गया ये जानवर, हुआ ये हाल

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calendar26 Jan 2023 07:53 PM
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MP Jagdambika Pal: बस्ती (उप्र)। डुमरियागंज से भाजपा सांसद जगदंबिका पाल अपनी कार के सामने अचानक नीलगाय के आ जाने से हुए हादसे में बाल-बाल बच गए।

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पुलिस सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि डुमरियागंज से सांसद जगदंबिका पाल बुधवार देर रात एक कार्यक्रम में शिरकत के लिए गोरखपुर जा रहे थे। रास्ते में बस्ती संतकबीरनगर सीमा पर कांटे चौकी के पास उनका वाहन अचानक सामने आई नीलगाय से टकरा गया। सूत्रों ने बताया कि हादसे के दौरान कार का एयर बैग खुल जाने के कारण सांसद और उनका वाहन चालक बाल-बाल बच गए। उन्होंने बताया कि इस हादसे में सांसद का वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने सांसद और उनके वाहन चालक को एहतियातन अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को सुरक्षित बताया। उन्हें हल्की-फुल्की खरोंच के अलावा कोई खास चोट नहीं आई। सांसद जगदंबिका पाल ने भी बताया कि वह बिल्कुल स्वस्थ हैं। खलीलाबाद के प्रभारी निरीक्षक सर्वेश कुमार राय ने बताया कि पुलिस के सहयोग से सांसद के क्षतिग्रस्त वाहन को राजमार्ग से हटा दिया गया।

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locationभारत
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calendar26 Jan 2023 07:14 PM
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GHAZIABAD HEALTH DOWN : गाजियाबाद । संयुक्त अस्पताल के ​डायलिसि​स सेंटर में कम मशीन होने के कारण मरीज वेटिंग में पहुंच गए हैं। वेटिंग मरीजों की संख्या करीब 160 तक पहुंच गयी है। लिहाजा, अपना इलाज कराने के लिए मरीजों को दिल्ली और गाजियाबाद के ही निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराना पड़ रहा है। हालांकि, सीएमओ ने शासन से पांच मशीनें और बढ़ाने की मांग की है। साथ ही फिलहाल, एक्स्ट्रा शिफ्ट लगाकर मरीजों का इलाज करने के निर्देश सीएमओ ने सेंटर प्रभारी को दिये हैं ताकि वेटिंग खत्म हो और मरीजों को बाहर न जाना पड़े।

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बता दें, संयुक्त अस्पताल में डायलिसिस सेंटर शुरू करने के लिए एक निजी कंपनी डीसीडीसी किडनी केयर को हॉयर किया गया था और शुरूआती तौर पर 6 मशीनों के साथ वर्ष 2018 में इसका श्रीगणेश भी कर दिया गया था। शनै:—शनै: मशीनों की संख्या बढ़ते हुए 15 तक पहुंच गयी है। इनमें से दो मशीने हैपेटाइटिस पॉजिटिव मरीजों के लिए रिजर्व हैं। इन्हीं मशीनों के जरिये मरीजों का इलाज हो रहा है। सेंटर में एक दिन में तीन शिफ्टों में 45 मरीजों का डायलिसिस किया जाता है। फिलहाल सेंटर में 130 मरीजों का डायलिसिस चल रहा है और 160 से ज्यादा मरीज वेटिंग में हैं। वेटिंग मरीजों का इलाज एक्स्ट्रा शिफ्ट लगाकर किया जाए:सीएमओ मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने डायलिसिस सेंटर प्रभारी को पत्र लिखकर कहा है, एक्स्ट्रा शिफ्ट लगाकर वेटिंग खत्म किया जाए। साथ ही वेटिंग में चल रहे मरीजों को जल्द से जल्द डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। इसके लिए चार शिफ्ट भी लगानी पड़े तो लगाई जाएं। किडनी के मरीजों के लिए डायलिसिस जरूरी है और आर्थिक रूप से कमजोर मरीज ही सरकारी स्तर पर डायलिसिस के लिए आते हैं। यदि उन्हें सुविधा नहीं मिलेगी तो उनके जीवन को खतरा हो सकता है।

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