Noida News: नोएडा उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध शहर है। हर कोई नोएडा के विषय में जानना चाहता है। यहां नोएडा के प्रतिदिन के सभी समाचार अखबारों के हवाले से हम समाचार प्रकाशित करते हैं। नोएडा शहर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में 14 फरवरी को क्या खास समाचार प्रकाशित हुए हैं यहां एक साथ पढऩे को मिलेंगे।
Noida News: समाचार अमर उजाला से
अमर उजाला अखबार ने अपने नोएडा संस्करण में मुख्य समाचार “दस दिन पहले अवैध रूप से आए 11 बांग्लादेशी गिरफ्तार, बंगाल व बिहार के किशनगंज के रास्ते पहुंचे, पुलिस और एजेंसियां कर रहीं जांच” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल व बिहार के किशनगंज के रास्ते नोएडा आकर अवैध रूप से रहने वाले 11 बांग्लादेशी नागरिकों को कोतवाली सेक्टर-39 पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनमें से तीन आरोपियों को पुलिस ने बुधवार को पकड़ लिया था। तीनों की निशानदेही पर बृहस्पतिवार को आठ और बांग्लादेशियों को गिरफ्तार कर लिया गया। सभी आरोपियों को देश की सीमा में अवैध रूप से घुसने के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पकड़े गए आरोपियों की पहचान फखरूद्दीन उर्फ रोनी, रिहान, मोहम्मद मौमीन, मोहम्मद कामरूल, मोहम्मद कय्यूम उर्फ रिपोन, रविउल इस्लाम, राशिल, सोहेल राणा, सद्दाम हुसैन, सुजन और राजरहुल सलारपुर गांव में पिछले आठ दस दिनों से 11 बांग्लादेशी नागरिक एक ही कमरे में रह रहे थे। बुधवार रात तीन बांग्लादेशी सद्दाम हुसैन, सुजन और राजरहुल भंगेल में पुलिस को देखकर भाग गए और सलारपुर गांव में सुमित भाटी के घर की छत पर चढ़ गए। सुमित भाटी, उनके परिजन और किराएदारों ने मिलकर तीनों को घेर लिया। पकड़े जाने के डर से तीनों छत से कूद गए और घायल हो गए। इसके बाद तीनों को पकड़ लिया गया। तीनों से जब पुलिस ने पूछताछ की तब पता चला कि सभी बांग्लादेश के रहने वाले हैं। इन तीनों की निशानदेही पर इनके आठ साथियों को पुलिस ने सलारपुर से गिरफ्तार कर लिया। आठों की उम्र 18 से 24 वर्ष के बीच है। इनके पास से छह फर्जी आधार कार्ड और एक फर्जी पैन कार्ड बरामद हुआ। डीसीपी नोएडा रामबदन सिंह का कहना है कि गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिक दस दिन पहले नोएडा आए थे। पश्चिम बंगाल व बिहार के रास्ते नोएडा पहुंचे थे। इस मामले की जांच पुलिस के साथ विभिन्न एजेंसियां भी कर रही हैं।
Noida News:
अमर उजाला अखबार ने अपने नोएडा संस्करण में मुख्य समाचार “खौलती दाल के भगोने में गिरे मासूम की मौत, घर में चल रही थी निकाह की तैयारियां, बन रहा था भोजन” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि बागपुर गांव स्थित निकाह के लिए आए मेहमानों के लिए बनाई जा रही दाल के भगोने में पांच साल का मासूम गिर गया। खौलती दाल के भगोने में गिरने से सूफियान पुत्र शाहिद बुरी तरह झुलस गया। परिजनों ने बच्चे को बिलासपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां से उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया। चार दिन बाद बुधवार देर रात अस्पताल में भर्ती मासूम ने दम तोड़ दिया। बृहस्पतिवार को परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
अलीगढ़ निवासी शाहिद बागपुर गांव स्थित मोदी ईंट भट्टे पर मजदूरी करते हैं। 9 फरवरी की रात शाहिद के साले का निकाह था। घर पर मेहमान आए हुए थे। ईंट भट्टे के पास बने घर के बाहर दिन में मेहमानों के लिए दाल और चावल बन रहे थे। बड़े भगोने में दाल बन रही थी। शाहिद का बेटा सूफियान भी वहीं खेल रहा था। खेलते समय वह अचानक खौलती दाल के भगोने में गिर गया। आसपास मौजूद परिजनों ने दौड़कर उसे बाहर निकाला, लेकिन तब तक वह बुरी तरह झुलस गया। परिजनों ने उसे कस्बे के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां हालत गंभीर होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया। बुधवार देर रात बच्चे ने दम तोड़ दिया। बृहस्पतिवार को पोस्टमार्टम के बाद बच्चे का शव परिजनों को सौंप दिया गया। दनकौर कोतवाली प्रभारी के मुताबिक मामले में परिजनों ने किसी तरह की कार्रवाई से इन्कार किया है।
Hindi News:
अमर उजाला ने 14 फरवरी 2025 के अंक में प्रमुख समाचार “छह लेन का हुआ एक मूर्ति गोल चक्कर, गोल चक्कर के डिजाइन को बदला, दोनों तरफ से 10-10 मीटर किया छोटा” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि ग्रेनो वेस्ट का एक मूर्ति गोल चक्कर चार लेन से छह लेन का हो गया है। तीन माह पहले गोल चक्कर को छोटा करने का काम शुरू किया गया था, जो लगभग पूरा हो गया है। गोल चक्कर को दोनों तरफ से 10-10 मीटर काटा गया है। उस जगह पर डामर की एक परत डाल दी गई है, इसके साथ वाहनों का आवागमन शुरू हो गया है। इससे गोल चक्कर पर लगने वाले जाम से निजात मिली है। हालांकि अभी यू-टर्न का निर्माण कार्य पूरा होना बाकी है। यू-टर्न बनने के बाद प्राधिकरण इस गोल चक्कर को भी बंद करेगा।
ग्रेनो वेस्ट में बढ़ती जाम की समस्या को कम करने के लिए प्राधिकरण ने किसान चौक पर अंडरपास बनाने का काम शुरू कर दिया है। साथ ही शाहबेरी व एक मूर्ति गोल चक्कर के डिजाइन को भी बदला है। दोनों गोल चक्कर का आकार छोटा कर सड़क को चौड़ा किया गया है। शाहबेरी गोल चक्कर को छोटा करने का काम पिछले साल पूरा हो गया था। एक मूर्ति गोल चक्कर को भी छोटा करने का काम शुरू हुआ था, लेकिन पिछले दो माह से काम रुका हुआ था। अब प्राधिकरण ने गोल चक्कर पर डामर से सड़क का निर्माण करा दिया है। अफसरों ने बताया कि अभी एक परत डाली है। दूसरी परत भी जल्द डाल दी
Noida News: समाचार दैनिक जागरण से
दैनिक जागरण के नोएडा संस्करण में 14 फरवरी 2025 का प्रमुख समाचार “हर साल दो लाख नवजात को घेर रहा सीएचडी, वक्त पर पहचानें” शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस समाचार में बताया गया है कि भारत में हर साल करीब दो लाख नवजात जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) से प्रभावित होते हैं। उत्तर भारत में यह रोग एक हजार जन्मे बच्चों में से आठ में मिलता है। इनमें वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट डा. शांतनु सिंघल (वीएसडी) सबसे आम है। सीएचडी जागरूकता सप्ताह पर फोर्टिस अस्पताल ग्रेटर नोएडा के विशेषज्ञों ने इसकी शुरुआती पहचान, मातृ स्वास्थ्य व उन्नत इलाज की महत्ता को रेखांकित कर वक्त पर उपचार व निदान के महत्व पर प्रकाश डाला।
अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा.शांतनु सिंघल ने बताया कि कई जन्मजात हृदय रोग नवजात अवस्था में पहचाने नहीं जाते, क्योंकि इनके लक्षण बहुत मामूली होते हैं। थकान, सांस लेने में कठिनाई, शरीर में सूजन जैसे संकेत अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। नियमित इकोकार्डियोग्राफी व नवजात की स्क्रीनिंग से इनका शीघ्र निदान संभव है। गर्भावस्था में वक्त पर निदान व विशेषज्ञ हृदय केंद्रों में रेफरल से सीएचडी से जुड़ी मृत्युदर व दिव्यांगता दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ प्रमुख कारक नवजातों में सीएचडी के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इनमें धूमपान, शराब का सेवन, हानिकारक रसायनों का संपर्क, अनियंत्रित मधुमेह व फोलिक एसिड की कमी शामिल हैं। वहीं, परिवार में सीएचडी का इतिहास, आनुवांशिक समस्याएं व डाउन सिंड्रोम भी जोखिम बढ़ा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार, नियमित टीकाकरण, मधुमेह जैसी रोगों का प्रबंधन करने, तंबाकू व शराब से परहेज करने और पहली तिमाही के दौरान 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड का सेवन की सलाह दी जाती है।
दैनिक जागरण के 14 फरवरी 2025 के अंक में अगला प्रमुख समाचार “पराली के धुएं से पर्यावरण बचाने को बनाए उत्पाद, विदेश तक धाक, भारत टेक्स एक्सपो में पानीपत की युवा उद्यमी आरुषि ने लगाया स्टाल” शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस समाचार में बताया गया है कि दिल्ली-एनसीआर में अक्टूबर से जनवरी तक प्रदूषण का स्तर चरम सीमा पर पहुंच जाता है। देश के सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली-पर्यावरण संरक्षण एनसीआर के शहर शामिल होते हैं। इसमें पराली का धुआं सबसे बड़ा कारण है। इसी पराली से घरेलू सजावट के उत्पाद बना हरियाणा के पानीपत की युवा उद्यमी आरुषि मित्तल नया संदेश दे रही हैं। इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में हो रहे भारत टेक्स-2025 एक्सपो में आरुषि ने ‘पराली बाई आरुषि’ का स्टाल लगाकर लोगों को पराली के अन्य उपयोग के प्रति जागरूक कर रही हैं। उनके उत्पाद यूनाइटेड किंग्डम, फ्रांस, जर्मनी समेत अन्य यूरोप के देशों में धाक जमा रहे हैं। पर्यावरण के करीब व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते उनके उत्पाद एक्सपो में काफी पसंद किए जा रहे हैं। उनके उत्पादों को हरियाणा प्रदूषण बोर्ड, इटली के मिलान में मटेरियल रिसर्च अवार्ड, इंटरनेशनल काटन एडवाइजरी कमेटी की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है।
पानीपत के प्रदूषण ने बढ़ाई चिंता, तव आया आइडियाः आरुषि मित्तल ने बताया कि हरियाणा का पानीपत टेक्सटाइल हब है। यहीं कपड़ों का उत्पादन होने संग उनका बड़े पैमाने में रिसाइकिल भी किया जाता है। इससे पूरे शहर और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर काफी रहता है। नाले के पानी लाल, नीले व काले रंग के हो गए हैं। पराली जलने के मामले भी काफी रहते हैं। पराली के धूएं से प्रदूषण का स्तर हमेशा अधिक रहता है। इसका बच्चों से लेकर बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। इसे देखकर काफी चिंता होती थी। दिल्ली स्थित एक फैशन इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान पराली से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने का आइडिया आया। इस पर शोध किया। उसी दौरान लंदन स्थित यूनिवर्सिटी आफ आर्ट्स में दाखिला हो गया। यहां शोध कार्य आगे बढ़ाया और पराली से उत्पाद बनाने का संकल्प लिया।
पराली से बने उत्पाद को भी कर रहीं रिसाइकिल आरुषि ने बताया कि एक हजार किलोग्राम पराली जलने से दो हजार किलो कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जित होता है। यानी जितनी पराली जलाएंगे उसका दोगुना प्रदूषण हवा में घुलेगा। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पराली के जलने से कितना प्रदूषण फैलता है। पराली से वह टेबल कवर, होम डेकोर, हाथ से बुने रग्स, टेक्सटाइल, लैंप, बास्केट, दरी, पेपर, मूर्ति बनाती हैं। इन उत्पादों को रिसाइकिल कर टैग्स, पेपर, पैकेजिंग मैटेरियल बनाती हैं। हरियाणा के पानीपत और उसके आसपास के गांवों की करीब 30 महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। डेढ़ वर्ष में 3,300 किलोग्राम पराली से उत्पाद बना चुकी हैं। अब वह घरेलू बाजार में उत्पादों को उतार चुकी हैं। आरुषि ने बताया कि वह पराली के जलने से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्लेटफार्म के जरिये जागरूक भी करती हैं।
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