पंजाब ने चेन्नई को 6 विकेट से दी शिकस्त

PUNJAB 1 1
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calendar30 Nov 2025 11:39 AM
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मुंबई: आईपीएल फेज 2 में गुरुवार को दिन का पहला मुकाबला चेन्नई सुपर किंग्स (CHENNAI SUPER KINGS) और पंजाब किंग्स (PUNJAB KINGS) के बीच हुआ। पंजाब ने आक्रामक खेल दिखाकर मैच 6 विकेट से जीत लिया है। टॉस हारकर बल्लेबाजी करने आई चेन्नई ने 134/6 का स्कोर बनाया। इस 135 रनों के टारगेट को पंजाब ने मात्र 13 ओवर में 6 विकेट से जीत लिया है।

टारगेट (TARGET) का पीछे कर रहे पंजाब के कप्तान केएल राहुल ने शानदार बल्लेबाजी कर 42 गेंदों पर नाबाद 98 रन की शानदार पारी (INNING) खेली। इस पारी में उन्होंने 7 चौके और 8 छक्के लगाया। आईपीएल (IPL) 14 में राहुल के 626 रन बनाए हैं और एक बार फिर से ऑरेंज कैप (ORANGE CAP) उन्होंने हासिल कर ली है।

धोनी का बल्ला फिर से नहीं चला 

आईपीएल (IPL) 2021 में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (DHONI) की फॉर्म से काफी परेशानी हो रही है। धोनी ने इस सीजन में 14 मैच खेल लिए हैं और उनके बल्ले से सिर्फ 96 रन ही निकले हैं। इस मैच में धोनी 12 रन बनाकर आउट हो गए।

रैना को नहीं मिली प्लेइंग 11 में जगह

सुरेश रैना एक बार फिर से प्लेइंग इलेवन से बाहर हो गए हैं। टूर्नामेंट में अभी तक उनका प्रदर्शन भी काफी खराब रहा है। चेन्नई के अधिकतर खिलाड़ी शानदार लय में नजर आ रहे हैं।

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Lakhimpur Kheri : यूपी हरियाणा बार्डर पर गिरफ्तार किए गए नवजोत सिंह सिद्धू

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locationभारत
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calendar30 Nov 2025 03:39 AM
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Lakhimpur Kheri case :  लखीमपुर खीरी जा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू  Navjot Singh Sidhu को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में यूपी हरियाणा बार्डर पर सहारनपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। नवजोत सिंह सिद्धू ने जैसे ही यमुना पार की और हरियाणा बार्डर पर एंट्री की तो वहां पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने बेरिकेडिंग लगा उनके पूरे काफिले को रोक लिया और गिरफ्तार कर लिया। वहीं पहले से मौजूद कांग्रेस जिलाध्यक्ष के नेतृत्व के कार्यकर्ताओं ने गगनभेदी नारों के साथ फूल माला डालकर स्वागत किया। इस दौरान सिद्धू ने कार्यकर्ताओं का अभिवादन करते प्रशासन व सरकार की कार्रवाही की निंदा करते हिटलरशाही बताया।

गुरुवार को करीब 3 बजकर 25 मिनट पर जैसे पुलिस छावनी बने माहौल में यूपी हरियाणा बार्डर पर नवजोत सिंह सिद्धू Navjot Singh Sidhu पहुंचे तो पुलिस ने उनके काफ़िले को रोक लिया और गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने पुलिस प्रशासन से कहा कि या तो उन्हें लखीमपुर खीरी जाने दिया जाए या फिर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। नवजोत सिंह सिद्धू व उनके समर्थकों के साथ पुलिस की घण्टों तक गहमा गहमी चलती रही। इस दौरान कार्यकर्ता भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। सिद्धू के समर्थकों ने पुलिस द्वारा लगाई गई बेरिकेडिंग को तोड़ते आगे बढ़ने की कोशिश भी की तो पुलिस ने हल्का बल भी प्रयोग किया। लेकिन सिद्धू व उनके समर्थक लगातार लखीमपुर जाने की जिद पर अड़े रहे।

सिंद्धु के समर्थकों ने पुलिस प्रशासन द्वारा लगाई गई बेरिकेडिंग को तोड़कर आगे बढ़ गए। जिसके बाद पुलिस ने दोबारा बेरिकेडिंग कर समर्थकों को रोक लिया। बाद में पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू व उकने करीब एक दर्जन से अधिक मंत्री व विधायकों को गिरफ्तार करते उन्हें बस में बैठा थाने ले आई। बाकी उनके समर्थकों को पुलिस ने शाहजहांपुर पुलिस चौकी पर ही रोके रखा। इस दौरान एडीजी राजीव सबरवाल, डीएम अखिलेश सिंह, एसएसपी डा. एस चनप्पा, एसडीएम नकुड़ देवेन्द्र पाण्डे, थानाध्यक्ष सरसावा धर्मेन्द्र सिंह भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।

कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के आने की खबर से पुलिस प्रशासन पहले से ही अलर्ट नजर आया। सिंद्धु को रिकने के लिए प्रशासन द्वारा 2 कम्पनी पीएसी,6 सीओ,100 कास्टेबल,25 उपनिरीक्षक, एक दर्जन निरीक्षक व इंटेलीजेंस के अधिकारी तैनात रहे।

इनपुट-  कुलदीप कांबोज, सरसावा

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लखीमपुर खीरी की घटना के बाद उठ रहे ये 8 सवाल

Lakhimpur Kheri Incident
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:05 AM
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1. आंदोलन किसे कहते हैं? आंदोलन का मतलब है कि किसी स्थापित सत्ता, व्यवस्था, कानून या कुरीति के खिलाफ संगठिन, सुनियोजित या स्वत: स्फूर्त विरोध। ​इस विरोध का मकसद सत्ता या व्यवस्था में बदलाव या सुधार करना होता है। आंदोलन और क्रांति दो अलग-अलग चीजें हैं। आंदोलन का मकसद सुधार या बदलाव होता है, जबकि किसी व्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंकने और नई व्यवस्था की स्थापना को क्रांति कहते हैं।

जैसे, जाति प्रथा की समाप्ति या विधवा विवाह के लिए होने वाले आंदोलनों का मकसद हिंदू धर्म में सुधार करना था। लेकिन, 1857 के विद्रोह का मकसद अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकना और स्वराज स्थापित करना था।

2. आंदोलन कितने प्रकार के होते हैं? मोटे तौर पर आंदोलन के तीन प्रकार होते हैं: सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक। किसी सामाजिक व्यवस्था का विरोध और उसमें बदलाव की मांग के लिए सामाजिक आंदोलन किए जाते हैं। जैसे जाति प्रथा या दहेज प्रथा का विरोध।

इसी तरह, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए होने वाला आंदोलन, धार्मिक आंदोलन का ताजा उदाहरण है। जब सरकार की किसी नीति, कानून के विरोध या उसमें बदलाव के ​लिए आंदोलन होता है, तो उसे राजनीतिक आंदोलन कहते हैं।

3. आंदोलन दो तरीके से किए जाते हैं फिलहाल, किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद यह सवाल खड़ा किया जा रहा है कि क्या आंदोलन करने का यही तरीका होता है? यह बात सभी जानते हैं कि भारत की आजादी की लड़ाई में दो विचारधाराओं को मानने वाले शामिल थे। एक विचारधारा हिंसा या सशस्त्र विरोध को सही मानती थी। दूसरी विचारधारा अहिंसक विरोध का समर्थन करती थी, जिसके सबसे बड़े पैरोकार महात्मा गांधी थे।

4. क्या अहिंसक आंदोलन सफल नहीं होते? लखीमपुर खीरी की घटना से लगभग नौ महीने पहले 26 जनवरी 2021 को किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकाला था। गणतंत्र दिवस के दिन प्रदर्शनकारियों ने लाल किले की प्राचीर और दिल्ली की सड़कों पर खुलेआम शक्ति प्रदर्शन किया।

पिछले एक दशक के राजनीतिक आंदोलनों में अन्ना हजारे का जनलोकपाल के लिए किया गया आंदोलन सबसे महत्वपूर्ण है। लगभग पांच महीने तक चले इस आंदोलन में अन्ना हजारे ने अनशन को सबसे बड़ा हथियार बनाया और सरकार को झुकने के लिए विवश कर दिया।

5. क्यों लगातार हो रहे हैं आंदोलन? 2019 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आई एनडीए सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (CAA), धारा 370 का उन्मूलन सहित तीन नए कृषि कानून बनाए। इन कानूनों से बहुत से लोग असहमत थे। लोकतांत्रिक देश में विरोध करना और आंदोलन करना आम बात है।

किसान आंदोलन के दौरान सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच 13 दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। तीनों नए कानूनों को समाप्त करने के अलावा किसान संगठन किसी और रास्ते या समाधान के लिए तैयार नहीं हैं।

6. आंदोलन के इन तरीकों पर उठ रहे सवाल कृषि कानूनों और सीएए के विरोध के दौरान दिल्ली सहित देश के अन्य शहरों में मुख्य सड़कों और हाईवे पर प्रदर्शन किया गया। दिल्ली की सड़कों सहित लाल किले की प्राचीर पर एक विशेष संगठन का झंडा फहराया गया। इस तरह सीएए के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान भी गोलीबारी की कई घटनाएं हुईं। साथ ही, आंदालनकारियों ने सड़कों और नेशनल हाईवे को लंबे समय तक ब्लॉक रखा।

आंदोलन और प्रदर्शन के इस तरीके को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना गुस्सा जाहिर कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतर-राज्यीय सड़कों और नेशनल हाइवे को बंद किए जाने और उससे आम नागरिकों को होने वाली परेशानी पर चिंता जाहिर की है।

7. इन वजहों से उठ रहे सवाल सरकार या कानून के खिलाफ प्रदर्शन या आंदोलन के दौरान क्या आम नागरिकों को होने वाली परेशानी और उनके नुकसान को नजर अंदाज करना सही है? शाहीन बाग में चले आंदोलन के कारण हाइवे के ब्लॉक होने के अलावा, स्थानीय दुकानदारों को भारी नुकसान हुआ। कई दुकानें और वहां काम करने वालों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया।

किसी भी आंदोलन का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना होता है, ताकि सरकार और व्यवस्था पर दबाव बनाया जा सके। आंदोलनकारी हों या सरकारें, अगर उनकी कार्यवाई से आम जन-जीवन प्रभावित होता है, तो उस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। चाहे, धारा 370 उन्मूलन के नाम पर जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा को लंबे समय तक बंद करना हो या किसी कानून के विरोध में नेशनल हाईवे और सड़कों को बंद करना।

8. सरकार हो या आंदोलनकारी, ये सवाल तो उठेंगे सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बाधित होने पर इसे मूल-अधिकारों का हनन माना था। इसी तरह हाईवे या सड़कों को लंबे समय तक बंद रखने को भी न्यायालय ने सही नहीं माना है।

हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गतिरोध को समाप्त करने में सरकार की भी भूमिका होती है। लोकतांत्रिक देशों में व्यापक जन-आंदोलन सत्ता परिवर्तन की नींव तैयार करते रहे हैं। जेपी आंदोलन के बाद इंदिरा सरकार या अन्ना आंदोलन के बाद मनमोहन सरकार का जाना यह साबित करता है कि आंदोलन को हल्के में लेने वाली सरकारों का क्या अंजाम होता है। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि आंदोलन के नाम पर होने वाली किसी भी कार्यवाई को सही मान लिया जाए या उस पर सवाल न खड़ा किया जाए।

- संजीव श्रीवास्तव