नि:संकोच : मरने का शौक हो, तो तम्बाकू का सेवन करें!

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calendar29 Nov 2025 05:52 PM
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 विनय संकोची

संस्कृत में तमाल पत्र हिंदी में तंबाकू, बंगाली में तामाक या तमाकू, मराठी में तम्बाखु कहलाने वाला कमबख्त तम्बाकू हर साल न जाने कितने लोगों की जान ले लेता है। तम्बाकू की वजह से प्रत्येक 8 सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तम्बाकू के सेवन से पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष करीब 55 लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। अकेले भारत में 10 लाख लोग तम्बाकू के कारण असमय मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। लगभग 25 करोड़ लोग गुटखा, सिगरेट, बीड़ी तथा तम्बाकू के अन्य उत्पादों का सेवन करते हैं और 5 हजार से अधिक किशोर प्रतिदिन तम्बाकू का सेवन शुरू कर देते हैं।

भारत की सबसे घनी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 15 वर्ष से कम आयु के करीब 3 लाख ग्रामीण इलाकों के तथा 25 हजार शहरी क्षेत्रों के बच्चे ऐसे हैं, जो तम्बाकू या गुटखा के पूरी तरह आदि हो चुके हैं। तम्बाकू के लती इन बच्चों और युवाओं में एक लाख से ज्यादा तम्बाकू  सेवन के चलते प्रतिवर्ष मौत को गले लगा लेते हैं।

ग्रामीण या गरीब तबके के जुड़े बच्चे ही पान मसाले की लत के आदी नहीं हो रहे हैं बल्कि अभिजात्य वर्ग के बच्चे भी उसकी चपेट में आ रहे हैं। भारत में 57 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाओं को कैंसर तम्बाकू के कारण होता है। विश्व में मुंह के कैंसर के सबसे अधिक रोगी भारत में है, जिसका मुख्य कारण तम्बाकू है। भारत में स्वास्थ्य एवं फेफड़ों की बीमारी के 85% मामले धूम्रपान के कारण होते हैं।

तम्बाकू अप्रत्यक्ष रूप से फेफड़ों की टीबी को जन्म देता है। धूम्रपान न करने वाले लोगों के बजाय धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में टीबी की संभावना तीन गुना ज्यादा बढ़ जाती है। तम्बाकू के सेवन से मुंह का कैंसर, पेट का कैंसर, गुर्दे का कैंसर, पित्ताशय का कैंसर होता है, जो व्यक्ति को असमय मृत्यु का शिकार बना देता है। तम्बाकू के इस्तेमाल से व्यक्ति की क्रियाशीलता और शारीरिक गठन में कमी आती है। जो गर्भवती महिलाएं धूम्रपान करती हैं, उनमें बच्चे की मृत्यु अथवा बच्चे का वजन कम होने या बच्चे का अधूरा विकास होने की आशंका बनी रहती है।

तम्बाकू खाने या धूम्रपान करने से रक्तचाप बढ़ जाता है जिससे रक्त का हृदय की और बहाव कम हो जाता है। तम्बाकू के इस्तेमाल और धूम्रपान से मधुमेह की संभावना बढ़ जाती है। तम्बाकू रक्त में वांछित कोलोस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है।

तम्बाकू को कभी भी छोड़ा जा सकता है, इसमें फायदा ही है। तम्बाकू त्यागने से कैंसर और हृदय रोग से बचे रह सकते हैं। तम्बाकू छोड़ने से व्यक्तित्व में निखार आता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। तम्बाकू सेवन में व्यय होने वाली राशि किसी अच्छे काम में लगाई जा सकती है। जब भी तम्बाकू सेवन या धूम्रपान की इच्छा हो, तो अपने बच्चों, अपने परिवार और उनके भविष्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सोचें, तंबाकू से आप नफरत करने लगेंगे। यदि तंबाकू सेवन या धूम्रपान की इच्छा हो रही हो, तो इन बातों को अपनाएं - कुछ और करें, गहरी सांस लें, पानी पिएं, वहां चले जाएं जहां आप इनका सेवन नहीं कर सकते हैं, स्वयं से सकारात्मक वार्तालाप करें या फिर संगीत सुनें। तंबाकू किसी का भी मित्र नहीं, घोर शत्रु है। इसे अपने पास न फटकने दें।

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धर्म-अध्यात्म : 'परभाव' स्वभाव नहीं होता!

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calendar04 Dec 2021 05:49 AM
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    विनय संकोची

रूप का शाब्दिक अर्थ है - स्वभाव, प्रकृति, सुंदरता, दशा, रूपा, चांदी, अवस्था, वेश, शरीर, देह, चिन्ह आदि। परंतु अधिकांश मनुष्य रूप को सुंदरता ही मानते हैं और जानते हैं। जबकि रूप का एक मुख्य अर्थ स्वभाव भी है। स्वभाव जो प्रत्येक मनुष्य का भिन्न होता है। स्वभाव जो किसी का अग्नि के समान तो किसी का जल के समान होता है।

वैसे अग्नि के स्वभाव को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि अग्नि के स्वभाव में भेद को कोई स्थान नहीं है। अग्नि का स्वभाव है जलाना, जो कुछ भी उसके संपर्क में आता है, अग्नि उसे जला देती है। हवन की लकड़ियां हो या चिता की अग्नि जलाने में कोई भेद नहीं करती। वह वस्तु-जंतु देखकर अपने स्वभाव में परिवर्तन नहीं करती, अपना रूप नहीं बदलती। रूप का अर्थ 'स्वभाव' से ही है।

इसके विपरीत जल जिस पात्र में रखा जाता है उसी के आकार में स्थापित हो जाता है। लेकिन जल रहे किसी भी आकार-प्रकार में वह भी धरती को सींचने और प्राणियों की प्यास बुझाने के अपने स्वभाव को बदलता नहीं है।  जल अपनी शीतलता को त्यागता नहीं है, अपनी उपकारी प्रवृत्ति को बदलता नहीं है। शायद जल के परोपकारी स्वभाव को देखकर ही उसे जीवन की संज्ञा से विभूषित किया गया है, जल ही जीवन है।

स्वभाव वही है जो किसी भी स्थिति परिस्थिति में परिवर्तित न हो, जो बदल जाए उसे स्वभाव कहा ही नहीं जा सकता है, वह तो परभाव कहलाता है। किसी दूसरे के प्रभाव में आकर अपने भाव, अपने विचार, अपना स्वभाव बदल लेने वाला दृढ़ निश्चयी भी नहीं होता है। ऐसे मनुष्य पर लोग भरोसा नहीं करते हैं, क्योंकि पल-पल रूप यानी स्वभाव बदल लेने वाला बहुरूपिया कहलाता है और बहुरूपिया पर लोग विश्वास नहीं करते हैं, उसे छल करने वाले छलिया के रूप में देखते हैं।

स्वभाव सूर्य सा होना चाहिए जो समस्त संसार को ऊष्मा और प्रकाश देने की आदत कभी नहीं बदलता है। पेड़-पौधों जैसा स्वभाव होना भी उत्तम है और सुगंधित पुष्पों जैसा भी। यदि दृष्टि दौड़ाएं तो पाएंगे कि प्रकृति के कण-कण में परमात्मा ने ऐसे असंख्य तत्वों का समावेश किया है, जो अपना स्वभाव नहीं बदलते हैं।

परमात्मा द्वारा बनाए जीवों में मनुष्य ही ऐसा है, जिसका स्वभाव सबसे ज्यादा परिवर्तनशील है। पल में रत्ती पल में माशा और क्षणे तुष्टा क्षणे रूष्टा वाली उक्तियां मनुष्य मात्र पर ही सटीक बैठती है। शेर किसी भी परिस्थिति में कितना भी भूखा होने पर भी घास नहीं खाता है और जो शाकाहारी पशु है उनमें से कोई भी अपने स्वभाव के विपरीत मांस का सेवन नहीं करता है। परंतु मनुष्य लोभ लालच में अपना स्वभाव बदल लेता है और प्राकृतिक गुणों के विपरीत आचरण करने पर उतारू हो जाता है।

समाज में हमारे बीच ऐसे असंख्य लोग देख पड़ते हैं, जिनका स्वभाव स्थिर नहीं होता है। वैसे सच तो यह है कि विरले लोग भी स्थाई स्वभाव के मालिक होते हैं। विचित्र बात यह है कि समय और परिस्थिति के अनुसार अपने स्वभाव बदल लेने वालों की तुलना में वे लोग कहीं अधिक आलोचना का शिकार होते हैं जो अपने स्वभाव के विरुद्ध कार्य करने से इंकार कर देते हैं।

इन तमाम बातों का अर्थ यह नहीं लगा लेना चाहिए कि स्वभाव में परिवर्तन की कोशिश ही न की जाए। यदि आपका स्वभाव कटु है, तो उसे बदलने में कोई बुराई नहीं है, उसे बदलने का प्रयास करना चाहिए। 'रूप' (स्वभाव) में इतना परिवर्तन तो स्वीकार्य है, जितने परिवर्तन को देखने वाले दूसरे लोग आनंदित हों। रूप को स्वरूप की ओर ले जाने में कोई बुराई नहीं है, बुराई है रूप को कुरूप बनाने में।

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इस हफ्ते कई कंपनियों के शेयर्स में हुआ भारी उछाल, कुछ शेयर में हुई भारी गिरावट

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userचेतना मंच
calendar04 Dec 2021 05:16 AM
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भारतीय शेयर बाजार (SHARE MARKET) हफ्ते के आखरी दिन भी लगातार तेजी के साथ बन्द हो गए। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 765 पॉइंट्स (1.31%) गिर कर 57,696 पर पहुंचने के बाद बन्द हुआ। वहीं इस हफ्ते कंपनी के शेयर्स में उतार चढ़ाव हो रहा था। वहीं नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज का निफ्टी 205 की गिरावट के बाद 17,196 पर पहुंचकर बन्द हो गया।

इस हफ्ते भारतीय कंपनिोयों के शेयर्स को अधिक मुनाफा हुआ। इसमें कई शेयर्स में उतार चढ़ाव हो रहा था। इन शेयर्स में लगातार चढ़ाई तो कभी गिरावट हो रही थी। इस हफ्ते की शुरुआत में थोड़ी गिरावट हुई थी। उसके कुछ समय बाद कंपनियों में काफी उछाल हुआ।

इस हफ्ते कुछ कंपनियों के शेयर को हुआ फायदा

इस हफ्ते भारतीय कंपनियों के शेयर्स में काफी उछाल देखने को मिला है। इसको लेकर निवेशकों ने काफी शेयर्स खरीदा था। जिसके बाद उनको काफी फायदा हुआ है। वहीं पिछले कारोबारी हफ्ते की बात करें तो कोरोना के नए वेरिएंट (VARIANT) की खबर आने के बाद शेयर बाजार में गिरावट होना शुरु हो गई। इंडसइंड बैंक, अल्ट्राटेक, टाटा स्टील, एचडीएफसी, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, बजाज आटो (BAJAJ AUTO), टाटा मोटर्स, अडाणी पोर्ट, एक्सिस बैंक,टाइटन, नेस्ले और इंफोसिस भी बढ़त के साथ बंद हुए। इस हफ्ते के दौरान काफी बढ़त देखी गई है।

कुछ कंपनियों के शेयर निवेशकों को हुआ भारी नुकसान

इस हफ्ते के दौरान कुछ कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सिप्ला, डॉ. रेड्‌डी, अल्ट्राटेक, सन फार्मा, एयरटेल, टाइटन ,कोटक बैंक, बजाज ऑटो, रिलायंस, इंडसइंड बैंक, मारुति के शेयर में अधिक गिरावट हुई है जिससे निवेशकों को काफी नुकसान हो गया है। पिछले दो दिनों से बाजार में काफी तेजी हुई है जिससे निवेशकों को 3.28 लाख करोड़ का फायदा हो चुका है।

इस शेयर में मिल सकता है भारी रिटर्न

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने का मन बना रहे हैं तो ये आपके लिए काफी अहम जानकारी है। अपोलो पाइप्स (APOLLO PIPES) के शेयर से आपको लाखों का फायदा हो सकता है। दिग्गज निवेशक आशीष कचोलिया के पोर्टफोलियो में इन शेरर को शामिल किया गया है। इसके बाद ये शेयर छोटी अवधि के दौरान ही 700 रुपये के लेवल पर पहुंच सकते हैं।