ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस, अमेरिका ने सहायता रोकी

आखिर बैठक में क्या हुआ
बैठक के दौरान ट्रंप ने जेलेंस्की से स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका के समर्थन के बिना यूक्रेन के पास रूस के खिलाफ कोई मजबूत विकल्प नहीं बचेगा। ट्रंप प्रशासन यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों, खासकर खनिजों तक अमेरिका की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता चाहता था, लेकिन जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच गरमागरम बहस हुई, और जेलेंस्की बैठक बीच में छोड़कर चले गए। इस विवाद के कारण दोनों देशों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी रद कर दी गई।अमेरिका की ओर से कड़ा फैसला
बैठक के बाद अमेरिका ने न सिर्फ यूक्रेन को दी जा रही सैन्य और आर्थिक सहायता पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, बल्कि विदेशी सहायता के अन्य कार्यक्रमों को भी रोकने का निर्णय लिया। हालांकि, इजराइल और मिस्र को इस फैसले से छूट दी गई है। इस फैसले का असर न केवल यूक्रेन बल्कि अन्य उन देशों पर भी पड़ेगा, जिन्हें अमेरिका से वित्तीय सहायता मिलती रही है। इस तरह से यूक्रेन के राष्ट्रपति की सख्ती का असर जल्द ही दिखाई देने लगेगा। हालांकि अब जेलेंस्की सहायता के लिए इंगलैंड का मनाने की कोशिश में जुट गए हैं।यूक्रेन पर असर
अमेरिकी मदद पर रोक लगने से यूक्रेन की सैन्य क्षमताएं कमजोर पड़ सकती हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को हथियारों, मिसाइलों और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति जारी रखी थी, जो अब बाधित हो जाएगी। इसके अलावा, अमेरिका ने यूक्रेन की स्टारलिंक इंटरनेट सेवाओं की पहुंच भी बंद करने की धमकी दी है। अगर ऐसा होता है, तो यूक्रेन की सैन्य संचार प्रणाली पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे रूस के खिलाफ उसकी युद्ध रणनीति प्रभावित हो सकती है।यूरोप की प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस फैसले के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या यूरोपीय देश यूक्रेन की मदद जारी रखेंगे? जर्मनी और फ्रांस ने पहले ही यूक्रेन को समर्थन देने की बात कही है, लेकिन अमेरिका जैसी बड़ी सैन्य और आर्थिक सहायता की भरपाई करना यूरोपीय देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जेलेंस्की सहायता प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड रवाना हो गए हैं। देखना है अब युक्रेन अपना युद्ध किस तरह जारी रख पाएगा, क्यों कि उसका सबसे बड़ा सहयोगी सहायता करने वाला अमेरिका ने हर तरह की सहायता पर रोक लगा दी है।रूस को होगा फायदा
अमेरिका की ओर से समर्थन बंद होने के बाद रूस को इस युद्ध में एक रणनीतिक बढ़त मिल सकती है। पुतिन प्रशासन पहले से ही पश्चिमी देशों की मदद को लेकर सवाल उठाता रहा है, और अब अमेरिकी सहायता बंद होने से रूस को आक्रामक रणनीति अपनाने का मौका मिल सकता है। रूस ने अमेरिका के सहायता रोकते ही नए सिरे से आक्रमण की रूपरेखा तैयार करना शुरू कर दिया है, जो जल्द ही सबके सामने आने वाला है।रूस से ठोस सुरक्षा गारंटी के बाद ही जेलेंस्की शांति वार्ता करेंगे
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि वे किसी भी कीमत पर रूस से बिना किसी ठोस सुरक्षा गारंटी के शांति वार्ता नहीं करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका इस फैसले पर दोबारा विचार करेगा या फिर यूरोपीय देश यूक्रेन की मदद के लिए आगे आएंगे। इस घटनाक्रम के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है और पूरी दुनिया इस बात पर नजर गड़ाए हुए है कि आगे क्या होने वाला है।लखनऊ एयरपोर्ट पर आज से कई उड़ाने रहेंगी रद, होगी परेशानी
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आखिर बैठक में क्या हुआ
बैठक के दौरान ट्रंप ने जेलेंस्की से स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका के समर्थन के बिना यूक्रेन के पास रूस के खिलाफ कोई मजबूत विकल्प नहीं बचेगा। ट्रंप प्रशासन यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों, खासकर खनिजों तक अमेरिका की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता चाहता था, लेकिन जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच गरमागरम बहस हुई, और जेलेंस्की बैठक बीच में छोड़कर चले गए। इस विवाद के कारण दोनों देशों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी रद कर दी गई।अमेरिका की ओर से कड़ा फैसला
बैठक के बाद अमेरिका ने न सिर्फ यूक्रेन को दी जा रही सैन्य और आर्थिक सहायता पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, बल्कि विदेशी सहायता के अन्य कार्यक्रमों को भी रोकने का निर्णय लिया। हालांकि, इजराइल और मिस्र को इस फैसले से छूट दी गई है। इस फैसले का असर न केवल यूक्रेन बल्कि अन्य उन देशों पर भी पड़ेगा, जिन्हें अमेरिका से वित्तीय सहायता मिलती रही है। इस तरह से यूक्रेन के राष्ट्रपति की सख्ती का असर जल्द ही दिखाई देने लगेगा। हालांकि अब जेलेंस्की सहायता के लिए इंगलैंड का मनाने की कोशिश में जुट गए हैं।यूक्रेन पर असर
अमेरिकी मदद पर रोक लगने से यूक्रेन की सैन्य क्षमताएं कमजोर पड़ सकती हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को हथियारों, मिसाइलों और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति जारी रखी थी, जो अब बाधित हो जाएगी। इसके अलावा, अमेरिका ने यूक्रेन की स्टारलिंक इंटरनेट सेवाओं की पहुंच भी बंद करने की धमकी दी है। अगर ऐसा होता है, तो यूक्रेन की सैन्य संचार प्रणाली पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे रूस के खिलाफ उसकी युद्ध रणनीति प्रभावित हो सकती है।यूरोप की प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस फैसले के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या यूरोपीय देश यूक्रेन की मदद जारी रखेंगे? जर्मनी और फ्रांस ने पहले ही यूक्रेन को समर्थन देने की बात कही है, लेकिन अमेरिका जैसी बड़ी सैन्य और आर्थिक सहायता की भरपाई करना यूरोपीय देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जेलेंस्की सहायता प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड रवाना हो गए हैं। देखना है अब युक्रेन अपना युद्ध किस तरह जारी रख पाएगा, क्यों कि उसका सबसे बड़ा सहयोगी सहायता करने वाला अमेरिका ने हर तरह की सहायता पर रोक लगा दी है।रूस को होगा फायदा
अमेरिका की ओर से समर्थन बंद होने के बाद रूस को इस युद्ध में एक रणनीतिक बढ़त मिल सकती है। पुतिन प्रशासन पहले से ही पश्चिमी देशों की मदद को लेकर सवाल उठाता रहा है, और अब अमेरिकी सहायता बंद होने से रूस को आक्रामक रणनीति अपनाने का मौका मिल सकता है। रूस ने अमेरिका के सहायता रोकते ही नए सिरे से आक्रमण की रूपरेखा तैयार करना शुरू कर दिया है, जो जल्द ही सबके सामने आने वाला है।रूस से ठोस सुरक्षा गारंटी के बाद ही जेलेंस्की शांति वार्ता करेंगे
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि वे किसी भी कीमत पर रूस से बिना किसी ठोस सुरक्षा गारंटी के शांति वार्ता नहीं करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका इस फैसले पर दोबारा विचार करेगा या फिर यूरोपीय देश यूक्रेन की मदद के लिए आगे आएंगे। इस घटनाक्रम के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है और पूरी दुनिया इस बात पर नजर गड़ाए हुए है कि आगे क्या होने वाला है।लखनऊ एयरपोर्ट पर आज से कई उड़ाने रहेंगी रद, होगी परेशानी
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