Sanskrit : पृष्टो दिवि धाय्यग्निः पृथिव्यां नेता सिन्धूनां वृषभ स्तियानाम्।
स मानुषीरभि विशो वि भाति वैश्वानरो वावृधानो वरेण॥ ऋग्वेद ७-५-२प्प॥
Hindi : दिव्य अग्नि पृथ्वी और आकाश दोनों में व्याप्त है। यह ही वर्षा कराती है और जल से भरी नदियों को चलाती है। यह हम सभी में व्याप्त है और हमें उत्तम कर्म करने के लिए प्रेरित करती है। (ऋग्वेद ७-५-२)
English : Divine fire pervades both the earth and the sky. It is that which brings rain and runs rivers full of water. It pervades all of us and inspires us to do good deeds. (Rig Veda 7-5-2)
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भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 03:13 AM
Sanskrit : पृष्टो दिवि धाय्यग्निः पृथिव्यां नेता सिन्धूनां वृषभ स्तियानाम्।
स मानुषीरभि विशो वि भाति वैश्वानरो वावृधानो वरेण॥ ऋग्वेद ७-५-२प्प॥
Hindi : दिव्य अग्नि पृथ्वी और आकाश दोनों में व्याप्त है। यह ही वर्षा कराती है और जल से भरी नदियों को चलाती है। यह हम सभी में व्याप्त है और हमें उत्तम कर्म करने के लिए प्रेरित करती है। (ऋग्वेद ७-५-२)
English : Divine fire pervades both the earth and the sky. It is that which brings rain and runs rivers full of water. It pervades all of us and inspires us to do good deeds. (Rig Veda 7-5-2)
Sanskrit : पृष्टो दिवि धाय्यग्निः पृथिव्यां नेता सिन्धूनां वृषभ स्तियानाम्।
स मानुषीरभि विशो वि भाति वैश्वानरो वावृधानो वरेण॥ ऋग्वेद ७-५-२प्प॥
Hindi : दिव्य अग्नि पृथ्वी और आकाश दोनों में व्याप्त है। यह ही वर्षा कराती है और जल से भरी नदियों को चलाती है। यह हम सभी में व्याप्त है और हमें उत्तम कर्म करने के लिए प्रेरित करती है। (ऋग्वेद ७-५-२)
English : Divine fire pervades both the earth and the sky. It is that which brings rain and runs rivers full of water. It pervades all of us and inspires us to do good deeds. (Rig Veda 7-5-2)
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Sanskrit : पृष्टो दिवि धाय्यग्निः पृथिव्यां नेता सिन्धूनां वृषभ स्तियानाम्।
स मानुषीरभि विशो वि भाति वैश्वानरो वावृधानो वरेण॥ ऋग्वेद ७-५-२प्प॥
Hindi : दिव्य अग्नि पृथ्वी और आकाश दोनों में व्याप्त है। यह ही वर्षा कराती है और जल से भरी नदियों को चलाती है। यह हम सभी में व्याप्त है और हमें उत्तम कर्म करने के लिए प्रेरित करती है। (ऋग्वेद ७-५-२)
English : Divine fire pervades both the earth and the sky. It is that which brings rain and runs rivers full of water. It pervades all of us and inspires us to do good deeds. (Rig Veda 7-5-2)
Sanskrit : परिषद्यं ह्यरणस्य रेक्णो नित्यस्य रायः पतयः स्याम।
न शेषो अग्ने अन्यजातमस्त्यचेतानस्य मा पथो वि दुक्षः॥ ऋग्वेद ७-४-७॥
Hindi: ऋण के द्वारा एकत्रित किया हुआ धन अपना नहीं होता। अपना धन वही होता है जो उचित प्रकार से अर्जित किया गया हो और ऋण से रहित हो। जिस प्रकार दूसरे की संतान अपनी नहीं होती उसी प्रकार ऋण का धन भी अपना नहीं होता। ज्ञानियों के मार्ग को पाखंड से कभी भी दूषित नहीं करना चाहिए। (ऋग्वेद ७-४-७)
English : The wealth collected through debt is not your own. One's own wealth is that which has been earned through proper means and is free from debt. Just as the children of others are not your own, the wealth gathered through debt is not your own. The path of the wise sages should never be vitiated by hypocrisy. (Rig Veda 7-4-7)
भारत
चेतना मंच
28 Nov 2025 11:01 PM
Sanskrit : परिषद्यं ह्यरणस्य रेक्णो नित्यस्य रायः पतयः स्याम।
न शेषो अग्ने अन्यजातमस्त्यचेतानस्य मा पथो वि दुक्षः॥ ऋग्वेद ७-४-७॥
Hindi: ऋण के द्वारा एकत्रित किया हुआ धन अपना नहीं होता। अपना धन वही होता है जो उचित प्रकार से अर्जित किया गया हो और ऋण से रहित हो। जिस प्रकार दूसरे की संतान अपनी नहीं होती उसी प्रकार ऋण का धन भी अपना नहीं होता। ज्ञानियों के मार्ग को पाखंड से कभी भी दूषित नहीं करना चाहिए। (ऋग्वेद ७-४-७)
English : The wealth collected through debt is not your own. One's own wealth is that which has been earned through proper means and is free from debt. Just as the children of others are not your own, the wealth gathered through debt is not your own. The path of the wise sages should never be vitiated by hypocrisy. (Rig Veda 7-4-7)