Ajab : इस कुंड में डुबकी लगाने से पूरी होती है संतान प्राप्ति की कामना

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इस कुंड में डुबकी लगाने से पूरी होती है संतान प्राप्ति की कामना
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calendar02 Dec 2025 03:00 AM
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आगामी 28 अक्टूबर 2021 को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2021)  है। अहोई अष्टमी का व्रत संतान (child) की सलामती के लिए निर्जल और निराहार रखा जाता है। अहोई अष्टमी के दिन तारों के दर्शन के बाद बाद माताएं व्रत खोलती हैं।

जो लोग नि:संतान हैं और एक यशस्वी संतान की कामना रखते हैं, उनके लिए ये दिन बहुत खास है। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन यदि ऐसे दंपति राधा कुंड में स्नान करें, तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। राधा कुंड मथुरा से करीब 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा के दौरान पड़ता है। हर साल अहोई अष्टमी के दिन यहां पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है। जानिए पवित्र राधा कुंड से जुड़ी खास मान्यताएं।

हर साल अहोई अष्टमी के मौके पर राधा कुंड में मेले का आयोजन होता है। साथ ही अहोई अष्टमी से पहले की रात में शाही स्नान किया जाता है। मान्यता है कि इस रात्रि में यदि पति और पत्नी संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस राधा कुंड में डुबकी लगाएं और अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत रखें, तो उनके घर में जल्द ही बच्चे की किलकारियां गूंजने लगती हैं। इसके अलावा जिन दंपति को यहां स्नान के बाद संतान प्राप्ति हो जाती है, वे भी इस दिन अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में हाजरी लगाने आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं। माना जाता है कि राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान की ये परंपरा द्वापरयुग से चली आ रही है।

माना जाता है कि राधाकुंड की स्थापना द्वापरयुग में अहोई अष्टमी के दिन ही हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने इस कुंड में रात करीब 12 बजे स्नान किया था इसलिए आज भी यहां अहोई-अष्टमी की मध्य रात्रि में ही विशेष स्नान होता है। हर साल देश-विदेश से आए लाखों भक्त यहां कुंड के तट पर स्थित अहोई माता के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और आरती कर कुंड में दीपदान करते हैं। उसके बाद अहोई अष्टमी से पहले की रात में ठीक 12 बजे विशेष स्नान करते हैं और उसके बाद अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत संतान प्राप्ति की कामना के साथ रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने वालों की कामना जरूर पूरी होती है।

ब्रह्म पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड के अनुसार महारास के बाद श्रीकृष्ण ने राधाजी की इच्‍छानुसार उन्हें वरदान दिया था कि जो भी दंपत्ति राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान करेगा उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। माना जाता है कि कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में आज भी भगवान श्रीकृष्ण मध्य रात्रि में राधाजी और अन्य सखियों के साथ राधाकुंड में महारास करते हैं।

आचार्य सुरेश सैनी, मथुरा

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कब है दीपावली, कैसे करें पूजन, शुभ मुहुर्त और सभी जानकारी बस एक क्लिक में

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calendar29 Nov 2025 08:16 PM
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दीपावली (Diwali 2021) हिंदुओं का सबसे प्रतिभाशाली धार्मिक पर्व है। जिसे सभी मिल कर रोशनी व खुशियों से मनाते हैं। घर-घर में प्रकाशमय वातावरण होने से दिन रात में कोई फर्क पता नहीं चलता, तभी इसे दीपोत्सव (Diwali 2021) भी कहते हैं। अमीर हो या गरीब सभी इसे धूमधाम से मनाते हैं। दीपावली (Diwali 2021) का त्योहार पाँच दिन तक मनाया जाता है। हर एक दिन का अपना अलग महत्व है। यह पर्व धनतेरस से शुरु होकर भाई दूज तक मनाया जाता है।

इस वर्ष दीपावली (Diwali 2021) का पर्व 4 नवंबर 2021, दिन गुरुवार को है। अमावस्या तिथि 4 नवंबर को सुबह 6 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होकर 5 नवंबर को सुबह 2 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन मुहूर्त शाम 6 बजकर 09 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक है। पूजन अवधि 01 घंटे 55 मिनट की है।

कैसे करें पूजा-

- सर्वप्रथम पूजा का संकल्प लें। - श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर का पूजन करें। - ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें। - एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें। - श्रीयंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें, देवी सूक्तम का पाठ करें।

क्यों मनाई जाती है दीपावली

इन खास दिनों को मनाने के एक नहीं बहुत से मुख्य कारण है, जो नीचे बताए गए हैं।

1- इस दिन समुंद्र मथन के दौरान धन की देवी का अवतार हुआ था। भगवान धनवंतरी व कुबेर की उत्पत्ति भी समुंद्र मंथन के दौरान इसी दिन हुई थी।

2- इस दिन श्री राम जी लंका पर विज़य पाने के पश्चात सीता व लक्ष्मण सहित अयोध्या वापिस लौटे थे, जिससे उनके स्वागत के लिए घर-घर घी के दीपक जलाए गए थे।

3- इस दिन से दो दिन पहले भग्वान कृष्ण ने नरकासुर को मार कर 16 हजार स्त्रियों को उसकी कैद से बचाया था, जिस वज़ह से ​दीपावली के दिन तक जीत का त्योहार मनाया गया था।

4- आर्य समाज के संथापक व जैन धर्म के संस्थापक ने इस निर्वाण प्राप्त किया था।

5- अमृतसर मे स्वर्ण मंदिर की स्थापना भी इसी दिन की गई थी और गुरु हरगोविंद जी को इसी दिन हिरासत से रिहा किया गया था।

6- इस दिन पांड़्व 12 वर्ष के वनवास के बाद वापिस लौटे थे, जिससे आने के पश्चात उन्होंने दीपक जला कर प्रकाश किया था।

7- राजा विक्रमादित्य का इस दिन राज्याभिषेक हुआ था। तभी से ये दिन ऐतिहासिक रुप से मनाना शुरु हुआ।

8- इस दिन भग्वान विष्णु ने अपने वामन अवतार में देवी लक्ष्मी को राजा बली की कैद से बचाया था।

 - यशराज कनिया कुमार

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Tuesday remedy : मंगलवार को इन कार्यों को करने से मिलता है शुभ फल

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calendar26 Oct 2021 05:42 AM
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Tuesday remedy : मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है, इसका स्वभाव बहुत ही उग्र माना जाता है। लाल किताब से जानिए मंगलवार को क्या करना चाहिए और क्या करने से बचना चाहिए… ये काम न करें… 1. मंगलवार को नमक और घी नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। 2. इस दिन पश्चिम, वायव्य और उत्तर दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। 3. मंगलवार को तामसिक चीजों का सेवन न करें जैसे मांस, मदिरा आदि। 4. मंगलवार को किसी को पैसा उधार न दें, नहीं तो पैसा लंबे समय के लिए अटक सकता है। 5. इस दिन क्षौर कर्म जैसे नाखून काटना, दाड़ी-कटिंग आदि नहीं करना चाहिए। शुभ लाभ की प्राप्ति के लिए करें ये काम 1. इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में मिश्रित सिन्दूर लगाएं। 2. दक्षिण, पूर्व, आग्नेय दिशा में यात्रा कर सकते हैं। 3. शस्त्र अभ्यास या मुकदमे का आरंभ करने के लिए यह उचित दिन है। 4. बिजली, अग्नि या धातुओं से संबंधित वस्तुओं का क्रय-विक्रय कर सकते हैं। 5. बहते पानी में तिल और गुड़ से बनी रेवाड़ियां प्रवाहित करें या खांड, मसूर व सौंफ का दान करें। 6. बुआ अथवा बहन को लाल कपड़ा दान में दें।