WPL : कप्तानी का दरोमदार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है : हरमनप्रीत

Kauar
Captaincy credence encourages us to give our best: Harmanpreet
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:09 AM
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नवी मुंबई। महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) के शुरुआती मुकाबले में अपने बल्ले से चमक बिखेरनी वाली मुंबई इंडियन्स की हरमनप्रीत कौर ने कहा कि कप्तानी का दरोमदार उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हरमनप्रीत ने शनिवार को केवल 30 गेंदों पर 65 रन की पारी खेली, जिसमें 14 चौके शामिल थे। उन्होंने इसके साथ ही एमिलिया केर (24 गेंदों पर नाबाद 45 रन) के साथ चौथे विकेट के लिए 89 रन की साझेदारी की, जिससे मुंबई ने पांच विकेट पर 207 रन बनाने के बाद गुजरात जायंट्स की पारी को महज 64 रन पर समेट कर 143 रन की बड़ी जीत दर्ज की।

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हरमनप्रीत ने मैच के बाद बाद कहा कि पिच से जल्दी से सामंजस्य बिठाना उनकी टीम की जीत के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि किसी भी मैच में आप यह सोच कर मैदान पर नहीं उतरते की यह एकतरफा मुकाबला होगा। आप हमेशा इस मानसिकता के साथ आते हैं कि आप विरोधी टीम को हल्के में नहीं ले सकते। हमारे गेंदबाजों ने जो किया वह काबिले तारीफ था। मुझे लगता है कि हमें अच्छी शुरुआत मिली और जब ऐसा होता है तो आप इसे जारी रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी गेंदबाजी के दौरान लगभग सभी गेंदें सही जगह टप्पा खा रही थी। जब हम बल्लेबाजी कर रहे थे तो यह पता लगाने में सक्षम थे कि किस क्षेत्र में गेंदबाजी करनी है। हमारे गेंदबाजों ने परिस्थितियों से जल्दी सामंजस्य बैठाया इसलिए यह एकतरफा मुकाबला लग रहा था।

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दायें हाथ की इस बल्लेबाज ने कहा कि कप्तानी की जिम्मेदारी उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करती है। जब से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया है, तब से मैं टीमों की कप्तानी कर रही हूं। इससे मुझ पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं आता है, बल्कि यह मुझे मैच से अधिक जुड़ा हुआ महसूस कराता है। इससे मुझे अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलती है।

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Jammu and Kashmir: कश्मीर में मनुष्यों एवं जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ीं : विशेषज्ञ

गुजरात जायंट्स की उपकप्तान स्नेह राणा ने कहा कि उनकी टीम को मुंबई ने हर विभाग में पछाड़ दिया, लेकिन उन्हें अपना आत्मविश्वास बनाये रखना है। यहां माहौल काफी अलग था और यह कई खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा मैच था। हमारे पास घरेलू स्तर के काफी खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा कि हमसे क्षेत्ररक्षण में कई बार चूक हुई और इसने आज के मैच में अहम भूमिका निभाई। मुझे लगता है कि यह हम सभी के लिए एक सबक है। कुछ खिलाड़ी जल्दी से माहौल में घुल जाते हैं, लेकिन कुछ लोग अपना समय लेते हैं। उन्होंने कहा कि हम इस मैच में हुई गलतियों के बारे में बात करेंगे। लेकिन, हमने सभी खिलाड़ियों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उन्हें हर समय अपना आत्मविश्वास बनाये रखना है। टूर्नामेंट अभी शुरू हुआ है, हमें हौसला बढ़ाने की जरूरत है। हम और मजबूती से वापसी करेंगे। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Jammu and Kashmir: कश्मीर में मनुष्यों एवं जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ीं : विशेषज्ञ

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Jammu and Kashmir
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 04:13 AM
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Jammu and Kashmir: श्रीनगर। कश्मीर में हालिया समय में मनुष्यों एवं जानवरों के बीच संघर्ष के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और विशेषज्ञों ने इसके लिए वन्यजीवों के पर्यावास क्षेत्रों में मनुष्यों के हस्तक्षेप को मुख्य कारण बताया है। कश्मीर में क्षेत्रीय वन्यजीव वार्डन राशिद नकाश ने यहां कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष निश्चित रूप से काफी बढ़ गया है।

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उन्होंने कहा कि 2006 से 2022 तक मनुष्यों और जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाओं में 242 लोगों की जान गई और ऐसी घटनाओं में 2,940 लोग घायल हुए।

नकाश ने कहा कि इन संघर्षों का मुख्य कारण वन्यजीवों के आवासों में मनुष्यों का हस्तक्षेप है। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के पर्यावास क्षेत्रों में बदलाव किये जाने के कारण मनुष्य और वन्यजीवों के बीच संघर्ष काफी बढ़ गया है। यद्यपि संघर्ष के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन व्यापक जागरूकता के कारण पिछले साल हताहतों की संख्या में कमी आई है।

आंकड़ों के अनुसार, 2013 और 2014 में ऐसे मामलों में कुल मृतक संख्या 28 थी, जो 2022 में घटकर 10 रह गई।

नकाश ने कहा कि हताहतों की संख्या कम होने के बावजूद वन्यजीवों के रिहायशी इलाकों में नजर आने की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तरी कश्मीर में तेंदुओं द्वारा बच्चों को उठाए जाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विभाग ने ऐसी घटनाओं से निपटने और उचित कदम उठाने के लिए कश्मीर के चारों ओर 22 बचाव नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, जो चौबीसों घंटे सेवा में उपलब्ध हैं।

मध्य प्रभाग में वन्यजीव वार्डन अल्ताफ हुसैन ने कहा कि मानव आवास और वन क्षेत्रों के बीच दूरी कम होने के कारण इस प्रकार की घटनाएं बढी हैं।

हुसैन ने कहा कि जानवर सीमाओं को नहीं समझते, इसलिए जो लोग जंगलों के करीब रहते हैं, उन्हें सावधानी बरतनी होगी।

उन्होंने कहा कि लेकिन उन्हें (मनुष्यों को) स्वयं कोई कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें हमें बुलाना चाहिए। हुसैन ने कहा कि विभाग ने ऐसे क्षेत्रों में चौबीसों घंटे दल तैनात किये हैं, जहां इस प्रकार के मामले अकसर सामने आते हैं।

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Nature : ऋषिकुल्या नदी तट पर 6.37 लाख से अधिक ओलिव रिडले कछुओं ने दिए अंडे

Kachua
More than 6.37 lakh Olive Ridley turtles laid eggs on the banks of Rishikulya river
locationभारत
userचेतना मंच
calendar05 Mar 2023 04:38 PM
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बरहमपुर। ओडिशा के गंजाम जिले में ऋषिकुल्या नदी का मुहाना लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं से गुलजार हो गया है। रिकॉर्ड 6.37 लाख से अधिक कछुओं ने समुद्र तट पर अंडे दिए हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी।

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बरहमपुर के मंडलीय वन अधिकारी (डीएफओ) सन्नी खोक्कर ने बताया कि कछुओं ने 23 फरवरी से नदी के मुहाने के समीप पोडमपेटा से बाटेश्वर तक तीन किलोमीटर समुद्र तट पर जगह-जगह घोंसले बनाने शुरू किए और बृहस्पतिवार तक यह जारी था। इस दौरान 6,37,008 कछुओं ने अंडे दिए जो पिछले साल के मुकाबले 86,000 अधिक है। डीएफओ ने दावा किया कि इस साल घोंसले बनाने के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं। सूत्रों ने बताया कि पिछले साल 5,50,317 कछुओं ने अंडे दिए थे जबकि 2018 में 4.82 लाख कछुओं ने अंडे दिए थे।

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इस बार सामूहिक रूप से घोंसला बनाने की प्रक्रिया एक महीना पहले शुरू होने के कारण विशेषज्ञों को अंडों से कछुओं के बच्चों के जल्दी निकलने की अधिक उम्मीद है। डीएफओ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस बार अंडों से कछुओं के बच्चे जल्दी निकलेंगे, क्योंकि सामूहिक रूप से घोंसला बनाने की प्रक्रिया इस बार जल्दी हुई है।

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खोक्कर ने कहा कि उन्होंने अंडों की रक्षा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं। अंडों को शिकारियों से बचाने के लिए स्थानीय लोगों सहित पर्याप्त संख्या में कर्मियों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि चूंकि मादा कछुए अंडे देने के बाद समुद्र में वापस चली जाती है तो गीदड़, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर और पक्षी जैसे शिकारी अंडों को खाने की फिराक में होंगे। सूत्रों ने बताया कि प्राधिकारियों ने इलाके के चारों ओर बाड़ लगायी है। अंडों में से बच्चों के निकलने से पहले वन अधिकारी उन्हें पक्षियों से बचाने के लिए पूरे इलाके में मच्छरदानी लगाएंगे।

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डीएफओ ने कहा कि चूंकि मादा कछुओं ने अंडे देने के बाद करीब 45 से 50 दिन तक बालू के गड्ढों से कछुओं के बच्चों के निकलने का इंतजार नहीं किया, इसलिए हम बच्चों के रेंगकर समुद्र में जाने तक उनकी देखभाल कर रहे हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।