भारत की वह बहादुर रानी जिसने काटी थी मुगल सैनिकों की नाक

भारत की वह बहादुर रानी जिसने काटी थी मुगल सैनिकों की नाक
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Sep 2024 11:25 PM
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Rani Karnavati : भारत में एक से बढ़कर एक राजा तथा रानी हुए हैं। इसी कारण भारत के घर-घर में राजा तथा रानी की कहानी सुनी तथा सुनाई जाती है। भारत की सबसे बहादुर तथा अनोखी रानी थी रानी कर्णावती। भारत की बहादुर रानी कर्णावती को नक्कटी रानी यानि दुश्मन की नाक काटने वाली रानी भी कहा जाता है। भारत की बहादुर रानी कर्णावती के कारण ही मुगल बादशाह शाहजहां ने गढ़वाल प्रदेश पर हमला करने से हमेशा के लिए तौबा कर ली थी।

पहाड़ी राज्यों में प्रसिद्ध है रानी कर्णावती

रानी कर्णावती की बहादुरी के किस्से बहुत प्रसिद्ध हैं। भारत के पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश में तो रानी कर्णावती बहुत ही प्रसिद्ध है। पहाड़ी राज्यों में रानी कर्णावती की कहानी घर-घर में प्रसिद्ध है। उन्हीं रानी कर्णावती का परिचय हम आपसे करवा रहे हैं। रानी कर्णावती का परिचय जानकर आप भी रानी कर्णावती के फैन हो जाएंगे। रानी कर्णावती का परिचय शुरू होता है। उनके पति और गढ़वाल के राजा महिपत शाह की असमय मृत्यु के बाद। महिपत ने वर्ष 1622 में राजा श्याम शाह के अलकनंदा में डूबकर मर जाने के बाद गद्दी संभाली थी। बहादुर और योद्धा माने जाने वाले महिपत ने मुगलों की सत्ता को चुनौती देने के अलावा तिब्बत जैसी मुश्किल भूमि पर भी तीन बार आक्रमण किया। नौ वर्ष तक राज करने के बाद 1631 में रणभूमि में ही उनकी मौत हो गई। तब उनका बेटा पृथ्वीपत शाह था कुल सात बरस का। राजकाज संभालने का जिम्मा कर्णावती के हिस्से आया। हिमाचल के एक राज परिवार से ताल्लुक रखने वाली कर्णावती को शासन करने की कला घुट्टी में पिलाई गई थी। उन्होंने देहरादून और मसूरी जैसी जगहों के अलावा समूचे राज्य में कृषि और सामाजिक कल्याण के अनेक कामों को अंजाम दिया। लेकिन, तब किसी भी राज्य में स्त्री द्वारा शासन किए जाने को एक बड़ी कमजोरी के रूप में देखा जाता था। बताया जाता है कि तत्कालीन कुमाऊंनी राजा बाजबहादुर चंद के मुगलों से अच्छे संबंध थे। उसने कांगड़ा में नियुक्त मुगल अधिकारी नजाबत खान से कहा कि गढ़वाल पर आक्रमण करने का इससे बेहतर समय और नहीं हो सकता। बाजबहादुर ने वादा किया कि वह और सिरमौर का राजा उस आक्रमण में मुगलों का साथ देंगे।

इस प्रकार चली गई बड़ी चाल Rani Karnavati

नजाबत खां ने मुगल बादशाह शाहजहां को आक्रमण के लिए तैयार कर लिया। 30 हजार सैनिकों को लेकर नजाबत खान ने गंगा नदी पार की और देहरादून के समीप रायवाला नामक जगह पर अपने खेमे गाड़े। यह बात है वर्ष 1635 की। रानी कर्णावती तक संदेश भेजा गया, या तो 10 लाख रुपये का नजराना अता करो या एक बड़े आक्रमण के लिए तैयार रहो। अपने सलाहकारों के कहने पर रानी ने एक लाख रुपये तुरंत देकर बाकी रकम शीघ्र देने का वादा कर दिया। हालांकि बची रकम भेजी नहीं। इससे कु्रद्ध नजाबत खान ने फौज को लेकर श्रीनगर की तरफ बढऩा शुरू किया। श्रीनगर में गढ़वाल रियासत की राजधानी हुआ करती थी।

चारों तरफ से फंस गई थी मुगल सेना

7वीं शताब्दी में भारत आए इटली के निकोलाओ मानूची ने कर्णावती और मुगलों के संघर्ष के बारे में विस्तार से लिखा है। मुगल सेना ने जैसे-जैसे शिवालिक की तलहटी से ऊपर पहाड़ों की तरफ चढऩा शुरू किया, उसका सामना हुआ छापामार गुरिल्ला शैली में आक्रमण करने वाले गढ़वाली सैनिकों से। देवप्रयाग से नीचे शिवालिक की पहाडिय़ों के बीच बनी असंख्य चट्टियों में छिपे इन सिपाहियों ने मुगल सेना की नाम में दम कर दिया। जब समूची मुगल फौज पहाडिय़ों के बीच अच्छी तरह से घिर गई, तो दोनों तरफ के रास्ते बंद कर दिए गए। मुगल सैनिक न ऊपर जा सकते थे और न नीचे। मुगल शिविर में रसद की कमी हो गई। अफरातफरी का माहौल बनने लगा। यह देखकर नजाबत खान ने रानी से इजाजत मांगी कि वह रास्ते खोलकर उसे अपनी सेना को वापस ले जाने दें।

मुगलों की सबसे बड़ी हार थी यह

रानी कर्णावती चाहती थीं कि मुगलों को कभी न भूलने वाला सबक मिले। उन्होंने नजाबत खान से कहा कि वह अपने सैनिकों को वापस ले जा सकता है, लेकिन सभी को अपनी नाक कटानी होगी। जान खतरे में देखकर शाहजहां के सैनिकों ने हथियार डाल दिए और नाक कटा ली। निकोलाओ मानूची ने दर्ज किया है कि इस घटना से शर्मसार होकर शाहजहां ने फैसला किया कि वह फिर कभी गढ़वाल पर आक्रमण नहीं करेगा। उधर, नजाबत खान ने रास्ते में ही आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद रानी कर्णावती को नक्कटी रानी यानी दुश्मन की नाक काट लेने वाली रानी कहकर संबोधित किया जाने लगा। Rani Karnavati

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ललित नागर ने कर दी बड़ी घोषणा, बोले राजनीतिक हत्या की है साजिश

ललित नागर ने कर दी बड़ी घोषणा, बोले राजनीतिक हत्या की है साजिश
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Sep 2024 09:28 PM
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Haryana : हरियाणा प्रदेश में विधानसभा का चुनाव चल रहा है। हरियाणा के चुनाव के बीच कांग्रेस पार्टी ने हर किसी को अचरज में डालते हुए एक बड़ा फैसला किया है। कांग्रेस ने हरियाणा के फरीदाबाद जिले की तिगांव विधानसभा सीट पर लोकप्रिय नेता ललित नागर का टिकट काट दिया है। इतना ही नहीं ललित नागर का टिकट काटकर जिस को टिकट दिया गया है उसे पूरे विधानसभा क्षेत्र में कोई पहचानता तक नहीं है। टिकट कटने के बाद ललित नागर ने बड़ी घोषणा कर दी है।

ललित नागर की बड़ी घोषणा Haryana

हरियाणा के चुनाव में तिगांव सीट से ललित नागर का चुनाव लडऩा तय था। हर कोई मान रहा था कि कांग्रेस तिगांव सीट पर ललित नागर को टिकट देने के अलावा किसी दूसरे नाम के विषय में सोच भी नहीं सकती अंत में उल्टा हुआ। कांग्रेस पार्टी ने तिगांव सीट से ललित नागर का टिकट काटकर एक अंजान से लडक़े रोहित नागर को टिकट दिया। ललित नागर का टिकट कटते ही मानो हरियाणा की राजनीति में भूचाल सा आ गया। जो ललित नागर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी तथा उनके पूरे परिवार के सबसे खास रहे हैं उनका टिकट कटने की खबर किसी को भी हजम नहीं हुई। इस घटनाक्रम के बाद ललित नागर बेहद भावुक हो गए। अपने समर्थकों के बीच रो-रोकर ललित नागर ने कहा कि यह उनके दुश्मनों की बड़ी चाल है। राजनीतिक दुश्मनों ने उनकी राजनीतिक हत्या करने की साजिश रची है। उन्होंने कहा कि तिगांव क्षेत्र की जनता ने उन्हें आदेश दिया है कि वें जनता की सेवा करने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ें। जनता के आदेश पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩा तय किया है। इस बड़ी घोषणा के साथ ही ललित नागर ने हरियाणा की तिगांव विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भर दिया है। (यहां देखें ललित नागर की भावुकता से भरी वीडियो) [video width="720" height="1280" mp4="https://test.chetnamanch.com/wp-content/uploads/2024/09/कांग्रेस-की-टिकेट-में-पैसे-का-खेल-हुआ-है-ललित-नागर-Tigaon.mp4"][/video]

ललित नागर रह चुके हैं विधायक

आपको यह भी बताना जरूरी है कि ललित नागर ने तिगांव सीट (Tigaon Seat) से 2014 में चुनाव जीता था और भाजपा (Haryana BJP) के राजेश नागर ((Rajesh Nagar) को हराकर विधायक बने थे। 2019 में भी उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, इस चुनाव में भाजपा के राजेश नागर ने उन्हें 33841 वोटों के अंतर से चुनाव हरा दिया था। अब एक बार फिर ललित नागर टिकट के प्रबल दावेदार थे, पर अप्रत्याशित रूप से तिगांव सीट का टिकट एक अनजान युवक को दे दिया गया है। ललित नागर राहुल गांधी परिवार के बेहद नजदीकी हैं और उनके भाई महेश नागर गांधी परिवार के दामाद राबर्ट वाड्रा के बेहद नजदीकी हैं। हरियाणा की राजनीति में ललित नागर तथा उनके परिवार का बड़ा नाम है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेता उनका सम्मान करते हैं। Haryana

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"हिंदी पढ़ाओ संस्कृति बचाओ" अभियान का आगाज़ - पंडित साहित्य चंचल

"हिंदी पढ़ाओ संस्कृति बचाओ" अभियान का आगाज़ - पंडित साहित्य चंचल
locationभारत
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calendar01 Dec 2025 10:31 AM
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Hindi Diwas 2024 : 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी पखवाड़ा, हिंदी दिवस से लेकर सितंबर माह के अंत तक होता है। हर वर्ष की भांति इस बार भी "साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन" तथा "राष्ट्रीय कवि पंचायत मंच" के संयुक्त बैनर तले 22 सितंबर रविवार 2024 को आज के अंग्रेजी युग में "हिंदी भाषा की दिशा और दशा", आज की युवा पीढ़ी हेतु हिंदी का महत्व, तथा आज कल के तथाकथित कवि "हिंदी के साधक अथवा हिंदी में बाधक" विषय पर हिंदी मर्मज्ञ व साहित्य मनीषी वक्ताओं द्वारा समीक्षा, चर्चा परिचर्चा, हिंदी कार्यशाला पर व्याख्यान का होना सुनिश्चित किया गया है। दूसरे चरण में एक भव्य कवि सम्मेलन के आयोजन में देश के लगभग दो दर्जन रचनाकारों द्वारा काव्य पाठ किया जाएगा। "साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन" के नेशनल चेयरमैन तथा राष्ट्रीय कवि पंचायत मंच के संस्थापक एवं हिंदी दिवस पर भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से सम्मानित कवि व लेखक पंडित साहित्य कुमार चंचल ने बताया कि हिंदी साहित्य के वर्चस्व को बचाने के लिए उन्हें हर भरसक प्रयास करना होगा, क्योंकि हिंदी हमारी संस्कृति और संस्कार है, इसलिए हिंदी के प्रति आज की पीढ़ी को जागरूक करना बहुत ही आवश्यक बन जाता है। फेडरेशन के चेयरमैन पंडित साहित्य चंचल ने यहां तक कहा कि आजकल के तथाकथित कवियों ने हिंदी साहित्य और कविता की परिभाषा ही बदल कर रख दी है जो कि बड़ी ही विडंबना और चिंता का विषय है। कवि सम्मेलन तथा कवि गोष्ठियों के आयोजन से कुछ हद तक हिंदी के प्रचार और प्रसार को प्रदर्शित तो किया जा सकता है, लेकिन मात्र कवि सम्मेलनों के आयोजनों के सहारे हिंदी के भविष्य को सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। हिंदी साहित्य को सही मायने में आगामी पीढ़ी तक पहुंचाना गंभीर विषय के साथ एक कठिन चुनौती भी है। श्री चंचल का कहना है कि आज "हिंदी बचाओ अभियान" चलाने की नितांत आवश्यकता है, जिसके अंतर्गत "हिंदी पढ़ाओ संस्कृति बचाओ" पर ज़ोर दिया जाना तथा सच्ची भावनाओं के साथ इस लक्ष्य को जन मानस तक पहुंचाना आज हर एक सच्चे साहित्यकार का फर्ज़ और धर्म है। आगामी पीढ़ी को हिंदी के प्रति जागरूक करने के लिए "साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन" तथा "राष्ट्रीय कवि पंचायत मंच" के संयुक्त बैनर तले उनकी कार्यकारिणी की बैठक में हिंदी भाषा में अच्छे प्राप्तांक लाने वाले कुछ विद्यार्थियों को हिंदी पखवाड़ा पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में यथावत सम्मानित किये जाने का निर्णय लिया गया है। फेडरेशन के नेशनल चेयरमैन पंडित साहित्य चंचल ने इस आयोजन के प्रयोजन से संबंधित आज के रचनाकारों से अपील की है कि कवि सम्मेलन अथवा गोष्ठियों में काव्य पाठ से ज्यादा बेहतर होगा कि इस अंग्रेजी युग में आज की युवा पीढ़ी को हिंदी के प्रति जागरूक कर हिंदी राजभाषा तथा राष्ट्र के निर्माण में योगदान देकर अपने मार्गदर्शक व पथ प्रदर्शक होने का प्रमाण देकर बख़ूबी अपना कवि धर्म निभाएं तथा साथ ही इस अंग्रेजी युग में हिंदी भाषा को लुप्त होने से बचाने का पुनीत कार्य कर अपने कर्तव्य के प्रति वफादारी निभाएं। उन्होंने रचनाकारों से प्रपंच छोड़कर एक सुदृढ़ मंच की अपील की है। श्री चंचल ने विगत 25 सालों की भांति इस मिशन को आगे बढ़ाने का निर्णय लेकर भविष्य में भी राजभाषा और राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। Hindi Diwas 2024

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