बुंदेलखंड की वीरगाथा: आल्हा-ऊदल ने लड़ी 52 लड़ाईयां,किसी भी युद्ध में नहीं हुई पराजय

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Alha-Udal History
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calendar04 May 2024 08:19 PM
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Alha-Udal History : यदि महोबा के राजकवि ने"आल्हारासो"नही लिखा होता तो शायद आज उन्हें कोई जानता भी नही । सदा की तरह उपेक्षित ही रह जाता । राजकवि जगनिक केवल एक कवि ही नहीं वरन् कुशल योद्धा भी थे । वह हर युद्ध में आल्हा-ऊदल के साथ लड़े । आल्हा-ऊदल ने 52 लड़ाईयां लड़ी और किसी भी युद्ध में उन्हें पराजय नही मिली । चंदेल राज्य का विस्तार और महोबा के राजा परमार्दिदेव (परिमल) की कीर्ति उन्हीं के कारण थीं । आल्हा-ऊदल , मलखान सुलखान,महोबा राज्य के सेनापति दस्सराज के पुत्र थे । उनकी मां देवला और सुलखा महोबा की महारानी मल्हना की छोटी बहिन थी ।

दस्सराज और बच्छराज बनाफर जनजाति कबीले के शूरवीर योद्धा थे 

बनाफर जाति के विषय में पहले कहा जाता था कि :-"जिनको पानी कोऊ न पीवै‌ ओछी जाति बनाफर राय" । जिनको महाराज परिमल ने महोबा में लाकर उन्हें अपना सेनापति बनाया । राजा परिमल ने अपने राज्य के विस्तार के लिये उरई रियासत पर आक्रमण कर उसे जीत लिया उरई के राजा वासुदेव क्षत्रिय थे । अपनी हार के बाद उन्हें राजा परिमल से संधि करनी पड़ी जिसके कारण अपनी बड़ी पुत्री मल्हना का विवाह राजा परिमल से करने के बाद राजा परिमल के ही आदेश पर अपनी अन्य दो पुत्रियों देवला और सुल्खा का विवाह न चाहते हुये भी अपमान का घूंट पीकर दस्सराज और बच्छराज से करना पड़ा । अपने पिता के इस अपमान को उनका बड़ा बेटा माहिल कभी नही भूल सका । इसीलिये मांडो की लड़ाई में धोखे से दस्सराज और बच्छराज को मारने के बाद भी वह उनकी संतान को ही महोबा से निकाल कर बदला लेने की सोचता रहा ।

बुंदेलखंड की वीरगाथा : आल्हा-ऊदल

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गोरखपुर के पास ताली गांव के‌ सैय्यद मीर हसन काशी नरेश के यहां नौकरी करते थे । एक बार जब वह किसी बात पर काशी नरेश से नाराज़ होकर उनकी नौकरी छोड़ कर कन्नौज जा रहे थे। उसी समय बिठूर के मेले में मांडो के राजा करिंगाराय अपनी रानी के लिये नौलखा हार लेने आये । वह नौलखा हार न मिलने पर जब वापिस जा रहे थे तब उरई के राजा माहिल ने उनसे कहा कि यदि तुम्हें नौलखा हार ही चाहिये तो महोबा की रानी मल्हना भी इसी मेले में आई है और गंगा स्नान करने गई है उनसे लूट लो । करिंगा राय ने उन पर आक्रमण कर दिया और जब वह रानी मल्हना से नौलखा हार छीन रहे थे तभी सैयद मीर हसन जिन्हें उनके गांव के नाम पर लोग ताहिल्खां कहते थे उन्होंने आकर महारानी को बचाते हुये दस्सराज और बच्छराज के साथ करिंगाराय से युद्ध कर महारानी को बचाया ।

धोखे से दस्सराज एवं बच्छराज को  उनके खाने में जहर देकर मार दिया

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इस युद्ध में मांडो के राजा करिंगाराय की हार होने पर उसने कुटिल चाल चलते हुये सन्धि के लिये महोबा के सेनापति दस्सराज एवं बच्छराज को अपने शिविर में आमंत्रित कर धोखे से उनके खाने में जहर देकर उन्हें मार दिया और उनका सिर काट कर चुनौती देता हुआ कि यदि महोबा वालों में दम है तो अपने सेनापति के कटे सिर आकर ले जायें मांडो चला गया । उस समय सैयद मीर हसन रानी मल्हना को सुरक्षित महोबा ले आये थे । राजा परिमल ने उनकी शूरवीरता को देखकर उन्हें अपना प्रमुख सेनापति नियुक्त किया । बिठूर के मेले में ही उनकी दस्सराज और बच्छराज से अच्छी मित्रता हो गई थी इसलिये उन्होंने उनसे कन्नौज की जगह महोबा का निमंत्रण देकर उन्हें अपने साथ रखा था । अपने पिता की मृत्यु के समय आल्हा छोटे थे और ऊदल मां के गर्भ में । इसी तरह बच्छराज के बेटे मलखान -सुलखान भी बहुत छोटे थे । दस्सराज और बच्छराज की मृत्यु के पश्चात उनके मित्र ताहिर खान सेनापति बने । वह जब अपने मित्र की हत्या का बदला लेने के लिये राजा परिमल की आज्ञा पाकर महोबा की सेना लेकर मांडो जा रहे थे तब देवला ने उनसे हाथ जोड़कर विनती करते हुये कहा -"पिता की मृत्यु का बदला लेने का अधिकार केवल पुत्र को होता है,आप मेरे पुत्र से इस अधिकार को मत छीनिये, उन्हें अपनी छत्रछाया में लेकर इस योग्य बनाईये कि वह स्वयं अपने पिता की मौत का बदला ले‌ सकें "। देवला के कहने पर सेनापति ताहिर खां को ही महाराज परिमल ने आल्हा ऊदल की शिक्षा दीक्षा का भार उन्हें सौंप दिया। अब आल्हा ऊदल , मलखान -सुलखान के साथ ही स्वयं महाराज परिमल के पुत्र ब्रह्मा की शिक्षा दीक्षा के साथ ही रण विद्या में पारंगत होने के लिये सभी प्रकार के अस्त्र शस्त्र संचालन करते हुये घुड़सवारी की शिक्षा भी सेनापति ताहिर खां के संरक्षण में दी जाने लगी । समय पाकर सभी प्रकार से युद्ध कौशल में पारंगत होने परर ताहिर की अनुमति से आल्हा-ऊदल और मलखान सुलखान को सेनापति बनाया गया । ऊदल सबसे अधिक शक्तिशाली योद्धा बने ।

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उत्तर प्रदेश की इस पहलवान महिला से थर्र-थर्र कांपते बड़े-बड़े पुरुष पहलवान

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calendar04 May 2024 07:11 PM
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Hamida Banu : कहते हैं "अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग जाती है।" भारत देश के हर शहर की एक अलग ही कहानी है। कोई अपने अलग अंदाज से लोगों के दिल में छाप छोड़ जाता है तो कोई अपनी कड़ी मेहनत से लोगों को प्रेरित कर जाता है। भारत देश से ऐसी कई महिलाएं निकली जो लाख कठिनाइयों के बाद भी हार ना मानकर पूरी दुनिया में अपने नाम का चमक बिखेर एक सितारा बन गई। इन्हीं महिलाओं से एक है उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की रेसलर हमीदा बानो (Hamida Banu)। 1940 से 1950 के दशक में पुरुषों को मात देने वाली हमीदा बानो ने पहलवानी में खूब नाम कमाया था। ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो पुरुषों को ओपन चैलेंज देती थी।

Hamida Banu

उत्तर प्रदेश की पहली महिला रेसलर हमीदा बानो (Wrestler Hamida Banu) को याद करने के लिए गूगल ने डूडल का सहारा लिया और उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में जन्मी ऐसी खतरनाक महिला की याद दिलाई जो किसी भी पुरुष से कुश्ती में नहीं हारी। 1940 से 1950 के दौर में हमीदा बानो का नाम सुनते ही पुरुषों के पसीने छूटने लगते थे। जब उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो आखड़े में उतरती थी तो कोई पुरूष उनके सामने नहीं टिक पाता था। हमीदा बानो ने अपनी मेहनत और लगन से लोगों के दिल में एक अलग ही छाप छोड़ी है जिसे भुला पाना सचमुच नामुमकिन है।  

शादी के लिए रखे थी धाकड़ शर्त

उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो (Hamida Banu) ने बचपन से ही कुश्ती में अपनी दिलचस्पी रखी थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ जब हमीदा बानो ने अपने घरवालों से अपनी दिलचस्पी की बात की तो उनके घरवालों ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। जिसके बाद Hamida Banu ने बगावत कर मिर्जापुर से अलीगढ़ की ओर अपना रुख मोड़ा और अलीगढ़ में सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखकर मुकाबले में उतरने लगी। साल 1954 ने दस्तक दे दी थी और ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो ने भरी महफिल में इस बात का ऐलान किया, कि हमीदा उस पुरुष से शादी कर लेंगी जो उन्हें कुश्ती में हराएगा। हमीदा बानो का ऐलान सुनकर लोग दंग रह गए थे और तमाम पुरुष पहलवान कड़ी मेहनत करने में जुट चुके थे। लेकिन हमीदा बानो के धाकड़ शर्त को कोई मर्द पूरा ना कर सका। वहीं अपने इस ऐलान के बाद से हमीदा बानो दुनियाभर में मशहूर हो गई थी।

तगड़ी थी Hamida Banu की डाइट

उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो भारत की ऐसी पहली महिला रेसलर थी जिन्होंने कई बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाया था। रिपोर्ट के अनुसार हमीदा बानो की डाइट काफी तगड़ी थी। हमीदा रोजाना 6 लीटर दूध, सवा दो लीटर फलों का जूस, एक किलो मटन, 450 ग्राम मक्खन, 6 अंडे, लगभग एक किलो बादाम, 2 बड़ी रोटियां और 2 प्लेट बिरयानी खाती थीं। दिन के 24 घंटों में वह 9 घंटे सोती थीं और 6 घंटे एक्सरसाइज किया करती थीं। उन दिनों हमीदा की तुलना अमेरिका की मशहूर पहलवान अमेजॉन से हुई थी जिसके बाद उन्हें 'अलीगढ़ की अमेजॉन' के नाम से पुकारा जाने लगा।

Hamida Banu की मौत

उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो ने साल 1954 रूस की पहलवान वेरा चिस्टिलीन (रूस की फीमेल बियर) को एक मिनट के अंदर ही हरा दिया था। वेरा चिस्टिलीन को हराने के बाद Hamida Banu ने भारत से बाहर यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने का ऐलान किया। हमीदा का ये प्लान उनके कोच सलाम पहलवान को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। जिसके बाद उन्होंने हमीदा की पिटाई करके उनके हाथ-पैर तोड़ दिए। कई सालों तक हमीदा लाठी के सहारे चलती रही, लेकिन एक दिन Hamida Banu ने कुश्ती छोड़ने का फैसला लेते हुए कुश्ती को हमेशा के लिए अलविदा कहकर एक गुमनाम जिंदगी जीने लगी। आर्थिक तंगी के चलते हमीदा बानो सड़क किनारे खाने का सामान बेचने लगी थी। साल 1986 में उत्तर प्रदेश की Hamida Banu की गुमनामी में मौत हो गई।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की दो टूक, गौमाता की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं

CM Yogi 1
UP News
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calendar27 Nov 2025 04:39 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर गाय का मुद्दा उठाया है। उत्तर प्रदेश के CM योगी ने उत्तर प्रदेश के बरेली में गाय की रक्षा का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उठाया। CM योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गौकशी करना तो दूर गाय को नुकसान पहुंचाने वाले को जहन्नुम में भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि गाय की रक्षा करने के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार कुछ भी करने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश के CM योगी ने कहा कि गौमाता की रक्षा करना उत्तर प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

उत्तर प्रदेश के बरेली में बोले CM योगी

शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बरेली में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। सभा में बोलते हुए उत्तर प्रदेश के CM योगी ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अल्पसंख्यकों को खाने-पीने की स्वतंत्रता देने की बात कही है। दरअसल, अल्पसंख्यक समाज को गोमांस पसंद है, मगर हम ऐसा होने नहीं देंगे। हम गौ माता की रक्षा के लिए जान भी देंगे। गौकशी तो दूर की बात, प्रदेश में कोई इसके बारे में सोचेगा भी तो उसके लिए जहन्नुम के द्वार खोल दिए जाएंगे।

सांपों के जहर मामले के बाद मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसा एल्विश यादव