UP Election 2022 आप प्रत्याशी समेत 6 के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट

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UP Election 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 Jan 2022 07:20 PM
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UP Election 2022 : सहारनपुर। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी योगेश दहिया और उनके भाई समेत छह लोगों के खिलाफ थाना सदर बाजार में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज की गई है। योगेश दहिया पर अपने साथियों के साथ मिलकर जमीन बेचने के नाम पर 46 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है।

मामला सहारनपुर के थाना सदर बाजार क्षेत्र का है। पैरामाउंट निवासी पुष्पेंद्र मित्तल ने बताया कि वह प्रापर्टी का काम करते हैं। वर्ष 2018 में पैरामाउंट कालोनी में ही एमएस सूरज इंफरा के मालिक हाजी फारूख, संजीव कुमार निवासी किशोर बाग कालोनी, आप नेता योगेश दहिया निवासी सांवलपुर नवादा, जितेंद्र और दो अज्ञात लोगों ने पैरामाउंट कालोनी में 458 वर्ग गज में दो प्लाट दिखाए, जिसके बाद दोनों प्लाट का सौदा 46 लाख में किया। उस समय शर्त रखी गई थी कि 10 लाख की धनराशि नगद दी जाएगी। जबकि, बाकी के पैसे एकाउंट में डालवाए जाएंगे। प्रदीप मित्तल का कहना है कि 10 लाख कैश दिया और बाकी रकम चेक से दी। कुल मिलाकर 46 लाख रुपये दे दिए गए।

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आरोप है कि पूरा पैसा देने के बाद जब उसने बैनामा कराने की बात कही तो आरोपियों ने पहले तो कोई जवाब नहीं दिया। बाद में बैनामा करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद शिकायत थाना सदर बाजार और पुलिस अधिकारियों से की गई। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पुष्पेंद्र मित्तल ने अदालत में याचिका दाखिल की। जिसके बाद अदालत ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए। कोर्ट के आदेश पर थाना सदर बाजार पुलिस ने योगेश दहिया व उनके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। वहीं, आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी योगेश दहिया ने कहा कि उनके ऊपर जो भी आरोप लग रहे हैं वह गलत हैं। उन्होंने किसी से कोई धोखाधड़ी नहीं की है। राजनीतिक कारणों से उन पर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।

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UP elections 2022 सहारनपुर : 37 हजार युवा पहली बार डालेंगे वोट

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UP elections 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:41 PM
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UP elections 2022 : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां लगातार तेज होती जा रही है, वहीं सहारनपुर जनपद में भी प्रत्याशी नामांकन प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने जनसंपर्क में तेजी ला रहे हैं। यदि इस बार युवा मतदाताओं की बात करें तो सहारनपुर जनपद में 37 हजार युवा पहली बार मतदान करने जा रहे हैं। यानि कि वह पहली बार अपना वोट डालेंगे। पिछले चुनाव की तरह इस बार भी युवा मतदाताओं की भूमिका भी अहम रहेगी। जिले के 37 हजार युवा पहली बार वोट डालेंगे। जिले में 37 हजार 491 युवा नए मतदाता बने हैं। इस बार एक लाख वोटरों की संख्या में इजाफा हुआ। जिनमें 55 हजार संख्या महिलाओं की बढ़ी है।

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विधानसभा चुनाव में इस बार युवा भी अहम किरदार में होंगे। प्रत्याशियों के भाग्य तय करने में युवा मतदाताओं का भी अहम रोल होगा। 37 हजार 491 युवा ऐसे है जो पहली बार मतदान करेंगे। इन वोटरों की उम्र 18 से 19 वर्ष की है। युवा मतदाताओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। जिस कारण उनके मत काफी मायने रखेंगे। जिले में इस बार 25 लाख 80 हजार 386 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 13 लाख 64 हजार 214 है तो वही महिला मतदाताओं की संख्या 12 लाख 16 हजार 46 है।

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सात हजार मतदाताओं ने दबाया था नोटा 2017 के चुनाव में सातों सीटों पर मतदाताओं ने पसंद और नापसंद का इजहार भी किया था। 2017 के चुनाव में सात हजार मतदाताओं ने प्रत्याशियों को नापसंद कर नोटा का प्रयोग किया था। वही सबसे ज्यादा बेहट विधानसभा सीट पर मतदाताओं ने नोटा बटन का प्रयोग किया था। मतदाता को जब कोई भी प्रत्याशी को वोट नहीं देना होता तो वो नोटा का बटन दबा देता है। 2017 विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने नोटा बटन का भी खूब प्रयोग किया था। ईवीएम में जब मतदाताओं को कोई भी प्रत्याशी समझ में नहीं आया तो उन्होनें नोटा में वोट डालने में जरा भी देरी नहीं की। जिले की सातों विधानसभा सीट पर 7069 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग कर यह बताने की कोशिश की कि उनकी अपेक्षाओं पर ये प्रत्याशी खरे नहीं हैं। सबसे ज्यादा नोटा का प्रयोग बेहट विधानसभा सीट पर हुआ। उसके बाद नोट के मामले में नकुड़ विधानसभा दूसरे नबर पर रही यहां 1232 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। गंगोह में 971 तो वही रामपुर मनिहारान में 856 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया। सहारनपुर देहात में 968 तो देवबंद में 798 लोगों ने नोटा का प्रयोग कर बताया कि कोई भी प्रत्याशी उनकी समझ में नहीं।

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karmanasa यूपी की इस नदी के पानी को हाथ तक नहीं लगाते लोग! बेहद अजीब है वजह

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 Jan 2022 06:00 PM
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karmanasa : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में एक कहानी शामिल थी, जिसका नाम कर्मनाशा (karmanasa) की हार है। यह रचना प्रसिद्ध रचनाकार शिव प्रसाद सिंह की है। शिव प्रसाद सिंह ने अपनी रचना कर्मनाशा (karmanasa) की हार में जिस नदी का जिक्र किया है, वह नदी उत्तर प्रदेश में बहती है। कहा जाता है कि सांप काटा बच सकता है, हलाहल जहर का सेवन करने वाले की मौत टल सकती है, लेकिन जिस पौधे को एक बार कर्मनाशा का जल छू जाए, वह कभी हरा नहीं हो सकता है। ऐसा ही मनुष्यों के लिए भी कहा गया है कि कर्मनाशा का पानी छूने वाला व्यक्ति कभी भी पुण्य फल प्राप्त नहीं कर सकता है।

भारत देश में नदियों को मां और देवी का दर्जा दिया गया है। नदियों को बेहद पवित्र माना गया है। उनकी पूजा होती है। पूजा-पाठ, शुभ कार्यों में पवित्र नदियों के जल का खासतौर पर उपयोग होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसी नदी भी है, जिसके पानी को लोग हाथ तक लगाने से बचते हैं।

सरस्‍वती, नर्मदा, यमुना, क्षिप्रा आदि नदियों का भी बेहद महत्‍व है। इन नदियों में स्‍नान के महापर्व कुंभ आयोजित किए जाते हैं। वहीं उत्‍तर प्रदेश की एक नदी कर्मनाशा के पानी को लोग छूते तक नहीं हैं। कर्मनाशा दो शब्दों से बना है। पहला कर्म और दूसरा नाशा। माना जाता है कि कर्मनाशा नदी का पानी छूने से काम बिगड़ जाते हैं और अच्छे कर्म भी मिट्टी में मिल जाते हैं। इसलिए लोग इस नदी के पानी को छूते ही नहीं हैं। ना ही किसी भी काम में उपयोग में लाते हैं।

कर्मनाशा नदी बिहार और उत्तर प्रदेश में बहती है। इस नदी का अधिकांश हिस्‍सा यूपी में ही आता है। यूपी में यह सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है और बक्सर के पास गंगा में मिल जाती है। मान्‍यता है कि जब इस नदी के आसपास पीने के पानी का इंतजाम नहीं था, तब लोग फल खाकर गुजारा कर लेते थे लेकिन इस नदी का पानी उपयोग में नहीं लाते थे। जबकि कर्मनाशा नदी आखिर में जाकर गंगा में ही मिलती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा हरिशचंद्र के पिता सत्यव्रत ने एक बार अपने गुरु वशिष्ठ से सशरीर स्वर्ग में जाने की इच्छा जताई, लेकिन गुरु ने इनकार कर दिया। फिर राजा सत्‍यव्रत ने गुरु विश्वामित्र से भी यही आग्रह किया। वशिष्ठ से शत्रुता के कारण विश्वामित्र ने अपने तप के बल पर सत्यव्रत को सशरीर स्वर्ग में भेज दिया। इसे देखकर इंद्रदेव क्रोधित हो गये और राजा का सिर नीचे की ओर करके धरती पर भेज दिया।

विश्वामित्र ने अपने तप से राजा को स्वर्ग और धरती के बीच रोक दिया और फिर देवताओं से युद्ध किया। इस दौरान राजा सत्‍यव्रत आसमान में उल्‍टे लटके रहे, जिससे उनके मुंह से लार गिरने लगी। यही लार नदी के तौर पर धरती पर आई। वहीं गुरु वशिष्‍ठ ने राजा सत्‍यव्रत को उनकी धृष्‍टता के कारण चांडाल होने का श्राप दे दिया। माना जाता है कि लार से नदी बनने और राजा को मिले श्राप के कारण इसे शापित माना गया।