Religious News: श्रद्धा बिन श्राद्ध कैसा

Shradh puja
locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Sep 2021 10:44 AM
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 विनय संकोची 

श्राद्ध प्रारम्भ हो गए हैं। पुराणों में श्राद्ध के महत्व का विस्तार से वर्णन मिलता है। भविष्य पुराण में श्राद्ध के बारह भेद बताये गये हैं, लेकिन मत्स्य पुराण में तीन प्रकार के श्राद्ध का उल्लेख मिलता है। यदि व्यापक दृष्टि से देखा जाए तो यही कहा जा सकता है कि श्राद्ध विशुद्ध श्रद्धा का विषय हैं। वेदों में कर्मकाण्ड, उपासनाकाण्ड और ज्ञानकाण्ड-इन तीनों का वर्णन उपलब्ध है, तथापि मुख्य स्थान कर्मकाण्ड को ही प्राप्त है। कर्मकाण्ड के अंतर्गत ही विविध यज्ञों की अनुष्ठान पद्धतियां हैं, जिनमें ‘पितृयज्ञ’ का भी वर्णन है। इस पितृपज्ञ का ही दूसरा नाम श्राद्ध है। पितृयज्ञ का मतलब यह है कि पिता-माता आदि परिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के उपरान्त उनकी तृप्ति के लिये श्रद्धापूर्वक किये जाने वाले पिण्डोदकादि समस्त कर्म पितृयज्ञ अथवा श्राद्ध कहलाते हैं।

प्राचीनकाल में मनुष्यों में श्राद्ध के प्रति जैसी अटूट श्रद्धा भक्ति थी, वैसी आजकल के मनुष्यों मेें नहीं है। अत: आजकल के तमाम लोग न केवल श्राद्ध को व्यर्थ समझकर उसे नहीं करते हैं अपितु श्राद्धकर्म की आलोचना भी खूब खुलकर करते हैं। कुछ लोग हैं जो अनिष्ट के भय से श्राद्ध की औपचारिकता मात्र करते हैं। जबकि शास्त्रों का आदेश है कि मृत पितृगणों की मरण तिथि के दिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

अपनी संस्कृति से विमुख पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण में लिप्त बहुत से भारतीय जिस श्राद्ध का तिरस्कार करने में गर्व का अनुभव करते हैं, उसी पितृयज्ञ (श्राद्ध) की शाहजहां तक ने सराहना की है। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को कारागार में डाल दिया था। उस समय की एक घटना का जिक्र आकिल खां ने अपनी पुस्तक ‘वाकेआत आलमगीरी’ में विस्तार से किया है। आकिल खां ने शाहजहां द्वारा अपने बेटे औरंगजेब को लिखे एक पत्र का उल्लेख किया है-उसका एक अंश यूं है-

ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी,

ब पिदरे जिंदा आब तरसानी।

आफरीन बाद हिंदबान सद बार,

मैं देहंद पिदरे मुर्दारावा दायम आब।।

भावार्थ यह है-‘हे पुत्र! तू भी विचित्र मुसलमान है जो अपने जीवित पिता को जल के लिये तरसा रहा है। शत-शत बार प्रशंसनीय हैं वे हिंदू, जो अपने मृत पिता को भी जल देते हैं।’

इसके अतिरिक्त श्राद्ध के विषय में एक संस्कृत के विद्वान अंग्रेज ने अपनी पुस्तक ‘आर्यों की महानता’ में लिखा है-‘नि:संदेह हिंदू अभी तक पितरों के प्रति श्राद्ध तथा अन्य कर्मों में विशेष श्रद्धा और आदरभाव से करते हैं। मेरा विचार है कि हमारे ईसाई मत में पूर्वजों की स्मृति न मनाना एक त्रुटि है। किसी-किसी देश में श्राद्ध करने की प्रथा रूढि़ में परिणत हो गयी है; परंतु वास्तव में उस कार्यक्रम में उन लोगों के हृदयों में अपने पूर्वजों के प्रति अगाध श्रद्धा और स्मरण भाव निहित रहता है, ऐसे भाव प्रशंसनीय ही नहीं वरन उनको प्रोत्साहित करना भी सर्वथा उचित है। मेरा मत है कि इस प्रकार की प्रथा प्रत्येक धर्मानुयायियों में होना आवश्यक है।’

श्राद्ध को वेद-पुराण ने श्रद्धा से जोड़ा है। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही श्राद्ध है। आज पितरों की कौन कहे, अधिकांश जीवित माता-पिताओं की स्थिति औरंगजेब की जेल में बंद शाहजहां से भी गई बीती है। कम से कम शाहजहां ने अपना दु:खड़ा, पत्र लिखकर अपने जालिम बेटे से कह तो दिया था। आज के बुजुर्ग तो अपनी पीड़ा अपनी संतान के सामने बयां करने का साहस जुटाने की स्थिति तक में नहीं हैं। होठों को सींकर, आंखों में छलकते आंसुओं को पीकर पल-पल घुटने वाले माता-पिता उपेक्षित, प्रताडि़त, लांछित होते हुए भी समाज के सामने नालायक औलाद की प्रशंसा करने को मजबूर हैं। सच बोला तो कलह होगी और उनका उत्पीडऩ बढ़ जाएगा-यह डर उन्हें बोलने नहीं देता है। जीवित बुजुर्गों को अपमानित करने वालों के लिए श्राद्ध की प्रथा नहीं बनी है। जो जीवित बड़े-बूढ़ों का सम्मान नहीं कर सकते और उनके मरने के बाद श्राद्ध करने का ढोंग रचते हैं-ऐसे लोगों का ग्रास तो कौवे भी ग्रहण नहीं करते होंगे।

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Shradh puja
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 विनय संकोची 

श्राद्ध प्रारम्भ हो गए हैं। पुराणों में श्राद्ध के महत्व का विस्तार से वर्णन मिलता है। भविष्य पुराण में श्राद्ध के बारह भेद बताये गये हैं, लेकिन मत्स्य पुराण में तीन प्रकार के श्राद्ध का उल्लेख मिलता है। यदि व्यापक दृष्टि से देखा जाए तो यही कहा जा सकता है कि श्राद्ध विशुद्ध श्रद्धा का विषय हैं। वेदों में कर्मकाण्ड, उपासनाकाण्ड और ज्ञानकाण्ड-इन तीनों का वर्णन उपलब्ध है, तथापि मुख्य स्थान कर्मकाण्ड को ही प्राप्त है। कर्मकाण्ड के अंतर्गत ही विविध यज्ञों की अनुष्ठान पद्धतियां हैं, जिनमें ‘पितृयज्ञ’ का भी वर्णन है। इस पितृपज्ञ का ही दूसरा नाम श्राद्ध है। पितृयज्ञ का मतलब यह है कि पिता-माता आदि परिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के उपरान्त उनकी तृप्ति के लिये श्रद्धापूर्वक किये जाने वाले पिण्डोदकादि समस्त कर्म पितृयज्ञ अथवा श्राद्ध कहलाते हैं।

प्राचीनकाल में मनुष्यों में श्राद्ध के प्रति जैसी अटूट श्रद्धा भक्ति थी, वैसी आजकल के मनुष्यों मेें नहीं है। अत: आजकल के तमाम लोग न केवल श्राद्ध को व्यर्थ समझकर उसे नहीं करते हैं अपितु श्राद्धकर्म की आलोचना भी खूब खुलकर करते हैं। कुछ लोग हैं जो अनिष्ट के भय से श्राद्ध की औपचारिकता मात्र करते हैं। जबकि शास्त्रों का आदेश है कि मृत पितृगणों की मरण तिथि के दिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

अपनी संस्कृति से विमुख पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण में लिप्त बहुत से भारतीय जिस श्राद्ध का तिरस्कार करने में गर्व का अनुभव करते हैं, उसी पितृयज्ञ (श्राद्ध) की शाहजहां तक ने सराहना की है। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को कारागार में डाल दिया था। उस समय की एक घटना का जिक्र आकिल खां ने अपनी पुस्तक ‘वाकेआत आलमगीरी’ में विस्तार से किया है। आकिल खां ने शाहजहां द्वारा अपने बेटे औरंगजेब को लिखे एक पत्र का उल्लेख किया है-उसका एक अंश यूं है-

ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी,

ब पिदरे जिंदा आब तरसानी।

आफरीन बाद हिंदबान सद बार,

मैं देहंद पिदरे मुर्दारावा दायम आब।।

भावार्थ यह है-‘हे पुत्र! तू भी विचित्र मुसलमान है जो अपने जीवित पिता को जल के लिये तरसा रहा है। शत-शत बार प्रशंसनीय हैं वे हिंदू, जो अपने मृत पिता को भी जल देते हैं।’

इसके अतिरिक्त श्राद्ध के विषय में एक संस्कृत के विद्वान अंग्रेज ने अपनी पुस्तक ‘आर्यों की महानता’ में लिखा है-‘नि:संदेह हिंदू अभी तक पितरों के प्रति श्राद्ध तथा अन्य कर्मों में विशेष श्रद्धा और आदरभाव से करते हैं। मेरा विचार है कि हमारे ईसाई मत में पूर्वजों की स्मृति न मनाना एक त्रुटि है। किसी-किसी देश में श्राद्ध करने की प्रथा रूढि़ में परिणत हो गयी है; परंतु वास्तव में उस कार्यक्रम में उन लोगों के हृदयों में अपने पूर्वजों के प्रति अगाध श्रद्धा और स्मरण भाव निहित रहता है, ऐसे भाव प्रशंसनीय ही नहीं वरन उनको प्रोत्साहित करना भी सर्वथा उचित है। मेरा मत है कि इस प्रकार की प्रथा प्रत्येक धर्मानुयायियों में होना आवश्यक है।’

श्राद्ध को वेद-पुराण ने श्रद्धा से जोड़ा है। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही श्राद्ध है। आज पितरों की कौन कहे, अधिकांश जीवित माता-पिताओं की स्थिति औरंगजेब की जेल में बंद शाहजहां से भी गई बीती है। कम से कम शाहजहां ने अपना दु:खड़ा, पत्र लिखकर अपने जालिम बेटे से कह तो दिया था। आज के बुजुर्ग तो अपनी पीड़ा अपनी संतान के सामने बयां करने का साहस जुटाने की स्थिति तक में नहीं हैं। होठों को सींकर, आंखों में छलकते आंसुओं को पीकर पल-पल घुटने वाले माता-पिता उपेक्षित, प्रताडि़त, लांछित होते हुए भी समाज के सामने नालायक औलाद की प्रशंसा करने को मजबूर हैं। सच बोला तो कलह होगी और उनका उत्पीडऩ बढ़ जाएगा-यह डर उन्हें बोलने नहीं देता है। जीवित बुजुर्गों को अपमानित करने वालों के लिए श्राद्ध की प्रथा नहीं बनी है। जो जीवित बड़े-बूढ़ों का सम्मान नहीं कर सकते और उनके मरने के बाद श्राद्ध करने का ढोंग रचते हैं-ऐसे लोगों का ग्रास तो कौवे भी ग्रहण नहीं करते होंगे।

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दैनिक राशिफल 20 सितंबर 2021- जानिए क्या कहते हैं आज आपके सितारे

Rashifal 20 September
locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar20 Sep 2021 07:53 AM
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20 सितंबर 2021-(सोमवार) जानते हैं आपके राशिफल के मुताबिक कैसा बीतने वाला है आज आपका दिन-

मेष राशि - आज आज का दिन सामान्य फलदायक होगा। यदि कोई सरकारी काम करवाना चाहते हैं तो आज अधिकारियों से मतभेद हो सकती है। आज किसी नए काम में निवेश करना उचित नहीं होगा। प्रेम संबंधों में मधुरता आएगी। सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों को सम्मान की प्राप्ति होगी। नौकरीपेशा लोगों के लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। यात्रा पर जाने के विचार बन सकते हैं।

वृषक राशि - आज का दिन सामान्य रहेगा। व्यापार से जुड़े लोगों को व्यय करने से पहले सोच विचार कर लेना चाहिए। आर्थिक हानि हो सकती है। सायं काल का समय सामाजिक कार्यों में बीतेगा। काफी दिनों से रुका हुआ। काम पूरा होगा जिसकी वजह से मन काफी प्रसन्न रहेगा। मिथुन राशि - आज का दिन कुछ अधिक खास नहीं होगा व्यवसाय से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। पिता का आशीर्वाद मिलेगा। पुराने मित्रों से मुलाकात होगी। परिवार के साथ खुशहाल दिन बीतेगा। प्रेम संबंधों में मधुरता आएगी।

कर्क राशि -आज का दिन काफी व्यस्त रहेगा। सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों के लिए दिन लाभदायक है। विरोधियों की आलोचना का सामना करना पड़ सकता है, पर उस पर ध्यान दिए बगैर आगे बढ़ेंगे तो सफलता मिलेगी। किसी परिजन को लेकर थोड़ा परेशान हो सकते हैं। संतान से शुभ समाचार मिलेगा।

सिंह राशि -आज का दिन थोड़ा चिंता में व्यतीत होगा। बेवजह के खर्चे सामने आ सकते हैं जिनकी वजह से थोड़ा परेशान रहेंगे। व्यवसाय के क्षेत्र में शुभ समाचार सुनने को मिल सकता है। पारिवारिक एवं सामाजिक कार्यों के उत्तरदायित्व में बढ़ोतरी होगी। सायं काल के समय प्रिय जनों के साथ घूमने का प्रोग्राम बना सकते हैं।

कन्या राशि -आज का दिन शुभ फलदायक है। मांगलिक कार्यों में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हो सकता है। घर में लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान मिलेगा। व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए सायं काल के समय शुभ समाचार मिल सकता है। रुका हुआ धन वापस मिलेगा। क्रोध पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। विपरीत परिस्थितियों में मन को शांत रखने का प्रयास करें।

तुला राशि -आज का दिन महत्वाकांक्षा से भरपूर होगा। व्यवसाय के संबंध में किसी यात्रा पर जाना पड़ सकता है।जिनका व्यापार विरोधी देशों में भी फैला हुआ है उनके लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। वरिष्ठ अधिकारियों से कुछ सलाह ले सकते हैं। पारिवारिक जीवन खुशहाल रहेगा। जीवन साथी के साथ संबंध मधुर होंगे।

वृश्चिक राशि -आज का दिन आप की क्षमता दिखाने का दिन है। नौकरी पेशा लोगों को अपने सहयोगियों की सहायता की जरूरत पड़ सकती है। क्रोध पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। संतान से जुड़ी निराशा का सामना करना पड़ सकता है जिसकी वजह से मन थोड़ा व्यथित रहेगा।

धनु राशि - आज का दिन मिश्रित प्रणाम लेकर आने वाला है। व्यवसाय तथा घर दोनों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। घर के वरिष्ठ सदस्य के सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है। सायं काल का समय माता पिता की सेवा में गुजरेगा। जीवन साथी का पूरा सहयोग मिलेगा जिससे आप हर परेशानियों का मुकाबला कर आगे बढ़ेंगे।

मकर राशि -आज का दिन उत्तम फलदायक है। आर्थिक लाभ मिल सकता है। संपत्ति के सौदे को लेकर आज का दिन बेहद उत्तम फलदायक है। किसी भी निर्णय को बेहद सोच विचार कर लेने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है सायं काल का समय घर में खुशी पूर्वक व्यतीत होगा।

कुंभ राशि -आज का दिन आपके लिए मिश्रित परिणाम लेकर आने वाला है। पुराना कर्जा उतारने में सफल होंगे जिससे मन को संतुष्टि मिलेगी। जीवन साथी के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा कहीं घूमने का प्रोग्राम बना सकते हैं। आर्थिक व्यय अधिक होगा जिससे सायं काल में मन थोड़ा अशांत रहेगा। शौक सरकारी नौकरी से जुड़े जातकों के लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। नौकरी में पदोन्नति के योग बनते दिखाई दे रहे हैं।

मीन राशि -आज का दिन बेहद सकारात्मक प्रतीत होने वाला है। आज जिस भी कार्य की शुरुआत करेंगे उसमें सफलता अवश्य मिलेगी। किसी मित्र के सेहत से जुड़ी खबर की वजह से मन थोड़ा व्यथित रहेगा। संतान से जुड़ी किसी ऐसी समस्या जो लंबे समय से चली आ रही है का अंत होगा। छात्रों के लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। कठिन परिश्रम के बाद परीक्षा में सफलता प्राप्त होगी।