भारत को अपनी बात कहने के लिए किसी तीसरे की दरकार नहीं - शशि थरूर

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Shashi Tharoor
locationभारत
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calendar29 Nov 2025 09:46 PM
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Shashi Tharoor :  ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा केंद्र सरकार पर लगाए गए ‘सरेंडर’ वाले बयान के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. शशि थरूर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की विदेश नीति सदैव स्वतंत्र और स्वाभिमानी रही है, और किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कभी कोई मांग नहीं की गई। अमेरिका में भारत सरकार की रणनीतिक कूटनीति ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शशि थरूर ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत को अपने अंतरराष्ट्रीय मसलों के समाधान के लिए किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। थरूर का यह बयान उस वक्त आया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर इस अभियान को लेकर ‘सरेंडर’ की मानसिकता अपनाने का आरोप लगाया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रति हमारे मन में सम्मान - थरूर

थरूर इस समय वॉशिंगटन डीसी में भारत सरकार के ओर से चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के वैश्विक आउटरिच अभियान की अगुवाई कर रहे हैं। इसी दौरान जब उनसे अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अतीत में की गई मध्यस्थता की पेशकश को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने संयमपूर्वक जवाब देते हुए कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रति हमारे मन में सम्मान है, लेकिन हम इतना जरूर कहेंगे कि भारत ने न तो कभी किसी मध्यस्थता की मांग की और न ही इसकी आवश्यकता महसूस की है।

पाकिस्तान को दिया स्पष्ट संदेश

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान थरूर ने यह भी रेखांकित किया कि भारत किसी के हस्तक्षेप के बिना अपने मसलों को सुलझाने में सक्षम है। उन्होंने पाकिस्तान के सन्दर्भ में कहा, "अगर पड़ोसी देश वाकई आतंकवादी ढांचे को समाप्त करने के लिए गंभीर पहल करता है और यह दर्शाता है कि वह भारत से सामान्य और सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है, तो संवाद की संभावना जरूर है। लेकिन उसके लिए किसी मध्यस्थ की कोई आवश्यकता नहीं है।    Shashi Tharoor

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Financial Aid To Pakistan
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Jun 2025 11:40 PM
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Financial Aid To Pakistan : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। जिससे पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बावजूद, पाकिस्तान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है, लेकिन फिर भी वह आतंकवाद फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय संसाधन जुटा रहा है। इस रहस्य के पीछे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाएँ हैं, जो पाकिस्तान को भारी आर्थिक सहायता प्रदान कर रही हैं। भारत सरकार की कूटनीति इस चुनौती के सामने क्यों नहीं हो रही सफल, यह सवाल अब तेजी से उभर रहा है।

तनाव के बीच भी आईएमएफ ने दी अरबों की मदद

भारत-पाक के जारी तनाव के बीच आईएमएफ ने पाकिस्तान को करीब 1 अरब डॉलर की तत्काल वित्तीय सहायता दी। भारत ने इस फैसले का विरोध किया और आईएमएफ की बैठक में मतदान से परहेज किया। सितंबर 2024 में पाकिस्तान को आईएमएफ से 7 बिलियन डॉलर के ऋण की मंजूरी मिली थी। पाकिस्तान अब तक आईएमएफ से 24 बार वित्तीय मदद ले चुका है।

वर्ल्ड बैंक और एडीबी का भी भरपूर सहयोग

वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक ने भी पाकिस्तान को अरबों डॉलर का आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। एडीबी ने राजकोषीय स्थिरता और वित्तीय प्रबंधन के सुधार के लिए पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर की सहायता दी है, जिसमें नीति-आधारित ऋण और कार्यक्रम-आधारित गारंटी शामिल हैं।

आतंकवाद पर पाकिस्तान का खर्चा और भारत की चुनौती

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान हर साल भारत में आतंक फैलाने के लिए लगभग 42 करोड़ रुपये खर्च करता है, जबकि भारत सरकार इस दिशा में करीब 730 करोड़ रुपये खर्च करती है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर पाकिस्तान का वार्षिक खर्च करीब 683 करोड़ रुपये है।

बड़ी वित्तीय मदद के बावजूद सवाल उठते हैं

पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी घटनाओं के बढ़ने के कारण भारत बार-बार यह सवाल उठाता रहा है कि ये वित्तीय संसाधन आतंकवाद के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई विकास बैंक ने पाकिस्तान को 43.4 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दी है, जबकि वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान में 365 परियोजनाओं के लिए 49.7 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है। जनवरी 2025 में 20 बिलियन डॉलर की बड़ी डील भी प्रस्तावित है।

आईएमएफ का खेल और अमेरिका की भूमिका

आईएमएफ के फंड सदस्य देशों के कोटे पर आधारित होते हैं। अमेरिका इस फंड का सबसे बड़ा कोटा धारक है और उसके पास वोटिंग पावर भी सबसे अधिक है। हालांकि, अमेरिका परंपरागत रूप से पाकिस्तान का मित्र रहा है, इसलिए वह पाकिस्तान को सहायता देने में अड़ंगा नहीं लगाता।

कर्ज के जाल में फंसा पाकिस्तान

पिछले 35 वर्षों में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 28 बार कर्ज लिया है। इसके अलावा चीन, सऊदी अरब, यूएई, पेरिस क्लब, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, एशियाई विकास बैंक जैसे कई अन्य संस्थानों से भी भारी कर्ज प्राप्त किया है। पहलगाम हमले जैसे गंभीर घटनाओं के बाद भी पाकिस्तान को वित्तीय मदद की बहार मिल रही है। इस पर भारत की कूटनीति कितना प्रभावी साबित हो रही है, यह अब एक बड़ा सवाल बन चुका है। मोदी सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह वैश्विक मंच पर इस वित्तीय मदद को आतंकवाद की पोषण सामग्री बनने से कैसे रोके।

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भारत के विरोध के बाद भी पाक को मिला आर्थिक सहारा , IMF के बाद इस एजेंसी ने दी मदद

Pakistan News
Pakistan News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:51 AM
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Pakistan News :  आतंकवाद को बढ़ावा देने के अपने पुराने रिकॉर्ड के बावजूद पाकिस्तान को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से राहत मिल गई है। एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारत की तीव्र आपत्तियों के बावजूद पाकिस्तान को 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर का बेलआउट पैकेज स्वीकृत कर दिया है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी पाकिस्तान को भारी वित्तीय सहायता दी थी। भारत ने इस कदम पर गहरी नाराजगी जताई है और कहा है कि पाकिस्तान को दी जा रही इस प्रकार की आर्थिक मदद अंततः क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है, क्योंकि इस सहायता का उपयोग आतंकवाद या सैन्य विस्तार के लिए हो सकता है।

भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति

विदित हो कि भारत ने ADB सहित अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थाओं को स्पष्ट रूप से आगाह किया था कि पाकिस्तान का इतिहास अंतरराष्ट्रीय सहायता के दुरुपयोग से भरा रहा है। चाहे वह IMF की 8,500 करोड़ रुपये की पिछली सहायता हो या अन्य राहत पैकेज—इनका बड़ा हिस्सा विकास योजनाओं में न लगकर सैन्य और संदिग्ध गतिविधियों में खपता रहा है।

पाकिस्तान ने किया आर्थिक सुधार का दावा

पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने इस सहायता पर प्रसन्नता जताते हुए कहा है कि यह राशि दो हिस्सों में दी जा रही है—300 मिलियन डॉलर पॉलिसी बेस्ड लोन (PBL) के तहत और 500 मिलियन डॉलर प्रोग्राम बेस्ड गारंटी (PBG) के रूप में। पाकिस्तानी वित्त मंत्री के सलाहकार खुर्रम शहजाद के मुताबिक, इस राशि का इस्तेमाल कर सुधार, राजस्व वृद्धि और योजनागत विकास के लिए किया जाएगा। पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इस बेलआउट पैकेज का उद्देश्य घरेलू संसाधन जुटाने की प्रक्रिया को मजबूत करना और वित्तीय संतुलन स्थापित करना है।

नई दिल्ली का रुख साफ है—जब तक पाकिस्तान की शासन व्यवस्था सेना के अधीन है और वहां लोकतांत्रिक पारदर्शिता नहीं आती, तब तक किसी भी अंतरराष्ट्रीय सहायता का उचित उपयोग संदिग्ध बना रहेगा। भारत ने यह भी रेखांकित किया कि अब तक मिले दर्जनों अरबों डॉलर की मदद के बावजूद पाकिस्तान आर्थिक सुधारों को लागू करने में नाकाम रहा है।    Pakistan News

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