Dharam Karma : वेद वाणी





सहारनपुर। क्रिसमस (Christmas 2021) पर्व को लेकर यूं तो देशभर में तैयारी हो गई है। लेकिन इन सबसे हटकर यहां पर देखने लायक हैं सहारनपुर के चर्च। सहारनपुर प्राचीन और ऐतिहासिक चर्चाें (Ancient and Historical Church) का अपना अलग ही महत्व है। 1832 में स्थापित सेंट थामस चर्च (St. Thomas Church) में 1836 में पहली मैरिज कराई गई थी। आज भी यह चर्च शांति और एकता का परिचय दे रहा है। इसके अलावा शहर में स्थित अन्य चर्च भी अपनी ऐतिहासिकता के कारण न केवल ईसाई समुदाय बल्कि दूसरे समुदायों के लोगों के लिए रमणीय स्थल है।
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christmas 2021 special[/caption]
सेंट थामस चर्च की स्थापना 1832 में हुई थी। पावेल परिवार द्वारा बनवाए गए चर्च में आईटीसी और रिमाउंट डिपो के रायल परिवार प्रार्थना के लिए पहुुंचते थे। चर्च के निकट ही लोहे का बना ब्रिज भी पावेल परिवार ने बनवाया था। बाजोरिया रोड स्थित चर्च कंपाउंड क्षेत्र में स्थित इस चर्च में रहने वाली आर्मी तथा आईटीसी अधिकारियों के रायल परिवारों के लिए चर्च की स्थापना हुई थी। पहली बार हुई प्रार्थना में 300 से अधिक लोग शामिलल हुए थे। उस वक्त फादर क्रि स्टोफर लूचंस ने सबसे पहले यहां प्रार्थना कराई थी। वह करीब साल तक यहां रहे। ब्रिटेन के रायल परिवारों से भी चर्च का नाता रहा है। 1836 में यहां पर पहली मैरिज कराए जाने का प्रमाण भी मिलता है। सैना के लिए घोड़ों को ट्रेनिंग के लिए सहारनपुर में बनाया गया रिमाउंट डिपो के अधिकारी यहां पर प्रार्थना के लिए पहुंचते थे।
इंग्लैंड की विशेष धार्मिक नियंत्रक संस्था एंजालिकन चर्च आफ इंग्लैंड के निर्देश पर एक सैन्य अधिकारी जेम्स पॉवले ने जेम्स सेंट थामस चर्च का निर्माण 1854 में कराया था। यह चर्च यूरोपियन वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है, इसकी शैली एंगोगोथिक है। शंकु आकार की मीनार, ऊंची छत बेहद आकर्षक है। चर्च का विशाल हॉल का समय समय पर जीर्णाेद्धार कराया जाता रहा है। पहले इस चर्च के ऊपरी हिस्से को सहारा देने के लिए लकड़ियों के लट्ठों का प्रयोग किया गया था, जिनका स्थान अब लोहे के निर्माण ने ले लिया है। हॉल के भीतर प्रभु यीशु का रंगीन शीशों पर चित्रित आकर्षक स्वरुप मनमोहक है। बाहरी प्रकाश में यह खूब दमकती है। यह चित्र मध्यकालीन यूरोपीय गोथिक चित्र शैली में कलर्ड स्टैंड ग्लास तकनीक से बनाए गए हैं।
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christmas 2021 special[/caption]
सहारनपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन 30 दिसंबर 1803 से मराठों की पराजय से शुरु हुआ। कंपनी के शासन के तुरंत बाद सहारनपुर को जनपद मुख्यालय घोषित कर दिया गया था। सहारनपुर में कलक्टर व अन्य अधिकारियों के निवासों का निर्माण कराया गया था। सन 1854 में अनेक बंगलों का निर्माण किया गया। इसी वर्ष सेंट थॉमस चर्च का भी निर्माण हुआ। यह चर्च सहारनपुर की सबसे पुरानी चर्च मानी जाती है। सेंट थॉमस चर्च से करीब 150 मीटर की दूरी पर एक पुरानी कब्रगाह है। इसमें सबसे पुरानी कब्र का पक्का निर्माण सन 1804 में किया गया था। यहां 19वीं और 20वीं शताब्दी मं ऐसे अनेक पक्के कब्रगाह हैं, जिनसे नजरे हटती नहीं। कब्रगाह के साथ संगमरमर और धातुओं से बने क्रास के अलावा अनेक देवदूत, प्राथर्ना करती परियां, स्वर्ग में जाने वो मार्ग, पुस्तकों पर लिखे हुए संदेश, प्रियजनों के लिए पत्थरों पर खुदे हुए संदेश कला बेहतरीन नमूना है। सभी मूतिर्योंं को एंग्लों विक्टोरियन शैली में बखूबी तराशा गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इसे संरक्षित घोषित किया गया है।
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christmas 2021 special[/caption]
इसके अलावा सहारनपुर की गिल कालोनी स्थित असेम्बली आफ गॉड चर्च का निर्माण 1916 में किया गया था। हाल फिलहाल इस चर्च में निर्माण कार्य चल रहा है। मिशन कंपाउंड स्थित सीएनआई चर्च , मैथोडिस्ट चर्च, सेवंथ डे चर्च और सेक्रेट हॉर्ट चर्च भी दर्शनीय है। यह सभी भी ब्रिटिश काल की उन यादों को ताजा करते हैं, जब ब्रिटिश शासक यहां पहुंचकर क्रिसमस पर्व को धूमधाम से मनाने थे।
महेश के. शिवा
सहारनपुर। क्रिसमस (Christmas 2021) पर्व को लेकर यूं तो देशभर में तैयारी हो गई है। लेकिन इन सबसे हटकर यहां पर देखने लायक हैं सहारनपुर के चर्च। सहारनपुर प्राचीन और ऐतिहासिक चर्चाें (Ancient and Historical Church) का अपना अलग ही महत्व है। 1832 में स्थापित सेंट थामस चर्च (St. Thomas Church) में 1836 में पहली मैरिज कराई गई थी। आज भी यह चर्च शांति और एकता का परिचय दे रहा है। इसके अलावा शहर में स्थित अन्य चर्च भी अपनी ऐतिहासिकता के कारण न केवल ईसाई समुदाय बल्कि दूसरे समुदायों के लोगों के लिए रमणीय स्थल है।
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सेंट थामस चर्च की स्थापना 1832 में हुई थी। पावेल परिवार द्वारा बनवाए गए चर्च में आईटीसी और रिमाउंट डिपो के रायल परिवार प्रार्थना के लिए पहुुंचते थे। चर्च के निकट ही लोहे का बना ब्रिज भी पावेल परिवार ने बनवाया था। बाजोरिया रोड स्थित चर्च कंपाउंड क्षेत्र में स्थित इस चर्च में रहने वाली आर्मी तथा आईटीसी अधिकारियों के रायल परिवारों के लिए चर्च की स्थापना हुई थी। पहली बार हुई प्रार्थना में 300 से अधिक लोग शामिलल हुए थे। उस वक्त फादर क्रि स्टोफर लूचंस ने सबसे पहले यहां प्रार्थना कराई थी। वह करीब साल तक यहां रहे। ब्रिटेन के रायल परिवारों से भी चर्च का नाता रहा है। 1836 में यहां पर पहली मैरिज कराए जाने का प्रमाण भी मिलता है। सैना के लिए घोड़ों को ट्रेनिंग के लिए सहारनपुर में बनाया गया रिमाउंट डिपो के अधिकारी यहां पर प्रार्थना के लिए पहुंचते थे।
इंग्लैंड की विशेष धार्मिक नियंत्रक संस्था एंजालिकन चर्च आफ इंग्लैंड के निर्देश पर एक सैन्य अधिकारी जेम्स पॉवले ने जेम्स सेंट थामस चर्च का निर्माण 1854 में कराया था। यह चर्च यूरोपियन वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है, इसकी शैली एंगोगोथिक है। शंकु आकार की मीनार, ऊंची छत बेहद आकर्षक है। चर्च का विशाल हॉल का समय समय पर जीर्णाेद्धार कराया जाता रहा है। पहले इस चर्च के ऊपरी हिस्से को सहारा देने के लिए लकड़ियों के लट्ठों का प्रयोग किया गया था, जिनका स्थान अब लोहे के निर्माण ने ले लिया है। हॉल के भीतर प्रभु यीशु का रंगीन शीशों पर चित्रित आकर्षक स्वरुप मनमोहक है। बाहरी प्रकाश में यह खूब दमकती है। यह चित्र मध्यकालीन यूरोपीय गोथिक चित्र शैली में कलर्ड स्टैंड ग्लास तकनीक से बनाए गए हैं।
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सहारनपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन 30 दिसंबर 1803 से मराठों की पराजय से शुरु हुआ। कंपनी के शासन के तुरंत बाद सहारनपुर को जनपद मुख्यालय घोषित कर दिया गया था। सहारनपुर में कलक्टर व अन्य अधिकारियों के निवासों का निर्माण कराया गया था। सन 1854 में अनेक बंगलों का निर्माण किया गया। इसी वर्ष सेंट थॉमस चर्च का भी निर्माण हुआ। यह चर्च सहारनपुर की सबसे पुरानी चर्च मानी जाती है। सेंट थॉमस चर्च से करीब 150 मीटर की दूरी पर एक पुरानी कब्रगाह है। इसमें सबसे पुरानी कब्र का पक्का निर्माण सन 1804 में किया गया था। यहां 19वीं और 20वीं शताब्दी मं ऐसे अनेक पक्के कब्रगाह हैं, जिनसे नजरे हटती नहीं। कब्रगाह के साथ संगमरमर और धातुओं से बने क्रास के अलावा अनेक देवदूत, प्राथर्ना करती परियां, स्वर्ग में जाने वो मार्ग, पुस्तकों पर लिखे हुए संदेश, प्रियजनों के लिए पत्थरों पर खुदे हुए संदेश कला बेहतरीन नमूना है। सभी मूतिर्योंं को एंग्लों विक्टोरियन शैली में बखूबी तराशा गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इसे संरक्षित घोषित किया गया है।
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इसके अलावा सहारनपुर की गिल कालोनी स्थित असेम्बली आफ गॉड चर्च का निर्माण 1916 में किया गया था। हाल फिलहाल इस चर्च में निर्माण कार्य चल रहा है। मिशन कंपाउंड स्थित सीएनआई चर्च , मैथोडिस्ट चर्च, सेवंथ डे चर्च और सेक्रेट हॉर्ट चर्च भी दर्शनीय है। यह सभी भी ब्रिटिश काल की उन यादों को ताजा करते हैं, जब ब्रिटिश शासक यहां पहुंचकर क्रिसमस पर्व को धूमधाम से मनाने थे।
महेश के. शिवा