करवा चौथ पर भूलकर भी न करें ये काम! माने जाते हैं अपशकुन

करवा चौथ पर भूलकर भी न करें ये काम! माने जाते हैं अपशकुन
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 Oct 2025 03:25 PM
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करवा चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति में न केवल आस्था और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में अटूट प्रेम, विश्वास और समर्पण की भावना को भी दर्शाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी ग्रहण कर निर्जला व्रत की शुरुआत करती हैं और रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।    Karwa Chauth 2025

करवा चौथ पर झगड़ा और रोना क्यों है वर्जित?

शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ का दिन पति-पत्नी के प्रेम और आपसी सामंजस्य का प्रतीक होता है। ऐसे में इस दिन किसी प्रकार का झगड़ा, क्रोध या रोना अशुभ माना गया है। यह व्रत सकारात्मक भावनाओं, स्नेह और संयम पर आधारित होता है। यदि इस दिन महिला रोती है या पति से वाद-विवाद करती है, तो माना जाता है कि इससे व्रत की पवित्रता भंग होती है और उसका फल कम हो जाता है।
रोना या झगड़ा करने से नकारात्मक ऊर्जा और दुख की भावना पैदा होती है, जो इस शुभ पर्व के उद्देश्य—पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख—को प्रभावित करती है। इसलिए इस दिन महिलाओं को धैर्य और मधुरता बनाए रखने की सलाह दी जाती है।

यह भी पढ़े: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लगा तगड़ा झटका

करवा चौथ पर किन चीजों से बचना चाहिए

  • झगड़ा या अपमान: पति या किसी बड़े-बुजुर्ग से झगड़ा करना अथवा अपमानजनक शब्द कहना व्रत को अशुभ बनाता है।

  • रोना या उदासी: व्रत के दौरान दुखी मन या आंसू बहाना व्रत की शुभता को कम करता है।

  • नुकीली चीजों का प्रयोग: इस दिन सुई, कैंची या किसी भी नुकीले औजार का उपयोग अशुभ माना गया है।

  • सिलाई-कढ़ाई न करें: सिलाई, बटन टांकना या कढ़ाई करने से व्रत की ऊर्जा में बाधा आती है, इसलिए इससे परहेज करना चाहिए।

  • अनावश्यक नींद से बचें: दिन में अधिक सोना या दूसरों को नींद से जगाना भी शुभ नहीं माना जाता।    Karwa Chauth 2025

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करवा चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति में न केवल आस्था और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में अटूट प्रेम, विश्वास और समर्पण की भावना को भी दर्शाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी ग्रहण कर निर्जला व्रत की शुरुआत करती हैं और रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।    Karwa Chauth 2025

करवा चौथ पर झगड़ा और रोना क्यों है वर्जित?

शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ का दिन पति-पत्नी के प्रेम और आपसी सामंजस्य का प्रतीक होता है। ऐसे में इस दिन किसी प्रकार का झगड़ा, क्रोध या रोना अशुभ माना गया है। यह व्रत सकारात्मक भावनाओं, स्नेह और संयम पर आधारित होता है। यदि इस दिन महिला रोती है या पति से वाद-विवाद करती है, तो माना जाता है कि इससे व्रत की पवित्रता भंग होती है और उसका फल कम हो जाता है।
रोना या झगड़ा करने से नकारात्मक ऊर्जा और दुख की भावना पैदा होती है, जो इस शुभ पर्व के उद्देश्य—पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख—को प्रभावित करती है। इसलिए इस दिन महिलाओं को धैर्य और मधुरता बनाए रखने की सलाह दी जाती है।

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करवा चौथ पर किन चीजों से बचना चाहिए

  • झगड़ा या अपमान: पति या किसी बड़े-बुजुर्ग से झगड़ा करना अथवा अपमानजनक शब्द कहना व्रत को अशुभ बनाता है।

  • रोना या उदासी: व्रत के दौरान दुखी मन या आंसू बहाना व्रत की शुभता को कम करता है।

  • नुकीली चीजों का प्रयोग: इस दिन सुई, कैंची या किसी भी नुकीले औजार का उपयोग अशुभ माना गया है।

  • सिलाई-कढ़ाई न करें: सिलाई, बटन टांकना या कढ़ाई करने से व्रत की ऊर्जा में बाधा आती है, इसलिए इससे परहेज करना चाहिए।

  • अनावश्यक नींद से बचें: दिन में अधिक सोना या दूसरों को नींद से जगाना भी शुभ नहीं माना जाता।    Karwa Chauth 2025

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चंद्रमा न दिखाई देने पर करवा चौथ व्रत कैसे करें पारण? पढ़ें आसान उपाय

चंद्रमा न दिखाई देने पर करवा चौथ व्रत कैसे करें पारण? पढ़ें आसान उपाय
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calendar01 Dec 2025 07:37 PM
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आज पूरे देश में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है, जब विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम होते ही महिलाएं करवा माता की विधिपूर्वक पूजा करती हैं और चंद्र दर्शन करके उन्हें अर्घ्य अर्पित करती हैं। इसके बाद अपने पति का चेहरा देखकर और उनके हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं।   Karwa Chauth Vrat

शास्त्रों में इस व्रत की महिमा का विशेष वर्णन मिलता है। इसे रखने से न केवल विवाहित जीवन में सौभाग्य और प्रेम बढ़ता है, बल्कि घर में सुख-शांति का वास भी होता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं स्नान-ध्यान करके नए वस्त्र पहनती हैं, सोलह श्रृंगार करती हैं और करवा माता तथा भगवान गणेश की पूजा अर्चना करती हैं। फिर कथा का पाठ करने के बाद चंद्रोदय के समय चंद्र देव की पूजा कर जल अर्पित किया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि महिलाओं के उत्साह और श्रद्धा को भी उजागर करती है।

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व्रत खोलने की सही विधि

करवा चौथ का व्रत खोलना महिलाओं के लिए सबसे शुभ और पावन क्षण होता है। परंपरा के अनुसार, महिलाएं पहले छलनी越 से चंद्र देव का दर्शन करती हैं और फिर अपने पति की ओर देखती हैं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण किया जाता है। हालांकि, कई बार मौसम की अनियमितताओं के कारण चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसी स्थिति में भी शास्त्रों में इसका विशेष उपाय बताया गया है। महिलाएं घर पर चंद्र देव की पूजा कर जल अर्पित करें या भगवान शिव की प्रतिमा के सामने चंद्रमा का प्रतिनिधि स्वरूप बनाकर व्रत खोल सकती हैं। फिर छलनी越 से पति को देखकर व्रत का पारण करना चाहिए।

जब चंद्रमा दिखाई न दे तो क्या करें

करवा चौथ पर यदि आकाश में चंद्रमा दिखाई न दे, तो भी महिलाएं शास्त्रों के अनुसार अपने व्रत का पारण आसानी से कर सकती हैं। इसके लिए सबसे पहले चंद्र देव की पूजा करना अनिवार्य है और उन्हें जल अर्पित करें। यदि घर में भगवान शिव की प्रतिमा मौजूद हो, तो शिव जी के माथे पर विराजित चंद्रमा के दर्शन कर व्रत खोलना चाहिए। सही दिशा और समय का ध्यान रखते हुए छलनी के माध्यम से चंद्र देव को देखकर अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। इसके बाद अपने पति को छलनी越 से देखकर पानी पीकर व्रत का पारण किया जाता है। यदि घर में शिव जी की प्रतिमा न हो, तो छत या घर के किसी पवित्र स्थान पर चौकी पर चावल या शुद्ध आटे से चंद्रमा की आकृति बनाकर उसकी विधिपूर्वक पूजा कर व्रत पूरा किया जा सकता है।    Karwa Chauth Vrat