MahaShivratri 2023 : महाशिवरात्रि 2023 आज, इन महायोग में करें पूजा, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम

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MahaShivratri 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:10 AM
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MahaShivratri 2023 : आज शनिवार को महाशिवरात्रि का पर्व है। इस साल महाशिवरात्रि पर ऐसा दुर्लभ संयोग बना है, जो सदियों बाद बनता है। महाशिवरात्रि के दिन 5 महायोग बन रहे हैं और इसके अलावा इस दिन शनि प्रदोष व्रत भी है। 5 महायोग और प्रदोष व्रत का अद्भुत संयोग महाशिवरात्रि को और भी विशेष बना रहे हैं। इस दिन आप एक व्रत से दोनों व्रतों के पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं, इसके लिए आप सायंकाल के शुभ मुहूर्त में पूजा करें।

MahaShivratri 2023

वैदिक ज्योतिष पंचांगों के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर 5 शुभ योग सर्वार्थसिद्धि, केदार, वरिष्ठ, शश और शंख योग बन रहे हैं। इस दिन प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि रात 08:02 बजे तक है और उसके बाद महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जा रही है। इस दुर्लभ संयोग में आप व्रत और शिव पूजा करके भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि पर सुब​ह से भगवान शिव शंकर की पूजन प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन आप इस दिन शुभ-उत्तम मुहूर्त में पूजा करके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन पूजा के लिए शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 08 बजकर 22 मिनट से सुबह 09 बजकर 46 मिनट तक है।

वैसे महा शिवरात्रि के दिन रात्रि के समय में शिव पूजा करना ज्यादा अच्छा माना जाता है। इस दिन प्रदोष व्रत भी है, ऐसे में आप शाम 06 बजकर 13 मिनट से शाम 07 बजकर 49 मिनट के बीच भोलेनाथ की पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा निशिता मुहूर्त में सिद्धियों के लिए महाशिवरात्रि की पूजा करते हैं।

नए कार्य प्रारंभ के लिए शुभ महाशिवरात्रि के दिन आप कोई नया कार्य या बिजनेस प्रारंभ करना चाहते हैं तो यह बेहद ही शुभ है। शुभ संयोग में प्रारंभ कार्य उन्नतिदायक होगा।

महाशिवरात्रि पूजा विधि प्रात:काल में स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर महाशिवरात्रि व्रत और शिव पूजा का संकल्प कर लें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में सबसे पहले शिवजी का जल से अभिषेक करें। फिर उनको चंदन, भस्म, अक्षत्, फल, फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, मिष्ठान आदि अर्पित करें। फिर शिव चालीसा का पाठ करें और महाशिवरात्रि व्रत कथा सुनें। शिव जी की आरती करें।

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MahaShivratri 2023 : आज शनिवार को महाशिवरात्रि का पर्व है। इस साल महाशिवरात्रि पर ऐसा दुर्लभ संयोग बना है, जो सदियों बाद बनता है। महाशिवरात्रि के दिन 5 महायोग बन रहे हैं और इसके अलावा इस दिन शनि प्रदोष व्रत भी है। 5 महायोग और प्रदोष व्रत का अद्भुत संयोग महाशिवरात्रि को और भी विशेष बना रहे हैं। इस दिन आप एक व्रत से दोनों व्रतों के पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं, इसके लिए आप सायंकाल के शुभ मुहूर्त में पूजा करें।

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वैदिक ज्योतिष पंचांगों के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर 5 शुभ योग सर्वार्थसिद्धि, केदार, वरिष्ठ, शश और शंख योग बन रहे हैं। इस दिन प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि रात 08:02 बजे तक है और उसके बाद महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जा रही है। इस दुर्लभ संयोग में आप व्रत और शिव पूजा करके भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि पर सुब​ह से भगवान शिव शंकर की पूजन प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन आप इस दिन शुभ-उत्तम मुहूर्त में पूजा करके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन पूजा के लिए शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 08 बजकर 22 मिनट से सुबह 09 बजकर 46 मिनट तक है।

वैसे महा शिवरात्रि के दिन रात्रि के समय में शिव पूजा करना ज्यादा अच्छा माना जाता है। इस दिन प्रदोष व्रत भी है, ऐसे में आप शाम 06 बजकर 13 मिनट से शाम 07 बजकर 49 मिनट के बीच भोलेनाथ की पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा निशिता मुहूर्त में सिद्धियों के लिए महाशिवरात्रि की पूजा करते हैं।

नए कार्य प्रारंभ के लिए शुभ महाशिवरात्रि के दिन आप कोई नया कार्य या बिजनेस प्रारंभ करना चाहते हैं तो यह बेहद ही शुभ है। शुभ संयोग में प्रारंभ कार्य उन्नतिदायक होगा।

महाशिवरात्रि पूजा विधि प्रात:काल में स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर महाशिवरात्रि व्रत और शिव पूजा का संकल्प कर लें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में सबसे पहले शिवजी का जल से अभिषेक करें। फिर उनको चंदन, भस्म, अक्षत्, फल, फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, मिष्ठान आदि अर्पित करें। फिर शिव चालीसा का पाठ करें और महाशिवरात्रि व्रत कथा सुनें। शिव जी की आरती करें।

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Shivaratri : लम्बे समय से चली आ रही है बाबा बैद्यनाथ धाम में पंचशूल उतारने की परम्परा

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calendar01 Dec 2025 12:30 PM
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इस वर्ष 18 फ़रवरी को मनाई जा रही Shivaratri की तैयारियां पूरे भारत में जोरों पर हैं। अलग- अलग स्थानों में इसे मनाये जाने का विधि-विधान भी अलग-अलग है। किन्तु देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में एक अलग परम्परा का निर्वहन प्रत्येक वर्ष किया जाता है। यहां बाबा धाम में लगभग 22 मंदिर मौजूद हैं जिनके पंचशूल Shivaratri से पहले उतारे जाते हैं। इस पुरातन प्रथा की शुरुआत भगवान शिव के इस पवित्र धाम में हो चुकी है।

एक क्रम में उतारे जाते हैं पंचशूल

Shivaratri से पहले बाबा धाम में मौजूद सभी देवी-देवताओं के पंचशूल एक क्रम और निर्धारित दिन पर उतारे जाते हैं। सबसे पहले गणेश मंदिर और माता संध्या मंदिर का पंचशूल पूरे विधान के साथ उतारा जाता है। इसके बाद भगवान शिव का पंचशूल Shivaratri से दो दिन पूर्व उतारा जाता है। अतः इस वर्ष की महाशिवरात्रि उत्सव के लिए यह परम्परा आज यानि 16 फ़रवरी को की जायेगी। महाशिवरात्रि की पूजा के साथ ही इन पंचशूल को भी पूजन अर्चन के साथ अपने स्थान पर लगा दिया जाता है।

Shivaratri

इस परम्परा के पीछे कई सारी मान्यतायें बताई जाती हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा विश्वासनीय यह है कि पंचशूल को मानव शरीर के पांच विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या का दमन करने वाला माना जाता है और यह पांच तत्वों क्षित, जल, पावक, गगन, समीर का द्योतक भी बताया गया है। इन्हें मंदिर से उतारने के पश्चात माता पार्वती और भगवान शिव के पंचशूल को एक स्थान पर रखा जाता है। यह क्रिया बाबा बैद्यनाथ धाम के प्रशासनिक भवन में होती है। जिसे देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु बहुत दूर दूर से आते हैं। कहा जाता है कि इस प्रक्रिया के द्वारा इन पंचशूल में नयी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य पर इस पुरातन परम्परा को पूर्ण करने के लिए प्रशासन ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

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