Ganga Dussehra 2023: गंगा सप्तमी के बाद देश भर में धूम धाम से मनाया जाएगा गंगा दशहरा

देश भर में गंगा दशहरा की धूम
गंगा दशहरा का पर्व देश भर के प्रमुख नगरों हरिद्वार, प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, ऋषिकेश, काशी, गंगा सागर इत्यादि पर विशेष रुप से भक्तों का जमावड़ा लगता है. इन पवित्र स्थानों की तीर्थ यात्रा के लिए भक्त गंगा दशहरा के समय का विशेष रुप से चयन करते हैं, जहां वे गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं. गंग अके किनारे बसे सभी नगर शहर, विशेष रूप से गंगा दशहरा के दौरान अपने अलग रुप में दिखाई देते हैं. गंगा दशहरा यहां के प्रसिद्ध उत्सवों में से एक है. इस पावन अवसर पर अनगिनत भक्त नदी में पवित्र स्नान करने के अनुष्ठान में शामिल होते हैं. गंग अके घाटों पर आयोजित मंत्रमुग्ध कर देने वाली गंगा आरती का रंग सबसे निराला दिखाई पड़ता है. देश विदेश से लोग समारोह में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. गंगा दशहरा में भाग लेने की इच्छा रखने वालों के लिए यह भव्य उत्सव एक अविस्मरणीय अनुभव जैसा होता है.Ganga Dussehra 2023: क्यों हुआ गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर आगमन
गंगा दशहरा हिंदुओं के द्वारा जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने का प्रतीक समय है, गंगा दशहरा ज्येष्ठ के माह में शुक्ल पक्ष के चंद्रमा के दसवें दिन मनाया जाता है. यह त्योहार दस दिनों की अवधि में मनाया जाता है जिसमें पूर्व के नौ दिनों का उत्सव भी शामिल होता है. यह पर्व गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ संपन्न होता है. गंगा दशहरा भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है. इस समय पर गंगा के किनारे पूजा करने, अनुष्ठान करने और नदी से आशीर्वाद लेने के लिए लाखों की संख्या में भक्त इकट्ठा होते हैं. गंगा दशहरा के अवसर पर, भक्त गंगा नदी के तटों पर एकत्रित होते हैं और पापों से खुद को मुक्त करने हेतु इस पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं. राजा भागीरथ कि तपस्या से पूर्ण हुई देवी गंगा के पृथ्वी लोक गमन की यात्रा
Ganga Dussehra 2023: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्माओं को मुक्ति दिलाने और उन्हें मोक्ष प्रदान करने की तपस्या को गंगा के पृथ्वी पर लाने के साथ संपूर्ण किया. भगवान राम की वंश परंपरा में जन्मे राजा भगीरथ का आना और समस्त लोगों को मुक्ति प्रदान करना ही विशेष ध्येय है. भगवान ब्रह्मा ने जब भगीरथ को गंगा के द्वारा मुक्ति पाने का रहस्य उन्हें बताया तब ब्रह्मा ने उन्हें भगवान शिव से प्रार्थना करने का निर्देश दिया, तब शक्तिशाली गंगा को पृथ्वी पर लाना संभव हो पाया है. राजा भागीरथ की प्रार्थनाओं एवं कठोर साधना का आशीर्वाद देते हुए, भगवान शिव ने गंगा के शक्तिशाली प्रवाह को स्वयं से नियंत्रित करके पृथ्वी पर गंगा के आगमन को मार्ग प्रशस्त किया, तब ज्येष्ठ माह में गंगा का पृथ्वी पर आना हुआ और उसी समय पर राजा भगीरथ के पूर्वजों को मुक्ति प्राप्त होती है तथा पृथ्वी पर मोक्ष सिद्धि का मार्ग सभी के लिए सुगम बन पाया. भगीरथ के द्वारा गंगा को पृथ्वी पर लाने के कारण गंगा को भगीरथी नाम भी प्राप्त हुआ. राजरानीPuri Jagannath Mandir: क्यों हर 12 साल बाद अंधेरे मे डूब जाती है पुरी! जानिए जग्गन्नाथ मंदिर के चमत्कार
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देश भर में गंगा दशहरा की धूम
गंगा दशहरा का पर्व देश भर के प्रमुख नगरों हरिद्वार, प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, ऋषिकेश, काशी, गंगा सागर इत्यादि पर विशेष रुप से भक्तों का जमावड़ा लगता है. इन पवित्र स्थानों की तीर्थ यात्रा के लिए भक्त गंगा दशहरा के समय का विशेष रुप से चयन करते हैं, जहां वे गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं. गंग अके किनारे बसे सभी नगर शहर, विशेष रूप से गंगा दशहरा के दौरान अपने अलग रुप में दिखाई देते हैं. गंगा दशहरा यहां के प्रसिद्ध उत्सवों में से एक है. इस पावन अवसर पर अनगिनत भक्त नदी में पवित्र स्नान करने के अनुष्ठान में शामिल होते हैं. गंग अके घाटों पर आयोजित मंत्रमुग्ध कर देने वाली गंगा आरती का रंग सबसे निराला दिखाई पड़ता है. देश विदेश से लोग समारोह में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. गंगा दशहरा में भाग लेने की इच्छा रखने वालों के लिए यह भव्य उत्सव एक अविस्मरणीय अनुभव जैसा होता है.Ganga Dussehra 2023: क्यों हुआ गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर आगमन
गंगा दशहरा हिंदुओं के द्वारा जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने का प्रतीक समय है, गंगा दशहरा ज्येष्ठ के माह में शुक्ल पक्ष के चंद्रमा के दसवें दिन मनाया जाता है. यह त्योहार दस दिनों की अवधि में मनाया जाता है जिसमें पूर्व के नौ दिनों का उत्सव भी शामिल होता है. यह पर्व गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ संपन्न होता है. गंगा दशहरा भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है. इस समय पर गंगा के किनारे पूजा करने, अनुष्ठान करने और नदी से आशीर्वाद लेने के लिए लाखों की संख्या में भक्त इकट्ठा होते हैं. गंगा दशहरा के अवसर पर, भक्त गंगा नदी के तटों पर एकत्रित होते हैं और पापों से खुद को मुक्त करने हेतु इस पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं. राजा भागीरथ कि तपस्या से पूर्ण हुई देवी गंगा के पृथ्वी लोक गमन की यात्रा
Ganga Dussehra 2023: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्माओं को मुक्ति दिलाने और उन्हें मोक्ष प्रदान करने की तपस्या को गंगा के पृथ्वी पर लाने के साथ संपूर्ण किया. भगवान राम की वंश परंपरा में जन्मे राजा भगीरथ का आना और समस्त लोगों को मुक्ति प्रदान करना ही विशेष ध्येय है. भगवान ब्रह्मा ने जब भगीरथ को गंगा के द्वारा मुक्ति पाने का रहस्य उन्हें बताया तब ब्रह्मा ने उन्हें भगवान शिव से प्रार्थना करने का निर्देश दिया, तब शक्तिशाली गंगा को पृथ्वी पर लाना संभव हो पाया है. राजा भागीरथ की प्रार्थनाओं एवं कठोर साधना का आशीर्वाद देते हुए, भगवान शिव ने गंगा के शक्तिशाली प्रवाह को स्वयं से नियंत्रित करके पृथ्वी पर गंगा के आगमन को मार्ग प्रशस्त किया, तब ज्येष्ठ माह में गंगा का पृथ्वी पर आना हुआ और उसी समय पर राजा भगीरथ के पूर्वजों को मुक्ति प्राप्त होती है तथा पृथ्वी पर मोक्ष सिद्धि का मार्ग सभी के लिए सुगम बन पाया. भगीरथ के द्वारा गंगा को पृथ्वी पर लाने के कारण गंगा को भगीरथी नाम भी प्राप्त हुआ. राजरानीPuri Jagannath Mandir: क्यों हर 12 साल बाद अंधेरे मे डूब जाती है पुरी! जानिए जग्गन्नाथ मंदिर के चमत्कार
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Puri Jagannath Mandir:[/caption]
Puri Jagannath Mandir: उनमें से आज हम आपकों एक रहस्य के बारें में बताने जा रहें है । भगवान जग्गन्नाथ की जब बात होती है तो वहां की रथ यात्रा के बारें मे जरुर जिक्र होता है । कहां जाता है कि एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की बात कही। भगवान जग्गन्नाथ और बलभद्र अपनी बहन को रथ मे बैठा कर नगर दिखाने निकले । इसी दौरान वह गुंडिचा मे अपनी मौसी के यहां भी गयें । तभी से इस रथ यात्रा की परंपरा बन गयी।
Puri JAGANNATH[/caption]
कहा जाता है की जग्गन्नाथ पुरी के मंदिर के ऊपर कभी किसी परिंदो को उड़ते हुए नहीं देखा गया और ना ही किसी परिंदो को मंदिर के गुंबद पर बैठे देखा है । इसलिये मंदिर के ऊपर से किसी हवाईजहाज और हेलीकाप्टर के उड़ने पर मनाही है ।