Budh Pradosh Vrat 2023 : इस विशेष मंत्र के जाप से होगी मनोकामना पूरी

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Budh Pradosh Vrat 2023: Wishes will be fulfilled by chanting this special mantra
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 02:20 AM
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राजरानी Budh Pradosh Vrat 2023 :  प्रदोष व्रत भगवान शिव के निमित्त रखे जाने वाले विशेष व्रतों में से एक है. यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है. प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के दिन आने वाला प्रदोष व्रत बेहद शुभ एवं पुण्य फलदायक माना गया है. प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है यह उसी नाम से पुकारा भी जाता है. इस वैशाख माह के शुक्ल पक्ष बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने से यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा. बुधवार के दिन त्रयोदशी तिथि का संगम सभी प्रकार के दुख कलेशों को समाप्त कर देने वाला होता है.

Budh Pradosh Vrat 2023 :

  बुध प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 2 मई 2023 को रात्रि समय 22:17 से होगा. त्रयोदशी तिथि अगले दिन 03 मई बुधवार की रात्रि 11:49 मिनट तक व्याप्त रहेगी. उदया तिथि का ध्यान रखते हुए 3 मई 2023 को बुधवार के दिन बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा. बुध प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त समय संध्या को 06:57 मिनट से 21:06 मिनट तक रहेगा. बुध प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रवि योग भी व्याप्त रहेगा. इन शुभ योगों का प्रभाव होने से व्रत की शुभता में भी वृद्धि होगी तथा पुण्य फलों की प्राप्ति भी दोगुने रुप में प्राप्त होगी. प्रदोष व्रत पूजन विधान से प्राप्त होती है बुध ग्रह शांति  प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, हर महीने त्रयोदशी तिथि को रखे जाने वाले इस दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती का पूजन किया जाता है. मान्यता अनुसार त्रयोदशी के दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. यह समय जिस दिन के साथ आता है उस दिन के अनुसार ग्रह शांति भी प्रदान करने वाला होता है. बुध प्रदोष होने पर इस दिन बुध ग्रह की शांति भी प्राप्त होती है. बुध प्रदोष व्रत एवं पूजन का पालन आस्था और भक्ति के साथ करने पर भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा भक्तों की समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं. प्रदोष तिथि के दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में संध्या के समय भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों के सभी दोष शांत हो जाते हैं. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके साथ ही इस दिन कुछ मंत्रों का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत के दिन करें मंत्र का जाप   प्रदोष व्रत के दिन पर भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु शिव गायत्री मंत्र का जाप करना बेहद उत्तम फलदायी होता है. " ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्! " इस गायत्री मंत्र का ऊचारण करते हुए प्रदोष पूजा संपन्न करनी चाहिए. इस प्रकार प्रदोष काल में भगवन पूजन एवं मंत्रों उच्चारण द्वारा भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है.

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Budh Pradosh Vrat 2023 : इस विशेष मंत्र के जाप से होगी मनोकामना पूरी

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राजरानी Budh Pradosh Vrat 2023 :  प्रदोष व्रत भगवान शिव के निमित्त रखे जाने वाले विशेष व्रतों में से एक है. यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है. प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के दिन आने वाला प्रदोष व्रत बेहद शुभ एवं पुण्य फलदायक माना गया है. प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है यह उसी नाम से पुकारा भी जाता है. इस वैशाख माह के शुक्ल पक्ष बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने से यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा. बुधवार के दिन त्रयोदशी तिथि का संगम सभी प्रकार के दुख कलेशों को समाप्त कर देने वाला होता है.

Budh Pradosh Vrat 2023 :

  बुध प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 2 मई 2023 को रात्रि समय 22:17 से होगा. त्रयोदशी तिथि अगले दिन 03 मई बुधवार की रात्रि 11:49 मिनट तक व्याप्त रहेगी. उदया तिथि का ध्यान रखते हुए 3 मई 2023 को बुधवार के दिन बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा. बुध प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त समय संध्या को 06:57 मिनट से 21:06 मिनट तक रहेगा. बुध प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रवि योग भी व्याप्त रहेगा. इन शुभ योगों का प्रभाव होने से व्रत की शुभता में भी वृद्धि होगी तथा पुण्य फलों की प्राप्ति भी दोगुने रुप में प्राप्त होगी. प्रदोष व्रत पूजन विधान से प्राप्त होती है बुध ग्रह शांति  प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, हर महीने त्रयोदशी तिथि को रखे जाने वाले इस दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती का पूजन किया जाता है. मान्यता अनुसार त्रयोदशी के दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. यह समय जिस दिन के साथ आता है उस दिन के अनुसार ग्रह शांति भी प्रदान करने वाला होता है. बुध प्रदोष होने पर इस दिन बुध ग्रह की शांति भी प्राप्त होती है. बुध प्रदोष व्रत एवं पूजन का पालन आस्था और भक्ति के साथ करने पर भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा भक्तों की समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं. प्रदोष तिथि के दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में संध्या के समय भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों के सभी दोष शांत हो जाते हैं. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके साथ ही इस दिन कुछ मंत्रों का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत के दिन करें मंत्र का जाप   प्रदोष व्रत के दिन पर भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु शिव गायत्री मंत्र का जाप करना बेहद उत्तम फलदायी होता है. " ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्! " इस गायत्री मंत्र का ऊचारण करते हुए प्रदोष पूजा संपन्न करनी चाहिए. इस प्रकार प्रदोष काल में भगवन पूजन एवं मंत्रों उच्चारण द्वारा भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है.

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Mohini Ekadashi 2023: इस मोहिनी एकादशी दूर होंगे सभी दुख और कलेश, नोट कर लें पूजा का शुभ मुहूर्त समय 

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Mohini Ekadashi 2023: This Mohini Ekadashi will remove all sorrows and troubles
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calendar29 Apr 2023 04:09 PM
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राजरानी Mohini Ekadashi 2023:  एकादशी तिथि को एक अत्यंत ही पवित्र और शुभ फल प्रदान करने वाली है. 1 मई 2023 को आने वाली मोहिनी एकादशी का समय काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है. इस दिन श्री विष्णु भगवान के मोहिनी रुप का पूजन किया जाएगा. भगवान श्री विष्णु पूजन के साथ साथ इस दिन हवन एवं नाम सुमिरन का महत्व कई गुणा रुप में भक्तों को प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस व्रत की महिमा एवं प्रभाव द्वारा भक्त संसार की मोह-माया से मुक्त हो जाता है, उसके सारे पाप, क्लेश और दुख दूर हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार संसार में एकादशी व्रत से बढ़कर कोई व्रत नहीं है. इसके माहात्म्य को सुनने और सुनाने से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह पुण्य एक हजार गायों के पुण्य के बराबर होता है.

Mohini Ekadashi 2023:

  मोहिनी एकादशी पर लिया श्री विष्णु ने मोहिनी अवतार मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत करने से सहस्त्र गायों के बराबर पुण्य मिलता है. मोहिनी एकादशी व्रत एवं पूजन यदि शुभ समय एवं सात्विक आचार विचार द्वारा संपन्न हो तो यह जीवन में सकारात्मकता में वृद्धि को प्रदान करने में भी सक्षम होता है. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु ने असुरों का नाश करने और देवताओं को विजय दिलाने के लिए इसी दिन मोहिनी रूप धारण किया था और इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रुप में पूजा जाता है और उस दिन व्रत एवं पूजन किया जाता है. आइये जानें मोहिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त और नियम मोहिनी एकादशी 2023 मुहूर्त ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ मोहिनी एकादशी पूजन का शुभ समय दशमी से ही आरंभ हो जाता है. इस वर्ष वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ 30 अप्रैल 2023 को रात्रि 20:28 बजे से होगा और इसके पश्चात वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि की समाप्ति 01 मई 2023 को रात्रि 22:09 पर होगी. मोहिनी एकादशी पूजा मुहूर्त का समय सुबह 09: 38 से 10: 39 तक बहुत शुभ रहेगा. मोहिनी एकादशी व्रत मुहूर्त का समय आरंभ ब्रह्म मुहूर्त से होगा. व्रत का पारण समय 02 मई 2023 को सुबह 05:40 से 08:19 का होगा.  मोहिनी एकादशी में कैसे करें श्री विष्णू पूजन  मोहिनी एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान कार्यों से निवृत्त होकर पूजा आरंभ करनी चाहिए. इस शुभ दिन पर खीर का भोग श्री विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी जी को अवश्य लगाना चाहिए. श्री विष्णु जी को पीले वस्त्र एवं माता लक्ष्मी जी को लाल वस्त्र अर्पित करने चाहिए. सुगंध चंदन इत्यादि का उपयोग करना चाहिए. मोहिनी एकादशी के दिन तुलसी जी का पूजन भी विशेष रुप से करने का विधान रहा है. तुलसी जी को श्री विष्णु जी को भी अर्पित करना चाहिए. घी का दीपक जला कर मंत्र जाप करना चाहिए. मोहिनी एकादशी पर करें दान कार्य  मोहिनी एकादशी के दिन दान एवं जप तप का महत्व सर्वोपरी रहा है. इस माह के दौरान जल का दान एवं पंखे का दान करना उत्तम होता है. वैशाख माह के समय सूर्य का ताप अत्यधिक होता है, इसलिए ऎसे में गर्मी अपने चरम पर होती है. इस कारण से कहा जाता है कि इस समय पर यदि प्यासों को पानी पिलाया जाए एवं पेड़ पौधों को लगाया जाए तो इसका कई गुना फल प्राप्त होता है. इस समय पर प्यासे पशु-पक्षियों को पानी पिलाने की व्यवस्था करना एवं उन्हें अन्न प्रदान करना सबसे उत्तम कार्य माना गया है. शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत का फल अवश्य प्राप्त होता है. इस समय पर व्रत करने के साथ ही सभी नियमों का पालन करने से भक्त को प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. एकादशी व्रत के दिन नकारात्मक विचारों से मुक्त रहते हुए हरि भजन करना चाहिए. किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से बचना चाहिए अपशब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा सभी के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करते हुए इस दिन का पालन करना चाहिए.

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