India China Journalist Row: भारतीय पत्रकार भगाने पर चीन को करारा जवाब , नहीं बढ़ेगा चीन के आखिरी पत्रकार का वीजा

Indochina
India China Journalist Row:
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 02:38 AM
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India China Journalist Row: भारत से लगातार बिगड़ते संबंध के बीच चीन ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रिपोर्टर को एक महीने के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा था । इसके बाद चीन में एक भी भारतीय पत्रकार नहीं रहेगा।  चीन में भारतीय न्यूज एजेंसी पीटीआई का पत्रकार ही बचा हुआ है.।  वो भी वीजा खत्म होने के बाद भारत आ जाएगा.। इससे पहले भारत ने चीन के पत्रकारों का वीजा रिन्यू करने से इनकार कर दिया था। भारत ने शिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी और चाइना सेंट्रल टेलीविज़न के दो पत्रकारों के वीसा नवीनीकरण आवेदनों को खारिज कर दिया था। अब चीन ने भी भारतीय पत्रकारों को बाहर निकालना शुरू कर दिया है।

अब चीन में एक भी भारतीय पत्रकार नहीं रहेगा

भारत सरकार ने इसी महीने की शुरुआत में कहा था कि चीनी पत्रकार बिना किसी कठिनाई के भारत में काम कर पा रहे हैं, लेकिन चीन में भारतीय पत्रकारों के लिए समान माहौल नहीं है। चीनी अधिकारियों ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रिपोर्टर को इसी महीने देश छोड़ने का निर्देश दिया है। इस साल के शुरुआत में चीन में चार भारतीय पत्रकार मौजूद थे। समाचारपत्र हिन्दुस्तान टाइम्स के रिपोर्टर ने चीन छोड़ा है। प्रसार भारती और द हिन्दू के पत्रकारों को अप्रैल में चीन में वीसा नवीनीकरण से मना कर दिया था।

जवाब में भारत ने भी अंतिम चीनी पत्रकार के वीजा के नवीनीकरण से किया इंकार 

पिछले माह चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था कि भारत में एक चीनी पत्रकार बचा है, जो अपने वीसा के नवीनीकरण का इंतज़ार कर रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेइबिन ने कहा, "भारतीय पक्ष ने भारत में रहने के लिए चीनी पत्रकारों के आवेदनों की समीक्षा करने और उन्हें मंजूरी देने से इनकार कर दिया है और भारत में चीनी पत्रकारों के वीजा की वैधता की अवधि को केवल तीन महीने या एक महीने तक सीमित कर दिया है।" उन्होंने कहा, "नतीजतन, भारत में तैनात चीनी पत्रकारों की संख्या 14 से घटकर सिर्फ एक रह गई है।" “जैसा कि हम बोलते हैं, भारतीय पक्ष अभी भी देश में अंतिम चीनी पत्रकार के वीजा को नवीनीकृत करने के लिए सहमत नहीं हुआ है। नई दिल्ली ने सिन्हुआ और चाइना सेंट्रल टेलीविजन के पत्रकारों के दो वीजा नवीनीकरण को खारिज कर दिया था।

यह पहली बार होगा जब भारत में बीजिंग का कोई पत्रकार नहीं होगा 

इस स्थिति का मतलब है कि दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश, जिनमें से प्रत्येक में 1.3 बिलियन लोग हैं और 3,440 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करते हैं, दूसरे देश में शायद ही उनका अपना कोई पत्रकार हो।

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Cyclone Biparjoy: याद आया 25 साल पुराना चक्रवात, कपड़ों की तरह लटक रही थीं लाशें

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Cyclone Biparjoy:
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 05:22 AM
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  Cyclone Biparjoy: 9 जून 1998, उस दिन जेठ की गर्मी से थोड़ी राहत थी। गुजरात के कांडला पोर्ट में लोग अपने रूटीन कामों में लगे थे। दोपहर होते-होते हालात बदलने लगे। पहले 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और थोड़ी देर में इनकी स्पीड 160 से 180 किमी प्रति घंटे पर पहुंच गई। अरब सागर में कम दबाव के चलते बना चक्रवात कांडला में लैंडफॉल हुआ था।मरने वालों की आधिकारिक संख्या 1,485 थी। 1,700 लोग लापता बताए गए, जो आज तक लापता ही हैं। इसके साथ 11 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई। इस चक्रवात से मची तबाही की भयावहता इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा थी।

25 साल पुरानी कहानी याद करके लोग आज भी सिहर उठते हैं। 

Cyclone Biparjoy: 15 जून 2023 को गुजरात में एक बार फिर चक्रवात हिट करने वाला है तो 25 साल पुरानी कहानी याद करके लोग आज भी सिहर उठते हैं। अरब सागर में लो प्रेशर एरिया बना था। इसके पोरबंदर और द्वारका से टकराने का अनुमान लगाया गया था। वहां टकराने के बाद इसकी स्पीड बढ़ गई और ये कच्छ का रण पार करके कांडला पोर्ट में लैंडफॉल हुआ। कांडला के लोग और प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं थे।गांधीधाम के रामबाग सरकारी अस्पताल में लाशों के ढेर लग गए थे। लॉबी में, आंगन में, हर तरफ शव कतारों में पड़े हुए थे। इनमें बच्चों की मृत्यु दर अधिक थी।

कांडला-गांधीधाम के बीच पुल पर बच्चे, पुरुष और महिलाओं की लाशें सूखते कपड़ों जैसे लटक रही थीं।

तूफान कितना भयानक था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1 अगस्त तक लाशें मिलती रही थीं। कुछ शव पाकिस्तान के तट पर भी पाए गए थे।कांडला से जब अचानक तूफान टकराया तो लोग जान बचाने के लिए बंदरगाह में पड़े कंटेनरों पर चढ़ गए, लेकिन तूफान इन कंटेनरों को ही अपने साथ उड़ाकर समुद्र में ले गया। इस तरह पोर्ट पर ही सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। मौतों के सही आंकड़ों के सामने न आने का एक कारण यह भी था।

Cyclone Biparjoy: हवा की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि ये विशाल जहाज भी समुद्र छोड़कर किनारे पर चढ़ गया।

कांडला गांधीधाम परिसर में केवल एक ही श्मशान था और यहां कोई आधिकारिक कब्रिस्तान भी नहीं था। श्मशान में जब इतने सारे शव पहुंचे तो हालात बद से बदतर हो गए। इसके चलते शवों को प्लास्टिक में लपेट कर एक जगह इकट्ठा कर किया गया था। श्मशान के आसपास खाली जगहों पर पेट्रोल और डीजल छिड़ककर जलाया गया। इस दौरान भी हवा इतनी तेज थी कि शवों की हड्डियां समुद्र से लेकर हाईवे तक पर बिखर गई थीं। इस तूफान में छोटी-मोटी चीजों की बात तो दूर, विशालकाय जहाज से लेकर बार्ज और पोर्ट की महाकाय क्रेनें भी तबाह हो गई थीं। रेल की पटरियां उखड़ गई थीं और कच्छ में 15,000 बिजली के खंभे गिर गए थे। इसके चलते भुज सहित पूरे कच्छ में करीब तीन महीनों तक ब्लैकआउट रहा था। पेट्रोल पंपों के बर्बाद होने से पेट्रोल-डीजल की सप्लाई भी बंद हो गई थी। तूफान आने के दूसरे दिन भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल कांडला पहुंचे। इसके अगले दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर छोटे-बड़े कई नेताओं का गुजरात आना-जाना लगा रहा।

गैस रिसाव की अफवाह से 15 हजार मजदूर पलायन कर गए थे

तूफान दो घंटे बाद चला गया तो इसके बाद अफवाहों का दौर भी शुरू हुआ। एक अफवाह जहरीली गैस के रिसाव की भी फैली, जिसके चलते मजदूर परिवारों का पलायन शुरू हो गया। देखते ही देखते कांडला पोर्ट और गांधीधाम से करीब 15,000 मजदूर पलायन कर गए थे। ट्रेन और अन्य यातायात बाधित होने के चलते हजारों मजदूर पैदल ही चल दिए थे। हद तो यह भी हो गई थी कि कई परिवार लाशें ले जा रही गाड़ियों में सवार थे। बस वे किसी तरह जहरीली गैस से अपनी जान बचाना चाहते थे। ये मजदूर महीनों तक नहीं लौटे। चक्रवात पीड़ितों के लिए कांडला, गांधीधाम में कई राहत शिविर खोले गए। सबसे बड़ा राहत शिविर कांग्रेस का था। विपक्ष की नेता सोनिया गांधी भी पीड़ितों से मिलने पहुंची थीं।  करीब एक महीने तक कांडला के पास टापू पर लाशें पहुंचती रहीं। दर्जनों शव तो समुद्र में तैरते हुए मांडवी के तट तक पहुंच गए थे। आपदा प्रबंधन नहीं था। तूफान के बाद तटों पर कीचड़ हो गया था। स्थानीय लोगों ने कीचड़ में खोजबीन कर सैकड़ों लाशें निकालीं उस आपदा में 2,300 से ज्यादा लोग मरे थे। मुख्य रूप से कांडला, गांधीधाम में हताहत हुए थे। जामनगर के पास दो या तीन जहाज भी डूब गए थे। इसमें कितने लोगों की संख्या थी। इसका सही अंदाजा नहीं लग पाया। मौतों का सही आंकड़ा आज तक नहीं पता चल सका, क्योंकि कई लोग समुद्र में डूब गए। 1 अगस्त तक शव बरामद होते रहे।

Cyclone Biparjoy : सिंध प्रांत में 62,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा

 
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UK News : ब्रिटेन के नॉटिंघम में भारतीय मूल की हॉकी खिलाड़ी "Grace "की हत्या

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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 03:17 AM
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भारतीय और आयरिश मूल की Grace O'Malley-Kumar की पहचान उन तीन लोगों में से एक के तौर पर की गयी है जिनकी बीती रात नॉटिंघम (UK News) में चाकू मारकर हत्या कर दी गयी। वे मात्र 19 वर्ष की थीं और अपनी साथी छात्र बरनबी वेबर के साथ नाईटआउट से वापस घर आ रहीं थीं। इसी दौरान एलकेस्टन रोड पर उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी गयी। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी की प्रतिभाशाली छात्रा होने के साथ -साथ Grace एक टैलेंटेड हॉकी प्लेयर भी थीं। इस नाइफ अटैक का शिकार हुईं grace के पूरे परिवार को गहरा सदमा लगा है।

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Grace के अलावा अन्य दो लोगों पर चाकू से हमला कर उनकी हत्या करने वाले अटैकर की पहचान एक 31 वर्ष के पश्चिमी मूल के व्यक्ति के तौर पर की गयी है। हालांकि अभी उसे संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया है।

लंदन के हीरो हैं Grace के पिता "संजय कुमार"

Grace के अलावा उनके पिता की पहचान भी ब्रिटेन में एक हीरो के तौर पर की जाती हैं। संजय कुमार ब्रिटेन में भारतीय मूल के एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं और उन्होंने वर्ष 2009 में हुए एक knife attack में कई बच्चों की जान भी बचाई थी। लेकिन आज वे खुद अपनी ही बेटी को एक नाइफ अटैक (UK News) में हमेशा के लिए खो चुके हैं।

इंग्लैंड की टीम ने दी श्रद्धांजलि

इंग्लैंड के लिए अंडर 18 की टीम में खेल चुकी Grace काफी लोकप्रिय थीं। हॉकी के साथ वे क्रिकेट भी खेलती थीं। वुडफोर्ड वेल्स क्रिकेट क्लब और इंग्लैंड हॉकी टीम ने Grace की दुःखद मृत्यु पर शोक जताया है। वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और गृहमंत्री सुएला ब्रैवरमैन ने भी खेद जताया है।

हमले के दौरान Grace ने की थी एक घर में घुसने की कोशिश

एलकेस्टन रोड पर जिस घर के सामने Grace को चाकू मारा गया उस घर की मालकिन ने बताया कि बीती रात वे घर पर नहीं थीं। सुबह ज़ब वे लौंटी तो उनके घर के सामने काफी खून पड़ा हुआ था और उन्हें आस पास से घटना के बारे में भी पता चला। उन्होंने बताया कि मुझे ऐसा लगता है कि ज़ब Grace पर हमला हुआ तब उसने घर के अंदर आने की कोशिश की ताकि वह खुद को बचा सके लेकिन घर लॉक होने के कारण वो ऐसा नहीं कर सकी। काश उस दिन उनके घर पर कोई मौजूद होता तो वह Grace को बचा सकता था।

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