Supreme Court : किसी मंत्री के बयान को अप्रत्यक्ष रूप से सरकार से जोड़ा नहीं जा सकता : न्यायालय

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न्यायमूर्ति एसए नजीर की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत उल्लेखित पाबंदियों के अलावा स्वतंत्र अभिव्यक्ति के खिलाफ कोई अतिरिक्त पाबंदी लागू नहीं की जा सकती। पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं।National News : भारत के पास डाटा और प्रौद्योगिकी बहुतायत में, विज्ञान को बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत : मोदी
पीठ ने कहा कि सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करने के बावजूद किसी मंत्री द्वारा दिए गए बयान को अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता, फिर भले ही वह बयान राज्य के किसी मामले को लेकर हो या सरकार की रक्षा करने वाला हो। न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार का प्रयोग राज्य के अलावा अन्य व्यवस्था के खिलाफ भी किया जा सकता है। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने एक अलग आदेश लिखा। उन्होंने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है ताकि नागरिकों को शासन के बारे में अच्छी तरह जानकारी हो।Supreme Court
उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण असमान समाज का निर्माण करते हुए मूलभूत मूल्यों पर प्रहार करता है और विविध पृष्ठभूमियों, खासतौर से ‘‘हमारे ‘भारत’ जैसे देश के’’, नागरिकों पर भी प्रहार करता है।Rajsthan News : राष्ट्रपति मुर्मू ने राजभवन में संविधान पार्क का लोकार्पण किया
यह फैसला इस सवाल पर आया है कि क्या किसी सार्वजनिक पदाधिकारी के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर पाबंदियां लगायी जा सकती हैं ? देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।अगली खबर पढ़ें
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न्यायमूर्ति एसए नजीर की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत उल्लेखित पाबंदियों के अलावा स्वतंत्र अभिव्यक्ति के खिलाफ कोई अतिरिक्त पाबंदी लागू नहीं की जा सकती। पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं।National News : भारत के पास डाटा और प्रौद्योगिकी बहुतायत में, विज्ञान को बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत : मोदी
पीठ ने कहा कि सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करने के बावजूद किसी मंत्री द्वारा दिए गए बयान को अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के साथ नहीं जोड़ा जा सकता, फिर भले ही वह बयान राज्य के किसी मामले को लेकर हो या सरकार की रक्षा करने वाला हो। न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार का प्रयोग राज्य के अलावा अन्य व्यवस्था के खिलाफ भी किया जा सकता है। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने एक अलग आदेश लिखा। उन्होंने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है ताकि नागरिकों को शासन के बारे में अच्छी तरह जानकारी हो।Supreme Court
उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण असमान समाज का निर्माण करते हुए मूलभूत मूल्यों पर प्रहार करता है और विविध पृष्ठभूमियों, खासतौर से ‘‘हमारे ‘भारत’ जैसे देश के’’, नागरिकों पर भी प्रहार करता है।Rajsthan News : राष्ट्रपति मुर्मू ने राजभवन में संविधान पार्क का लोकार्पण किया
यह फैसला इस सवाल पर आया है कि क्या किसी सार्वजनिक पदाधिकारी के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर पाबंदियां लगायी जा सकती हैं ? देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।संबंधित खबरें
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