National News : बीएस-4 वाहन घोटाला : ईडी ने पूर्व तेदेपा विधायक की करोड़ों की संपत्ति जब्त की

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West Bengal Teacher Recruitment 'Scam': ED attaches bank deposits, fixed deposits of TMC MLA in West Bengal teacher recruitment 'scam'
locationभारत
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calendar27 Nov 2025 01:11 PM
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National News : नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने बीएस-4 वाहनों के एक कथित घोटाले से जुड़े मामले में आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के पूर्व विधायक जेसी प्रभाकर रेड्डी और उनके सहयोगियों एवं कंपनियों की 22 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है। रेड्डी अभी आंध्र प्रदेश की अनंतपुर जिले की तड़ीपत्री नगरपालिका के अध्यक्ष हैं।

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ईडी ने एक बयान में कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय के मार्च 2017 के एक फैसले से उपजा है, जिसके तहत शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि भारत में कोई भी वाहन निर्माता या डीलर एक अप्रैल 2017 से बीएस-4 उत्सर्जन नियमों का पालन न करने वाले किसी भी वाहन की बिक्री नहीं करेगा। इसी तारीख से ऐसे वाहनों के पंजीकरण पर भी रोक लगा दी गई थी। ईडी ने आरोप लगाया कि रेड्डी के ‘नियंत्रण’ वाली जाटधारा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करके अशोक लेलैंड लिमिटेड से किफायती दाम पर बीएस-3 वाहन खरीदे और जाली बिलों के जरिये इन्हें ‘धोखे से’ बीएस-4 वाहन के तौर पर पंजीकृत कराया।

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संघीय एजेंसी ने बताया कि जांच में पाया गया कि कुछ वाहनों को नगालैंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पंजीकृत कराया गया। ईडी ने कहा कि इन वाहनों को खरीदने/चलाने या बेचने से अर्जित आय 38.36 करोड़ रुपये पाई गई है।

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जेसी प्रभाकर रेड्डी, उनके परिवार के सदस्य, उनके द्वारा नियंत्रित कंपनियों जैसे कि दिवाकर रोड लाइंस और जाटधारा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड तथा सी गोपाल रेड्डी और उनके परिवार की 6.31 करोड़ रुपये की चल संपत्ति धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत जब्त की गई है। चल संपत्ति में बैंक में जमा राशि, नकदी और आभूषण शामिल हैं। जब्त की गई संपत्ति का कुल मूल्य 22.10 करोड़ रुपये है। ईडी ने कहा कि इस पूरे घोटाले में अशोक लेलैंड की भूमिका समेत अन्य पहलुओं की जांच की जा रही है।
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Gujrat Election : भाजपा के सामने मध्य गुजरात में बढ़त बनाए रखने की चुनौती

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The challenge before the BJP to maintain its lead in central Gujarat
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 01:51 AM
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Gujrat Election : अहमदाबाद। गुजरात में 182 विधानसभा सीटों के करीब एक तिहाई या 61 सीटों वाले आठ जिलों में फैले मध्य क्षेत्र में आदिवासी और अत्यधिक शहरी इलाकों की मिश्रित संख्या है, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2017 के चुनावों में कांग्रेस पर अच्छी-खासी बढ़त हासिल की थी।

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के इस क्षेत्र से एक वरिष्ठ आदिवासी नेता के भाजपा में शामिल होने से इस बार वह बैकफुट पर दिखायी दे रही है। मध्य गुजरात क्षेत्र में भाजपा ने 2017 के चुनावों में 37 सीटें और कांग्रेस ने 22 सीटें जीती थीं, जबकि दो सीटें निर्दलीयों के खाते में गयी थी। इस क्षेत्र में 10 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा तीन अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है।

Gujrat Election :

भाजपा ने अहमदाबाद और वडोदरा के शहरी इलाकों में अपने मजबूत समर्थन से सीटों की संख्या बढ़ायी थी और ये दोनों क्षेत्र खेड़ा, आणंद और एसटी बहुल पंचमहल जिले के साथ अब भी उसके गढ़ बने हुए हैं। मध्य क्षेत्र के आठ जिलों दाहोद, पंचमहल, वडोदरा, खेड़ा, महीसागर, आणंद, अहमदाबाद और छोटा उदयपुर में से कांग्रेस बमुश्किल चार जिलों में ही दिखायी दी। भाजपा ने 2017 में दाहोद जिले में चार में से तीन सीट जीती थी, पंचमहल में पांच में से चार, वडोदरा में 10 में से आठ, खेड़ा में सात में तीन, महीसागर में दो में से एक, आणंद में सात में से दो, छोटा उदयपुर में तीन में से एक और अहमदाबाद में 21 में से 15 सीटें जीती थी। अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षित सीटों पर विपक्षी दल का प्रदर्शन बहुत उत्साहजनक नहीं रहा था। उसने ऐसी 10 में से पांच सीटें जीती थी। चार सीटें भाजपा और एक निर्दलीय ने जीती थी।

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इस बार कांग्रेस बैकफुट पर दिखायी दे रही है, क्योंकि आदिवासी समुदाय के उसके सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक और 10 बार के विधायक मोहन सिंह राठवा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए। राठवा छोटा उदयपुर सीट से विधायक थे। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर अमित ढोलकिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि जहां तक आदिवासी सीटों का संबंध है तो नतीजों का अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन राठवा के कांग्रेस छोड़ने का निश्चित तौर पर असर पड़ेगा। ढोलकिया ने कहा कि भाजपा ने क्षेत्र में पकड़ बना ली है और वह महीसागर और दाहोद में कुछ सीटें जीतकर मजबूत साबित हुई। इसलिए ऐसी सीटों पर दोनों दलों के पास समान अवसर है, जो उनकी संगठनात्मक क्षमता और उम्मीदवारों की निजी लोकप्रियता पर निर्भर करता है।

Gujrat Election :

एसटी आरक्षित छोटा उदयपुर से भाजपा के उम्मीदवार मोहन सिंह राठवा के पुत्र राजेंद्र सिंह राठवा ने कहा कि उनके क्षेत्र में लोग कुछ नेताओं को वोट देते हैं चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हो। राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस के पास मजबूत आदिवासी चेहरा नहीं है और इसलिए वह इन आदिवासी क्षेत्रों में बैकफुट पर नजर आती है। मध्य गुजरात में शहरी फैक्टर भी भाजपा के पक्ष में है। दो अत्यधिक शहरीकृत जिले अहमदाबाद और वडोदरा के साथ ही खेड़ा, आणंद और पंचमहल जिले में भी भाजपा की पकड़ है। त्रिवेदी ने कहा कि शहरी क्षेत्र भाजपा के गढ़ हैं और रहेंगे। चुनाव जीतने के लिए आवश्यक नगर निगम, नेता, नेटवर्क और उम्मीदवार सभी मजबूती से भाजपा के साथ हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था तो उन्होंने वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के साथ ही वडोदरा सीट को चुना था।
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Uttarakhand NEWS: धर्मांतरण विरोधी ​विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पेश

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Uttarakhand NEWS
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2022 02:18 AM
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Uttarakhand NEWS देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में ज्यादा कड़े प्रावधानों वाला धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश किया जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है । यहां शुरू हुए तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक—2022 पेश करते हुए प्रदेश के धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के अनुसार, प्रत्येक धर्म को समान रूप से प्रबल करने के उद्देश्य में आ रही कठिनाइयों के निराकरण के लिये यह संशोधन विधेयक लाया गया है। विधेयक में विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन को संज्ञेय और गैरजमानती अपराध बनाते हुए इसके दोषी के लिए न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास का प्रावधान किया गया है । इसके अलावा, इसके दोषी के लिए कम से कम पचास हजार रू के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है । संशोधित मसौदे के अनुसार, अपराध करने वाले को कम से कम पांच लाख रूपए की मुआवजा राशि का भुगतान भी करना भी पड़ सकता है जो पीड़ि़त को दिया जायेगा । विधेयक के अनुसार, कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बल, प्रलोभन या कपटपूर्ण साधन द्ववारा एक धर्म से दूसरे में परिवर्तित या परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा । कोई व्यक्ति ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित या षडयंत्र नहीं करेगा ।' इसके अलावा, सरकार ने राज्य विधानसभा में उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) 2022 विधेयक भी पेश किया जिसके तहत लैंगिक समानता के उद्देश्य के लिए महिलाओं को राज्य की सेवाओं में 30 प्रतिशत ‘क्षैतिज आरक्षण’ का प्रावधान प्रस्तावित है ।