अरूण सिन्हा
नोएडा। कांग्रेस में चपलूस, लफ्फाज, मक्खनबाज व चंद आकाओं की परिक्रमा करके टिकट हासिल करने वालों के लिए बुरी खबर है।
पिछले तकरीबन तीन दशक में पहली बार कांग्रेस पार्टी में विधानसभा चुनाव के टिकटार्थियों को टिकट पाने के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। पार्टी हाईकमान ने सभी टिकटार्थियों को अपनी दावेदारी साबित करने के लिए कई कड़े टॉस्क दिये हैं। टिकटार्थियों के लिए निर्धारित मानकों को पूरा करना लोहे के चने चबाने जैसा साबित होगा।
हाल ही में जनपद गौतमबुद्धनगर के नोएडा, दादरी व जेवर विधानसभा समेत प्रदेश भर के टिकटार्थियों को लखनऊ दरबार तलब किया गया था। पार्टी हाईकमान ने उन्हें टिकट पाने के लिए कई कड़े टॉस्क दिये गये है। इसके तहत सभी टिकटार्थियों को विधानसभा क्षेत्र में वॉल पेंटिंग तथा पोस्टर आदि लगाने होंगे। वार्ड व सेक्टर अध्यक्ष बनाने होंगे। बूथ कमेटियों का गठन करना होगा। गांवों में भी अध्यक्ष बनाने होंगे। रोजाना हर टिकटार्थी को रोजाना अपने वाहन में चार कार्यकर्ताओं के साथ लोगों से जनसंपर्क करके उन्हें पार्टी की नीतियों तथा कांग्रेस के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित करना होगा। उन्हें पार्टी के निर्धारित कार्यक्रमों में कम से कम 500 सदस्यों व समर्थकों को लेकर जाना होगा। इसके अलावा अन्य कई टॉस्क करने होंगे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक तकरीबन ढाई माह बाद सभी टिकटार्थियों के कार्यों तथा दिये गये टॉस्क के बाबत समीक्षा की जाएगी यानि उनकी दावेदारी का मूल्यांकन होगा।
यह समीक्षा प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रभारी व अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी करेंगे। महानगर अध्यक्ष व पार्टी द्वारा निर्धारित पदाधिकारी रोजाना टिकटार्थियों द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों की रिपोर्ट हाईकमान को पहुंचाएंगे। इन सभी अग्निपथों से गुजरने के बाद जो टिकटार्थी हाईकमान की कसौटी पर खरा उतरेगा। उसी को ही टिकट देने पर विचार किया जाएगा। कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब वही टिकटार्थी टिकट हासिल कर पाएगा जो ईमानदारी से पार्टी के प्रचार-प्रसार के अलावा अपनी काबलियत साबित कर पाएगा तथा हाईकमान के मानकों पर खरा उतरेगा। इसीलिए अब कांग्रेस में लफ्फाजी, चापलूसी व मक्खनबाजी के बूते टिकट पाने का ख्वाब पालने वाले सावधान हो जाएं। वहीं नये मानकों ने पैराशूटी प्रत्याशियों की परंपरा पर भी विराम लगा दिया है।