Friday, 3 May 2024

National: न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते, इसलिए उन्हें बदला नहीं जा सकता : रीजीजू

National News: नयी दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि चूंकि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं,…

National: न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते, इसलिए उन्हें बदला नहीं जा सकता : रीजीजू

National News: नयी दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि चूंकि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन लोग उन्हें देखते हैं और न्याय देने के तरीके से उनका आकलन करते हैं।

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उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में कॉलेजियम प्रणाली से न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर हालिया समय में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच गतिरोध बढ़ा है। मंत्री ने तीस हजारी अदालत परिसर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में यह टिप्पणी की।

रीजीजू ने कहा कि सोशल मीडिया के कारण आम नागरिक सरकार से सवाल पूछते हैं और उन्हें ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार पर हमला किया जाता है और सवाल किया जाता है और हम इसका सामना करते हैं।

मंत्री ने कहा कि अगर लोग हमें फिर से चुनते हैं, तो हम सत्ता में वापस आएंगे। अगर वे नहीं चुनते हैं, तो हम विपक्ष में बैठेंगे और सरकार से सवाल करेंगे।

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर यदि कोई व्यक्ति न्यायाधीश बनता है तो उसे चुनाव का सामना नहीं करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की सार्वजनिक पड़ताल नहीं होती है।

उन्होंने कहा कि चूंकि लोग आपको नहीं चुनते हैं, वे आपको बदल नहीं सकते। लेकिन लोग आपको आपके फैसले, जिस तरह से आप फैसला सुनाते हैं उसके जरिए देखते हैं और आकलन करते हैं तथा राय बनाते हैं।

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उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में कुछ भी छिपा नहीं है। रीजीजू ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ने उनसे सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों पर हो रहे हमलों के बारे में कुछ करने का अनुरोध किया था। वह जानना चाहते थे कि न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक भाषा को कैसे नियंत्रित किया जाए।

उन्होंने कहा कि न्यायाधीश सार्वजनिक मंच पर बहस नहीं कर सकते क्योंकि सीमाएं हैं। रीजीजू ने कहा कि मैंने सोचा कि क्या किया जाना चाहिए। अवमानना ​​का प्रावधान है। लेकिन जब लोग बड़े पैमाने पर टिप्पणी करते हैं, तो क्या किया जा सकता है। जहां हम दैनिक आधार पर सार्वजनिक जांच और आलोचना का सामना करते हैं, वहीं अब न्यायाधीशों को भी इसका सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने दावा किया कि आजकल न्यायाधीश भी थोड़े सावधान हैं, क्योंकि अगर वे ऐसा फैसला देते हैं जिसके परिणामस्वरूप समाज में ‘व्यापक प्रतिक्रिया’ होगी, तो वे भी प्रभावित होंगे क्योंकि वे भी इंसान हैं।

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