नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाये जाने के खिलाफ प्रदर्शन में बच्चों को कथित तौर पर शामिल किये जाने पर आपत्ति जताई है।
आयोग ने नैनीताल के जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि सोशल मीडिया पर ऐसी कई खबरें आई हैं जिनमें कहा गया है कि भारतीय रेलवे के खिलाफ प्रदर्शन में बच्चों को भी शामिल किया गया है।
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उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को एक सप्ताह का अग्रिम नोटिस जारी कर हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। इस पर विरोध जताते हुए हल्द्वानी के कुछ निवासियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
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उच्चतम न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने संबंधी उच्च न्यायालय के निर्देश पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि सात फरवरी तय की।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र के निवासी अदालत के आदेश के अनुपालन में उन्हें हटाये जाने के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। आयोग ने कहा कि विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर अपलोड की गई तस्वीरों में बच्चे हाथों में बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन में बैठे स्पष्ट रूप से नजर आ रहे हैं। उसने कहा कि यह उल्लेख करना जरूरी है कि बच्चों को इन प्रतिकूल मौसम स्थितियों में प्रदर्शन स्थल पर लाया गया है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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बाल अधिकार निकाय ने कहा कि उसने शिकायत का संज्ञान लेना उचित समझा, क्योंकि ‘अवैध विरोध’ में बच्चों को शामिल करना किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 का उल्लंघन है। आयोग ने कहा कि इस ‘अवैध विरोध प्रदर्शन’ में शामिल होने वाले बच्चों की पहचान कर उन्हें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। आयोग ने कहा कि इसके अलावा, इन बच्चों के माता-पिता को भी उचित परामर्श दिया जा सकता है।