Nepal Tourism : भारत का पड़ोसी देश नेपाल अपनी संसकृति और अध्यात्म मे भारत से लगभग मिलता जुलता है । नेपाल को दुनिया की छत के नाम से भी जाना जाता है । नेचुरल ब्यूटी और मंदिरों का प्राचीन इतिहास नेपाल को पर्यटन के हिसाब से काफी संपन्न बनाता है। यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां हर साल लाखों की तादात में सैलानी पहुंचते हैं और यहां की खूबसूरती का आनंद उठाते हैं। अगर आप घूमने के शौकीन है तो आप कम खर्च में पर्वतों और जंगलों का आनंद उठा सकते हैं। यही नहीं, अगर आप धार्मिक हैं और कुछ पौराणिक व जागृत स्थलों की यात्रा करना चाहते हैं तो यहां हिंदू और बौद्ध धर्म के कई पीठ और मंदिर मौजूद हैं जो इन धर्मों के इतिहास को बयां करते हैं। कुछ समय पहलें तक नेपाल विश्व का एक मात्र हिंदू देश हुआ करता था। लेकिन वर्तमान समय में इस देश में हिंदू के साथ-साथ मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के लोग भी निवास कर रहे हैं, जिनमें आज भी इस देश में निवास करने वाले हिन्दू धर्म के लोगों की जनसंख्या 80% से अधिक है।
नेपाल पर्यटन की दृष्टि से काफी समृद्ध और संपन्न देश है । यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां हर साल लाखों की तादात में सैलानी पहुंचते हैं और यहां की खूबसूरती का लुत्फ उठाते हैं। यहां पर्यटन के लिए कई हिल स्टेशन और प्राचीन मंदिर भी हैं जहां जाकर आपका मन रोमांचित हो जाएगा।
पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू : Pashupatinath Temple
विश्व में दो पशुपतिनाथ मंदिर प्रसिद्ध है एक नेपाल के काठमांडू का और दूसरा भारत के मंदसौर का। दोनों ही मंदिर में मुर्तियां समान आकृति वाली है। इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।पाशुपत संप्रदाय के इस मंदिर के निर्माण का कोई प्रमाणित इतिहास तो नहीं है किन्तु कुछ जगह पर यह उल्लेख मिलता है कि मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था। मूल मंदिर कई बार नष्ट हुआ है। इसे वर्तमान स्वरूप नरेश भूपलेंद्र मल्ला ने 1697 में प्रदान किया। पशुपतिनाथ दरअसल चार चेहरों वाला लिंग हैं। पूर्व दिशा की ओर वाले मुख को तत्पुरुष और पश्चिम की ओर वाले मुख को सद्ज्योत कहते हैं। उत्तर दिशा की ओर देख रहा मुख वामवेद है, तो दक्षिण दिशा वाले मुख को अघोरा कहते हैं। ये चारों चेहरे तंत्र-विद्या के चार बुनियादी सिद्धांत हैं। कुछ लोग ये भी मानते हैं कि चारों वेदों के बुनियादी सिद्धांत भी यहीं से निकले हैं।
अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप में मुख्य मंदिर और मंदिर की गर्भगृह को किसी भी प्रकार की हानि नहीं हुई थी।ये मंदिर प्रत्येक दिन प्रातः 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक खुला रहता है।
लुम्बिनी :Lumbini
गौतम बुद्ध का जन्म स्थान लुम्बिनी यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल है जो हिमालय के पर्वतों से घिरा है। इसके स्तूप और मठ वाकई काफी आकर्षक हैं। उनकी माता कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो उन्होंने रास्ते में लुम्बिनी वन में दो साल वृक्षों के नीचे बुद्ध को जन्म दिया। कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास उस काल में लुम्बिनी वन हुआ करता था।यहां का मायदेवी मंदिर काफी प्रसिद्ध है ।
चांगुनारायण मंदिर :changu narayan Temple
यह मन्दिर काठमांडू से 8 मील दूर भक्तपुर स्थान पर स्थित है। चौथी शताब्दी के दौरान निर्मित इस मंदिर को भगवान विष्णु के सबसे प्राचीन मंदिरों के रूप में जाना जाता है।ऐतिहासिक महत्व और भव्य शैली के कारण यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में इस मंदिर को शामिल किया गया है। आप यहांके बाजार मे काई प्रकार की चीजें खरीद सकतें है । इस मंदिर में विष्णु भगवान के साथ शेषनाग की प्रतिमा विराजमान है। यह नेपाल का सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में रुद्राक्ष के पेड़ भी है ।
मनकामना मंदिर:Manakamana Temple
मनकामना माता मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 105 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर के पीछे एक कहानी है कि सालों पहले एक किसान ने गलती से एक पत्थर को चोट मार दी थी और अचानक उस पत्थर से खून और दूध एक साथ निकलने लगे थे। इसलिए यहां लोगों ने माता का मंदिर बनावाया। यहां के लोग पत्थर को देवी का अवतार मानते हैं।कहते है जो कोई भी इस मंदिर में सच्चें मन कुछ मांगता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है इसीलिए इसका नाम मनकामना मंदिर है।
मुक्तिनाथ मंदिर:Muktinath
मुक्तिनाथ मंदिर नेपाल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। इस मंदिर के आसपास के क्षेत्र को मुक्तिक्षेत्र’ के नाम से जाना जाता हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वह क्षेत्र है, जहां लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर, जहां माता का मस्तक या गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी। इसकी शक्ति है गण्डकी चण्डी और शिव या भैरव चक्रपाणि । नेपाल के इस मंदिर तक पहुंचने का रास्ता काफी कठिन होने के बावजूद भी भारी संख्या में हिंदू धर्म के लोग इस मंदिर में दर्शन करने जाते हैं।
बबीता आर्या