Kashmir News नयी दिल्ली। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती को धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने की अनुमति दिल्ली उच्च न्यायालय ने दे दी है ।
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से पेश वकील ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ से कहा कि उनकी मुवक्किल (महबूबा मुफ्ती) मार्च 2021 में दायर अपनी याचिका वापस लेना चाहती हैं। याचिका में धनशोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से उन्हें जारी समन को भी चुनौती दी गयी थी तथा इस पर रोक लगाने की मांग की गयी थी, लेकिन अदालत ने इसे पहले ही ठुकरा दिया था।
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अदालत को अवगत कराया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाये गये मुद्दों का निपटारा उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में पहले ही कर दिया है। मुफ्ती ने अपनी याचिका में पीएमएलए की धारा 50 को अमान्य और निष्क्रिय घोषित करने की मांग करते हुए कहा था कि यह प्रावधान भेदभावपूर्ण, सुरक्षा उपायों से रहित और संविधान के अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन है।
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अधिनियम की धारा-50 ईडी अधिकारी को सबूत देने या रिकॉर्ड पेश करने के लिए किसी भी व्यक्ति को तलब करने का अधिकार देती है। जिन्हें समन किया जाता है वह इसके तहत पूछे गये सभी सवालों का जवाब देने और ईडी अधिकारियों द्वारा मांगे गये आवश्यक दस्तावेज पेश करने के लिए बाध्य होते हैं तथा ऐसा न करने पर उन्हें दंडित किया जा सकता है।