Ajab :  दुकान का फर्श अचानक धंस गया 6 फुट नीचे, दो व्यक्ति गड्ढे में गिरे

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 09:16 AM
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सहारनपुर के थाना देवबंद के मोहल्ला किला में दुकान का फर्श shop floor अचानक छह फीट नीचे धंस जाने से दुकान में बैठे दो व्यक्ति गड्ढे में जा गिरे और आसपास की दो दुकानों में भी दरारें पड़ गई। घटना से क्षेत्र में अफरा-तफरी फैल गई और मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई।

देवबंद के मोहल्ला किला पर स्थित प्राचीन मस्जिद के नीचे दर्जनों दुकानें बनी हुई है, इन्ही में से एक दुकान में जावेद की प्रिंस फोटो स्टूडियों के नाम से दुकान है। बुधवार की शाम को जावेद की दुकान में सलमान व राशिद साबरी बैठे हुए कुछ काम कर रहे थे। अचानक दुकान का फर्श लगभग 6 फीट नीचे धंस गया और दोनों गड्ढे में जा गिरे। अचानक हुई जोर की आवाज के कारण क्षेत्र के लोग जावेद की दुकान की और दौड़ पड़े और गड्ढे से सलमान व राशिद साबरी को बाहर निकाला। जावेद की दुकान का फर्श बैठने से उसके बराबर में स्थित फारिया टूर एंड ट्रैवल एजेंसी एवं राजीव भटनागर की दुकान की दीवार में भी गहरी दरारे पड़ गई। अचानक हुई इस घटना से मोहल्ला किला पर अफरातफरी फैल गई और जावेद आदि दुकानदारों ने तत्काल अपना सामान दुकानों से बाहर निकाला। काफी समय तक लोगों में यह डर बना रहा कि कहीं तीनों दुकानें धराशायी न हो जाए और इस डर के कारण कुछ लोग इन दुकानों के पास जाने से भी बच रहे थे। कुंए के ऊपर बनी हुई है दुकानें मोहल्ले के लोगों का कहना था कि जिस स्थान पर यह दुकानें बनी हुई है, यहां किसी जमाने में मस्जिद का कुंआ हुआ करता था इस कुएं को बाद में पाट दिया गया और दुकानें बना दी गई। कुएं के कारण ही जावेद की दुकान का फर्श नीचे धंसा। बता दें कि मोहल्ला किला पर बहुत से मकान ऐसे ही बने हुए है और मकान धंसने की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी है लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कभी इसकी जांच नहीं कराई गई और मकान तो अलग बात है, इस मोहल्ले में कई कंपनियों के मोबाइल टावर भी खड़े है जो किसी भी समय बड़ी घटना का कारण बन सकते हैं।

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Ajab gajab : इस रहस्यमयी मंदिर में सिर के बल उल्‍टे खड़े हैं हनुमान जी

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:13 AM
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रामभक्‍त हनुमान के चमत्‍कारों की कहानियां अनगिनत हैं। इनमें से कई चमत्‍कार तो आज भी मौजूद हैं और उनके पीछे के रहस्‍य आज भी अनसुलझे हैं। देश के कुछ हनुमान मंदिर तो बेहद खास और चमत्‍कारिक हैं। ऐसा ही एक मंदिर मध्‍य प्रदेश में है, जहां पवनपुत्र हनुमान की उल्‍टी मूर्ति स्‍थापित है। यहां हनुमान जी सिर के बल उल्‍टे खड़े हैं और उनकी इसी रुप में पूजा होती है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उनकी कृपा पाने के लिए आते हैं।

मध्यप्रदेश के इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर सांवेर गांव में उल्‍टे हनुमान का यह मंदिर स्थित है। मान्‍यता है कि इस मंदिर में 3 या 5 मंगलवार तक लगातार दर्शन करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही हनुमान जी भक्‍त की मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं। हनुमान जी की इस चमत्‍कारिक प्रतिमा पर चोला चढ़ाने से भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस मंदिर में हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा को लेकर मान्‍यता है कि राम और रावण के युद्ध के दौरान रावण अपना रुप बदलकर अहिरावण बनकर भगवान राम की सेना में शामिल हो गया था। रात में रावण सोते हुए राम-लक्ष्‍मण को मूर्छित करके पाताल लोक ले गया। इसकी सूचना मिलते ही पूरी वानर सेना बदहवास हो गई। तब भगवान राम और उनके भाई लक्ष्‍मण को पाताल लोक से वापस लाने के लिए हनुमान जी पाताल लोक में गए थे।

वहां उन्‍होंने अहिरावण का वध किया और राम-लक्ष्‍मण को वापस लाए थे। कहते हैं कि सांवेर में जहां यह मंदिर है, वहीं से हनुमान जी पाताल लोक में गए थे और पाताल लोक में प्रवेश करते समय उनका सिर नीचे की ओर था। इसलिए इस मंदिर में हनुमान जी मूर्ति उसी उल्‍टी अवस्‍था में स्‍थापित की गई है।

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Travel Update: भोपाल का ताजमहल है काफी सुंदर

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 06:17 PM
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अपने आप में ही एक प्रसिद्ध शहर माना जाता है। बहुत लोग इसे झीलों का शहर भी कहते हैं। लेकिन आज हम यहां के ताजमहल की बात करेंगे और आपको बताएंगे कि यह क्यों प्रसिद्ध है।

आगरा का ताजमहल तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। आगरा के ताजमहल को काफी नामों से भी जाना जाता है जैसे लवर्स प्वाइंट, प्रेम की मूरत इत्यादि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोपाल में भी ऐसा ही दिखने वाला एक ताजमहल है जो कि काफी सुंदर है।

बता दें कि यह ताजमहल भोपाल के नवाब शाहजहां ने अपनी बेगम के लिए बनवाया था। यह ताजमहल देखने में हूबहू आगरा के ताजमहल जैसा है। यह काफी आश्चर्यजनक है। जानकारी के अनुसार नवाब शाह जहां काफी कला प्रेमी थे। उन्होंने यह ताजमहल अपनी बेगम के लिए बनवाया था। जिसके बाद उनकी बेगम ने उस ताजमहल के सामने बड़ा सा शीशा लगा दिया था। शीशे की चमक के कारण इस ताजमहल को ठीक से कोई देख नहीं पाता था। इस ताजमहल को बनवाने में करीब 13 वर्ष लग गए थे।

बता दें कि यह ताजमहल तकरीबन 17 एकड़ जमीन में बना हुआ है। इसका निर्माण वर्ष 1871 में शुरू होकर 1884 में खत्म हुआ था। सरकार में लिखे रिकॉर्ड की माने तो इसमें मुख्य दरवाजे का वजन तकरीबन 1 टन है।

अगर आप कभी भी भोपाल जाए तो वहां के ताजमहल घूमने जरूर जाएं और ज्यादा जानकारी के लिए वहां के बिरला म्यूजियम में जरूर जाएं। बता दें कि वास्तुकला से लेकर दूसरी सदी की हस्तलिपि, शिलालेख व पेंटिंग भी म्यूजियम में मौजूद है.

किसी भी सभ्यता और संस्कृति और इतिहास को जानने के लिए म्यूजियम बेहतर विकल्प होता है। आप भोपाल की संस्कृति और सभ्यता से रूबरू होने के लिए बिरला म्यूजियम जरूर जाएं। वास्तुकला से लेकर दूसरी सदी की हस्तलिपि, पेंटिंग और शिलालेख भी म्यूजियम में हैं।