धन संग्रह और स्वास्थ्य लाभ में बेहद कारगर हैं काली हल्दी के ये अनुभूत उपाय

Haldi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:27 AM
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दुनिया में कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जिनको अपनाने से आपकी जिदंगी की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है। ऐसी ही एक है काली हल्दी (black turmeric) । तंत्र शास्त्र में इसे अचूक हथियार माना गया है। कहते हैं कि काली हल्दी (black turmeric)  के टोटकों का असर कभी खाली नहीं जाता। काली हल्दी (black turmeric) बड़े काम की है। वैसे तो काली हल्दी का मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, किन्तु फिर भी यह पंसारी की दुकानों में मिल जाती है। यह हल्दी काफी उपयोगी और लाभकारक है।

यदि किसी के पास धन आता तो बहुत है किन्तु टिकता नहीं है, उन्हे यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रूकने लगेगा।

यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।

यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।

यदि आपका व्यवसाय मशीनों से सम्बन्धित है, और आये दिन कोई मॅहगी मशीन आपकी खराब हो जाती है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।

यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीडि़त हो तो किसी अच्छे मूहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें। तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर धागे की मद्द से उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेंवन कराते रहें। अवश्य लाभ मिलेगा।

यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार उपर से उतार कर बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें।

किसी की जन्मपत्रिका में जातक गुरू और शनि से पीडि़त है, तो वह जातक यह उपाय करें- शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।

पं​. रामपाल भट्ट, ज्योतिषाचार्य

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धन संग्रह और स्वास्थ्य लाभ में बेहद कारगर हैं काली हल्दी के ये अनुभूत उपाय

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दुनिया में कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जिनको अपनाने से आपकी जिदंगी की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है। ऐसी ही एक है काली हल्दी (black turmeric) । तंत्र शास्त्र में इसे अचूक हथियार माना गया है। कहते हैं कि काली हल्दी (black turmeric)  के टोटकों का असर कभी खाली नहीं जाता। काली हल्दी (black turmeric) बड़े काम की है। वैसे तो काली हल्दी का मिल पाना थोड़ा मुश्किल है, किन्तु फिर भी यह पंसारी की दुकानों में मिल जाती है। यह हल्दी काफी उपयोगी और लाभकारक है।

यदि किसी के पास धन आता तो बहुत है किन्तु टिकता नहीं है, उन्हे यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रूकने लगेगा।

यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।

यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।

यदि आपका व्यवसाय मशीनों से सम्बन्धित है, और आये दिन कोई मॅहगी मशीन आपकी खराब हो जाती है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।

यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीडि़त हो तो किसी अच्छे मूहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें। तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर धागे की मद्द से उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेंवन कराते रहें। अवश्य लाभ मिलेगा।

यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार उपर से उतार कर बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें।

किसी की जन्मपत्रिका में जातक गुरू और शनि से पीडि़त है, तो वह जातक यह उपाय करें- शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।

पं​. रामपाल भट्ट, ज्योतिषाचार्य

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धर्म - अध्यात्म : पलड़ा तो सत्य का ही भारी रहेगा!

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar22 Nov 2021 05:13 AM
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 विनय संकोची

सत्य के महत्व को सब समझते हैं। सत्य की शक्ति को सब पहचानते हैं। सत्य की महिमा का चाहे-अनचाहे जाने-अनजाने कभी न कभी हर कोई गुणगान करता है। फिर भी सत्य को स्वीकारने सत्य को अंगीकार करने में लोग हिचकते हैं, यह भी एक सत्य है।

ईश्वर सत्य है, परम सत्य है- इस बात को प्रत्येक व्यक्ति स्वीकार तो करता है, लेकिन जब कोई बड़ा संकट उसके ऊपर आता है तो वह उस परम सत्य ईश्वर को भी नकार देता है, उसके होने पर भी प्रश्नचिन्ह लगा देता है। क्योंकि परमात्मा उसकी इच्छा के अनुरूप 'आचरण' नहीं कर रहा होता है। संकट की घड़ी में भाग्य के साथ ईश्वर को कोसने वाला स्वार्थ में लिप्त व्यक्ति यह नहीं सोच पाता कि जो कुछ हुआ उसी में उसकी भलाई है और जो नहीं हुआ वह भी उसके पक्ष में ही था। मनुष्य प्रत्येक बात को स्वार्थ के चश्मे से देखता है और उस चश्मे से सत्य दिखाई नहीं देता है। स्वार्थ का चश्मा तो केवल वही दिखाता है जो कि मनुष्य देखना चाहता है। मनुष्य आंखें मूंदकर सूर्य का उगना स्वीकार नहीं करके अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारता है। अपने ही हित को अहित में परिवर्तित कर दु:खी होता है।

एक सच यह भी है कि व्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसी अनुरूप उसे फल मिलता है। परंतु मनुष्य कर्म जैसे भी करे, उसका फल हमेशा अपने पक्ष में चाहता है। नीम का वृक्ष लगाकर भी मनुष्य उस पर निबोली के स्थान पर स्वादिष्ट आम आने की इच्छा रखता है। वह इस सत्य को जानता है कि नीम के वृक्ष पर आम नहीं आ सकता, लेकिन वह चाहता है ऐसा ही है। यदि सत्य की उंगली थाम कर चला जाए तो तमाम बाधाओं को पार किया जा सकता है, परंतु पुरुषार्थ करना होगा हृदय में सत्य को स्थापित कर उसे पूजना होगा और अपने से अधिक सत्य की शक्ति पर भरोसा करना होगा।

इसी के साथ ही इस सत्य को अंगीकार करना होगा कि सत्य कभी हारता नहीं है और न ही उसका उद्देश्य किसी को हराने का होता है और असत्य तो सत्य की आभा में स्वयं अदृश्य हो जाता है, वैसे ही जैसे सूर्य के उज्जवल प्रकाश में रात्रि की कालिमा। असत्य की कालिमा से सत्य का दिव्य प्रकाश कभी धूमिल नहीं होता है।

सत्य को परम धर्म कहा गया है, सत्य को परम पद भी कहा गया है और सत्य को ही परब्रह्म परमात्मा कहकर उसका महत्व दर्शाया गया है। क्या इतने कारण पर्याप्त नहीं है सत्य को अपनाने के लिए, सत्य भाषण के लिए। सत्य बोलने वाले व्यक्ति भय रहित होता है और मिथ्याभाषी सदैव भयभीत रहता है। उसे भय रहता है उसके झूठ के खुल जाने का। सत्यवादी का विवेक जागृत रहता है, बुद्धि प्रखर होती है और चेहरे पर तेज रहता है। इसके विपरीत असत्यवादी का आत्मबल क्षीण हो जाता है, विवेक साथ छोड़ जाता है और उसक चेहरे पर भय की छाया मंडराती रहती है। सत्य से लाभ ही लाभ है, तो क्यों न सत्य को अपनाया जाए, अपने जीवन में उतारा जाए। सत्य को न केवल स्वीकार जाए अंगीकार किया जाए बल्कि उसे पूजा जाए क्योंकि ईश्वर भी तो सत्य ही है। अगर शास्त्रों की मानें तो सत्य ही परम ब्रह्म है, सत्य ही परम तप है, सत्य ही श्रेष्ठ यज्ञ है और सत्य ही शास्त्र ज्ञान है-

सत्यमेव परं ब्रह्म सत्यमेव परं तप: । सत्यमेव परं यज्ञ: सत्यमेव परं श्रुतम।।