किसानों के मन की बात

R.P.Raghuvanshi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Nov 2021 07:58 AM
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आर०पी०रघुवन्शी ‌

संपादक, चेतना मंच

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज विवादास्पद तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। इस पर टिप्पणी करने से पहले मैं एक संस्मरण सुनाना चाहूंगा। करीब 6 महीने पहले कृषि कानूनों पर एक समाचार चैनल पर डिबेट सुन रहा था। चैनल का एंकर और भाजपा प्रवक्ता जोर देकर कह रहे थे कि सरकार कृषि कानूनों पर 1 इंच भी पीछे नहीं हटेगी और ये बिल किसी भी सूरत में वापस नहीं होंगे। विपक्षी पार्टी के प्रवक्ता ने एक किस्सा सुनाते हुए अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि एक बार एक चोर को पकड़ कर थाने में लाया गया। कोतवाल ने कहा कि या तो तुम सिर पर दस जूते लगवा लो या दस प्याज खा लो । चोर ने कहा कि मैं प्याज खा लूंगा। 10 प्याज टोकरी में सामने रख दी गई। चोर ने एक प्याज खाई तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। चोर ने कहा कि मैं जूते ही खा लूंगा। सिपाही ने धड़ाम से उसके सिर में जूता मारा तो उसके सिर में तगड़ी झनझनाहट पैदा हुई। चोर ने कहा कि प्याज ही खा लूंगा। उसे फिर प्याज दे दी गई।  इस तरह चोर ने 10 प्याज भी खाए और 10 जूते भी खाए। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के साथ भी यही होने वाला है। यह सरकार जूते भी खाएगी और प्याज भी खाएगी। आज मुझे उस प्रवक्ता की बात सही लग रही है। 10 महीने के आंदोलन और 700 किसानों की शहादत के बाद सरकार ने ये कानून वापस लिए हैं। इस बीच सरकार ने किसानों और किसान समर्थकों की कितनी गालियां खाई हैं यह सभी को पता है। इस बीच किसानों पर भी क्या-क्या अत्याचार न हुए। लाठियों से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई, गाडिय़ों से रौंद दिया गया, जेलों में डाला गया, सड़कों पर कीलें और कंटीले तार लगाकर रोका गया, भूखे-प्यासे मरने को विवश किया गया। तब जाकर सरकार ने ये कानून वापस लिये हैं। अब सरकार के प्रवक्ता और सरकार समर्थक मीडिया इसके लिए भी प्रधानमंत्री का महिमामंडन करने में लगा हुआ है कि देखो-देखो मोदी जी का दिल कितना बड़ा है। उन्होंने कृषि कानून वापस ले लिये। यह तो वही बात हुई कि जब थूका जा रहा था तो थूकने के फायदे बता रहे थे, अब चाटा जा रहा है तो चाटने के फायदे गिना रहे हैं। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा क्योंकि हमारे पाठक स्वयं प्रबुद्ध और समझदार हैं।
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2022 का भविष्यफल, मेष राशि वार्षिक राशिफल, कैसा रहेगा नया साल

Varshik Rashifal 2022 copy
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Nov 2021 06:35 AM
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वर्ष 2021 अब समाप्ति की ओर है। डेढ़ माह बाद हम सभी नए साल में प्रवेश कर जाएंगे। 2020 की भांति 2021 में भी कोरोना का प्रकोप रहा। बहुत से लोग वर्ष 2021 को भी अपने लिए अनलकी मानते हैं। अब 2022 को लेकर ही आशाएं व्यक्त की जा रही हैं। वर्ष 2022 को लेकर सभी राशि के जातकों का भविष्यफल (astrology-2022-predictions) तैयार किया है। आज से हम यह सीरिज शुरु कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि वर्ष 2022 में मेष राशि के लिए क्या खास रहने वाला है।

मेष राशि वर्ष 2022 आपके लिए मिलेजुले फल लेकर आएगा। इस वर्ष 2022 में शनि आपके दशम भाव में मौजूद रहेंगे। दशम जातक का कर्म भाव होता। इस वर्ष मेष राशि को सफलता पाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करना होगी। आलस को छोड़ना हित में होगा। वर्ष 2022 में मंगल जीवन में मंगल करेंगे। कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। 16 जनवरी को मंगल का धनु राशि में प्रवेश होगा, यह योग मालामाल कर देगा। कई शुभ फल मिलने के योग बनेंगे और मेष राशि के जातकों के जीवन में सकारात्मकता देखी जाएगी। रोमांस के सितारे गड़बड़ दिखाई दे रहे हैं। वार्षिक राशिफल 2022 के अनुसार, 13 अप्रैल को जब गुरु बृहस्पति का मीन में गोचर होगा, तो वो आपकी राशि से 12वें भाव यानी हानि भाव में प्रवेश करेंगे। बृहस्पति इस राशि के विद्यार्थियों को सबसे अधिक प्रभावित कर सकते हैं। परीक्षा में सफलता अर्जित करते हुए, अच्छे अंक हासिल करने के योग बन रहे हैं।

साल 2022 की शुरुआत से 6 मार्च तक, शनि और बुध की युति मकर राशि में होने से मेष राशि के जातकों का दशम भाव प्रभावित होगा और इससे सुख-सुविधाओं पर असर होगा। शनि और बुध की युति के कारण सेहत से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कोई बड़े या गंभीर रोग होने की आशंका न के बराबर है। फिर भी इस साल सबसे अधिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की ज़रूरत होगी। मई से अगस्त तक, आपके 12 वें भाव में मंगल का गोचर होने से पाचन तंत्र से संबंधित विकार परेशान कर सकते हैं। इसलिए जितना संभव हो अच्छा खान-पान लेते हुए, अधिक मसालेदार भोजन से परहेज करें। साल 2022 में 27 जून से लेकर 10 अगस्त तक की अवधि जीवन में अनुकूलता लेकर आएगी। राशि स्वामी मंगल की चतुर्थ भाव पर दृष्टि होगी लेकिन अगस्त माह में शनि की दृष्टि, आपके पारिवारिक जीवन में अशांति का कारण बन सकती है। क्योंकि इस दौरान न चाहते हुए आपका घर के सदस्यों से तर्क-वितर्क संभव है, जिससे मानसिक तनाव में वृद्धि भी होगी। सितंबर के मध्य से लेकर नवंबर के मध्य के बीच, ग्रहों का फेरबदल पिता को स्वास्थ्य कष्ट दे सकता है। अगर आप शादीशुदा हैं तो आपके लिए शुरूआती चार महीने (जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2022) तनावपूर्ण रहने वाले हैं। आपका जीवनसाथी के साथ अहम का टकराव साफ़ दिखाई देगा। मई के महीने में जब आपकी ही राशि में शुक्र ग्रह का गोचर होगा तो, परिस्थितियों में कुछ सुधार आएगा। इससे आप अपने साथी के साथ अपने संबंध बेहतर करते हुए, किसी यात्रा पर जाने की योजना भी बना सकते हैं।

यशराज कनिया कुमार, अंक एवं वैदिक ज्योतिषी
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वो शक्ति स्वरूपा थीं!

Rani Laxmi Bai
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Nov 2021 06:35 AM
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विनय संकोची

आज महान् क्रांतिकारिणी झांसी की रानी और देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती है। नारी शक्ति की प्रतीक दोनों महामानवी विदुषियों को भावपूर्ण श्रद्घांजलि।

मणिकर्णिका-मनु से झांसी की रानी बनने वाली क्रांति-ज्वाला महारानी लक्ष्मीबाई की कहानी आज भी रोमांचित करती है। अंतिम सांस तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली रानी झांसी, अंग्रेज़ उनका शव तक लेने में सफल नहीं हो सके थे- रानी की यही तो अंतिम इच्छा थी।

जिस समय एक अंग्रेज ने पहले से ही घायल रानी के सिर पर तलवार का घातक प्रहार किया, तो वो बहते खून से लगभग अंधी हो गईं। रानी घोड़ेे से नीचे गिर पड़ीं। एक सैनिक ने उन्हें उठाया और पास के मंदिर में ले गया। रानी जीवित थीं लेकिन धीरे-धीरे होश खो रही थीं। बाहर गोलियां चल रही थीं। रानी के मुंह से रुक-रुक कर शब्द निकल रहे थे- ‘अंग्रेजों को मेरा शरीर नहीं मिलना चाहिए’- फिर उनका सिर एक ओर लुढ़क गया। सब कुछ शांत हो गया। रानी ने प्राण त्याग दिये। रानी के अंगरक्षकों ने आनन-फानन में कुछ लकडिय़ां जमा कीं और रानी की पार्थिव देह को उन पर रखकर आग लगा दी। अंग्रेजों की ताबड़तोड़ गोलीबारी से मंदिर के अंदर से संघर्ष कर रहे रानी के वफादार और पुजारी मारे गये। अंग्रेज अंदर पहुंचे, उन्हें एक शव की तलाश थी। तभी उन्होंने जलती चिता देखी। अंग्रेजों ने अपने बूट से चिता को बुझाने का प्रयास किया लेकिन तबतक रानी की हड्डियां राख बन चुकी थीं। अंग्रेज जीते जी तो रानी को छू नहीं सके, उनके पार्थिव शरीर को भी हासिल नहीं कर पाये। अंग्रेज इसे अपनी हार के तौर पर देखते रहे।

एक अंग्रेज अधिकारी कॉर्नेट कॉम्ब ने लक्ष्मीबाई की बहादुरी और हौसले को देखते हुए लिखा था- ‘वो बहुत ही अद्भुत और बहादुर महिला थी। यह हमारी खुशकिस्मती थी कि उसके पास उसी के जैसे आदमी नहीं थे।’ लॉर्ड कंबरलैंड ने लिखा था- ‘लक्ष्मीबाई असाधारण बहादुरी, विद्वता और दृढ़ता की धनी हैं। वे अपने अधीन लोगों के लिए बेहद उदार हैं। ये सारे गुण सभी विद्रोही नेताओं में उन्हें सबसे ज्यादा खतरनाक बनाते हैं।’

झांसी पर आखिरी कार्रवाई करने वाले सर ह्यूरोज ने कहा था-‘सभी विद्रोहियों में लक्ष्मीबाई सबसे ज्यादा बहादुर और नेतृत्व कुशल थीं। सभी बागियों के बीच वही मर्द थीं।’

रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा को कुछ शब्दों, कुछ पंक्तियों में समेटना सागर के जल को एक चम्मच में समेटने जैसा है। शक्ति स्वरूपा झांसी की रानी को शत-शत नमन्।

 

19 नवम्बर के दिन ही इंदिरा प्रियदर्शनी का भी जन्म हुआ था, जो अपने बुद्घि-कौशल के चलते देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में प्रतिष्ठित हुईं, पूरी दुनिया में एक सफल राजनेता के रूप में चर्चित और प्रसिद्घ हुईं। श्रीमती इंदिरा गांधी सादा जीवन, उच्च विचार की साकार मूर्ति थीं। राष्ट्रीय एकता बनाये रखने के लिए श्रीमती गांधी ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक भारत के गौरव को बढ़ाने के लिए भारतवासियों को सचेत किया। अपनी मृत्यु से 24 घंटे पूर्व भुवनेश्वर में दिये गये भाषण में उन्होंने जो कहा, उनको सुनकर तो ऐसा ही लगता है जैसे उन्हें अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था। अपने अंतिम भाषण में उन्होंने कहा था- ‘मुझे चिंता नहीं कि मैं जीवित रहूं या न रहूं। यदि राष्ट्र की सेवा में मैं मर भी जाऊं तो मुझे इस पर गर्व होगा। मुझे विश्वास है कि मेरे रक्त की एक-एक बूंद से अखंड भारत के विकास में मदद मिलेगी और यह सुदृढ़ तथा गतिशील होगा।’

इस भावपूर्ण भाषण के अगले दिन 31 अक्टूबर 1984 को नई दिल्ली के सफदरजंग रोड स्थित उनके आवास पर सुबह 9:29 बजे उनके दो अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने गोली मारकर इंदिरा गांधी की हत्या कर दी। कहा और माना जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की प्रतिक्रिया स्वरूप हुई, जिसका आदेश इंदिरा जी ने दिया था। जितना बड़ा नेता होता है, उससे उतनी ही बड़ी गलतियां होती हैं- इंदिरा जी से भी कुछ गलतियां हुईं, लेकिन इसका यह अर्थ कदापि नहीं हो सकता कि उन्होंने कुछ अच्छा किया ही नहीं। देश और विश्व ने उन्हें लौह महिला यानी आयरन लेडी के रूप में बेवजह तो स्वीकार नहीं किया होगा। इंदिरा गांधी की आलोचना-निंदा करना आसान है लेकिन देश को आगे बढ़ाने, विश्व पटल पर सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में उनके योगदान को विस्मृत करना असंभव है।