Post Office- मात्र 417 रुपए में करोड़पति बनने का सुनहरा मौका !

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Post Office Public Provident Fund (PC- ABP news)
locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar13 Dec 2021 04:49 PM
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Post Office- पोस्ट ऑफिस की पब्लिक प्रोविडेंट फंड पॉलिसी (Post Office Public Provident Fund) लोगो को लोगों को करोड़पति बनने का सुनहरा मौका दे रही है। इसके लिए कुछ आसान से नियमों का पालन करना पड़ेगा, जिसके फलस्वरूप मात्र ₹417 के निवेश में करोड़पति बनने का मौका मिलेगा।

पोस्ट ऑफिस पब्लिक प्रोविडेंट फंड पॉलिसी (Post Office Public Provident Fund)विस्तार में -

पोस्ट ऑफिस में पब्लिक प्रोविडेंट फंड पॉलिसी खोलने वाले उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही बेहतरीन स्कीम दी जा रही है। इसके तहत 15 साल के मेच्योरिटी पीरियड का एक अकाउंट खोला जाएगा। इस अकाउंट में रोजाना ₹417 निवेश करने होंगे। इस अकाउंट में जमा की गई राशि पर 7.1 प्रतिशत का ब्याज मिलता है। इसके साथ ही हर साल जमा हुई पूरी राशि पर कंपाउंड इंटरेस्ट भी दिया जाता है।

15 साल में जमा हुई राशि एवं ब्याज -

15 साल के मैच्योर पीरियड वाले इस अकाउंट में प्रतिदिन ₹417 के हिसाब से सालाना 1.5 लाख की राशि जमा होगी। इसके मुताबिक 15 साल की कुल जमा राशि 22.50 लाख रुपए होगी। सालाना 7.1% ब्याज व कंपाउंड इंटरेस्ट को जोड़कर मेच्योरिटी पीरियड पर उपभोक्ता को कुल 40.68 लाख रुपए मिलेंगे।

5-5 साल के एक्सटेंड पर मिलेगा करोड़पति बनने का मौका-

पोस्ट ऑफिस की पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Post Office Public Provident Fund) योजना के तहत करोड़पति बनने के लिए 15 साल की मैच्योरिटी पीरियड के बाद इसे 5-5 साल के लिए एक्सटेंड कराना होगा। इसके अनुसार यह पॉलिसी 25 साल की हो जाएगी। जिसमें सालाना 1.5 लाख के निवेश के अनुसार कुल जमा राशि 37.50 लाख रुपए की हो जाएगी। पॉलिसी के मैच्योर होने पर 7.1% ब्याज को जोड़ कर उपभोक्ता को 65.58 लाख रुपए मिलेंगे। अकाउंट खोलने के लिए Eligibility और आवश्यक Documents- पोस्ट ऑफिस में पब्लिक प्रोविडेंट फंड अकाउंट (Post Office Public Provident Fund) नौकरीपेशा, व्यवसाई अथवा सेवानिवृत कोई भी व्यक्ति खोल सकता है। 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों के लिए उनके अभिभावक भी यह अकाउंट खोल सकते हैं।

आवश्यक दस्तावेज -

पोस्ट ऑफिस में पब्लिक प्रोविडेंट फंड अकाउंट (Post Office Public Provident Fund) खोलने के लिए व्यक्ति के पास निम्नलिखित दस्तावेज होना आवश्यक है - 1. पहचान पत्र - (आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस) 2. पैन कार्ड (PAN Card) 3. पासपोर्ट साइज में तस्वीरें

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Orphan Children In India: भारत में 3 करोड़ से ज्यादा अनाथ बच्चे, 'गोद' लेने वाले बहुत कम

Orphange
देश में अनाथ बच्‍चों की संख्‍या अधिक.
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Dec 2021 04:46 PM
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विनय संकोची

भारत में अनाथ और माता पिता के द्वारा गरीबी व अन्य कारणों के चलते बेसहारा छोड़ दिए गए बच्चों की संख्या (Orphan Children In India) तीन करोड़ से ज्यादा है। जबकि नि:संतान दंपत्तियों की संख्या अनाथ बच्चों से कहीं ज्यादा है। फिर भी अनाथों को गोद लेने वालों की संख्या अपेक्षाकृत काफी कम है। अनाथों (Orphan Children) में उन बच्चों की संख्या ज्यादा है, जिनके निर्धन मां-बाप ने उनके पालन-पोषण का बोझ नहीं उठा पाने के चलते उन्हें बेसहारा छोड़ दिया। ऐसे बच्चे कई बार ट्रैफिकिंग और यौन शोषण का शिकार होते हैं। आश्चर्य होता है कि इतनी भारी-भरकम संख्या में अनाथ बच्चे होने के बावजूद बच्चे गोद लिए जाने की दर अपने देश में बहुत कम है। इसका सबसे बड़ा कारण बच्चों को गोद लिए जाने की प्रक्रिया का बेहद जटिल होना है कोरोना की महामारी के बाद तो बच्चों को गोद लेना और अधिक मुश्किल हो गया है।

अनाथ बच्चों (Orphan Children In India) को बाल-श्रम में धकेल दिए जाने की आशंका सबसे अधिक रहती है। इसके अतिरिक्त उनके गलत हाथों में पड़ कर अपराधी बन जाने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। अनाथ आश्रमों में कथित दुराचार के समाचार भी गाहे-बगाहे आते ही रहते हैं। ऐसी भी घटनाएं यदा-कदा सुनने में आती रहती हैं कि गोद लिए बच्चे को घर में नौकर बना कर रख दिया गया। अनाथ बच्चों की तस्करी के मामले भी प्रकाश में आते रहते हैं। सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि तमाम लोग गोद लिए बच्चों को जी जान से ज्यादा चाहते हैं और उनका अपने से भी ज्यादा ध्यान रखते हैं, उन पर हृदय की गहराइयों से प्रेम और स्नेह लुटाते हैं। लेकिन इसी सबके बीच गोद लेकर बच्चों को बेच देने की घटनाएं भी कभी-कभार सुनने में आती रहती हैं।

बच्चों को गोद लेने में धन का लेन-देन कानूनन अपराध की श्रेणी में ही आता है। सच तो यही है कि बच्चों को गोद लेने में पैसे के लेन-देन का किसी तरह का कोई प्रावधान ही नहीं है। बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया जटिल अवश्य है और यह शायद इसलिए कि जरूरतमंद ही बच्चे को गोद लें और बच्चे गलत हाथों में ना पड़े।

ये हैं नियम

संभावित मां-बाप को अनाथ बच्चा गोद दिए जाने के नियमों में सबसे पहला है कि वह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तथा आर्थिक दृष्टि से सक्षम हों। इसी के साथ यह प्रमाणित होना भी अनिवार्य है कि संभावित मां-बाप किसी जानलेवा बीमारी से ग्रस्त नहीं हैं।

बच्चा गोद लेने वालों के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें और भी हैं जैसे - अगर संभावित अभिभावक विवाहित हैं, तो उन दोनों की आपसी सहमति होना जरूरी है। संभावित मां-बाप अगर दो साल से ज्यादा वक्त से शादीशुदा हैं, तभी वह बच्चा गोद ले सकते हैं। बच्चा गोद लेने के लिए मां-बाप की उम्र एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसके तहत कम उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए मां-बाप की औसत आयु भी कम होनी चाहिए। संभावित माता-पिता और गोद लिए बच्चे के बीच कम से कम 25 वर्ष का अंतर होना आवश्यक है।

एक सिंगल महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है लेकिन एक सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकता है। जिन लोगों के पहले से ही तीन या इससे अधिक बच्चे हैं, वे लोग बच्चा गोद लेने के लिए योग्य नहीं है। परंतु विशेष परिस्थिति में वे भी बच्चा गोद ले सकते हैं। यदि इच्छुक व्यक्ति का कोई बच्चा पहले से ही है और उसकी उम्र पांच साल से ज्यादा है, तो उसकी सहमति भी अनिवार्य है अनाथ बच्चों को निसंतान दंपत्ति गोद लेकर उनका जीवन संवार सकते हैं।

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नि:संकोच : गांधी जी ने सौ साल पहले कहा था- 'लोकराज्य ही रामराज्य है!'

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'राम राज्य' (Ramraj) का सपना भी सुखद अहसास देता है।
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Dec 2021 04:40 PM
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 विनय संकोची

'राम राज्य' (Ramraj) का सपना भी सुखद अहसास देता है। 'राम राज्य' को धर्म से जोड़कर देखा जाता रहा है, उस धर्म से जो कट्टरतावादी सोच के चलते अधर्म की पगडंडी पर चलता दिखाई पड़ता है। 'राम राज्य' जिस धर्म के पालन से स्थापित हो सकता है, वह है राजधर्म। लेकिन धर्म के इसी स्वरूप की सबसे कम चर्चा होती है। 'जैसा राजा वैसी प्रजा' का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है और पूरी तरह से राजधर्म (Ramraj) पर आधारित है। राम ने पग-पग पर राजधर्म का पालन किया है। राज्याभिषेक से एक दिन पूर्व महाराज दशरथ ने श्रीराम (Lord Ram) को राजधर्म का पाठ पढ़ाते हुए कहा था-'कल तुम्हारा राज्याभिषेक है। तुमको राजमुकुट पहनाया जाएगा, परंतु याद रखना जो राजमुकुट पहनता है, वह स्वयं को अपने राज्य और प्रजा को सौंप देता है। एक राजा का अर्थ है, संन्यासी हो जाना।' संन्यासी का एक अर्थ है - 'सब का हो जाना।'

राजा जब सबका हो जाता है, तो सब अपने आप राजा के हो जाते हैं और रामराज्य का सपना आकार लेने लगता है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास जैसे नारे लगाने मात्र से कुछ होता नहीं है, कुछ होने वाला नहीं है, क्योंकि इस बारे में जो 'सब' है वह सच नहीं है और उसमें 'सब' तो कतई नहीं है। इस 'सब' में उन वर्गों की प्रधानता है, जो राजा और सत्ता के विशेष कृपा पात्र हैं। यूं तो जब योजनाएं बनती हैं, तो थोड़ा घना लाभ सबको मिल ही जाता है। लेकिन पिछले दरवाजे से विशेष कृपा कुछ खास लोगों, वर्गों को ही नसीब होती है। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि न राजा सबको पसंद करता है और न ही राजा को सभी वर्ग या लोग पसंद करते हैं। इस पसंद नापसंद के चक्रव्यूह में फंसते वही लोग हैं जिन्हें राजा पसंद नहीं होता है और राजा भी जिन्हें पसंद नहीं करता है। प्रक्रिया रामराज्य की स्थापना में सबसे अधिक बाधक है।

भगवान राम (Lord Ram) ने राजा बनकर स्वयं को राज्य और प्रजा को सौंप दिया था, समर्पित कर दिया था। तभी रामराज्य स्थापित हुआ था। राजा होने का अहंकार प्रजा के प्रति भेदपूर्ण नीति, आलोचना को निंदा मानना और मैं ही सर्वोपरि हूं का भाव रखने वाला शासक 'राम राज्य' लाने की बात तो कर सकता है लेकिन 'राम राज्य' ला नहीं सकता। महात्मा गांधी 'राम राज्य' के प्रबल समर्थक थे।

22 मई 1921 को गुजराती 'नवजीवन' में लिखे अपने लेख में बापू ने लिखा था-'हम तो राम राज्य का अर्थ स्वराज, धर्म राज, लोकराज करते हैं। वैसा राज्य तो तभी संभव है, जब जनता धर्मनिष्ठ और वीर्यवान बने ...अभी तो कोई सद्गुणी राजा भी यदि स्वयं प्रजा के बंधन काट दे, तो प्रजा उसकी गुलाम बनी रहेगी।' क्या महात्मा गांधी द्वारा 100 वर्ष पूर्व दिया गया यह बयान आज भी प्रासंगिक नहीं है। आज एक बड़ा वर्ग आत्मा से सत्ता का गुलाम होकर न खुद स्वतंत्र होना चाहता है, न दूसरों को स्वतंत्र होते देखना चाहता है। क्या ऐसी सोच के चलते 'राम राज्य' स्थापित हो सकता है? यहां 'राम राज्य' का सपना देखने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि जैसा मैंने पूर्व में कहा 'राम राज्य' का सपना भी सुखद एहसास की अनुभूति कराता है।

20 मार्च 1930 को हिंदी पत्रिका 'नव जीवन' में 'स्वराज और राम राज्य' शीर्षक से एक लेख गांधी जी ने लिखा, जिसमें उन्होंने कहा था-'यदि किसी को राम राज्य शब्द बुरा लगे तो मैं उसे धर्म राज्य कहूंगा। राम राज्य शब्द का भावार्थ यह है कि उसमें गरीबों की संपूर्ण रक्षा होगी, सब कार्य धैर्य पूर्वक किए जाएंगे और लोकमत का हमेशा आदर किया जाएगा।' पिछले कुछ वर्षों से सारा देश देखता रहा है कि लोकमत का निरादर करते हुए किस तरह सत्ता कब्जाने का भद्दा खेल खेला जा रहा है। लोक जिन्हें सत्ता के सिंहासन पर बैठाता है, उन्हें षड्यंत्र कर सिंहासन से उतार दिया जाता है। रामराज्य ऐसा ही होता है, रामराज ऐसे ही आता है क्या?